by Pragya

तेरे सिर पर सज के सेहरा

July 9, 2023 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरे सिर पर सजके सहरा

प्रश्न तुमसे जब करेगा

यूँ मुझे मस्तक पर रखकर

जा रहे किस ओर तुम हो

तुम कहोगे जा रहा हूँ

लेने अपनी संगिनी को,

तो कहेगा रास्ता उधर है

जा रहे विपरीत तुम हो।

तेरे सिर पर सजके सहरा…।।

वस्ल’ में सज कर तुम्हारी

यामिनी तुमसे मिलेगी

मेरे उपवन की कली वो

प्यार से चुनने लगेगी

तब कोई अल्हड़-सा भंवरा

आ के तुमसे यह कहेगा,

था किया वादा कभी जो

तोड़ते क्यों आज तुम हो।

तेरे सिर पर सज के सेहरा….।।

जब कोई रुख पर तुम्हारे

जुल्फ अपनी खोल देगा

और तेरे वक्ष से सट करके

लव यू’ बोल देगा

तब करोगे क्या बताओ ?

प्रज्वलित तन हो उठेगा

मैं कहूंगी बेवफा हो

या तो फिर लाचार तुम हो।

तेरे सिर पर सज के सहरा…।।

मुझसे ज्यादा प्रेम तुमसे

करती है कोई तो बताओ !

गर बसा कोई और दिल में

तो बता दो ना छुपाओ ?

क्या मुझी से प्यार है ???-

जब भी मैं तुमसे पूछ बैठी

कल भी तुम नि:शब्द थे और

आज भी नि:शब्द तुम हो।

तेरे सिर पर सज के सेहरा…।।

नैनों में होगी उदासी

खालीपन होगा ह्रदय में

बाहों में तो सोई होगी,

होगी ना पर वो हृदय में

तब कोई संदेश मेरा

आ के तुमसे ये कहेगा-

मेरी कविताओं का अब भी

हे प्रिये! आधार तुम हो।

by Pragya

Happy music day

June 21, 2023 in शेर-ओ-शायरी

अगर आपके दिल में गिटारवादन
होता है तो समझ जाएँ
आपकी वाट लगने वाली है।😂😂

by Pragya

माना की।।

March 13, 2023 in शेर-ओ-शायरी

माना की हम तुझसे प्यार करते हैं
तुझे देखने का गुनाह रोज़ करते हैं
तेरी तरफ से कुछ नहीं हम ही पीछे पड़े हैं तेरे,
पर तुझे पसंद है तभी तो यार करते हैं।

by Pragya

नये साल की शुरुआत, बर्तन धोने के साथ।।

January 1, 2023 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्या बदला कुछ नहीं
लहजा बदला???
जी नहीं ।
वक्त ने ली बस करवट
और कह दिया नया साल आ गया
यहाँ तो जैसे फटे हाल थे
वैसे ही हैं
जो सवाल कल गुंजन करते थे
वही आज सर” उठाये ड़े हैं।
ना खाना बनाने के लिए ही
एक दिन की छुट्टी मिली,
ना बर्तन धोने की प्रथा से ही
मुक्ती मिली।
कल दादी बर्तन धुलाती थीं
फिर खाना परोसती थी।
उसके बाद भाभी खाना परोस कर ही बर्तन निकाल देती थीं।
आज मम्मी भी वही करती हैं।
खाना तो खिला देती हैं फिर
बर्तन खाली कर देती हैं।
यही चलता रहेगा शायद!!
अभी मायके में फिर ससुराल में भी…
मैं महरिन थी, हूँ और रहूँगी।
यहाँ धोती हूँ सबके जूठे बर्तन
ससुराल में भी धोऊँगी….।।

नये साल का स्वागत मुझ कामवाली के साथ
नये साल का स्वागत बर्तन धोने के साथ।।।

by Pragya

अस्मिता तो है

December 23, 2022 in शेर-ओ-शायरी

तुम्हारे साथ आते तो अपनी
पहचान खो बैठते
अकेले हैं तो क्या गम है !!
हमारी अस्मिता तो है….

