युवा

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक हाथ में सिगरेट,
एक में है मोबाइल

कैसे बदलेगा फिर,
अपने देश का हाल

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

कहानी

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

दादी नानी की कहानी,
अब कहीं गम हो गयीं

मोबाइल इंटरनेट में,
बाल अबस्था खो गयी

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

माटी

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये तन माटी का दिया,
आत्म ज्योत जलानी है

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

मेरा देश

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

धुप निकलती है कहीं,
कहीं पे दिखती है छाओं

नगर नगर भारत के सुन्दर,
सुन्दर हैं सरे गांव

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

चंचल मन

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

चंचल मन को रोक ले,
ये विनाश कर जायगा
तू कुछ नहीं कर पाएगा

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

समय

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

समय की अहमियत समझो,
इसको करो न तुम बेकार

आता नहीं ये बार बार

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

बीर हमारे

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

बर्फ पहाड़,और भूकंप
डटे वीर हमारे

शत्रु उर मचे हड़कंप,
चलें वीर हमारे

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

कुर्बानियां

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुर्बानियां देकर बीर आए चले गए,
अपनी विरासत हम सबको सौंप गए

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

मन

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

बरस रही है बरखा,
देने को मन सन्देश

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

इंसान

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

वाह रे इंसान,
इन्सां की पहचान नहीं

कब तक भटकेगा,
तुझे तेरी पहचान नहीं

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

कान्हा तुमको आना होगा

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

पाप बढ़ गया बहुत धरा पर,
कान्हा तुमको आना होगा

आतंक ,अनीति ,अत्याचार से,
धरा को मुक्त करना होगा

कान्हा तुमको आना होगा

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

माँ

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

माँ ममता की मूरत है,
प्यार का संसार है माँ

तपते हुए जीवन में,
शीतल सी फुहार है माँ

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

माँ मुझे जग में आने दो

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

माता मुझको आने दो,
बाबा मुझको आने दो

है कसूर क्या मेरा,
जो आने से रोक रहे

में भी हूँ रक्त तेरा,
क्यों इसको भूल रहे

मुझे किलकारियां लेने दो,
माता मुझको आने दो

भूल हुई क्या मुझसे बाबा,
मैं क्या तेरी संतान नहीं

बेटा ही तेरी शान है बाबा,
मैं तेरा अभिमान नहीं

घुट घुट कर,गर्भ मैं सिसक रहे
जग मैं जीवन जीने दो

बाबा मुझको आने दो

शक्ति का अंश हूँ मैं,
तेरा ही वंश हूँ मैं

क्या मैंने अपराध किया,
मुझे गर्भ मैं मत मारो

मेरी साँसे मत छीनो
अस्तितव मेरा मत छीनो

बाबा मुझको आने दो,
माता मुझको आने दो

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

बिटिया

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

बिटिया मेरी फुलवारी
खुशियों की है क्यारी

महके मेरा घर आँगन
मैं जाउ बारी बारी

बिटिया मेरी फुलवारी

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

लक्ष्य

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

लक्ष्य बिन जीवन है ऐसा,
बिन प्राण शरीर हो जैसा

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

प्रिय

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्रिय तुझे मैं पथ मैं पाऊं,
मैं जिस जिस पथ जाऊं
उत तेरे ही दर्शन पाऊं
सांझ सवेरे तुझको ध्याऊँ

प्रिय तुझे मैं पथ मैं पाऊं

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

सुर सरिता

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हे सुर सरिता माँ गंगे,
देव लोक से उतरी धारा पर

करने जन जन का उद्धार
है माँ बड़ा उपकार

हे सुर सरिते माँ गंगे

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

माँ गंगा

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

माँ गंगा तुम्हे नमन,
चूमू तेरे चरण

तेरी लहरों से शीतलता आये,
लगे यु माँ का आँचल

चारो दिशा धारा बहती
करती हैं कल कल कल

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

फूल

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं फूल हूँ ,कांटे मेरी राह में
चन्दन हूँ , विष धार मेरी छाओं में

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

काटो मत वृक्षों को

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

काटो मत वृक्षों को,
नित नव वृक्ष लगाओ

हरियाली रहने दो धरा पर,
बंजर न इसको बनाओ

वृक्ष लगाओ

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

वृक्ष

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

वृक्ष है तो जीवन है,
पावन वायु, सुरभित है

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

पृथ्वी

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सबका भार सहती है,पृथ्वी
फिर भी कुछ न कहती है पृथ्वी

नित सारी श्रष्टि को,
निस्वार्थ सब देती है पृथ्वी

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

ज्ञान

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

गुरु न होता ,तो ज्ञान न होता
उचित अनुचित का, भान न होता

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

गुरु

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

गुरु मार्ग है,दिशा है
लोक परलोक की शिक्षा है

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

देश

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

गए देश से ,परदेश जो
बरसो न मिल पाते हैं

नैना उनकी बाट देखे,
छिन पलछिन बरसो तक

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

माँ सरस्वती

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

झंकार उर में मात कर दो,
माँ वीणा पाणी वर दायनी

हैं अवगुण जहाँ,
हुंकार भर दे

अज्ञान तम दूर भागे,
मेरे सर पे हाथ रख दो

झंकार उर में मात करदो

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

सब मनुज

July 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आओ मिलकर कर्म करें,
हम वेदों का मर्म सुनें
और गीता का सार कहें
रामायण का धर्म चलें

