by Priya

पूर्णिमा

September 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

पूर्णिमा जब चांदनी
धरती पर आकर पसारती है
लगे चांदी के आभूषण से
धरती का रूप सवारती है
मां के पास आंगन में सोए
नन्हे शिशु पर छांव करें
उसे हरी समझ कर पूज गईं
पड़ी किरण शिशु के पांव तले
जब शीत पवन के झोंके से
उन द्खतौ ने अंगड़ाई ली
मां कहे कि पवन सताती है
फिर चादर से परछाई की
यह देख चांदनी रूठ गई
मां ने चादर की ओट करी
जब कई घड़ी बालक ना दिखा
वह फिर बादल में लौट गई

by Priya

मौत की नींद

September 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बेजान नजरे जा टिकी थी
उसके चेहरे पर
जब जिस्म से जान ये
जुदा हो गई
तड़प रहे थे हम
मरने के बाद भी
यह मासूम आंखें
किस कदर रो गई
दिल तो किया
फिर जी उठूँ और पौंछ दू
उन आंखों को
जीवन का एक घोर दरख्त
मैं सहेजू प्रेम की सॉखों को
पर लौट के वापस आ ना सके
मौत की इस दुनिया में
इस कदर खो गए
फिर चाह कर भी जागना सके
मौत की नींद हम जब सो गए

by Priya

हिंदी के जहाज

August 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

यूं ही नहीं चीर रहे हवाओं को जहाज हिंद के
पाक की नापाक आंखों की तकरार जांचने बैठे हैं
हम चीन की छोटी आंखों की गुस्ताखियां देखना चाहते हैं तभी आज घड़ी के कांटे की रफ्तार जांचने बैठे हैं

by Priya

चमचों का हिस्सा

August 31, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मेरे देश पर भ्रष्टाचार की
तलवार तो कुछ ऐसे पड़े
थाली में भोजन से ज्यादा
अब चमचे हिस्सा लेने खड़ी

by Priya

हुकुम

August 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

🌹🌹आते रहा करो हुकुम है हजूर का🌹🌹
अब कैसे कहें मिलने को हम खुद भी तरसते रहते हैं

by Priya

तबाही

August 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

अनजाने में इश्क का गुनाह कर दिया
बंदिशों से खुद को रिहा कर दिया
पाक रूह कहकर कभी सजदा करने
वाले अब कहते हैं मोहब्बत ने तबाह कर दिया

by Priya

ख्वाहिश

August 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हम बेकार में ही परेशान हो गए
उनकी नजर अंदाजी से
उनकी ख्वाहिश तो हमसे दूर हो
हमें अर्श पर पहुंचाने की थी

by Priya

पावन प्रकृति

July 24, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जहां हवाएं पल-पल बनाएं एक नई तस्वीर
उसी आकाश में लिखना चाहूं मैं अपनी तकदीर
नन्ही बूंदे नई किरण संग बना रही रंगोली
मैं भी सुख के मोती ले लूं फैलाकर अपनी झोली
अपने हृदय में संजो के रख लू ऐसी मीठी यादें
जहां द्वेष ना कोई जलन हो सबकी प्यारी बातें
पल-पल की शांति को तोड़े कुछ ना छोड़े बाकी
बहती उस शैतान पवन की देखूं मैं गुस्ताखी
जहां घाटिया नाप रही हो अंधकार की सीमा
वही निझरनी प्रेम से बहती ना लांगे थी गरिमा
कुछ पल में भी सुनना चाहूं पंछियों की दो बातें
प्रकृति गोद में देखू सुख की पल-पल की बरसाते
जहां पे कोयल सुना रही हो एक प्यारा सा गीत
जहां पे जा एक साथ जुड़ रही धरा और नव की प्रीत