by Pragya

और आखिरी मुलाकात ।।

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

यह कंगन तेरी खातिर पहने थे जब हम तुम पहली बार मिले थे,❣❤💔
तुम्हें कहां याद होगी वो पहली मुलाकात ‘और आखिरी मुलाकात में तुम अपने ही गुरुर में थे।

by Pragya

ऐसा हमराज चाहिये ।।

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल की बातें समझ ले
ऐसा हमराज चाहिए
हर कदम साथ दे वो
राजदार चाहिये
ना मैं छोटी ना वो बड़ा
खुद के बराबर ही हो ऐसा
यार चाहिये
ना करे प्यार मुझसे कोई बात नहीं !
पर इज्जत से पेश आये
वो ऐसा समझदार चाहिए
अपनी कहे और
मेरी भी चलने दे मनमर्जियाँ
ऐसा हमसफर मुझको यार चाहिये।।

by Pragya

एक कप काफ़ी

December 6, 2022 in शेर-ओ-शायरी

ले आए हम वह सब कुछ वापस
जो तुमको दिया था कभी
बस अपना दिल वापस ना ला सके…

एक अजनबी संग प्रीत हमने भी करी थी❤
वो दिल में आया और दिल से उतरा भी..!!!

तुम्हारे पास रहने से एक सुकून सा आता है
जब तुम मुझे अपना कहते हो तो खुद पे गुरूर आ जाता है।

दोस्तों के साथ आखरी बार
कब चाय पी थी याद नहीं
पर तेरे साथ पी वो एक कप कॉफी
आज भी याद है ।

by Pragya

अब इसे नया जख्म ना देना

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुछ वक्त के लिए खामोश हो गया था
ये दिल !
पर आप फिर से बातें करने लगा है
मायूस हो चुका था दिल!
पर अब फिर से मुस्कुराने लगा है
अब इसे कोई नया जख्म ना देना
क्योंकि तेरे दिये जख़्म से
पहले ही घायल हो चुका है।💔💔

by Pragya

मेरी 8 शब्दों की कहानी

December 6, 2022 in Other

मेरी 8 शब्दों की कहानी

मैं वफा, कल्पना, बुद्धि
और प्रेम की पराकाष्ठा..

by Pragya

ईश्वर का साथ हो तो

December 6, 2022 in Other

ईश्वर का साथ हो तो
खुद पर विश्वास हो तो
हर काम आसान हो जाता है
मंजिल भी मिलती है और
सफर भी कट जाता है

by Pragya

Good thing’s occur…

December 6, 2022 in English Poetry

Good things occur when we think well and create good environment

by Pragya

Every place i visit

December 6, 2022 in English Poetry

every place i visit..
I feel familiar as if there is a relation of births with them.

by Pragya

उससे रिश्ता नहीं रहा लेकिन….

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

उससे रिश्ता नहीं रहा लेकिन
उसका खयाल हर वक्त रहता है
वो मेरे दिल उतर गया है जरूर
उसका रुआब आज भी रहता है
मेरी लेखनी उस बिन नहीं चलती एक कदम,
अल्फ़ाज मेरे होते हैं मगर जिक्र उसका होता है
वो मेरी मोहब्बत क्या नफरत के भी काबिल ना था
फिर भी मेरे दिल में सिर्फ वो ही रहता है
वो मेरे कदमों के भी कहाँ लायक रहा है
फिर भी वो जुनूँ कि तरह मेरे सर पे सवार रहता है
उससे रिश्ता नहीं रहा लेकिन !
उसमें आज भी मुझको रब दिखता है।

by Pragya

मन हमको छल जाता है….

