UE Vijay Sharma
कभी ना जताया
April 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
मैं बस ख़ुद से आगे कभी सोच ना पाया
तूने मेरा सब सोच के भी कभी ना जताया
…… यूई
ज़िंदगी ने जब जब
April 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
ज़िंदगी ने जब जब तपती राहों से निकाला मुझको
हर बार तेरी खुदायी का मंज़र नजर आया मुझको
…. यूई
थोड़ा सा बस संभला हूँ
April 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
जन्मो जन्म राहें अपनी भटकाई मैंने
इसी लिए तो तेरी राह ख़ुद गंवाई मैंने
अब जाके कुछ थोड़ा सा बस संभला हूँ
सब सोचे छोड़ जब तेरे रंग में रंगला हूँ
…. यूई
वोह सातों जन्मो का सच
April 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
वोह सातों जन्मो का सच दिखता है तुझमें
वोही जन्मो का प्यार जो रच दिया है मुझमें
खोया रहा उन राहो में बस सिमट कर ख़ुदमें
चैन मिला मेरी रूह को अब लिपट कर तुझमें
…. यूई
ता-जन्म जिस्म छू कर भी
April 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
बस मुसकरा कर तेरी आँखें लूटा देती हैं प्यार इतना
ता-जन्म जिस्म छू कर भी ना लूटा पाये कोई इतना
…. यूई
तेरा हाल-ए-दिल बता देती है
April 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुझको कुछ कहने की जरूरत ही क्या है
मादक आँखें तेरा हाल-ए-दिल बता देती है
…. यूई
अपने इश्क की तक़दीर ढूँढता हूँ
April 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
तेरी आँखों में अपने इश्क की तक़दीर ढूँढता हूँ
हुई जो ना अबतक मुकम्मल वोह तसवीर ढूँढता हूँ
…. यूई
तेरी मुसकराती आँखों में
April 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
तेरी मुसकराती आँखों में सब कुछ दिखता है
इन मुस्कराहटों के पीछे भी कुछ दिखता है
दर्द जो छुपा बरसों से इनमें वोह दिखता हैं
इंतज़ार है इनको आज भी जिसका वोह दिखता है
…. यूई
आँखें तेरी वोह सच्चाई
April 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
लोग तो करते हैं बातें सच्ची चाहतों की
आँखें तेरी वोह सच्चाई बयान करती हैं
…. यूई
सच्चाई है तेरी बातों में
April 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
सच्चाई है तेरी बातों में
सच्चाई है तेरी सोचों में
इसी सच्चाई में बसा लो मुझको
कुछ तो ख़ुद सा बना लो मुझको
…. यूई
उम्मीद के दिये जलाने छोड़ दिया
April 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
टूट लिए सपने जितने थे टूटने
अब ना फिर कभी भी यह टूटेंगे
अरमानो को हमने गहरे दफन किया
उम्मीद के दिये जलाने छोड़ दिया
…… यूई
विश्वास है हिल जाता
April 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
है मुश्किल तो ख़ुद का साथ निभा
यह दुनिया तेरा साथ क्या निभाएगी
मुश्किलो में इसका विश्वास है हिल जाता
खुदा पे भरोसा इसका इक पल में टूट जाता
…… यूई
माफ कर देता
April 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
माफ कर देता तेरी तुम्हारी बेवफाईओ को
पर मुझे तुम्हारी कोई भी ख़ता याद नही
…… यूई
ए लहरॊं की रागिनी
April 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
ए लहरॊं की रागिनी
राग का यह राज तो बता
सुर तेरे से मचलती है लहरे
या उनकी मस्ती से महकते सुर तेरे
…… यूई
नजर इश्क प्यार इक़रार तकरार
April 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
लगता सबको है यह पहली बार