by Priya

सावरे का सावन

July 19, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

काली जुल्फे सवारे काला लाए अंधियारे
मिले कितहु ना चेन बढ़ रही बिरहा रे
काहे रूप को सवारू नैन काजल क्यों बारू
रंग तेरा भी तो काला तो क्यों अपना निखारू
नैन कोमल है मेरे असुधार पिरोई
पीड़ा दिखे नहीं मेरी कैसा है तू निर्मोही
बिरहा तपन को देख जल बने हिमराज
उसी जल को उठाए मेघ बरसे है आज
जलधर मोहन के द्वारे श्याम नाम पुकारे
प्रभु गोपियां बुलाए संघ चलियो हमारे
करे उमड़ घुमड़ क्यों तू मुझको सताए
काला रंग देखला के याद अपनी दिलाए
रथ जलधर बनाया चला नगरी में आया
तेरी जाने चतुराई किसे दिखलाए माया
करे बादलों की ओट क्यों तू खुद को छुपाए
हाल देखता हमारा नहीं अपना बताइए
मेरी पीड़ा को देख श्याम आंसू छलकाए
बैठा बादलों के बीच क्यों तू पलके भीगाय
वन के कण-कण में मैंने देखा श्याम का बसेरा
बरसा सावन नहीं है ये तो सावरा है मेरा

by Priya

खामोशी

June 15, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जिसकी कामयाबी का चर्चा चारों ओर हो गया
वह जाने क्यों अब खामोश हो गया
जाने कैसा सितम ढाया होगा इस जिंदगी ने उस पर
जो महफिलों का सितारा था वह सितारों में खो गया

by Priya

कलाकारों की दुनिया

June 15, 2020 in शेर-ओ-शायरी

इन कलाकारों की दुनिया में
जाने कितने ही दुख होते हैं
मुस्कान मुखौटा पहन लिया
अब भीतर- भीतर रोते हैं

by Priya

अपनों की कमी

June 15, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जब कमी हो जाती है
अपनों से साथ निभाने में
तब दुख के दलदल में डूबे तो
मौत ही साथ निभाती है

by Priya

भारती की अथहा पीड़ा

June 10, 2020 in Poetry on Picture Contest

क्षणभर में क्षीण हो
छलकी आंख भारत मां की
जब मजदूरों के छाले
सीने में लेकर बैठ गई
निज संतान का दर्द दिखा तो
ऐसी दर्द की आह,,,,, भरे
जैसे लोह पथ गामिनी
सीने के छाले रौंद गई
कटी छिली हाथों की लकीरें
एक संघर्ष सुनाती हैं
सूरज के ताप से जलती गोद मेरी
उनके कदम जलाती है
निराशा से ग्रस्त नयन
आस को निहारते
कहीं दिख जाए कोई
जल भोज बाटते
महामारी ने मुंह बांधा तो
मार भूख की बड़ी लगे
पेट पे कपड़ा बांध लिया
आंसू की भी एक लड़ी लगे
अथाह दर्द समेटे थी वो
मेदनी अपनी गोदी में
कृतहन बना जो समाज दिखा तो
रक्त के आंसू रोती है
कितने वर्ष से दबा हुआ वो
तारतम्य दुख के नीचे
सुख छाया निवासी क्या जाने
की कैसी पीड़ा होती है
आखिर किन शब्दों में कहूं मैं
अपनी लहू की पीड़ा को
भूख से बच्चे बिलख रहे
ये भूली अपनी क्रीड़ा को
यमराज के सामने खड़ी हुई
कहे रोक ले इस मनमर्जी को
तुझे अपना -अपना सूझ रहा
मैं जानू तेरी खुदगर्जी को
जाने कितने घरों से बली लिए
नहीं भर्ती मौत की क्या मटकी
नित- नित मेरी कोख उजाड़ रहा
तू आया क्यों है रे कपटी

by Priya

मोक्ष की माया

May 18, 2020 in शेर-ओ-शायरी

तेरी मोक्ष की माया को समझें
हम इतने सक्षम नहीं भगवान
जब मानव थे तो हमने हरि
जब मोक्ष मिला तो हरी में हम

by Priya

एक भूल

May 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं आज जो निकली राहों पर
यह राह मुझे बात सुनाती है
कहे शर्म तो आती ना होगी
मेरा घ्रणा से नाम बुलाती है
कहे घूम रही चौराहों पे
कोई वजह है या आवारा है
पत्थर मुझे पत्थर कहते हैं
धित्कारे चौक चौराहा है
सूरज की किरण से शरीर जला
सन्नाटा पसरा चारों ओर
करें भयभीत भयावर नैनों से
एक पवन का झोंका करे था रोश
यहां आई तो मुझको पता चला
प्रकृति खुद बनी पेहरी थी
सिर अपना झुका घर लौट गई
क्योंकि गलती तो मेरी थी
फिर खुद पर बैठकर रोश किया
क्यों देश नजर ना आया मुझे
यह भूल फिर ना होएगी अब
यह वादा कर लिया था खुद से

