सरमाए

July 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कभी इस तरफ देख लिया करो
हम कभी तुम्हारे सरमाए थे
हर ग्येर से बात करते हो
हम तोह तुम्हारे अपने थे

मोहलत

July 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

थोड़ी मोहलत मांगता हु रब
बस एक बार उनका दीदार हो जाए
फासले जो फैसलों की वजह से थे
बस उस पर सुलह हो जाए

यूँ रूठना भी कुछ होता है क्या
एक बार मुरना तोह बनता है ना यार
रो तू भी रही थी मैं भी
एक बार मिलाना तो बनता है ना यार

ए खुदा बोल तेरी रज़ा है क्या
इन दूरियों की वजह है क्या
मांग ता कुछ नहीं तुझसे
बस इस बेरुखी की खता है क्या

हम भी टूटे थे

July 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हम भी टूटे थे
जब तुम्हारे वादे झूठे थे

हम रोते थे
जब तुम किसी और के साथ हस्ते थे

आज हम खुद को मनाना सिख लिए
बस तूम्हारी परवाह छोड़ दिये

ज़िन्दगी

June 17, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हम भी बेसुध से तेरे बेवफाई से
जीना छोड़ दिये थे
बताना भूल नहीं की कोई साथ नहीं थे तब
सिर्फ गिने चुने छोड़

तुम जानते तोह क्या बोलते
सिर्फ इतनी सी बात पे तुमने जीना छोड़ दिया कह कर
मज़ाक बनाते
तुमने बनाया भी मज़ाक
बुरा लगता था पर जवाब नहीं दिया
पढ़ अंदर ही अंदर टूट चुका था

खुद को समेटना कोई जंग से कम नहीं
कैरियर खत्म होने की कगार पर थी
बस यह ही याद रखना जितनी भी तोड़ो
मेरे रब ने कभी मेरा हाथ ना छोड़ा है

हर इंसान पर है कि वोह वक़्त को किस तरह से देखता है
वो खुद ही हर बात का सॉल्यूशन है
दुनिया मे कोई तुम्हे कोई हरा नहीं सकता है अगर तुम खुद हार ना मानो

तुम मुझसे सब कुछ छीन सकते
जो नहीं छीन सकते वो मेरे लड़ने का जज़्बा
बस यह ही कहना मेरे भाई कोई भी परेशानी हो तोह
खुद को हारा ना समझो अपने रब पर भरोसा रखो
वक़्त का यह ही फिदरत है की वोह कट जाता है

मजदूर हू मजबूर नहीं

May 19, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मजदूर हू मजबूर नहीं
तेरे जैसे वीडियो के सामने मदद लेने से इनकार करता हू
लाखों दूर घर की और सफर करता हूँ बिना किसी मदद के पैदल

किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया कभी
कारखाने बंद बाजार बंद
भूख है की कोई लॉकडाउन नहीं मानती
पोलिस के डंडे खाकर भी हम कोई काम की आशा में निकलते है

भीख नहीं मांगते भीख नहीं मांगते
तुम्हें टिक टॉक और फेसबुक से फुरसत हो
तोह कभी हमारे लिए सोचना
बस स्वाभिमान से भरे किसी काम से हो सके तोह जोड़ना

इस महामारी में मेरे बच्चे भूखे है
मेरे राशन को चोरी करने से पहले सोचना
वोट जो मांगते हो उसी की दुहाई देता हूं
अपने राज धर्म के बारे मे भी तुम थोड़ा देखना

आपसी रंजिसे भुलाकर साथ तुम चलना
यह देश रहे तोह हिन्दू मुसलमान का खेल बाद में खेलना
बात तब्लीक़ की हो या किसी और की
माहवारी में धर्म को मत जोड़ना

कलम

May 18, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कलम और पेन से अभी नाता कब का छूट चुका है
अभी ज़माना ईमेल और मोबाइल का है
छोटे उन पन्नो में अपनी भावनाएं सारी लिखने की नौबत अभी नहीं आती
अभी तेरे ख़तों में तेरी खुशबु ढूंढने का अहसास नहीं रहा
बहुत कुछ खो दिया है अभी के ज़माने ने या पाया है बहुत कुछ।

अजीब सा द्वंद है

May 17, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तू दूर जा रही है या यादों में पास
मै टूट रहा हू या तपित लोहा बन रहा हू
तेरे जाने का गम है या तुझे पाने की आस

अजीब सा द्वंद है

हम शायर है जनाब

May 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

चोट जो तुमने दिया उसका कोष बना देते है
हम शायर है जनाब हम बातों से नहीं सिर्फ दिल में समझ जाते है

