
Kumari Raushani
गजल
October 30, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
ए दोस्त मत घबराना कभी मेरे परछाईं से भी,
तेरा नाम हम लब तक लाया नहीं करते।
कोई खेल नहीं है इश्क या इबादत,
ये बेशकीमती जज्बात है यू जाया नहीं करते।
एक बार पलक उठाए तेरे दिल में उतर गए,
खुदा जानता है
अब किसी महफिल में पर्दा उठाया नहीं करते।
कैद में रहते रहते जो अपना हुनर खो दे,
ऐसे परिदे को कभी भी
पिंजरा खोल कर हम उड़ाया नहीं करते।
सोच
October 29, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
हर घुरने वाली नजर बुरी नहीं होती,
दिल जख्मी कर जाए,
हर वो चिज छूरी नहीं होती।
मिट जाते हैं रिश्ते
गलत अल्फाजों के कारण,
रिश्ते मौत के साथ मिटे,
ये जरूरी नहीं होती।
उसने हाथ छोड़ दिया
उफनते भंवर में,
कभी कभी रिश्ते कमजोर होते,
दूर जाने की कोई मजबूरी नहीं होती ।
तेरी खुशी
October 27, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
तू मुस्कुरा दे, मैं कुर्बान हो जाऊं,
तेरी एक खुशी के लिए निलाम हो जाऊं।
बयां करना ही फकत मोहब्बत नहीं,
ख़ामोश लबो से मैं तेरे नाम हो जाऊ।
वैसे तो हमारा घर इक दूजे का दिल है,
जो तेरी तमन्ना हो सरेआम हो जाऊं।
मिट जाए हम जब मोहब्बत मिटे,
जो तुम्हें युगो तक जीना हो चल मैं बदनाम हो जाऊं।
एक दीया
October 26, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
दीए का इंतजाम तो
हर नुक्कड़ हर मकान पर है,
पर मेरे दिल में उजाला
बस तेरे आने से होगा।
जगमगा उठा इस रात
देखो जहां सारा
इन्सान की दीवाली तो
इन्सानियत के जागने से होगा।
मेरे दिल…
लग रही लड़ियां
हर सजे मकानों पर
सच्ची दीवाली तो
सुने राह पर एक दीया जलाने से होगा।
मेरे दिल……
Ghazal
October 25, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
हथेली से रेत की तरह पल पल सरकती जिंदगी,
फिर भी जाने क्यों आग की तरह भड़कती जिंदगी।
मुकाम मौत ही तो है इसका,
लाख पहरा दो उसी ओर बढ़ती जिंदगी।
पर खुद को सदा के लिए मान,
कुछ जिंदगी को रौंदती जिंदगी।
ये दुनिया तो बस तमाशा है,
जहां कभी बंदर कभी मदारी बनती जिंदगी।
जिंदगी की चाले
October 24, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
खेलने लगी है जिंदगी मुझसे आज कल कुछ ज्यादा,
चल मैं भी चाल चलती हूं ,पर कर तू एक वादा,
तू अपनी चाल ना रोकना,
मैं खुद का हौसला पहचानूंगी,
तू यू ही पग पग ठुकराना,
मैं सम्भल सम्भल कर तूझे दिखाऊंगी,
जरूरी नहीं आंधियों में चिराग बुझ ही जाएंगे,
तू आंधि बन आना मैं आग लगाने का रखती हूं इरादा।
चल…..
एक खेल
October 23, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
चलो साथी एक खेल खेलते हैं,
मोहब्बत के तार पर
जिंदगी का राग छेड़ते हैं।
एक सितार ही तो है जिंदगी,
शुरुआत करते हैं करके वंदगी,
उलझी तार तो सुलझाएंगे,
सरगम से नया सुर बनाएंगे,
पवन गगन धरा चमन
सबको प्रित रंग रंगते है।
मोहब्बत के….
कभी जो टूटा तार कोई,
देखना जोड़ें ना और कोई,
दोनों ही मिल कर उसे जोड़ेंगे,
ना टूटा फूटा जो छोड़ेंगे,
हौले हौले ही सही पर
जरा मुस्कान लेकर आगे बढ़ते हैं।
मोहब्बत……
Ghazal
October 22, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
जिसे देख देख कर मैंने पुरी ग़ज़ल लिख डाली,
वहीं रूबाई में औरों का नाम ढुंढता है।
मेरी हर रात गुजरी इंतजार में झरोखे पर,
वो है कि मिलने को कोई शाम ढुंढता है।
चांद की खुबसूरती उसके दाग में है,
वो दीवाना सबकुछ बेदाग ढुंढता है।
कुछ कहने सुनने का अब मौसम कहां रहा,
वो समझे ना समझे , मेरा दिल भी अब आराम ढुंढता है।
Ghazal
October 21, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
जिनके अल्फाज़ आईने के तरह साफ होते हैं,
जमाने की हवा उनके खिलाफ होते हैं।
औरों के काम को वहीं आग का नाम देते,
जिनके आवाजों में अक्सर उबलते भाप होते हैं।
जंगल का नाग हो तो रास्ता बदल लू,
वो कितना बचें जिनके घर विषैले सांप होते हैं।
जमाने से सच बोलने के लिए कसमें वहीं उठवाते,
जो अपने एक झूठ पर कई झूठ का हिजाब देते हैं
याद
October 21, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
अपने गली का होने ना दिया,
खुद के घर चैन से सोने ना दिया।
जाते-जाते मुड़ा इस कदर,
मुस्कान मेरा ले गया,
फिर भी मुझे रोने ना दिया।
अपना कह कर अपना बना ना सका,
लाकर छोड़ा इस मोड़ पर,
मुझे किसी और का होने ना दिया।
दुनिया के भीड़ में कहीं गुम हो जाऊं,
ये सोच कर घर से निकली,
उसकी याद ने ऐसे जकड़ा,
कहीं खोने ना दिया ।

Ghazal
October 20, 2019 in ग़ज़ल
चिर परिचित जब कोई आ टकराता ख्वाब में,
फिजा का हर रंग तब घुल जाता शवाब में।
स्वप्न सुनहरा पलकों पर घर कर लेता,
रात छोटी पर जाती ख्यालों के ठहराव में।
वक्त का फासला मिट जाता एक सांस में,
कोई फर्क ना रहता उस मोड़ इस पड़ाव में।
धुंधली सी सही चंद तस्वीरें उभर आती,
जो कभी दूर छुटा वक्त के बहाव में।
ख्यालों के साथ साथ रात झुमने लगता,
ऐसा नशा नहीं मिलता कभी शराब में।