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

तिमिर

July 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

घोर अमावस की रैनो में,
पूर्णिमा तुम बन जाना

हर तिमिर को चीर कर,
तुम रश्मियां बन जाना

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

जागो

July 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जागो,जगाओ,जगती पर,जाग्रति लाओ
घट घट,वह बस रहा,समर्थन पाओ
जाग्रति लाओ

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

प्राण

July 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

संग चलते तुम ऐसे हमारे,
ज्यों प्राण चले तन के सहारे

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

देव-पुत्र

July 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हे वेद-पुत्र,हे देव-पुत्र
सुचि संकल्प निराले
हे वसुधा के प्यारे

है विपदा भारी जहाँ
बने अबिलम्ब सहारे

बिगड़े काज बना दे
सुचि संकल्प निराले

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

जागो जवान

July 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जागो वीर जवानो,
तुम कहाँ सोये हो

जग की रंग रलियों में,
तुम कहाँ खोये हो

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

आज़ादी

July 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

है लक्ष्य हमारा,
पूर्ण मिले आज़ादी

व्यर्थ न जाये भारत के,
वीरों की क़ुरबानी

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

वीर

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

छोड़ कर घरबार अपना,
सीने पर गोली झेली

बहा के अपने रक्त को,
बचा ली मांगों की रोली

खेल सकें हम सब होली,
सीने पर झेली गोली

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

धरती पर आने दो

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

शिव की पूजा करते हो ,
शक्ति की करते हो हत्या

समाज देश पर आती है,
नित नयी विपदा

मान रखो नारी का,
नारी सम्मान करो

मत मारो गर्भ में इसको,
धरती पर कन्या आने दो

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

नारी

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

दुर्गा काली लक्ष्मी का,
शिव ने भी सम्मान किया

नतमस्तक होकर शिव ने,
इनको ही प्रणाम किया

शिव ने ही नारी को,
शक्ति का है नाम दिया

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

मानवता तुम खो चुके

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मानवता तुम खो चुके,
बस पैसा दिखता है

क्या लाया था तू इस जग,
जिसके लिए तू रोता है

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

होड़

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

चारो और है फैला,
आखिर ये कसा मोह

इंसान खुद को है मार रहा,
लगी ये कैसी होड़

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

विकार

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कान्हा ओ कान्हा,
मेरा भी माखन चुरा ले

माखन चुरा के कान्हा प्यारे,
चित भी मेरा चुरा ले

जो हो मन में मेरे विकार,
इनको भी तू चुरा ले

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

कान्हा

July 21, 2018 in गीत

प्रेम की डोरी से,यशोदा की लोरी से
बंध गए नन्द किशोर

छल कीन्हे बड़े कान्हा,प्यारी मईया से,
बहुत प्रेम है इनको, ग्वाल औ गैया से

माखन चोरी से,ब्रज की होरी से
बंध गए नन्द किशोर

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

पर्वत

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऊँचे ऊँचे पर्वत ,
पर्वत पर ये रास्ते

किसने बनाये ये सब,
और बनाये किसके वास्ते

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

क्रांति

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जल उठी क्रांति मशाल,
क्रांति के तुम दूत बनो

मातृ भूमि से प्यार है तो,
भारत माँ के दूत बनो

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

मातृ भूमि

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

अर्पण तन मन धन कर दो,
स्व मातृ भूमि के लिए

रहे वर्चश्व स्व का सदा,
ना हो बंधन,मुक्ति के लिए

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

मशाल

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

काल कलवित काल में,
मशाल जो जलाएगा

वन्दन अभिनन्दन है उसका,
वह वीर कहलायगा

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

भारत माँ

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

श्वेत माँ का आँचल है,
दाग नहीं लगने देना

निर्दोषों का रक्त,बहे का कभी
भारत का मान सदा रखना

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

यह दृश्य

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

पर्वत से भाल,
नदियों की चाल
ये तरु विशाल,
मन मेरे बसे हैं

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

देश प्रेम

July 21, 2018 in गीत

मेरा देश प्रेम,मन है बेचैन
कब शांति सन्देश मिलेंगे

माटी से प्रेम,
इसकी सुगंध में रमे हैं

होऊं निहाल,
जब भारत दर्श किये हैं

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

ईर्ष्या

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्या कभी विजय नहीं देखी,
जो इतना घबराते हो

जिसमे कवि का गुण नहीं,
और कवि कहलाते हो

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

अरि

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

न छेड़ना ऐ अरि तू
नहीं तेरी खेर नहीं,

मैं हूँ शांत चित्त,
तुझसे मेरा बैर नहीं

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

स्तर

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जग मैं आया क्या करने,
ऐ भी मानव भूल गया

स्वार्थ हेतु,पथ भ्रष्ट हो,
कितना स्तर गिर गया

जग मैं आया क्या करने,
ऐ भी मानव भूल गया

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

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