कि है यह बस मेरे वाला प्यार
नही जानते हो तुम हो नादान
है सदियों पुरानी यह रिवायते
नजर इश्क प्यार इक़रार तकरार
यही होता आया है यहां बार बार
…… यूई
रंग अपनी मेहँदी मेरे रकीबों के नाम
April 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
रंग अपनी मेहँदी मेरे रकीबों के नाम
कौनसी तूने यह नई कहानी लिख दी
निभायी जिसने भी यहां रस्म-ए-वफ़ा
उसने अपनी बर्बादी-ए-जिंदगी लिख ली
…… यूई
मैंने रात की दिन से ज़ुदाई लिख दी
April 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
हो ज़िन्दगी की बेवफाईयों से खफा
मैंने रात की दिन से ज़ुदाई लिख दी
बचाने को तेरी रुसवाईया जमाने में
ख़ुद की बदनाम कहानी लिख दी
…… यूई
पलकें मेरी बंद हुई उनकी पलकों तले
April 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
ज़िन्दगी को कर के ज़ुदा ज़िन्दगी से
ज़िन्दगी को मिला दिया ज़िन्दगी में
कोई ऐसी मौत का शिकवा क्यों करे
पलकें मेरी बंद हुई उनकी पलकों तले
…… यूई
खूब बेरहम इश्क है यह दर्द का
April 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
खूब बेरहम इश्क है यह दर्द का
खुदा दुश्मनों को भी इससे बचाए
…… यूई
कही दर्द को ना हो जाए इश्क आपसे
April 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
आपको हुआ है इश्क दर्द से तो कोई बात नही
बचना कही दर्द को ना हो जाए इश्क आपसे
…… यूई
रोज़ जीना चाहके भी
April 8, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
रोज़ मार के भी ख़ुद को मर सके
रोज़ जीना चाहके भी जी ना सके
मरते हुए मरने का करते रहे इंतज़ार
जीते हुए करते रहे जीने का इंतज़ार
…… यूई
मौत ने किया है कुछ इस तरह
April 8, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
मौत ने किया है कुछ इस तरह मेरा इंतज़ार
जैसे ज़िन्दगी ख़ुद करे जिंदा रहने का इंतज़ार
…… यूई
ख़ुद की छोड़ लग गई सबकी सुध
April 8, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
कहने को तो हुए हम घर से बेघर
इश्क तेरे ने किया ख़ुद से बेखुद
ज़िन्दगी कुछ यूँ गुज़री फिर बेसुध
ख़ुद की छोड़ लग गई सबकी सुध
…… यूई
सुनाया फ़ैसला
April 8, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
मेरे ही गुनाहों ने हो परेशान मुझसे
सुनाया फ़ैसला खुद्की मौत का मुझसे
…… यूई
तुम्हे इश्क कहूँ या अब कहूँ खुदा
April 8, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम्हे इश्क कहूँ या अब कहूँ खुदा
अब तो फर्क कोई ना पड़ता है
उसके रंगों में रंगा हर काम तेरा
तेरे रंगों में रंगा अब हर रंग मेरा
…… यूई
जिसने ख़ुद में खुदी दिखला खुद की
April 8, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
रंग रूह को इश्क के पक्के रंगों को
तूने वोह रंग प्यार का दिखलाया है
जिसने ख़ुद में खुदी दिखला खुद की
इन सब झूठे रंगों से पीछा छुड़ाया है
…… यूई
इज़हांर-ए-इश्क
April 8, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
नज़र-ए-हुस्न ने किया इज़हांर-ए-इश्क जबसे
अरमानो को जैसे मेरे लग गए हो पंख तबसे
…… यूई
बना इश्क उतारा रूह में
April 8, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
जाम से मिलते ही मचलती शराब जैसे
मयकदे में झूमते हो बेखुद मयकश जैसे
कुछ यूँ ही बेखबर सा हो गया हूँ जगसे
बना इश्क उतारा रूह में तूने अपनी जबसे
…… यूई
क्या हुआ जो तेरी नजर नही हमपे
April 8, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
