बैडमिंजाज़ी

April 1, 2023 in हिन्दी-उर्दू कविता

रिश्तों मे जब तक बदमिंजाज़ी हो झगड़े हो
उम्मीद अभी भी बाकी है
और अगर सन्नाटे सा छा जाए
तोह मौत हो चुकी है कब उस रिश्ते की

उस तक बात

November 7, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

उस तक बात नहीं पहुँचती आजकल
ब्लॉक है सब जगह
बात हुए अरसा हो गया
कभी कभी देखता हु सपनो मे
वही मेरा औकात है
ऐसा उसने कहा था

कुछ लोग साथ होते है
कुछ भी एक्सपेक्ट नहीं करते
कुछ लोग बस छोड़ जाने के लिए होते है
क्यों की तुम उनके स्टेटस जात धर्म
या घर की पसंद नहीं होते हो

ज़िन्दगी लम्बी नहीं
खुशुनुमा होनी चाहिए
कोई ईगो नहीं कोई घमंड नहीं
बस खुशी खुशी कटनी चाहिए
जो भी घुटन का अहसास तुम्हे कराए
उसे उसके मुकदर पर छोड़ दो

कर्मा कुछ होता है तोह वैट करो
कभी तेरा सिक्का भी चलेगा
बस रब से यही दुआ करता हु
की खोकला ना हो जाऊ
और उस वक़्त तक रहू
की वोह कहे काश हम उनके साथ होते

सतत संग्राम

May 28, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

सोचता था तूने मुझे छोड़ दिया

पर पीछे मुड़ा तो साया तेरा ही था

हम टूटे थे उस वक्त जरूर

पर खुद्दारी से लड़कर सफल होंगे ज़रूर

जज़्बा है शोर नहीं

काली रात है पर होगी भोर कोई

बस इतना करम करना

की अपना मकसद ना भूलूं

आज की थकान में कल के

उफान की महक छोड़ जाऊँ कहीं

हमारा साथ छोड़ दिए जो

सुबह श्याम उन्हें यलगार की गूंज सुनानी अभी बाकी है

रात गहरी जरूर है

पर सुबह आनी अभी बाकी है

दीये की लौ बुझने से पहले

भभकना अभी बाकी है

दूर ही बैठे तमाशबीन को

को असली मालिक की पहचान करानी बाकी है

हम खो गए है अप्रचलित हो गए है

कहना था तुम्हारा

आज लिख रहे है

पड़वाएंगे तुम्हें बाद में इसका वादा रहा

उसकी रहमत के बिना एक पत्ता नहीं हिलता है

तू क्या खुद को रब समझता है

बाप बाप होता है

तेरे हजारों सितम के बराबर उसका एक

हाथ होता है

आने वाला वक्त क्या होगा पता नहीं

पर सतत संग्राम के बोल अभी गूंजेंगे

बहुत जोर

सीतमगर हो तुम अपनी वफाएं निभाते जाओ

हम मज़दूर वर्ग है अपना हथौड़ा मारते जायेंगे

स्वर्णिम अक्षरों में आज तुम लिखो

पर कल तुम्हारा हम लिखेंगे

वो खून ही क्या जो सिर्फ बह जाए

आने वाले ज़माने में उबाल ना ला पाए

आज की लड़ाई तुम जीते जरूर हो

गुरूर तुम्हारा तोड़े ऐसा हथौड़ा तुमने देखा कहा है

आज की चुप्पी में कल के शोर की गूंज

सुना रहा है।

जब तक तारों में नहीं

February 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब तक तारों मे नहीं
मै हू यही
बस तेरी आस ही है
जिनकी चिंगारी जिंदा रखे हुए है

रेत मे पैरों के निशान जो खो जाती है
वैसा मेरा प्यार नहीं
पत्थर पर कुरेदे एक नाम की तरह
तू है
जिसे भूलना चाहूं पर भूल ना सकू

जब भी मिले लाखों शिकायत तेरी
जब ना मिले ये सन्नाटा सताता है
कभी तेरा बन ना सका
रिहा कभी हो ना सका तेरी यादों से