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

नहीं याद करेंगे तुझे
हर बार ये प्रण लेते हैं
पर मन हम को छल जाता है।
तेरा मासूम सा चेहरा जब भी
सामने आता है
मन अपने घाव भूल जाता है
तू है तो बड़ा जालिम ‘कान्हा’
पर ये राधा का दिल धड़क जाता है ।

by Pragya

कहाँ है प्रीत का सावन…

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज एहसास ये हुआ की मैं कितनी अकेली हूँ,
सजल जल नैन भर बरसे
दुख की मैं सहेली हूँ।
कहाँ है प्रीत का सावन??
कहाँ है गीत मनभावन??
कहाँ है प्रेम की गगरी
आज बिल्कुल अकेली हूँ।
नही मैं मोम की गुड़िया
नहीं मैं प्रेम की पुड़िया!
मैं हूँ आकाश की सामर्थ्य,
मैं कितने दर्द झेली हूँ ।।।

by Pragya

तारों की दुनिया में

December 6, 2022 in शेर-ओ-शायरी

जिंदगी भर काम आया
मेरा तमीजदार रहना
बस कुछ बदतमीजों की खातिर
हम बदजुबान हो गए।

दिन की शुरुआत ऐसा करो
जैसे ये तुम्हारा पहला प्यार हो।

जिंदगी की उलझनों ने ऐसा उलझा रखा है
फिर भी लिखने का ख्वाब पूरा ही कर लेती हूँ

तारों की दुनिया में चलो चलते हैं
जमी पर ना सही आसमां में मिलते हैं
वहां तो नहीं होगा जात पात का बंधन
चलो चले हम अपनी अधूरी मोहब्बत को
पूरा करते हैं..❤❤

by Pragya

चांद हमारी बात ना माने…

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

मोहब्बत हो गई है तुमसे
चांद हमारी बात ना माने
जुगनू, सितारे ठिठोली करते
सब हैं मेरी दुविधा जाने
पीर प्रेम में ऐसी होवे
दिल ही दिल का रोना जाने।
सब जाने सब पहचाने
बस चांद हमारी बात ना माने।

by Pragya

लेखन सम्मान

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

लिखने पर जब इतना सम्मान मिला
तो समझ आया,
हुनर बेकार नहीं जाता।
जिगर में जलाए रख गम का चिराग
सच्चा आँसू बेकार नहीं जाता।

by Pragya

संगमरमर

December 6, 2022 in शेर-ओ-शायरी

श्याम ने बंसी नहीं बजाई
राधा हो गई जब से पराई

आज एक खत लिखा
चांद को,
तुमसे भी खूबसूरत है कोई!!
❣❣❣

शिखर तक पहुंचने के लिए
गिरकर संभलना भी जरूरी है
नए आयत गढ़ने के लिए
पिघलना भी जरूरी है

तेरी यादों का मौसम
जब भी आता है
मेरे बदन को
सराबोर कर जाता है
रूह में तू शामिल है इस तरह
तू होता है आस-पास तो
दिल में गिटार सा बज जाता है

तेरे संगमरमर से बदन पे जो बूदें फिसल रही हैं
लगता है जैसे आसमां से बर्फ पिघल रही है

by Pragya

जाने कहाँ ले जा रही है जिंदगी

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

न जाने कहां ले जा रही है जिंदगी..
जाने क्या चाहती है मुझसे यह जिंदगी??

खुद को जितना गमों से दूर रखती हूं,
उतना ही गमगीन होती जा रही है जिंदगी…

खुशियों की बात तो जैसे करनी है छोड़ दी मैंने, अपनों से भी दूर ले जा रही है जिंदगी…

कभी-कभी मन करता है छोड़ दूं जिंदगी का दामन, बिल्कुल भी ना अब मुझको भा रही है जिंदगी।।।

by Pragya

ललित सरिता

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

जीवन ज्योति की एक
ललित सरिता बहे
सुंदर सुकोमल कविता बने,
हो चहुँ ओर प्रकाश फैला हुआ
मेरी लेखनी में वो बात रहे।
नहाए हुए से लगे शब्द मेरे
भाव तो जैसे खो ही गए हैं
बिछड़ गए जो वो फिर ना मिले हैं
कितनी दूरियां आ गई हैं दर्मियां
हमदर्द जो थे वो ना मिले हैं ।
तभी तो ये “जीवन डोर”🌹 संभलेगी
प्रज्ञा’ इश्वर से जा मिलेगी।