लौटा दो सदाए लाखों बार हमारी
ज़िन्दगी का सौदा करके आए हैं
क्या हुआ जो तेरी नजर नही हमपे
तेरे इश्क में लूटाने हम जान आयें हैं
…… यूई
बीत चुके हैं बरसों जिनको
April 8, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
बीत चुके हैं बरसों जिनको
क्यों पल वोह याद दिलाते हो
किए गहरे दफन जो जग जग रातों
क्यों उनकी अब कब्रे खुदवाते हो
…… यूई
ज़िन्दगी ना कर पाई फ़ैसला
April 7, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
ज़िन्दगी ना कर पाई फ़ैसला
मैँ शराब का नशा छोड़ दूँ
या तेरी जुस्तजू की उम्मीद
एक ने मुझे जीने ना दिया
दूसरे ने मुझे पीने ना दिया
…… यूई
बेशकीमती है यह गहने
April 7, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
बैठा हूँ बीच बाज़ार, लेकर अपनी यादों को
बेशकीमती है यह गहने, इनका कोई मोल नही
आए वोह ले जाएँ मुझसे, बेमौल मेरी जागीरें को
वोह जो हो तपा वर्षो, मेरे जैसे दर्दो की अगन में
वोह जो हो ख़ुद में घुटा, ख़ुद के ही अंधेरों में
…… यूई
जाने कितने दर्द समेटे होंगे उसने
April 7, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
जाने कितने दर्द समेटे होंगे उसने
जो यादों को अपनी बाज़ार ले गया
…… यूई
कैसे कोई मुझको कवी बुलाता
April 7, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
कोई मुझे यहां कवी बुलाता
कोई बोले शब्दों का खिलाड़ी
कोई समझे बुनता मैँ लड़ियाँ
कोई समझे चुनता मैँ कलियां
ना मैँ कवी ना कोई खिलाड़ी
मैँ तो बस एहसास का पुजारी
उतार अंतर उसके भाव को पूरा
लपेटता सही शब्दों में उसको
छंदों की लड़ियों में जड़ उसको
सच के गहनो से सजाता उसको
कोई कहता मेरी कविता सुंदर
मन कहता मैँ हूँ आभारी तुम्हारा
तुमने इस कविता के कहीं अन्दर
छुपे उस भाव को मुझसा समझा
गर कोई भाव को समझ ना पाता
कैसे कोई मुझको कवी बुलाता
…… यूई
सूर्य मैं सूर्य
April 7, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
हूँ लाखो वर्षो सी यूँ ही जल रहा मैं
हूँ ख़ुद में आग लगा कर जल रहा मैं
जला ख़ुद को कर रहा रोशन तुमको मैं
किसी को लगता निकला अभी यहां मैं
किसी को लगता छुपा अभी वहां पे मैं
मेरा ख़ुद का ना कभी छुपना ना निकलना
मेरा वजूद है बस जलना तपना चलना
मैं अघोर तपस्वी ना कभी जिसे विश्राम
भखना ही मेरी तपस्या जलना मेरा मान
कबसे हूँ ना जाने मैं इस तपस्या में मगन
यूँही रहूँगा जलता जब तक ना होयूँ भस्म
कर्म है मेरा, ख़ुद जल करना रोशान जहां
सूर्य मैं सूर्य, हूँ मैं बिलकुल अकेला यहां
पूरे ब्रह्मांड में ना कोई और मेरे जैसा यहां
…… यूई
गौर से देखो तो
April 7, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
वक़त की कमी नही है यहां, यूँ ही गर देखो तो
गया वक़त ना लौट कर आए, गौर से देखो तो
…… यूई
है नहीं किसी को थमने की यहां पर थाह
April 7, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
सिर्फ दिखने को लगता है सबको आराम
है नहीं किसी को यहां कभी भी आराम
हर पल है हर शय उसकी गतिशील यहां
है नहीं किसी को थमने की यहां पर थाह
…… यूई
है यह बदनामी नाम से भी खूब
April 7, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
प्यार लुटाया दिल खोल खूब
तब जा कमाया यह नाम खूब
माना के हुए बदनाम हम खूब
है यह बदनामी नाम से भी खूब
पिघलाया इसने तेरे दिल को खूब
बाँहो में समेटा मुझको तुमने खूब
दिल तेरे पे राज़ कर पाए हम खूब