तस्वीर मै तुम रह गए
तकदीर में नहीं
लोगों की लहरों सी है
पर तू नहीं उसमे

रातों को सोने न देती यह चुप्पी तेरी
पास हों बंद पलकों तले
अश्क जो बहे ऐसा नहीं
दिल मे एक चुभन सी है

जाती

December 24, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

जीने के लिए लड़ना पड़ता है साहब
भूख से रोटी पाने से अपने नीची जाती का होने से
अपना तोह जन्म से ही तुम्हे जात नजर आता है
तुमसे ज्यादा मेहनत करते है
पर कोई अच्छे काम से वंचित रखते हो

तुमसे बस यही बात करनी है
रोटी कपड़ा झोपड़े भीख की हमे नहीं चाहिए
हमे शिक्षा चाहिए ताकि बाकी हम खुद कमा लेंगे
तुम कहते हो देश आजाद है
पढ़ हम कहा आज़ाद हुए साहब
हम तोह तुम्हारे सोच में कैद है

दिल टूटा हैं अगर

November 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल टूटा है मगर
याद धुंधला नहीं अगर
तो क्या करे

लोग छोर ऐ है मगर
हम अकेले है अगर
तो क्या करे

खुदा तेरी नयमत देख
लोग भूले ना भूले
पल बीते ,जिए ना जिए

यह इलतजा शुरूआत तेरी कारिस्तानी से हुआ
तू ही कर खतम
यादें तरपाती हर कदम
खोया मैंने जो कभी मेरा न था
खोया तूने जो तेरा ही था

हारे हम भी नहीं
जिंदगी पटरी पर फिर से आ गई
बस एक ख्लीश सी रह गई
अगर वो होती तो क्या होता
अगर बेरुख रूसवत मे हम राजी होते तो क्या होता

याद तुझे भी आता हूंगा जरूर
एक मुस्कान की तरह
या असरुधारा की तरह
कौन जाने

शायद हर सवाल का जवाब नहीं होता
हर जवाब पर दिल साथ नहीं देता
यही जिंदगी जो जिए जाते है
याद उसकी सीए जाते है

आज जाने की ज़िद ना करो

September 11, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सोचो कभी तुमसे मुलाकात हुई तो
आमने सामने तुम और मै
इतने अभिमान कितने शर्म

सोचो कभी तुमसे मुलाकात हुई तो
और तुम किसी और के
हम उस पुराने वकत के गुलाम बने हुए है

सोचो कभी तुमसे मुलाकात हुई तो
कितनी बातें कितने छूने के बहाने
दिल मै तूफान सा मचा हुआ होगा

सोचो कभी वोह पहचानी सुगंध तेरी
सोचो कभी वोह पायल की झंकार
वोह बारिशे क्या धो सकती है झूठे अभिमान को

सोचो कभी वोह झूठा गुस्सा
वोह मनाना वो घूमना और मुड़ के देखना
वोह वक्त क्या भूलना सहज है

सोचो कभी सोचो कभी
जिंदगी बस वोह आस की
मोहताज हो गई हो

क्या फिर से हम नहीं कह सकते आज जाने की ज़िद ना करो
यही रह जाओ मेरे पास इतनी देरी हुई आने की
ओर ना जा दूर

बारिश

August 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

बारिश की यह बूंदे
बस गिरे जा रही हैं
दिल के आग को सीए जा रही हैं

रो हम रहे हैं यहां
पढ़ सभी अनजान हैं
बारिश मै आंसू खो जा रहे हैं

सब बोलते हैं
सुनता कोई नहीं
बोझ जो दिल मै हैं
ढोए जा रहे हैं

क्या सही क्या गलत कौन समझाए
घर की याद बहुत आती हैं
पढ़ वोह रास्ता कब बंद हो चुकी हैं

