Bulati hai magar jane ka nahi

April 19, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

✋बुलाती है मगर जाने का नही ✋👋

सब कहते है, बुलाती मगर जाने का नही ।
दिल के मरीजों को ऐसे रूलाने का नही ॥

ये याद ये तड़प ये दर्द सब ले अपने साथ ।
यु निंद मे आकर ख्वाबो मे सताने का नही ॥

वाटसएप मैसेन्जर शेर चैट टिक टोक से ।
इन आशिको को ओर ऐसे लुभाने का नही ॥

👍👍👍 बुलाती है मगर जाने का नही ☝
” रहस्य देवरिया “

जलाते जा रहे

June 10, 2019 in शेर-ओ-शायरी

सब यहा मिलकर मुम्बतीया जलाते जा रहे।
और वो एक एक हमारी बेटियां मिटाते जा रहे।।

ना समझ मासूम ओर कमजोर बच्चीयो पर।
ये कुछ नामर्द अपनी ताकत दिखाते जा रहे।।

” रहस्य ” देवरिया

पुलवामा शहीद

June 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

पुलवामा आतंकी हमले में शहीद देश के उन वीरों भावभीनी श्रध्दांजलि (( जय हिंद ))

अब हर आतंकियों के मंशुबे नाकाम करना है।
अब हर हाल में तुम्हें जलाकर राख करना है।।

छुपे बैठे हैं जो अपने देश में कुछ चन्द गद्दारे।
चुन चुन कर सबको गुनाह ए खाक करना है।।

” रहस्य ” देवरिया

देश भक्ति के ये नारे

June 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

पुलवामा हमले में शहीद वीरों को भावभीनी श्रद्धांजलि

देश भक्ति के ये नारे हर रोज क्यों नहीं लगते।
ऐ आग हरदम सबके दिलों में क्यों नहीं जलते।।

सियासी खेल खेलने वाले क्या जाने दर्द ए ग़म।
ऐसे हमले में कभी उनके अपने क्यों नहीं मरते।।

पुरा देश रो रहा उन वीर जवानों की शहादत पर।
ये चंद गद्दार कभी सामने से वार क्यों नहीं करते।।

कबतक समझौते अमन चैन की उम्मीद करते रहे।
आतंक के रखवालों को नेस्तनाबूद क्यों नहीं करते।।

” रहस्य ” देवरिया

क्यों रुलाता जा रहा है तू

June 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐसे अपनो को क्यों सताता जा रहा है तू।
हर बार हमे क्यों रुलाता जा रहा है तू।।
“” “” “” “” “” “”
मेघो की आवाज सून ऐ काले बादल।
बिन बरसे आगे क्यों बढता जा रहा है तू।।
“” “” “” “” “” “”
जैसे की हमारे सपने हमारे अरमानो को।
इस कदर अब क्यों रौंदता जा रहा है तू।।
“” “” “” “” “” “”
तेरे तपन से हम हार कहा मानने वाले।
बेकसूर जमी को क्यों जलाता जा रहा है तू।।
“” “” “” “” “” “”
” रहस्य देवरिया “

दिए मे जो बात ” रहस्य ” देवरिया

May 28, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल में जो हैं ” रहस्य ” देवरिया

गर है मोहब्बत तो जताते क्यों नही।
दिल मे जो है बात बताते क्यों नही।।
%%%% %%%%

जरुरी नहीं हर बार तू रुठे मै मनाऊ।
हमे कभी भी तूम मनाते क्यों नहीं।।
%%%% %%%%

साथ हर पल देते तुम्हारी हर जिद् मे।
तूम हमारा रिश्ता निभाते क्यों नही।।
%%%% %%%
” रहस्य ” देवरिया

दिल की बातो पर उनको

May 11, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल की बातो पर उनको एतबार नहीं होता।
चाहे कुछ भी करले उन्हें हमसे प्यार नहीं होता।।

एक हम हैं उन्हें याद हर पल करते रहते हैं।
पर वो कहते बात करने का समय यार नहीं होता।।