by Pragya

गुनाह

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब दिल में दर्द सा उठा
एक तीर सा चुभा,
जो कल था मेरी निगाहों से मारा गया।
आज मेरे ही दिल का कातिल बना।
वो फरेबी भी है, वो आशिक भी है,
मेरी सांसों की गर्मी में शामिल भी है।
रूह को मेरी उसने था एक दिन छुआ,
आज वो ही मेरे दिल का कातिल बना।
ये किस “गुनाह” ⚠️की मुझे मिली है सजा
जो मेरा प्रियतम ही मेरा कातिल बना।

by Pragya

हिंदी दिवस

December 6, 2022 in शेर-ओ-शायरी

यादों के भरोसे
कट रही है जिन्दगी
बाकी तो मर ही चुकी थी
प्रज्ञा’ तेरे इन्तज़ार में।

हिंदी वो भाषा है जो
हृदय की गहराईयों से
निकल कर सौंदर्य के सागर में नहाती है
और अभिव्यक्ति का उच्छ्वास करती है।

तुम हो मेरा शब्द सागर मेरे व्याकरण का अर्थ हो तुम।
मेरे जिक्र को हरगिज़ ना समझो पर मेरे मौन को समझने में समर्थ हो तुम।।

बना दी मैने भी एक दुनिया
ईश्वर से प्रेरित होकर…

ख्वाबों की दुनिया…!!

by Pragya

लक्ष्य

December 6, 2022 in Other

लक्ष्य को पाने के लिए
अर्जुन सी निगाह होनी चाहिये
मछली चाहे जितनी बड़ी ही क्यों ना हो
सिर्फ आँख पर निगाह होनी चाहिए

by Pragya

Aa jao….

December 6, 2022 in मुक्तक

अँधेरा होने से पहले आ जाओ
इतने प्यार से बुलाया है आ जाओ
जख़्म पे मरहम ना लगाओ ना सही
जख़्म को हरा करने ही आ जाओ।

by Pragya

Pragya shukla sitapur shayri

December 6, 2022 in शेर-ओ-शायरी

मोहब्बत में कितने फलसफे लिखे
मेरे खत तेरे तकिये के नीचे मिले

बुला लो अगर बुलाना है वरना आ जाओ
इस दिल में तुम्हारा ही आशियाना है..

आजाद हूँ….
अपनी मस्ती में हूँ….
तुम्हारे बिन…
मैं ज्यादा खुश हू….!!!🤣

तुम हो तो सबकुछ है…!
मेरा कल मेरा आज…!
मेरी जिन्दगी और मेरा रुआब….!

अगर अपनाना है तो अपना लो मुझे
गर गिराना है नजरों से तो बता दो मुझे
बहुत दूर चली जाऊँगी…..!!
फिर कभी ना लौट आऊंगी…!!!!

दुहाई मत दे की तू नाशाद है
मेरी ही दुआओं से तू आबाद है

जब से तेरी मोहब्बत को सीने में दबा रखा है
क्या बताऊँ मैंने अपना क्या हाल बना रखा है

by Pragya

किताबों पर पड़ी धूल

December 6, 2022 in शेर-ओ-शायरी

किताबों पे पड़ी धूल को कब से झाड़ा नहीं
मैने आँगन को भी बुहारा नहीं
बाल गंदे हो जाएँगे, रंग दब जायेगा,
इसलिये कभी किसी काम को हाथ लगाया नहीं।
🤣🤣🤣

by Pragya

प्रज्ञा शुक्ला शायरी

December 6, 2022 in शेर-ओ-शायरी

बे इन्तेहा मोहब्बत करते हैं
ये हम बहुत गलत करते हैं
तू मेरे कदमों के लायक भी नहीं और हम
तुझे सर पर बिठा कर रखते हैं..!!!

एक प्यारा सा दिल है
जिसमें कई सपने हैं
आती है मुस्कान जब
उसके पास अपने हैं

मुड़ के देखा इसलिए…
……..इन आँखों को
तुम्हारे आने का इन्तज़ार है…..!!