सपनो का शहर
सपने टूटे तोह साथ कोई नहीं रहा
साला यह गम काहे कम नहीं होता हैं

बस हम गॉसिप बने रहे
एक अच्छे खासे इंसान को तुम लोगों ने तोड़ दिया
अपने इमोशंस झिपाए ऐसे घूमते हो जैसे मशीन हो
यह कैसी जिंदगी जिए जा रहे हो
जिनमे पैसे सब हैं और जष्न के लिए लोग नहीं
जो तेरे सफलता पे साथ हैं

जिंदगी

August 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सर्द इस मौसम मे बस जिए जा रहे हैं
दामन मे बस सफा है
इसी का घुमान किया तो तुम घमंड समझ लिए
तू पाक हैं तू परवर्दिकार है बस यह इल्तिज़ा है
की मेरे जिंदगी के मकसद मे टीका रहूं
रब का रास्ता बस मेरे दिल का रास्ता हों
लफ्जों की भीड़ मे भूल ना जाऊ जो मेरे दीन की सीख हो

Thousand miles apart

August 1, 2021 in English Poetry

Thousand miles apart

Thinking about the same love

Which we shared

The time we spent together

The places we went

Still, memories are fresh

Hope to see you again

No pain, no regrets

Living upon the moments we shared

We may not be together

There is some part of me there

Some part with me here

Thousand miles apart

बारिश

August 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

बारिश के बूंदों से याद आती हैं
वोह सौंधी सी खुश्बू
जो मन को भाती थी

वोह गली वोह नुक्कड़
जिनमे ख्वाब देखा था
जेब छोटी ही सही
पढ़ दिल बड़े हुआ करते थे

कीचड़ मै वोह गिड़ते पढ़ते
फुटबॉल मैच
वोह चाय और पकोड़े
जिनमे टूट पढ़ते थे

अपनेपन की झलक हर मैं ढूंढते थे
दिल मै सब भाते थे
दोस्त ऐसे ही बनते थे
ना स्टेटस और पैसा देख कर

आज फिर वोह दिन जीने की चाहत होती हैं
पर चार दोस्त वैसे जुटाने मै उम्र गुजर जाती हैं
सब अपने जिंदगी मै इतने मशगूल हुए हैं
बाप बेटे पति खोए हुए हैं मेरे दोस्त कही

भारत वर्ष मेरा देश

February 14, 2021 in Poetry on Picture Contest

तुमने कहा की मुसलमान गलत है
हमने मान लिया
तुमने कहा लॉकडाउन मे घर वापसी कर रहे मज़दूर गलत है कोरोना संक्रमण का कारण है
हमने मान लिया
तुमने कहा किसान आतंकवादी है ख़ालिस्तानी
हमने मान लिया

तुमने कहा देश नहीं बिकने देंगे
रेल और हवाई अड्डे बेच दिए
पीसउ बेच दिए
हमने कहा चौकीदार ने कहा है
अच्छा ही होगा

तुमने सब अच्छा किया सबसे दूर किया
पर भाई एक बार तोह चस्मा उतारो
देश मे अब कौन है जिसके खिलाफ हमें करोगे
दूध 30रुपया लीटर है गो मूत्र 70रुपया लीटर है
पेट्रोल सबसे ज़्यादा दाम पर है

Mera bharat

February 14, 2021 in Poetry on Picture Contest

जो हल जोते, फसल उगाए

उसे उसकी कीमत नहीं मिलती।

जो मजदुर उत्पाद बनाए

उसे उसकी कीमत नहीं मिलती।

भूख और लाचारी का ऐसा आलम है

अब जान सस्ती है रोटी नहीं।

जात और धर्म का ऐसा टॉनिक खिलाया जाता है

कि किसी बच्ची या व्यक्ति की

मौत में धर्म नज़र आता है।

महात्मा को मारने वाले की पूजा करने वाले

उन्हीं के नाम पर डींगे हाँकते है।

देश में बेरोज़गार बढ़ रहे हैं

पर नेताओं के आम खाने के तरीके सुर्खियां बटोरते हैं।

व्यक्ति की क्रय छमता कम होने की वजह से

कारखाने बंद हो रहे हैं ।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दाव पर है