” रहस्य ” देवरिया

रुलाता भी नहीं और

May 11, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

रुलाता भी नहीं और खुश रहने भी नही देता।
ख्वाबो मे आने का वादा कर सोने नही देता।।

बड़े बे अदब और बेरहम है हमसफर मेरा।
दर्द देता है हंस कर पर मरहम नहीं देता।।

” रहस्य ” देवरिया

मिली मुझे खुशियां

May 11, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मिली मुझे खुशियाँ (“रहस्य:) देवरिया

मेरे होठों कि हॅशी तेरे आनें से है,
मिली मुझे खुशीयाॅ तेरे बहाने से है,,
“”””””””

मेरे लबों कि मुस्कुराने की वजह ,
बे पनाह तेरा प्यार मुझपे लूटाने से है,,
“”””””””

मैं तो सायद कबका मिट ही चूका था,
मेरी साॅसो कि डोर तेरे सहारे से है
“”””””””

मेरे होठों कि हॅशी तेरे आनें से हैं,
“:”:”:”:”
(“रहस्य “)देवरिया

आंखें मे ख्वाबो को सजाने की

May 11, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक और ग़लत
आंखों में ख्वाबो को सजाने की ” रहस्य ” देवरिया

आंखों मे ख्वाबो को सजाने की हिमाकत ना करते।
काश दिल में किसी को बसाने की हिम्मत ना करते।।
%%%%%%%

कबूल कहा होती है अब यहां हर किसी की फरियादे।
खुदा के दरबार कभी कोई भी हम मिन्नत ना करते।।
%%%%%%%

तकलीफ तो कम्बख्त सायद जिन्दगी ही देती है यहा।
पहले पता कहा था वर्ना जिने की चाहत ना करते।।
%%%%%%%

आंखों में ख्वाबो को सजाने की हिमाकत ना करते %

” रहस्य ” देवरिया

क्यों चली जाती हो ” रहस्य “

May 1, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

रोज मेरे ख्वाबो में आकर क्यों चली जाती हो।
पास ना होके दूर से सता के क्यो चली जाती हो।।
*********

जब्बभी सोचता हूँ कुछ पल सोलू रातो को।
आके यादों में निंद चूरा कर क्यों चली जाती हो।।
*********

बेखबर हो तूम मेरी सपनो कि उस दुनिया से।
हर बार दिल में दस्तक देकर क्यों चली जाती हो।।
********

रोज मेरे ख्वाबो में आकर क्यों चली जाती हो

” रहस्य ” देवरिया

आंखें मजबुर थी मेरी ” रहस्य ” देवरिया

April 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हंसकर अपने दर्द छुपाने की कारिगरी मसहूर थी मेरी ।
चाहकर भी कभी रो ना सकी आंखे सजबूर थी मेरी ।।

सजती रही महेफिले बेशक ही अब औरो की शाम मे ।
हां मगर ये भी तो सच है वो शमा कभी जरूर थी मेरी ।।

” रहस्य ” देवरिया

तुझे शर्म नहीं आई

April 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

नमस्कार दोस्तों आप सब देख रहे हैं आज कल बच्चियों के साथ कुछ बहेशी दरिन्दे जो कर रहे हैं दो शब्द आज लिखने पर मजबूर हो गया

ऐसे कुकर्म करते जरा भी शर्म क्या तुझे नहीं आई।
उसे देख तुझे अपनी बेटी याद क्या तुझे नहीं आई।।
“” “” ”

चिखती चिल्लाती तो कभी दर्द से कराहती भी होगी।
उस मासूम पर जरा सा भी रहेम क्या तुझे नहीं आई।।
” “” “”

वो तुझे चाचा भईया या पिता समझ कर आई होगी ।
उसकी आंखों में ये रिश्ते भी नजर क्या तुझे नहीं आई।।
“” “” “”

किस कदर घुट घुट कर तोड़ा होगा दम उसने अपना।
हवस बुझाते हुए इन्सानियत याद क्या तुझे नहीं आई।।
“” “” “”