मकबरे हमारे नहीं हम लोगों के बना जाते है
हम शायर है जनाब प्यार कर के देखो ता उम्र तुम्हें याद किए जाते है

इस खलिश मे ना जिओ की दुनिया क्या कहेगी मेरे प्यार पर
हम शायर है जनाब खुद के या औरों के प्यार पर हम जान दिए जाते है

बात मज़हब का हो या मादरे वतन का
प्यार के वास्ते हम जान हथेली पर रख कर घूमते है
हम शायर है जनाब प्यार कर के देखो हम आज़माइश ए वफ़ा किए फिरते है

समंतराल

May 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ना दर्द है
ना धूप है
यह कैसी दुनिया लगे बेदर्द है

हा खुश हूं मैं
हा बेसुध हु मै
अपने दुनिया मे बेशक सफल हु मै

पर खलती तेरी कमी
बेजान सी यह ज़िन्दगी
यह आंखों की नमी ढूंढे तेरी गली

यह सब कुछ लगे बेमाना
जूठी लगे यह मेरा सफरनामा
क्यों ज़माने के सब बंधन तोड़ तू नहीं मिलती

हाथो की लकीरें क्यों नहीं मिलती जिस तरह कभी मिलती थी
समंतराल सी क्यों जीते है हम अपनी अपनी ज़िंदगी में

क्या मुझसे मिलने की कसीस तुझे भी होती है
या खुदा यहीं दास्तान ए ज़िन्दगी सिर्फ मेरे लिए लिखी है

वफाई

April 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरी तब भी नहीं चली थी
मेरी अब भी नहीं चली है
चारो तरफ बेबसी और लाचारी है
ए खुदा तूने भी क्या बाकियों की तरह
मुझसे वफाई निभाई है

घर बंदी

March 26, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कोई सोचता है की आज पनीर कल गोभी की सब्जी खाऊंगा
कोई सोचता है की कल परिवार का पालन कैसे करूँ

कोई कहता है हैंड सैनिटाइजर इस्तेमाल करना है
और किसी को साफ पानी और साबुन ही मोहिया नही होती

कोई सब्जियों को जमा करने की होड़ में है
किसी को भूखा सोना पढ़ रहा है

इस घर बंदी के मायने अलग है हम सब मे

दूर

March 25, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुछ रिश्ते साथ होने के अहसास से बनते है
चाहे वोह इंसान कितना दूर ही हो

कोरोना पढ़ एक कोशिस लिखने का

March 25, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जो लोग आप की ताकत है
जीवन के भाग्दौर के चलते समय नहीं दे पाते है
अब घर बंद के चलतेी उनके साथ जीने का मौका दे रही है
इस डर के माहौल में बस अपनो के साथ मौत भी आ जाए तो कोई खलिश नहीं

इज़हार

March 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

इज़हार ना हो वोह इश्क़ का
जो हम तुझसे करते है
कुछ रिश्ते बेज़ुबान ही अच्छे है

होली का रंग बस लाल है

March 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज की होली का रंग बस लाल है
यह खून है या गुलाल है

दिल वालों का शहर आज वीरान है
लोगों के पागलपन देखों रोटी कीमती और सस्ती अभी जान है

मौत पर आज तुम्हारे धर्म पर राजनीती होती है
हिंदु मरता है या मुसलमान कोई नहीं देखता मरता है तोह सिर्फ इंसानियत

जिसने खोया वही जाने अपनो को खोना क्या होता है
शासनतंत्र के लोग जो भड़काते है उन्हें पता है निष्पक्ष जांच इस देश में मज़ाक बन चुकी है

ना रोज़गार है ना मुलभुत अव्यसकताएँ बस आपस में लड़ों और मरो
हिन्दू राष्ट्र तोह बन जायेगा पढ़ उसमे हिन्दू कम
ब्राह्मण कायस्थ सूद्र लड़े पढ़े होंगे

रूठा ना कर

March 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐसे रूठा ना कर की
मनाने में उम्रे निकल जाए

ज़िन्दगी भर के फासले तो हम तोह तय कर लेंगे
खौफ बस इस बात का है मौत के बाद का रास्ता पता नहीं

किस बात की आज़ादी

February 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

देश स्वाधीन है तब किस बात की आज़ादी
यह चांदी के चमच्च ले के जन्म लेने वाले क्या समझेंगे
होते अगर दलित या आदिवासी के बेटे तोह समझ आती

