
Pragya
ये मौसम सुहाना
December 9, 2019 in शेर-ओ-शायरी
ये मौसम सुहाना
फिजा भीगी
तेरी यादें हैं छायी
काले बादल
हों जैसे।
आदत
December 9, 2019 in शेर-ओ-शायरी
हमारी आदत नही है
यूं ही किसी की
तारीफें करना
तुम हो ही इतने
अच्छे की हम
शायर हो गये।
सर्दियों की धूप-सी
December 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
सर्दियों की धूप सी
लग रही है यह घड़ी
यह जो नया एहसास है
अजनबी है अजनबी
सुना है मन वीरान है
मेरा जहां आज क्यूं
यादों में है डूबा दिल
ना आ रहा है बाज क्यूं
नजरें कर रही है इज़हार
दिल में दबा है राज क्यूं
कहने थे जो लफ्ज़
बदला है हर अल्फाज क्यूं
सर्दियों की धूप में भी
इतनी धुंध छाई आज क्यूँ
सर्दियों ने ओढ़ ली है
धूप की चादर अभी
धूप है आँगन में उतरी
बन के दुल्हन आज क्यूँ
धीमी-धीमी उजली-उजली
महकती है आज क्यूँ
ये गुलाबी सर्दियाँ भी
मन को हैं कितना लुभाती
कोहरे में कांपते हैं
आज मेरे हाँथ क्यूँ
मन पर है छाई उदासी
इतने अर्से बाद क्यूँ ।