जय श्री राम

August 2, 2020 in मुक्तक

छुपे सूरज क्षितिज में तो यकीनन शाम कहते हैं
जहां जन्मे प्रभू उसको अयोध्या धाम कहते हैं
हमारी आस्था देवों में कोई कम नहीं लेकिन
जो मर्यादा के स्वामी हैं उन्हें श्री राम कहते हैं।

दर्द भरी इक गुज़ारिश

July 26, 2020 in मुक्तक

मेरे घर में रहे तो फिर किराया दे गए होते
भंवर में था , मुझे कोई किनारा दे गए होते
नहीं कुछ और ख्वाहिश है सनम तुमसे मुझे लेकिन
चले जाना हि था तो दिल हमारा दे गए होते।
शक्ति त्रिपाठी देव

एक विनती

July 24, 2020 in मुक्तक

रख अभी जिंदा मुझे, आंसू बहाने के लिए
साथ तेरे प्रेम का रिश्ता निभाने के लिए
और कुछ ना मांगता हूं बस यही अरदास है।
दे दे बस दो गज जमीं इक आशियाने के लिए
शक्ति त्रिपाठी देव

जुदाई का दर्द

July 23, 2020 in गीत

जुदाई का दर्द

कांटों से ही प्रेम हो गया ,कलियां दिल में चुभती है
दर्द भारी यादों में तेरी मेरी अखियां जगती हैं
ज्यादा जुल्म किया फूलों ने कांटे बस बदनाम हुए
जो चुभते रहते थे वो ही जख्मी दिल के बाम हुए।
अपने हुए पराए जैसे जो इस दिल में रहते थे
बने गैर मेरे अपनों से, जिनको दुश्मन कहते थे
उर में गहरा घाव हुआ है पीर नहीं रोका जाता
बाढ़ असीमित है दृग में ये नीर नहीं रोका जाता
एक नहीं सौ बार तुम्हारी यादों में ही जलता हूं
उगने का है नाम नहीं अब सदा शाम सा ढलता हूं
प्रेम वृक्ष की डाली से मैं पत्ते जैसा बिछड़ गया
सच्चा था मेरे दिल लेकिन तेरे गम से बिगड़ गया
मेरे इस नाजुक दिल में तुम आग लगाकर चले गए
करके वादा पावनता का, दाग लगाकर चले गए
लाखों दोष लगा लो मुझ पर किन्तु सनम ये ध्यान रहे
प्रेम भले ना दो लेकिन मानवता का सम्मान रहे
शायद मैं ही मूर्ख मिला था खरबों की जनसंख्या में
धोखा दे दोगी मुझको तुम, ना था मैं इस शंका में
पढ़ लेता तेरा दिल तो मैं वक्त नहीं जांया करता
तुझे मनाने के खातिर मैं रक्त नहीं जांया करता
प्रेम महज इक धोखा है मेरे दिल को एहसास हुआ
तड़प तड़प तेरी यादों में ,मैं अब जिंदा लाश हुआ।
✍️शक्ति त्रिपाठी देव
बस्ती , उत्तर प्रदेश
भारत

लिखने दे

July 23, 2020 in मुक्तक

मुझे तेरी हथेली पर जिगर की बात लिखने दे
तुझे लव की कसम है आज सारी रात लिखने दे
लिहाजा आप मुझसे हो खफा एहसास है लेकिन
मिला जो आपसे मुझको वही सौगात लिखने दे।
शक्ति त्रिपाठी देव

अंगारों से खेलूंगा

July 18, 2020 in मुक्तक

अंगारों से खेलूंगा और तूफ़ा से लड़ जाऊंगा
मंज़िल मुठ्ठी में होगी ,ऐसे पीछे पड़ जाऊंगा
एक हार से कम ना आंको मुझे जरा दुनिया वालों
हर मुश्किल घुटने टेकेगी, गर जिद पे अड़ जाऊंगा
शक्ति त्रिपाठी देव