by Priya

दिल फरेबी का आलम

April 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

दिल फरेबी का आलम कुछ इस कदर छाया,
दिल देकर भी दिलदार गद्दार नजर आया।

by Priya

गूंज

April 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हमारा आशियाना एक वादी बन
गया है फिलहाल
अब घर के सामान हमारे
मित्र हो गए
एक सुंदर वादियों सी गूंज रही
आवाज थी
पुन्ह हमसे जो टकराई तो
हम चित हो गए
हमसे किसी ने पूछा तुम्हें जमीन
क्यों भाई है
क्या कहें इन दीवारों ने तारीयां
दिखलाई है
शर्म से गिरने की बात को
छुपा गए
खोई जेब की आमदनी का
बहाना लगा गए
जिसको टालना चाहा जनाब
वह भी बहुत चतुर थे
हमारे मायूस मुंह को वो देखें
टुकुर-टुकुर थे
उन्हें पता है सब वो हंसी से
बता गए
होशियारी के हथियार डाल
हम भी मुस्कुरा गए

by Priya

मजहब का पहरी

April 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वाह भाई मजहब के ठेकेदारों
क्या खूबी फर्ज निभाया है
दुश्मन लगी है मानव जाति
और काल को मित्र बनाया है
कभी उनकी फिक्र भी कर लेता
जिसे तेरी फिक्र सताती है
कहीं कोई खड़ा चौराहों पर
कहीं जान किसी की जाती है
ऐसे ना बच पाएगा तू
कोरोना कि इस बाढ़ में
कब तक पाखंड रच आएगा तू
यू मजहब की आड़ में
इस पूरे देश की कोशिश को
कुछ पल में यूं ना काम किया
सच बोल यह तेरी गलती थी
या गद्दारी का काम किया
तूने भारत को दर्द दिया
तेरे सारे राज उजागर हैं
सच बोल तेरी नादानी थी
या भारत का सौदागर है

by Priya

एक अखंड प्रतिज्ञा

April 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कर ले अखंड प्रतिज्ञा तू
कर खंड खंड उस दहशत को
जिससे यह विश्व है कांप रहा
हौसलो से कर तू परस्त उसको
तू दूर भ्रम का भूत भगा
दहशत की नहीं जरूरत है
असंयम का तू चित्र ना गङ
भारत संयम की मूरत है
छिन्न-भिन्न से विचार हुए
क्यों काल खुद अपना बुलाता है
जो रक्षा को तेरी खड़े हुए
क्यों उन्हीं को आंख दिखाता है
तू गौर फरमा उस मंजर पर
एक जिंदा देश वह मर गया
वह विजय रेखा है दूर बहुत
तू अभी हौसला हार गया
रणनीति धरी की धरी रही
वह करके अपना वार गया
वो ढूंढ रहे उसे राहों में
वो लाश पर चल के पार गया
दोहराना नहीं उस गलती को
बड़े देश जो कर के बैठे हैं
अब मौत भोज को आई है
अभी यम भी गर्दन ऐठे हैं
अंदाजा लगा ले खतरे का
वह प्रलय जो विनाशकारी है
नियम का पालन मत छोड़ो
यह बड़ी बहुत महामारी है
इस विनाश लीला के मंजर को
यू मजा कुछ समझना ठीक नहीं
यह मौत बड़ी बेदर्दी है
जीवन की देगी भीख नहीं

