Noorie
वजूद मुझे दे दो
March 29, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हारे हैं कहो इक दिन
कहो इक दिन
कि जो कुछ भी हमारे पास है सब कुछ तुम्हारा है
कहो इक दिन
जिसे तुम चाँद सा कहते हो वो चेहरा तुम्हारा था
सितारा सी जिन्हें कहते हो वो आँखें तुम्हारी हैं
जिन्हें तुम शाख़ सी कहते हो वो बाँहें तुम्हारी हैं
कबूतर तोलते हैं पर तो परवाज़ें तुम्हारी हैं
जिन्हें तुम फूल सी कहते हो वो बातें तुम्हारी हैं
क़यामत सी जिन्हें कहते हो रफ़्तारें तुम्हारी हैं
कहो इक दिन
कहो इक दिन
कि जो कुछ भी हमारे पास है सब कुछ तुम्हारा है
अगर सब कुछ ये मेरा है तो सब कुछ बख़्श दो इक दिन
वजूद अपना मुझे दे दो मोहब्बत बख़्श दो इक दिन
मिरे होंटों पे अपने होंट रख कर रूह मेरी खींच लो इक दिन
Kht pyar bhra
March 24, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
ख़त कोई प्यार भरा लिख देना
मशवरा लिखना दुआ लिख देना
कोई दीवार-ए-शिकस्ता ही सही
उस पे तुम नाम मिरा लिख देना
कितना सादा था वो इम्काँ का नशा
एक झोंके को हवा लिख देना
कुछ तो आकाश में तस्वीर सा है
मुस्कुरा दे तो ख़ुदा लिख देना
बर्ग-ए-आख़िर ने कहा लहरा के
मुझे मौसम की अना लिख देना
हाथ लहराना हवा में उस का
और पैग़ाम-ए-हिना लिख देना
वजूद
February 24, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
लफ़्ज़ों की कमी थी आज शायद
या रूह में होने वाले एहसास की
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नही पता मुझको कहानी तेरी शायद
बस इतना जानती हूं कि वजूद को तेरे
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तूझसे ज्यादा जानती हूं शायद
ख्वाबबगाह में जो बसता है वो
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अलग सी खुमारी और कशिश शायद
मेरे रोम रोम में बसी है जो
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कैसे बताऊं तुमको क्या रूमानी एहसास है वो
कैसे यकीं दिलाऊं कितना रूमानी है वो
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बिन फरेब कितना मासूम है वो
किसी ख्वाबगाह का सरताज हो शायद
तेरे बारे में क्या लिखूं
January 30, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
❤️तेरे बारे में क्या लिखूं तुझे …..❤️
❤️सोचूँ तो ख्वाब बन जाते हो..❤️
❤️तुझे देखूं तो सपना..❤️🌹
❤️तुझे छू लूँ तो ख्वाहिश बन जाते हो..❤️
❤️तुझे मांगू तो मन्नत..❤️
❤️तुझ से बात करूं तो आदत बन जाते हो❤️
❤️तुझे पा लूँ तो जन्नत और❤️
❤️तेरे बारे में क्या लिखूं❤️
❤️तुझे जी लूँ तो ❤️ ❤️जिंदगी बन जाते हो……….❤
तबाही ज़िन्दगी की
January 24, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
दिल ही तो मांगा था
कौन सी कायनात मांंग ली
जो शब्दो में उलझा कर
मेरे दिल को ताार तार दिया
गुनाह तो नही प्यार करना
जो मुुुझे तबाह कर दिया
इश्क़ वाला लव
January 21, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
डायरी के हर पन्ने पे तेरा नाम लिखती हु
लिखती हु मिटाती हु फिर याद करती हूं
लिखते लिखते हर पल भूल जाती ह
इस मोहब्बत में इतनी मसरूफ होती हूं
जब भी पन्ना खोलती हूं तुझको करीब पाती हूँ
इस इश्क़ में खुद को मैं डावांडोल करती है
मोहब्बत में खुद को इतना खुद से दूर करती हूं
हा जी हाँ दूर करती हूं खुद को दूर करती हूं
जान लो इतना कि जान से ज्यादा
हा जी जान से ज्यादा मै तुमको हां तुमको
प्यार करती हूं जी प्यार करती हूं
बाबा मेरी पहचान है
January 20, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
नही था कोई एहसास उसके होने का घर मे
क्यों क्योंकि वो एक बेटी थी
नही थी कोई एहमियत उसकी
ओर न थी उसके मुंह मे ज़ुबाम
छीन ली थी जन्म से पहले ही उसकी आवाज़
क्या नही था हक़ उसको मां बाबा बोलने का
या नही है उसका कोई वजूद इस जहां से
बेटी है तो क्या वो भी तो इंसान है
उसकी भी तो एक पहचान है
उसको भी तो मिलनी चाहिए पहचान है
बनना उसको भी तो अपने बाबा की जान है
पर कोई होता नही पूरा उसका अरमान है
फिर भी वो कहती है बाबा मेरी पहचान है
बयार से बातें
January 19, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
ए ठंडी बयार सुनो न
कभी मुझसे भी मिल जाया
करो
घड़ी दो घड़ी मुझसे बात करने आया करो
अकेला है दिल मेरा
कभी इसको ही बहला जाया करो
दर्द से तड़पता है ये
कभी अपने एहसास से सहला जाया करो
नही लगता दिल ये मेरा
कभी तो दिल्लगी कर जाया करो
इबादत
January 19, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
खुद पर न कर गरूर इतना
खुदा भी नाराज़ हो जाएगा
इबादत है इश्क़ तो रब की
की जो इबादत तो रब भी खुश हो जाएगा
बन जाएगा बिगड़ा काम भी
जो तू इश्क़ से इश्क़ कर जाएगा
मेरा मुक्कदर तो नाराज़ है मुझसे
पर तेरा तो दुआ से बन जाएगा
मेरा तो इश्क़ भी रूठा है पर रब भी
पर तेरा तो मुक्कदर संवर जाएगा
इश्क़ खुदा है इश्क़ जन्नत है
पा ले जो इसको इश्क़ की इबादत है
इश्क़ नूर है खुदा का
न कर फिक्र तेरा इश्क़ तुझे मिल जाएगा
खुद पर न कर गरूर इतना
खुदा भी नाराज़ हो जाएगा
एहसास
January 18, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
लब कहे या न कहे
दिल यही कहता है
मेरे दिल मे बस तू ही रहता है
दर्द बढे या दर्द घटे
बस दिल यही कहता है
इस दर्द में भी तू ही रहता है
तुमसे लड़ूं या चुप रहूं
पर अरमान यही कहते है
मेरा हमसफर मेरा हमनवां
मेरे पास रहता है
नही जरूरी जतलाना बस
एहसास कराना है
सांस चले या सांस थमे
हर पल साथ बिताना है