तुम्हारे मंदिरों में हमें घुसने न देते
मिड डे मील में हमारे अलग लाइन में बैठते तोह
समझ आती हमारी आज़ादी क्या है

जिन आदिवासियों पढ़ अंग्रेज़ हुकूमत ना कर सके
उन्हें उनके देश के लोगों ने प्रकितिक संसाधनों पाने की
होड़ में विस्तापिथ करनें की चक्रव्यूह रोज़ रचते जा रहे है
यह आज़ादी तुमको ही मुबारक हो

कपड़ो में तुम्हरे धर्म को पहचाना जा रहा है
जब मन हो मोब लीनचिंग की आज़ादी
वाकई मज़े की बात है
और तुम कहते हो किस बात की आज़ादी

सरकार का विरोध करना यह देश द्रोह नहीं कहलाता
यह अच्छे गणतंत्र की निशानी है
यह देश जितना तुम्हारा है उतना मेरा है
मेरी देश भक्ति ऐसी है जिसे साबित करने की जरूरत
सिर्फ मेरी इच्छा पर निर्भर है

एतराम

February 24, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज भी शाम है हाथ में जाम है
दिन बदलने का आज भी तुझ पर एतराम है

ख़ुदा

February 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सब को बाट रहा है खुशियां खुदा
एक मेरा ही घर सुना रह गया
ऐसी बेरुखी क्यों
जवाब सबको नहीं मिलता
इस लिए तोह सिर्फ़ फरियाद का दामन छोड़ तोह नहीं सकते

कॉर्पोरेट दुनिया

February 17, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मुझमे थोड़ी सी अच्छाई, शायद बाकी है
इस लिए ठोकरे राहों में बेसुमार है

मुझमे तेरी पड़छआई शायद बाकी है
की आज भी टिका हुआ हूं

जीवन के इस चक्रव्यू फसते जा रहा हूँ
कौन दोस्त और कौन शत्रु में भौचक्का सा हो रहा हु

उम्मीद की लौ धुमिल सी दिख रही है
ज़िंदा हु क्यों की तेरे साथ होने पे ऐतबार है

राजनीति आफिस की रास ना आती
हम मज़दूर है सतत संग्राम ही हम को भाती

उम्रे

February 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हमने उम्रे गुज़ार दी तेरे इंतेज़ार पर
तुझे आती है क्या याद कभी मेरे प्यार पर

हमने फासले मिटा तेरे ऐतबार पर
पर तुझसे एक कदम साथ चला ना गया

ज़िन्दगी

February 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हम चुप और अकेले रहते है
इसका मतलब यह नहीं हम दुखी है
हमने अक्सर लोगों से घिरे हुए को अंदर हीअंदर घुटते देखा है

कभी ना भेजा गया खत

February 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दोस्त नहीं अब हम
दूर है कही तू
किसी और की बाहों में
मेरा भी नसीब चल पड़ा है किसी और के साथ

लोग कहते है पहला प्यार भुलाया नहीं जाता
हम कहते है भूलना भी क्यों है
तब हम नासमझ थे वही दौर की यादें काफी है
पछतावा नहीं है बस वोह हसीन यादें है

दोस्ती थी गलत होगा अगर कहूँ नहीं है
आज भी कभी अचानक मिल गए तोह
एक जिजक सी रह जायेगी
शायद अजनबी बन के नज़रअंदाज़ कर देंगे

आज भी यह सवाल है
प्यार न सही एक दोस्त की तरह क्या हम मिल पाएंगे

बदनाम हो गए

January 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हम बदजबान थे बदनाम नहीं
ईमान थी तू बस यह गलती कर बैठे

Smriti

January 21, 2020 in বাংলা কবিতা

Amar randhe misse gechey nil
Tomar smriti ajo amaleen

आयत

January 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरी आयत है तू
जितना पढ़ू उतना खो जाता हूँ

काश इतनी सिद्दत से पढ़ा होता
तोह अव्वल आ जाते

मोहब्त

January 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसी से इतनी भी मोहब्त ना कर
की सिर्फ तू ही सौगात भरता जाए
मै से हम की दुरी दोंनो को तय करना है

गया था उस गली

January 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गया था उस गली जहा से निकाला गया था
मोहब्बत थी इस लिए चुप था
तेरे हर सितम का जवाब मौजूद था
यह तोह तहज़ीब आरे आ गया

विप्लब

January 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जनता के बारूद को आग से मत ललकार
शमा को बुझने ना देंगे ज़ुल्मी रात जितनी भी कोहराम मचाए