by Priya

ममतामई प्रकृति

April 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

यह प्रकृति तू रोष दिखाती है
पर क्या करेगी उस ममता का
जो तुझसे खुद लड़ जाती है
तूने सोचा दुख दूं उन सबको
जो दिन-प्रतिदिन तेरा नाश करें
पर हे ममता की मूरत तू तो
खुद से हारी जाती है
तूने सोचा कोरोना फैला करके
इस मानव जाति का नाश करूं
जब सारा प्रदूषण बंद हुआ
अब तू ही सुगंध फैलाती है
तू देख भले नादान हूं मैं
भले नीति से अनजान हूं मैं
मां बुरा नहीं कर सकती है
इस बात का भी प्रमाण हूं मैं
तो है प्रकृति तू क्यों घबराती है
देख झूठ ना कहना जानू मैं
मेरी चोट पे तू डर जाती है
मैं कैसे कठोर कहूं तुझको
तू प्रेम अमृत बरसाती है
जो तपती धूप से बिलख पड़ी
तो शीतल जल बरसाती है
यह मेरी ही नादानी है
जो दया ना तेरी देख रही
तेरी हर जड़ एक संजीवनी है
मैं कूड़ा समझ कर फेंक रही
पर हे प्रकृति तू राह दिखाती है
कोई दर्द अगर दे देती है
तो मलहम भी तू लगाती है
तू बिल्कुल मेरी मां जैसी है
कभी कान मरोड़ कर क्रोध करें
तो कभी गोद में ले समझ आती है

by Priya

सुख अनुभव

April 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

रोज-रोज के झंझट में
पिस्ता था तो क्या खुश था तू
दो घड़ी अपनों का साथ मिला
अब कर अनुभव सुख किसने है
यह रोज कि भागा दौड़ी में
या कुछ पल की उस जोड़ी में
उस जग की द्वेष चिंगारी में
या बच्चों की किलकारी में
जीवन जीता तू लाचारी में
अब सोच तेरा मन किसमें है
जब झंझट तेरे पल्ले थी
तब अपनों से चिढ़ जाता था
कभी कोप करता था माता पर
कभी पिता को आंख दिखाता था
तू बैठ प्रेम की छाया में
फिर से सुख प्रेम का अनुभव कर
वह स्नेह आंचल में लेंगे तुझे
बन बालक यौवन को खोकर

by Priya

परीक्षा की घड़ी

March 11, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मेहनत में जुटे हैं जी जान से हम तो
परीक्षा की घड़ी में कहीं और मन ना भटके
तर्जनी के छूने से ढहने का डर है
तप की तपन बिना है कच्चे मटके

by Priya

सब्र की मंडेर

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मेहनत का बीज बोकर सब्र की मुंडेर पर खड़े हैं
डरते हैं कोई अंधेरी ना आए

by Priya

किस्मत की किताब

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कहां रखी है वह किताब
जिसमें लिखा है नसीब मेरा
मुझे दुख मिटा कर थोड़ी सी
खुशी लिखनी है उसमें

by Priya

कायनात का साथ

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

बड़ी देर लगा दी कायनात तूने साथ निभाने में
अब उम्मीद ही बची है उनके पास आने में

by Priya

खुशी की वापसी

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मेरी यह किस्मत मुझे कैसा खेल दिखाती है
दहलीज से खुशी हाल पूछ लौट जाती है

by Priya

हुकुम हजूर का

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

एक हुकुम आया मेरे हजूर का
घुंघट में छुपा लो अपना चेहरा यह नूर का
लगे ना नजर किसी का काफिर की
तुमको हिफाजत ना होगी मैं राही हूं दूर का

by Priya

कायरों का कायदा

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं होती
कायदा कायरों की फितरत नहीं होती
जो काफिर आंख दिखाने से मान जाते
तो गोली उठाने की जरूरत क्या होती है

by Priya

दुनिया से रुखसत

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

दुनिया से रुखसत होगी मेरी रूह
तो हम भी रोएंगे तुम से बिछड़ कर
खुदा का भी दिल पिघल जाएगा
हमें मिला देगा हमारी तड़प देखकर

by Priya

लुका छुपी

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

लुका छुपी का खेल अब खेला नहीं जाता
पछतायेगा जाने के बाद तुम्हें मेरे
तेरा सब कुछ जीने का मेरा धेला भी नहीं जाता

by Priya

सुंदरबन की मोरनी

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

सुंदरबन की मोरनी को बादलों की तलाश है
आने पर नाचती है बांधकर वह घुंघरू
ये जानकर भी बादल दूर है उससे
वह खुश है कि बादल है रूबरू

by Priya

मोहर्रम की नजर

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मुट्ठी में भर लेती सारे जहां के तारे
जलते हुए सूरज की तपन को भी सहते
हुकुमत करते हम दुनिया में सारी
मोहब्बत की नजर जो मैहरम तेरी होती