जब बात हो अच्छे स्वास्थ्य की……..तो बादाम नहीं
अच्छे माहौल की आवश्कता होती है।।।

जवाब के इन्तज़ार में…..जीवन बीत गया….पर कोई जवाब नहीं…।।

प्यार की तलाश में तेरे दर तक आये..
पर तुझे किसी और के साथ देखा तो….
हताश होके लौट आये…..।।

by Pragya

जवाब की खोज में

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

जवाब की खोज में
हमनें आसमान की….
……..भी छान-बीन
कर डाली…..
……….पर जब खुद को
टटोला तो……
…….हर प्रश्न पर ही
प्रश्नचिन्ह लग गया…

by Pragya

तू कांच का टुकड़ा

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

तू कांच का टुकड़ा है मैं तेरी टूटी तकदीर,
तू फटा हुआ कागज मैं नाव बदनसीब।
तू रेल सी चलती है और मैं वक्त हूँ ठहरा हुआ,
तू तीखे बोल बोलती है पर मैं कान से बहरा हुआ।
ऐ जिन्दगी! तू क्या है धूप या छांव
मैं आज तक ना समझ सका….!!

by Pragya

दिल ही जानता है

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये तो दिल ही जानता है
हम तुम बिन कैसे रहते हैं
तुम्हें किसी और के साथ देखते हैं
ये दर्द कैसे सहते हैं
दिन तो हंसी खुशी बीत जाता है
रात की खामोशी को चुपचाप सुनते हैं
मेरी सिसकियां कमरे के बाहर नहीं जाती
हम तकिए को अश्कों से भिगोते हैं

by Pragya

साथी साथ चलो मेरे

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

अकेले चलने से डर लगता है
साथी साथ चलो मेरे
मुझे अंधेरे से डर लगता है
बाहों में लेकर रोज झूमते हैं तुम्हें
तुम्हें खोने से डर लगता है
पकड़ लो मेरा हाथ और
ले चलो अपने घर
सुनसान राहों में तो डर लगता है

by Pragya

मान जाओ ना

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

बहुत हुआ रूठना
अब मान जाओ ना
यूँ दूर दूर रह कर
दिल जलाओ ना
बरसात है रुत जवाँ है
अब आ भी जाओ
यूँ मुह बना कर ना बैठो
हँस भी दो ना!!!

by Pragya

तेरी आंखें

December 6, 2022 in मुक्तक

तेरी आँखों में देखकर मैं दुनिया भूल जाता हूँ
तेरी तस्वीर को देखकर मैं बेख्याल हो जाता हूँ

by Pragya

शाम और हम

December 6, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

शाम और हम…
जब एक साथ होते हैं
क्या कहे वो पल- छिन
हम कैसे जीते हैं
याद में कट जाती है पूरी रात
और दिन तड़प तड़प के
कटते हैं।

by Pragya

भर गई समर्पण की गगरी

December 1, 2022 in अवधी

नहीं चाह रही इस जीवन की
भर गई समर्पण की गगरी
अब पछताए क्या होवे है
जो रोवे है सो खोवे है
तीर लगा इस पाथर को
पाथर में भी जान तो होवे है
अबका होगा ? अब का होई ?
यही पूँछ पूँछ हम रोवे है!

by Pragya

इतना तो मेरा हक बनता था…

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम्हें गले लगाकर रोना था
इतना तो मेरा हक बनता था।
हाथ पकड़ के कुछ दूर तक चलना था
इतना तो मेरा हक बनता था।
रुक जाते कुछ देर हम बहला लेते दिल को
देर तक निहारते तुम्हें
इतना तो मेरा हक बनता था।
ऐसी क्या जल्दी थी तुम्हें जो चाय तक ना पी!
एक कप मेरे हाथ से पीते
इतना तो मेरा हक बनता था।
रुसवा किया मुझे, रुलाया मेरी मोहब्बत को
दो आँसू तुम भी बहा लेते लिपट कर
इतना तो मेरा हक बनता था।