देश प्रेम के दिखावे में जेट प्लेन को निम्बू मिर्ची का चोखा लगाना पड़ रहा है।

कवि हूं प्यार और वेदना को सिर्फ नहीं लिख सकता हूं

मेरा देश जल रहा है और यह अंदर से टूट रहा है।

सपने आज़ाद है

February 11, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

बात एक शायर की करता हू
जिसे अपनों ने ठुकराया
वफ़ा की साजिस देखो
बेवफाए मोहब्बत ने
ज़िन्दगी की सबसे बड़े
सच से वाकिफ बनाया
की यह चलती जाती है

सुर्ख हवाएं बस ये एलान किए जाती है
ज़िन्दगी जिए जाती है
ज़िन्दगी जिए जाती है
कुछ लम्हे अधूरे ही शायद ठीक है
जो ज़िन्दगी मे लड़ने का जज़्बा दिए जाती है

बात पूरी हो तोह ज़िन्दगी के फसादो की सीख बोझिल हो जाती है
अधूरी हो तोह कुछ अनकही बाते रातों को याद आ जाती है
ज़िन्दगी मे जो खोया वोह सपनो ने तुझसे मिला कर पूरा किया
समाज और लोगों का बस मेरे ज़िन्दगी मे तोह चलता है
पर सपने आज़ाद है

वहम

February 11, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सोचता था हक़ से मांग सकता हू तुझसे कुछ भी
देखा तोह वोह हक़ तूने कब किसी और को दे दिया

जिस नाम को तबीर बना के घूमते थे
वोह हर किसी के साथ जुड़ गया

गम नहीं है तेरे बेवफाई का
बस खुद के भरोसे से भरोसा उठ गया

जिस्म से तेरे सिर्फ प्यार नहीं था
जो था वोह तू नहीं जान सकती कभी

खोया मैंने जो कभी मेरा ना था
खोया तूने जो सिर्फ तेरा ही था

बात शयाद कम कीमत वाली की है

February 11, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

बात शायद कम कीमत वाली की है
हर चीज़ को दौलत से जो देखती हो
पर प्यार सौ टाका तुमसे ही किया था

थक चुका हू मा

January 13, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

थक चुका हू माँ
मुझे सोने दे
इस झूठे दुनिया से
पक चुका हू
मुझे अपने साथ ले ले

स्वार्थ से चलते लोग
मुखौटे पहने लोग
सरल पेड़ कटते जाते है
सरलता और मूर्खता मे कोई भेद नहीं है

दुनिया मे सबसे पाक तेरा प्यार है
सबसे कीमती तेरा साथ है
जो किस्मत वालों को नसीब होता है

मै आ रहा हू माँ
मेरे लिए डाल भात बनाना
मेरे लिए इंतज़ार करना घर मे

इस दुनिया मे कितने पैसे बनाते हो
यह मतलब नहीं रखता
मतलब रखता है
कितने पक्के रिश्ते तुमने कमाए
कितने रोते चेहरे तुम्हारे जनाज़े मे है

वापसी का रास्ता

January 13, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो पुरानी गिटार पुरानी बाइक
वो गली वो नुक्कर वो चौबारे
वो बेहतर ज़िन्दगी बनाने के सपने

कोई छीन नहीं सकता वोह जज़्बा आगे आने का
वो खुली आँखों के सपने
वो रात के तारे गिनने के दिन

आज अपार्टमेंट थोड़ा बड़ा ही है
दिल छोटे कमरे बड़े ही है
आज हम बड़े है

कमाया इज़्ज़त नहीं पैसे बहुत
भूख क्या है भूल चुके है हम
याद नहीं कब फॅमिली के साथ खाना खाया

इस कॉपरेट दुनिया मे वैसे पार्टी करने के बहुत फ्रेंड्स है
कोई नहीं जो मेरे खामियों के साथ मुझे एक्सेप्ट करें
झूठे इस शहर मे कोई नहीं जो अपना है

वापस जाना है उस गाओं मे मेरे
थोड़ा कम मे जीना है
रास्ते वही है क्या,चकराव्यूह तोर सकते है क्या
क्या हम इस पराधीनता की बेरियों को छोड़ वापस जा सकते है क्या

Move on

January 12, 2021 in English Poetry

I still go to the place where we met
Blocked in facebook whatsup but
Still hopes for the best

You have moved on
But still i wait for you
Those beaches are having chaos of others
Still i could see us in others

Time that you always wanted
Now see i have all the time
But not you..