माना विपक्ष धनवान बलवान है
पर इतिहास साक्षी है
जब भी सब जन विप्लब का रास्ता लेते है
उनके एक आवाज़ ही तख्तता पलट करने मे शक्छम होती है

शिक़ायत

January 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

खुदा से शिकायत हो तोह कभी
गरीबों की बस्ती जाओ जनाब
कितने खुशनसीब हो पता चल जाएगा

नव वर्ष की हार्दिक अभिनंदन

January 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जनवरी सपना दिखाती है
दिसंबर गलतियां
अपने गलतियों से सीख
और आगे बर अपने सपनो पर
नव वर्ष की हार्दिक अभिनंदन

तेरा दीदार हुआ

December 24, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मुदातों बाद तेरा दीदार हुआ
बात पलछिन की थी जो कब से कहना था
पर कब वोह बात अपना महत्व खो चुकी थी पता ना चला
शायद वक़्त सबसे अच्छी दवा होती है

तेरा दीदार हुआ

December 24, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मुदातों बाद तेरा दीदार हुआ
बात पलछिन में थी जो कब से कहना था
पर कब वोह बात अपना महत्व खो चुकी थी पता ना चला
शायद वक़्त सबसे अच्छी दवा होती है

NRC

December 18, 2019 in বাংলা কবিতা

Tomar gharey mangsho bhat
Amar paat e panta bhat

Tomader sabar susama ahar
Amar bari drabay muleyer haha kar

Tomar bari bilash bahul
Amar kure ey sambal

Tor theke kichu chaini sudhu cheye chilam sadhin bhabe bachar adhikar

Setao kere niley

गम है तोह

December 12, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

गम है तोह ज़िन्दा है हम
उम्मीदें कम है तोह किसी तरह खुश है हम

कोई बरी खुशी नहीं चाहिए भगवान
अब तोह इस की आदत सी हो गई

लोग कहते है की वक़्त बदलता है
अपना तोह कब से एक सा ही चल रहा है

बाज़ार

November 13, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मल्टीनेशनल कंपनियों के लालच से बचों भाइयों
यह बे ज़रुरत की चीज़ों से आपका घर भड़ देंगे

लोन और क्रेडिट कार्ड की लालच से बचों भाइयों
इनसे घर उजड़ते देखा है मैंने

खुदा ने जैसा भेजा है उसी में खुश रहो
चार दिन में आपका पॉकेट साफ हो सकता है
पर चेहरा गोरा नहीं

खूबसूरती देखने वाले कि आँखों में है
तन से ज्यादा मन में है

दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति जेफ बेसोस गंजा है
इस से पता चलता इस गंजेपन की कोई इलाज नहीं

ज़रूरत से ज्यादा किसी संसाधन का उपयोग जनहित में नहीं होता
देश में वैसे ही संसाधन कम है और यह कंपनियां आपके लालच को बढ़ाने की होड़ में है

एक तरफ़ा

November 12, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कहना था क्या, क्या कह गए
दिल मैं जो था लब पे आते आते रुक गए

इस वाकये को हुए ज़माना हो गया
पर लगता है कि कल ही हुआ

सोचता था की तू न मिले तोह ज़िन्दगी खत्म
पर देखो ज़िन्दगी के मायने बदल गए

समय का फ़ितूर देख तेरा यह loser
आज अपनी दुनिया के मुकाम में पहुँच चुका है

मेरा प्यारा देश हिन्दुतान

October 28, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जो हल जोते फसल उगाये उसे
उसकी किमत नहीं मिलती

जो मजदुर उत्पाद बनाय
उसे उसकी कीमत नहीं मिलती

भूख और लाचारी का ऐसा आलम है
अब जान सस्ती है रोटी नहीं

जात और धर्म का ऐसा टॉनिक खिलाया जाता है
कि किसी बच्ची या कोई व्यक्ति मौत में धर्म नज़र आता है

महात्मा को मारने वाले की पूजा करने वाले
उन्ही के नाम पर डींगे हाँकते है

देश में बेरोज़गार बर रहे है
पर नेताओं के आम खाने के तरीके सुर्खिये बटोरते है

व्यक्ति के क्रय छमता कम होने की वजह से
कारखाने बंद हो रहे है

अविव्यक्ति की स्वतंत्रता दाव पड़ है
देश प्रेम के दिखावे मे जेट प्लेन को निम्बो मिर्ची का चोखा लगाना पड़ रहा है

कवि हु प्यार और वेदना की सिर्फ नहीं लिख सकता हु
मेरा देश जल रहा है और देश को पाकिस्तान से सिर्फ नहीं
यह अंदर से टूट रहा है