by Pragya

प्यार सिखाता है

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

खुद से पहले दूसरों का खयाल रखना
प्यार सिखाता है ।
इज्ज़त से पेश आना प्यार सिखाता है।
मन हो या ना हो फिर भी
दूसरों की खुशी की खातिर
खुद को कुर्बान करना
प्यार सिखाता है ।
त्याग करो प्यार करो
सबको खुश रखो
प्यार सिखाता है ।

by Pragya

मेरे पैरों तले चांद सितारे होते

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

अगर ऐसा होता कि तुम हमारे होते
मेरे पैरों तले फिर चांद सितारे होते
छू लेते हम वो आसमान भी बाँहें फैलाकर
तकदीर में लिखे जो तुम हमारे होते।

by Pragya

बेवकूफ थे वह लोग

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

जरूरत से ज्यादा तुझसे प्यार करते थे
बेवकूफ थे वो लोग जो तुझसे प्यार करते थे
क्या है तुझमे!! और क्या खास है तू??
जो बेफ़िजूल में लोग अपना वक्त बर्बाद करते थे।

by Pragya

मुक्तक

November 24, 2022 in मुक्तक

1 मेरे दिल से खिलवाड़ ना कर..
मैं तूफान का जलजला हूँ मुझसे प्यार ना कर..

2 बढ़ती उम्र के साथ जिद समझौतों में बदल जाती है

3 इस चेहरे से

तुमको प्यार नहीं है…!!!!

तुम्हारा दिमाग तो

खराब नहीं है…

🤣🤣🤣

4 तड़पा तड़पा के मार देती है जिन्दगी कोई सुराग नहीं छोड़ती..!!

5 जब नहीं थी जरुरत तो ना ही करते
प्यार था कोई व्यापार नहीं…!!

by Pragya

मोहब्बत की इबारत

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

मोहब्बत की इबादत मैने हर बार की है
कभी कभी प्यार में तकरार भी की है
मिलो अगर कभी तन्हा तो बता देंगे तुम्हें,
प्रज्ञा’ ने मोहब्बत में जान की भी ना परवाह की है।

by Pragya

इतनी ना करो मोहब्बत

November 24, 2022 in शेर-ओ-शायरी

मोहब्बत इतनी ना करो कि पागल हो जाओ
इस नूरानी चेहरे के अलावा भी मेरे और रूप हैं।।

by Pragya

तन्हा कर देती हैं यादें

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

लोगों की भीड़ मुझे कब पसंद आई है
भर आई आँख मेरी जब तेरी याद आई है
तन्हा कर देती हैं यादें” मुझे फिर मैं क्या करूँ !
देख सब छोड़ कर तेरी राधा लौट आई है

by Pragya

कलम की आहत5

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

बंद कलम की आहट भी
…..आजकल
सुन लेती हूँ….
…….जब से सिर्फ
खुद से…..
मोहब्बत कर
….. बैठी हूँ!!!
❤❤

by Pragya

पत्तों पर मोहब्बत

November 24, 2022 in शेर-ओ-शायरी

एक अर्से से…
सम्भाल रखा है…
….इन पत्तों को क्योंकि
…..इसी पर तुमने
मोहब्बत लिखी थी…!!!

by Pragya

लाज

November 24, 2022 in शेर-ओ-शायरी

तुमने कहा-
….मेरी इबादत करोगे
लाज आ गई !!!!
तुम्हारी बात सुनकर…..😊

by Pragya

मेहंदी

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरे नाम की मेहंदी
लगा रखी है।
तुझसे मिलने की बेचैनी
दिल में छुपा रखी है।
आओगे तो घूंघट ना खोलूंगी
दरबान बना करके मैने
कमरे में लाज बिठा रखी है।।

by Pragya

राधा और कृष्ण

November 24, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं राधा तू कृष्ण बन जा
हर नब्ज में लहू बन के रम जा।
उदास राहों में भी पुष्प बिछा दूँगी मैं !
अगर तू मेरे जैसा थोड़ा-सा भी बन जा।

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