Love that you always felt
But for me it was habit of living with you
Now after so many years memories are stand still

It’s the last grieving i am writing
Things could have been different
But this should end
Who was responsible was not a question anymore
But move on is the only thing that matters.

सतत संग्राम

December 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सतत संग्राम ज़िन्दगी का अंग बन गए है
मज़दूर हू मजबूर नहीं
लॉकडाउन का बहाना दे के तुमने मेरी नौकरी छीनी
भूखे हम है तोह भोजन छिना भी जा सकता है

किसान हू मेरे उत्पाद का दाम कॉर्पोरेट ठीक करेंगी
10 रुपए की मकई 200रुपए मे तुम बेचोगे
हमारे हक़ को मारोगे और हमे अदृश्य विकास की कहानी सुनाओगे और हम मान जाएंगे

पहले जमींदार थे जो हम पर शोषण करते थे
अब कोरोर्पोरेट के हाथों तुम हमे बेचोगे
भूल ना जाना हम किसान है
भूख जो तुम्हे लगती है तोह हम अन्न संस्तान है

हम बंजर ज़मीन पर अपने खून से फसल ऊगा सकते है
तोह हम इस बहरी सरकार के लिए धमाका भी कर सकते है
जितने भी जल कमान तुम चलाओ पेलेत गन की बौचार तुम करोगे
उतने हमारे हौसले बुलंद होंगे
जय मज़दूर जय किसान

ख़ामोशी

December 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल टूटे तोह कह दो
साथ छूटे तोह कह दो
कहना जरुरी है
हमने ख़ामोशी मे रिश्तों को
दम घुटते देखा है

मेरे ख्वाब ही शायद ठीक है

December 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे ख्वाब ही शायद ठीक है

और ना जगा

खुदगर्ज़ इस दुनिया की फिदरत देखो

सोचा कभी बदलेंगे दुनिया

पर हर घड़ी यह बदलता है

अपनों से दूर किए जाता है।

इबादत

December 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

इबादत है तू

मेरे सांसों में समाई

खो ना जाना

रूठ ना जाना

सह ना पाऊँगा

ज़िन्दगी में जिस चीज़ को चाहा है

वो दूर हो जाती है

कमी शायद मुझमें ही है पता नहीं

जब सब ठीक चलता है

तो तब डर लगा रहता है खोने का

तेरी तस्वीर को पकड़े

उन पलों को याद किए जाते है

वही ज़िन्दगी का सहारा है

अब किसी को उस तरह पास ना

आने देता हूँ

क्यों की तेरी जगह कोई नहीं ले सकता है

फिदरत

November 26, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

लिबास की तरह बदलती तेरी फिदरत
सब जानते हुए भी भूल ना पाए.. रूह मे बस चुकी थी तू

Left in cold

November 12, 2020 in English Poetry

How do you feel
When left in cold
Broken promises
Broken heart

People say it’s nothing serious
They had it worse
No one listens
They say you lost your mind
No hunger only pain
As if life goes in vain

Those testing time
No one but you need to understand
That you can
Only you can love yourself more than anyone can
Trust yourself more than anyone does

Take some time for your soul
And fight back harder than you can
It matters only what you believe
None can or would be able to break
Only it’s you and it always was.