by Priya

मेरी लेखनी

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मेरी लेखनी कुछ ऐसा कमाल कर दिखा दे
इन तीनों दुनिया को एक साथ ला दे
करूंगी मैं उम्र भर तेरी जी हजूरी
जो मेरे लिखे शब्द को हजूर तक पहुंचा दे

by Priya

इंसानियत

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

तकदीर बनाने वाले ने
क्या खूब ही खेल रचाया है
इंसान बनाया दुनिया में
इंसानियत को कहीं छुपाया है

by Priya

यमराज से बेईमानी

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

ऐ मौत तू इतनी बेरहमी न दिखाया कर
यमराज अगर भेजें
किसी सैनिक को बुलावा तू यमराज से थोड़ी सी
बेईमानी कर जाया कर

by Priya

मानवता का मजहब

February 29, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

भारतवासी गर्व है तुझ पर
तेरी एकता सच्चे मजहब पर

प्रेम अखंडता की परिभाषा है तू
स्नेह से दुलारी हुई भाषा है तू

दंगों से हुआ था ना दिल तेरा कच्चा
तू भारत का पूत है सच्चा

जब दंगों से जले आशियाने
तुम गए मदद का हाथ बढ़ाने

मंदिर को बचाने आए मौलाना
तो पंडित खड़े थे मस्जिद बचाने

भगवान खुदा ईश्वर
कोई कह देता उनको रब है

सभी धर्मों से बड़ा एक
मानवता का मजहब है

by Priya

गुड़हल

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मैंने पूछ ही लिया था एक दिन गुडहल से
इतनी हिम्मत तू कहां से लाता है
मैं मुरझा जाती हूं थोड़े से दर्द से
तू टहनी से टूट कर भी खिल जाता है
खूबसूरती से जवाब दिया गुड़हल के फूल ने
मेरी खूबसूरती का असर हुआ होगा
इसीलिए खिल जाता हूं मैं
कि मेरी मुरझाने का असर उस पर होगा

by Priya

जीवन का दर्द

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जीवन की राह में सहता है
वो दर्द तेरे संग मैं झेलू
जो कहे कि साथ निभाएगा तू
तो तेरी बला मैं अपनी सिर लेलू

by Priya

भारतीय सिंगार

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कोई क्या होड़ करेगा भारतीय नारी की
क्या खूब ही संवारती हैं वो अपने सिंगार को
वहीं वीरता के चर्चे भी कम नहीं उनके
उंगली पर जाँचती हैं तलवार की धार को

by Priya

रूह वाला इश्क

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

इश्क वो नहीं जिसमें
भावनाओं का मजाक बनाया जाता है
इश्क तो वह है
जो रूहानियत से निभाया जाता है

by Priya

आशियाना

February 29, 2020 in शेर-ओ-शायरी

माना बहुत दूर है आशिया तुम्हारा
इतने दिन हो गए तुम्हें आते आते
इंतजार की घड़ी इतनी बड़ी हो गई
मेरी कलम थक गई तुम्हारी यादों को बताते

by Priya

सदाबहारी का दावा

February 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

क्योंकि तकलीफ तो हमें भी होती है
तो दवा नहीं करते सदाबहारी का
मोहब्बत कर हिस्से में आई बदनामी
एक जख्म दे दिया है तुमने यारी का

by Priya

दिल कुरेदना

February 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

सौ दफा दफन किया मैंने तेरी याद को
कब्र की धूल को उड़ा के दिल कुरेदती है कैसे

by Priya

सोचने वाली बात

February 28, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक बात तो सोचने वाली है
जरा तुम भी गौर फरमाओगे
किसी घायल की जो मदद करो
तो वीडियो कैसे बनाओगे
तुमसे ना होगा जाने दो
तुम वीडियो बनाते ही रहना
कोई मरता है तो मरने दो
तुम्हें कौन सा होगा दर्द सहना
अरे कायरों कुछ तो शर्म करो
कब तक तुम देश लजाओगे
हृदय विराट है देश मेरा
तुम इसका शीश झुकाओगे होगे
तुम्हारी इन्ही हरकतों से
इंसानियत शर्मसार है
तुम सेकी समझते इन सब की
बुद्धिहीनता की यह मिसाल है
रेलों पर स्टंट दिखाते हो
तब जी ना तुम्हारा घबराता है
परिवार की तुमको फिक्र नहीं
ना मौत का डर भी सताता है
ऐसा लगता है जिंदगी तुम्हारी
लाइक कमेंट पर चलती है
मदद करो तो लाइक करें सब
तब क्या मर्यादा घटती है
माना मैंने एक मंच है ये
जहां कला दिशा पकड़ती है
जिसे खो दे स्टंट के चक्कर में
तेरी जिंदगी इतनी सस्ती है
देखो तो ज्ञान भंडार है यहां
जिसे पा सकते हो मान से
पर भ्रम में तुम ना पड़ जाना
प्रयोग करो पर ध्यान से
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