…… यूई
कोशिश तो की होती पास आने की
April 7, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
कहते हो राज़ छुपे है हजारों मुझमें
देखा है अपना अक्स कभी मुझमें
कोशिश तो की होती पास आने की
ख़ुद खुल जाते राज़ तुम्हारे दिल के
…… यूई
कहते थे क़रीब मेरे दिल के रहना
April 7, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
कहते थे मेरी आँखों में ही रहना
कभी फ़ासले दूर कर जाएँ तो क्या
कहते थे क़रीब मेरे दिल के रहना
जिस्म ना मिल भी पाए तो क्या
कहते थे मुझे मन से ना भुलाना
आवाज़ ना भी लगा पाए तो क्या
कहते थे यादों में मुझे ज़िन्दा रखना
कभी ज़िन्दगी धोखा दे जाए तो क्या
साथ थे जब तक कुछ ना था भुलाना
तुम ही दे गए धोखा तो क्या भुलाना
…… यूई
हमारी यादो को दफनाने
April 6, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
हमें दफनाने की आपकी कोशिश शायद हो पूरी
हमारी यादो को दफनाने की कोशिश ना होगी पूरी
……यूई
वादा है मोहब्बत का
April 6, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
मार कर हमें तुम, अपने दिलो की तहों में जो दफ्नाओगे
वादा है मोहब्बत का, हम जिंदा उन तहों से लौट आएंगे
……यूई
दिल को अपने बेवजह तुम तड़पाओगे
April 6, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
चाह कर तो ना हम तुम्हे स्तायेंगे
चाह कर तुम हमें भूला ना पाओगे
ज़ोर जितना हमें भुलाने पे लगाओगे
दिल को अपने बेवजह तुम तड़पाओगे
……यूई
जो मर मर के जिया
April 6, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
जो मर मर के जिया, वोह ख़ुद का ना मीत
जो ना हुआ ख़ुद का मीत, वोह कैसा तेरा मीत
……यूई
मृत्यु से अभय
April 6, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
हर पल मृत्यु से अभय, शौर्य की पहचान
हर पल मृत्यु सो जो डरा, वो जिंदा मरा
……यूई
गहने है यह सब अनमोल
April 6, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
सिसकियां साँसें दिल चाहतें
इंतज़ार बेकरारीयाँ मुस्कराहटें
गहने है यह सब अनमोल
मिल जाए कभी भी कही भी
संभाल लीजियेगा, ख़ोयिएगा नही
हां इकठे कभी नही मिलेंगे
पर यह वादा है मेरा मिलेंगे ज़रूर
जब भी मिले, कैसे भी मिलें
संभाल लीजियेगा, ख़ोयिएगा नही
……यूई
निशनियाँ है प्यार की
April 6, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
फूलों का खिलना
भँवरो का नाचना
तितलियों का मचलना
बरसात की रिमझिम
हवाओं की अठखेलियाँ
तारों का टिमटिमाना
नदियों का मचलना
निशनियाँ है प्यार की
……यूई
क्या सच में ही चाहते हो
April 6, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
अरे क्या कह्ते हो
कि मेरे होश ठिकाने आए
क्या सच में ही चाहते हो
कि मेरे होश ठिकाने आए
सोचा है गर कभी
जो मेरे होश ठिकाने आए
आपके होश
ना फिर कभी ठिकाने आए
…… यूई
कह्ते इसे पशु प्रवृति
April 6, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
ख़ुद का चरना,
कह्ते इसे पशु प्रवृति
जो ख़ुद का चरते,
वोही तो पशु कहलाते
कुछ ग़लत कहा क्या?
क्या सोचा ना था?
यूई अब भी सोचो?
क्या बिगड़ा अभी है?
कह्ते तो है ना सब,जब जागो तभी स्वेरा
…… यूई
है यह कैसी और किसकी तलाश
April 5, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
जिसने समझा आपको अपना
उसको ना समझा आपने अपना
जिसको समझा आपने अपना
उसने ना समझा आपको अपना
है यह कैसी और किसकी तलाश
होगी कैसे खत्म यह सबकी तलाश
…… यूई