शिव वंदना

July 15, 2020 in मुक्तक

जय महादेव जय मृगपाणी दक्षाध्वरहर जय कामारी
शशिशेखर ,नीलकंठ भगवन जय महाकाल जय त्रिपुरारी
शिव शंकर, गंगाधर शंभू जय जगद्गुरू जय व्योमकेश
मुझे अपनी शरण में लो भगवन ,सर्वज्ञ अनिश्वर जय महेश।
✍️ देव 🙏

आग जलने दो

July 11, 2020 in मुक्तक

आग जलने दो यारों, धुआं ना करो
दिल के जख्मों को गहरा कुआं ना करो
मर ही जाने दो मुझको तुम्हें है कसम
मेरे जीने की रब से दुआ ना करो
शक्ति त्रिपाठी देव

चमगादड़ चीन को हिदायत

June 22, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वीर जवानों की ये शहादत भूल नहीं हम पाएंगे
ड्रैगन की औलाद तुझे हम जमकर धूल चटाएंगे
मिट जाएगा नक्शा तेरा, कहीं नजर ना आयेगा
तूने यदि पत्थर फेंका तो हम तिरसूल चलाएंगे।

चमगादड़ तुझको इस बाजी बढ़िया सूप पिला देंगें
ढह जाएगा एक पल में , तेरी बुनियाद हिला देंगें
अरे कमीने पाक भी तेरे कोई काम ना आयेगा
जो रोटी को तरस रहा वो साथ किसे दे पाएगा।

आज भी उसकी खैरियत की दुआ

June 22, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आज भी उसकी खैरियत की दुआ करता हूं
उसकी तस्वीर को होंठों से छुआ करता हूं
बेवजह ही वो सजाती है जनाजा मेरा
उसके एहसास में मैं खुद को धुवां करता हूं
शक्ति त्रिपाठी देव

मतलबी दुनिया

June 7, 2020 in मुक्तक

मेरी जलती चिता पर लोग रोटी सेंक लेते हैं
सहारे की जरूरत पर मेरा ही टेक लेते हैं
जमाने ने मुझे समझा किसी माचिस की तीली सा
जला करके दिया अक़्सर जिसे सब फेंक देते है।
शक्ति त्रिपाठी “देव”

भीगी भीगी रातों में

June 7, 2020 in मुक्तक

भीगी भीगी रातों में जब याद तुम्हारी आती है
सच कहता हूं यार मेरे ये आंखें जल बरसाती हैं
कैसे कह दूं दोस्त मेरे की मुझको तुमसे प्यार नहीं
प्यार असीमित है तुमसे ,इसमें कोई इनकार नहीं
व्यथित हृदय कुंठित होकर बस , तेरा नाम बुलाता है
सिवा तेरे इस नाजुक दिल को नहीं और कुछ भाता है।
रात रात भर रोता हूं बस तेरी याद सताती है
सच कहता हूं यार मेरे ये …………………….
सोच था की फूल खिलेगा मेरे दिल की धरती पर
किन्तु उगा है नागफनी अब मेरे दिल की परती पर
अपने इस छोटे दिल में कुछ पीर छुपाए बैठा हूं
इन आंखों को देख असीमित नीर छुपाए बैठा हूं
कैसे तुझे बताऊं कि तू कितना मुझे रुलाती है
रात रात भर रोता हूं बस तेरी याद सताती है
सच कहता हूं यार मेरे ये………………………..
Shakti Tripathi DEV

दिल खिलौना

June 7, 2020 in मुक्तक

बारीकियों से पढ़ मेरे दिल की किताब को
गलती से कोई पन्ना कहीं छूट ना जाए।
मिट्टी का खिलौना तुम्हें लगता है दिल मेरा
पर ऐसे खेलना कहीं ये टूट ना जाए।
Shakti Tripathi “DEV”

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