Where r u how r u

November 1, 2020 in English Poetry

Your that look is searching still
Where are u how are u
Still questions are unanswered

Take care was your last word
I have done that now i am rich
Where are u now how are you now

Your loser is settlled now
But those material success
Which i cribbed for
Is not what so over
without you

I am loser, yours only loser still
Lost everything i loved
Gained only the sucess which nomore mean anything

शयरों की बसती

November 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कभी अकेला महसूस हो तोह
शायरों की बसती जाओ जनाब
किसी का प्यार पूरा नहीं पर बात वह मोह्बत की करते है

जिनके प्यार को समाज ने ना अपनाया बात वह
दिलों को जोड़ने की बात करते है
साथ रहने की बात करते है

राम राज्य

November 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

अजीब है यह दुनिया
जिनोंहने बात बैर की की, लोगों को बाटने की की
बात वह राम राज्य की करते है

जिनके बिरियानी खा कर हम लखनऊ की
नवाबी ठाठ के गुण गाते है
बात जब मज़हब की हो उनको मारने मे हम
नहीं कतराते

बात रसूल की हो या उसूल की
हम समझौता नहीं करते
काफिर जो अंदर बसा है
बाहर उसको हम ढूंढ़ते

तेरा खुदा मेरा भगवान हम करते
एक ही रब के हज़ारों नाम हम जपते
बात जब देश को अंदर से खोखला करने वाली हो
राष्ट्रवाद का नाम लेते
तोड़ने वाले को जोड़ने की ज़िम्मेदारी हम देते

बात तोह हम शांती की करते है
आस पास कही वह रहती होंगी
क्यों की भारत मे जाती धर्म के नाम पर हज़ारो भारत
बस चुके है
शांती किसी लड़की का नाम ही होगा शायद
क्योंकी मुसलमान अमन या हिन्दू शांती को हमने कब लव जिहाद के नाम पर मार डाला है

मै परियाई श्रमिक हू

October 17, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

रोज़ 9 बजे से 5 की ड्यूटी
फिर ओवरटाइम
बचता इतना सा समय जब लिखता हूँ

फिर आया लॉक डाउन जब घर मे बंद
काम बंद सब बंद
भूख से बदहाल ज़िन्दगी

सपने जो थे सब गलत हो गए
याद आया तोह सिर्फ अपना गाओं
मीलों का फासला तय करने निकल पड़े
क्यों की घर पे बैठे मरने से बेहतर रास्ते मे दम तोडना

कागज़ के बिना राशन कौन देगा
कौन बिटिया को चलने लायक चप्पल देगा
हाथ मे गुड़िया लिए मेरी गुड़िया चली
मज़े की बात देखो साहब जो हाथ कभी नहीं फैली
पहली बार कुछ भी लेने के लिए फैली है

तुम इन सब से जुदा
सोशल मीडिया मे डालगोना कॉफ़ी के रेसिपी मे मग्न हो
एक्टर एक्ट्रेस की ज़िन्दगी झूठे राष्ट्रवाद मे मस्त हो
मेरा देश जल रहा है बेरोज़गारी किसान आत्महत्या से जूझ रहा है
खबर यह नहीं बनती की भूख से लोग मर रहे है
कोरोना जान लेवा है पर भूख उस्से ज्यादा डरावनी है

बोलोगे मै अकेले कैसे मदत कर सकता हू
खुद से पूछो क्या यह सच है

Jannat

October 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जन्नत क्या है
तोज़क क्या है
क्या पता रब्बा
तेरे साथ ने दोनों से ही वाकिफ किया

किस्मत का क्या खेल है
मिलना था हमने कभी
देखो आज भी हम जुदा है
साथ होते हुए भी खफा है

हाथों की लकीरों मे क्या लिखा है कौन जाने
आप के हम बन जाने मे क्या खता है
प्यार चाहिए तेरी सहानुभूति नहीं
लौट आ फिर से दिल कहे
बात अधूरी है ज़िन्दगी भी
क्या लिखुँ आगे दोस्तों

मालिक

September 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मालिक मेरे ततू मुझे शरण दे
बहुत थक चुका हू मै
अब ना ढोया जाए
ये बैरी दुनिया

लब पर आए ना कोई नाम
बस तू ही तू है हर शाम
लोग मीठे बस स्वार्थ से
हम जुड़े बस परमार्थ से