मुश्किल ए ज़िन्दगी

October 12, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैंने ज्यादा किताब पढ़ा नही
पर मुश्किल ए ज़िन्दगी ने बहुत कुछ सीखा दिया

एक तरफा प्यार

October 10, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

पहले तुझसे बात करने से पैर कॉप ते थे
लैब थर थरा उठते थे
पर कभी तुझे बोल ना सका

दिन तेरे दिदार की चाहत में होती थी
हर किसी से मुस्कुराहट से बात होती थी
पर कभी तुझे बोल ना सका

इस एक तरफा प्यार की ताकत को
कम ना समझो साहब
यह प्यार बट ता नहीं यह पूरा होता है

इसमे खोने का दर्द है पाने की आस है
इस पाने की आस में ज़िन्दगी बर्बाद
ज़ीद पे आजाओ आबाद हो जाती है

कामियाब इंसान

October 10, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

महफ़िल में मेरे बहुत है
पर तेरे जैसा कोई नही

मुफलिस सी ज़िन्दगी में एक तेरा ही सहारा था
खुदा ने उसे ही छीन लिया

ज़िन्दगी के कुछ पल जो खुशी के थे
उसी में तेरा शुमार नहीं

खुद को ख़ुदग़र्ज़ सा महसूस होता है
जब खाना बहुत है तब तेरे साथ बाट कर खाने की याद मे दिल रोता है

ज़िन्दगी में सारे आरे टेरे काम किये
पर जब कुछ बने तोह तब सबसे दूर हो गए

इस कामयाबी का क्या करूँ
मज़ा तोह इसे पाने के सफर में आना था

नज़्म

September 25, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

नज़्म थी तेरी बरसात वाली
अब तोह इंतेज़ार में उसी नज़्म का सहारा है

फासले बन गए उन नज़दीकियों में
अब तोह याद में उसी का ही सहारा है

साद में तेरे मै बरबाद हो गया
बरसात के इन दिनों में बस कभी आँखें नम हो जाती है

रास्ते

September 25, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

तूने चुना है वो रास्ता
जो तेरे लिए बना है

पर कभी किसी मोड़ मे मुलाकात हो
तोह मुस्कुराना तोह बनता है

आखिर कभी वादे किए थे
की साथ चलना है

बाप

September 21, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

बाप जैसा भी हो गरीब हो या अमीर
एक बच्चे के सपनो का आशियाना उसी से है

नील कंठ

September 10, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

नीले रंग से यह कैसा खुमार
नील कंठ तुझसे यह कैसा प्यार

आदी योगी शिव शम्भू भांग धतूरा से सज्जित
तुझपे यह जान समर्पित

नंदी बैल और भूत साथ तुम्हारे
दुर करती पीर हमारे

जय हो शिव शम्भू
जय हो शिव शम्भू हमारे

खुदा

September 10, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुझसे सवाल बहुत लोग करते है
पर किस की फ़रियाद कबूल होती है
उसका पता नहीं

जब टूट के बिखर रहा था
तब तू कहा था

रिस्ता

September 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरा मेरा रिस्ता हैं क्या
अपनो सा किस्सा है क्या

क्यों इतना अपना सा लगता है तू
अनजान शहर में इतना अपना सा लगता है तू

रास्ते तेरे वास्ते

September 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये पहाड़ ये वादियाँ
ये टेरे मेरे रास्ते

किसऔर जाना है
किस के वास्ते

बस चलते रहना है
खुद की तलाश में

ज़िन्दगी किस और जा रही
उसका पता नहीं

राहगीर है तोह चलते रहना है
बसेरे कई है पर घर नहीं

लोग कई है
पर तेरे जैसा कोई नहीं

खुदा

August 29, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

फरियाद कबूल ना हो तोह क्या
तेरे होने पे तेरे वचनों से सवाल उठाना चाहिए

बचपन से ही सिखा है समझना रटने से बेहतर है
लोगों का काफिर कहना भक्त से बेहतर है

आज़ादी

August 15, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुमको यह आज़ादी मुबारक हो
हमे तोह तेरे प्यार ने गुलाम बना रखा है

कहने पे हम आज़ाद है
पर तेरे जुदाई के डर ने पिजरे में रोक रखा है

ख्वाब तोह आज भी बहुत है
पड़ पता ना चला कब पर काट लिए गए

दो वक़्त की रोटी सुखी सब्जी का स्वाद इतना है
की ना पुछो आज़ादी कही बेसुद सी खड़ी हँस रही है

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