by Priya

फोन में प्राण

February 28, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

समय नहीं देते अभिभावक
फिर बाद में पछताते हैं
जब छोटे-छोटे बच्चों को
बड़े फोन दिलाए जाते हैं
पहले बच्चे खेलने जाते
जाने संयम की रस्मों को
अब तो मुखोटे बन कर बैठे
देखो बड़े-बड़े चश्मो को
फोन के सामने भोजन फीका
ना जाने कैसा स्वाद है
ऐसा लगे जब फोन छिने तो
पूरी जिंदगी खराब है
पहले लोग कम कहने पहनते थे
कहीं हो ना जाए छीना झपटी
चोरों में मर्यादा रही ना
फोन ही झपटने है कपटी

by Priya

सोशल मीडिया के फंदे

February 28, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब देश की विकास दर बढ़ती है
तो जाल फैलाया जाता है
सोशल मीडिया के पिंजरे में
नई पीढ़ी को फसाया जाता है
कुछ बाज सयाने उड़ जाते हैं
जो जान गए रणनीति को नीति को
वह चाल विदेशी समझ गए
उन होने वाली अनीति को
पर कुछ पंछी जो न्याने थे
रणनीति से अनजाने थे
वह फंसे हुए हैं पिंजरे में
अनुभवी की बात ना माने थे
वहां तो कुछ नहीं मिलता है
बस भ्रम फैलाने का धंधा है
घर बार बुला दिए जाते हैं
ये खेल बड़ा ही गंदा है

by Priya

हवाओं के किस्से

February 28, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब हवा दर्द भरा
किस्सा सुनाती है
मेरी रूह भी
सहम सी जाती है
कहे मैं गई एक दिन
कदम की डारी
अंडों के पास मरी
चिड़िया बेचारी
कहे सब जग
हवा हवाई विषैली
जब खुद जग उड़ाए है
कण सारी मैली
यह लड़ती हवा मुझसे
क्यों ना तू बोले
दिल कैसा कठोर है
जो कभी भी ना डोले
मैं बोलूंगी क्या
बस तू इतना बता दे
जो करूं कहीं शिकायत
तो रिश्वत वह खाते
एक दूंगी उपाय
जो तू उसको माने
उद्योगपति घर यह
धुआं उड़ा दे
जरा उन्हें समझा
कि दम घुटता है कैसे
इंसान तो जीता है
जैसे तैसे वह नन्हे जीव
भला जिए भी तो कैसे

by Priya

मुस्कुराहट का मुखौटा

February 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

लोग कहते हैं मुझे भी ला देना
वह मुस्कुराहट का मुखौटा
जिसके पीछे यह दर्द भरा
चेहरा छुपाती है
मेरी तड़प उन दीवानों से पूछो
जो मेरे दर्द से दहल सी जाती है

by Priya

मानवता दहन

February 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुलग रही है प्रतिदिन ज्वाला
मानवता के पराली में
कायरता की राख छनेगी
कलयुग की इस जाली में
पसरा होगा बस सन्नाटा
मर्यादा की दहलीजो में
बिक जाएगी प्रेम अखंडता
नीलामी की चीजों में
बना हुआ था हर कोई कृतहन
तपोवन की इस भूमि पे
उड़ेली हुई है विश की प्याली
कर्म पथिक की धुली पे
कोई ना करता लाज शर्म
संबंधों को रखें ठोकर पे
जिनके पास थी विराट संपत्ति
संतान रखें उन्हें नौकर से

by Priya

तबाही

February 27, 2020 in शेर-ओ-शायरी

वह कहते हैं तबाह हो गए हम तेरे इश्क में
कैसे कहे तबाही तो हमारी मोहब्बत की हुई है

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