कौन अपने कौन पराए
समझ ना पाउँ
मन की यह पीरा कोई नहीं समझा
इस चमक धमक मे रोज़ नया चेहरा

स्वार्थ की दुनिया मे बस तू ही अपना
लड़ पछताऊ किस को बताऊ यह क्लेश
ए परम पिता त्वम् शरणनम
मुक्त कर इस माया से जन्म

वहम

September 19, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम और हम एक ना हो पाए
इसका कोई मलाल नहीं
चलो एक तजुर्बा तोह हुआ
जिंदगी साथ नहीं ना सही
यादों का पिटारा तोह हुआ

ना तुम गलत थे ना मै सही
वक़्त गलत था जिसमे हम एक ना हो पाए
मना लिया है दिल को मैंने
आज सच गलत है झूठ सही
क्यों की आज भी तुम पास हो
ऐसा वहम सच है

मिडिल क्लास ख्वाइसे

September 19, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जो मिला नहीं वह कभी तेरे लिए बना नहीं
उसी की चाहत मे क्यों जिए जाता है
जो तेरे पास है उसी मे खुश रहना सीख
इसी का नाम मिडिल क्लास है

तेरे तस्वीर

September 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरे तस्वीर को देखे अरसा हो गया
इस तपते रेगिस्तान मे पानी गिरने पर भी तरसा रह गया

तेरे बिना बारिश की बूदे बेगाना सा लागे है
ठंडी परी शाम मे कम्बल की गर्माहट सी पाने को तरसा है दिल

किस बात की नाराज़गी खुदा जाने
छोटी सी बात मे बात बंद करना क्या ठीक है
बात ही ना हो तोह सुलह कैसे होंगी

ज़िन्दगी

September 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज़िन्दगी के कुछ पल बदलना चाहता हू
काश रोक लिया होता तुम्हे
तोह हालत कुछ और होते

मुहब्बत तुम्हारे सपनो के आगे बहुत छोटी थी
इसलिए तुम्हे जाने दिया
तुम्हे मुझे गलत समझने का कारण दिया

जब आपने सपनो को पा लोगी
लौट कर देखोगी तोह मुझे ना पाओगी
मैंने भी मिडिल क्लास लोगों की तरह अपना घर सज़ा लिया है

कोरोना

September 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

इस बार की दुर्गा पूजा फीकी सी होंगी
ना भव्य पंडाल होंगे ना भीड़
ना खाने के स्टाल्स होंगे
ना पुलिस की बार्रिकडिंग

इस बार की दशहरा फीकी सी होंगी
रावण तोह बनेंगे
पर भीड़ ना होंगी
घर ना लोग आएंगे
ना हम कही जाएंगे

यह क्या हुआ है शहर को
मा दुर्गा प्रभु श्रीराम कृपा बरसाए
कोरोना मुक्त भारत बनाए

कागज़ का टुकड़ा

September 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कितनी बार लिखता और फिर फेक देता कागज़ का टुकड़ा तुझे लिखते समय
खुदा भी लिख कर मेरे लिए तुझे, फेख दिया होगा टुकड़ा कही

चर्चे

September 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

चर्चे मेरे तुझे मिलते होंगे
पर मैं ना मिलता
तूने शोरत को चाहा था
और मैंने खुदाई तुझ मे

मेरा गाओं

September 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरे शहर मे शोर बहुत है
कोई अपना नहीं
मेरे गाओं मे लोग कम है
पर सब आपने है

Thousand miles apart

September 3, 2020 in English Poetry

Thousand miles apart
Thinking about the same love
which we shared
The time we spent together
The places we went

Still memories are fresh

Hope to see you again
No pain no regrets
Living upon the moments we shared

We may not be together
There is some part of me there
Some part with me here

Thousand miles apart

बात

September 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज बात तोह होती नहीं
एक अहसास सा ढोये जा रहा हुँ
शायद मेरे जनाज़े के साथ यह मिटेगा

खामोश रिश्ते

August 25, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

खामोश हम भी थे तुम भी थे
और यह ख़ामोशी रिश्ते को खत्म कर गई

दोनों एक दूसरे के लिए तड़पते रहे
पर यह ख़ामोशी दोनों को रास आ गई

सारे वजूहात छोटे थे
पर संदेह के आगे दोनों हार गए

दोस्त

August 23, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

यह शहर अनजान सा लगने लगा है
तू नहीं तोह बेगाना सा लगने लगा है

वह चाय की टपरी वह गालिया आज भी भरे है
तू नहीं तोह सब कुछ बेजान सा लगने लगा है

लोग तोह बहुत मिले तेरे जैसा दोस्त कहा है
मेरे गम मे किसी से भी लड़ने का जस्बा कौन रखता है

बिन बोले सब कुछ तू जान जाता है
अरे पेग बनाने से सब कुछ तुझी ने तोह सिखाया है

दोस्त ना हो तोह किस बात की ज़िन्दगी
होश गुम ना हो जाए तोह किस बात की तिशनगी

आज तक इस शहर मे कोई नहीं था अपना
अब तुम सब से ही तोह बनता है परिवार अपना

ख्वाब

August 22, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ख़्वाबों का क्या है
आ ही जाते हो तुम
बेशक़ रातों को जगा जाते हो तुम

वह प्यार ही क्या जिसमे तड़प ना हो
वह आग ही क्या जिसमे तपन ना हो
अब तोह आग का दरिया है
जल जाना है या पार जाना है

एक तरफ़ा प्यार

August 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक तरफ़ा प्यार हो गए हम
तेरी यादों से खो गए हम

आज हो गई हैं ऑंखें नम
ख्वाब मे फिर से रोते है हम

मौत आ जाए तोह पता नहीं
ज़िन्दगी मे मुख़्तसर होना जरूर चाहेंगे

जिस प्यार की कसमें देती थी दुनिया
उसे जी चले हम, प्यार ना हो इंतजार को उसी के नाम कर चले हम

बचपन

August 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ढूंढता हु आज भी सुकून के कुछ पल
बचपन की यादों को टटोल के देखा तोह जी चूका हु वह पल

मानता हु पैसे नहीं थे उतने पर
मज़ा तोह खूब किया दादी माँ के उन चवनि अठन्नी मे

हो सके तोह उन पलों को फिर से जी जाऊ
पर उम्र का तकाज़ा है जो रोके हुए है

ए वतन

August 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ए वतन ए वतन
तेरी सरफ़रोशी मे
खो जाए मेरा तन बदन

ए वतन ए वतन
तेरी परस्तिश मे
जी जाऊ मै सारा जीवन

वैसे तोह वासुदेव कुटुम्बकम का देश है
पर सोच जो दुश्मन के हो तोडना जो चाहै वह
हमारी एकता को देख दंग रह जायेगा वह

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
एक फूल के पखुरिया है भाई
विविधता मे एकता ऐसा प्यार
किस देश का है भाई

जितने भी जन्म लू
इस मिट्टी मे परस्थ हु
बात काम का हो या जान का
न्योछवर करने को हम तत्पर हो

ए वतन ए वतन
तेरी सरफ़रोशी मे
खो जाए मेरा तन बदन

इल्म

August 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

इल्म भी नहीं हुआ तेरे जाने का
आज भी कही बसती हो मेरे दिल मे

इन बारिस की शामों मे
अक्सर याद आती हो

हा तेरा घरौंदा छोड़ उड़ गई
पर देखो आज भी संभाल रखा हु इस दिल मे तुझे

लोग

August 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम जो पूछते हो और सब ठीक ठाक
अपनी तकलीफे गिनाऊ तोह क्या सच मे सुनोगे
नहीं ना, तोह क्यों पूछते हो

अल्फाज़

August 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हर शायर के पीछे के दर्द को समझो
ज़माने ने उसे नहीं समझा
और तुम अल्फ़ाज़ों मे बहक जाते हो

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