ऐसे कूकर्म करते जरा भी शर्म क्या तुझे नहीं आई।।।

” रहस्य ” देवरिया

अनसुलझी पहेली “रहस्य “देवरिया

November 22, 2017 in Other

Dosto गोरखपुर में हो रहे मासूम बच्चों की मौत बहुत ही दूखद हैं मेरे चार शब्द उन बच्चों नाम (( plz god sef the all children’s ))

एक एक कर जिन्दगीया निगलती जा रही हैं ये ,
एक अनसुलझी पहेली बनती जा रही हैं ये ,,


खिले थै बड़ी मन्नतो से जिनके ऑगन में फूल,
उन माँओ की गोद सूना करती जा रही हैं ये ,


रहा करती थी हर पल खुशियाँ जिनके घरों में ,
वाहा गमों का सागर भरती जा रही हैं ये ,,


माँ बाप मजबूर हैं गरीबी इस काल के आगे ,
हर दवा दुआ को बेअसर करती जा रही हैं ये ,,


एक एक कर जिन्दगीया निगलती जा रही हैं ये /

” रहस्य ” देवरिया

माँ महंगे होटलों में भी “रहस्य “देवरिया

November 22, 2017 in Other

माँ महेंगे होटलो मे भी (“रहस्य”)

तेरी हाथों कि वो दो रोटियाॅ कहीं और बिकती नहीं
माँ महँगे होटलों में भी खाने से भूख मिटती नही
“”””””””””
“”””””””””
गरमाहट बहुत मिलती थी तेरी ऑचल कि ऑड मे मुझे
अब तो ये ठिठूरन किसी कम्बल रजाई से जाती नही
“”””””””””
“”””””””””
निंद आ जाती थी तेरी लोरियाॅ कहाँनिया सूनकर
अब तो कोई भी गाने सुनू पर ऑखो को निंद आती नही
“”””””””””
“”””””””””
मै चाहे लाख तलाश लू सुकून मंदिर मस्जिद मे भी
पर जो सूख तेरी कदमो मे थी वो कही मिलती नही
“””””””””
“””””””””
तेरी हाॅथो कि वो दो रोटियाॅ कही और बिकती नही
“””””””””
“””””””””
“”””(“रहस्य”)”””देवरिया

ऐसी बेबसी भरी जिन्दगी “रहस्य “देवरिया

November 21, 2017 in Other

Happy mother day मेरे तरफ से एक छोटी सी कोशिश उम्मीद करता हूँ सबको पसंद आएगा
€€€€€€€€€€€€€
ऐसी बेबसी भरी जिन्दगी देने की वजहा बता देता,
ऐसा क्या किये थे तू मुझे मेरी खता बता देता,,
**********
अपने भूख प्यास को भूला के तूझे पालते रहे,
अगर हैं ये खता तो मुझे मेरी सजा बता देता,,
**********
जरूरत पडीं तो आज भी जान निसार करदू तूझपे,
तूझे काबिल बनाने मे कमी रही हो तो वो कमी बता देता,,
**********
आज कमजोर पडती हाथों से साथ छोड़ा लिया तूने,
कहाँ जाएंगे अब इस उम्र मे बेटा वो जगहा बता देता,,
**********
ऐसी बेबसी भरी जिन्दगी देने की वजहा बता देता,
**********
****(“रहस्य “)देवरिया ****

एक और मासूम की जिंदगी “रहस्य “देवरिया

November 21, 2017 in Other

एक और मासूम की जिन्दगी (“रहस्य”)
??????
दौलत की चाहने रिश्तों के धागे को तार तार कर दिया हैं,
एक और मासूम की जिन्दगी को मरने पर लाचार कर दिया हैं,,
??????
पापा सब दिया आपने इन्हें मेरी सूख खूशीओ की खातीर,
पर इन दहेज़ के लोभीओ ने मेरा जिना दूशवार कर दिया हैं,,
??????
और ना हो सको परेशान मेरी वजहा मेरी होठों की हॅशी के लिए,
माफ करना बाबा मुझे इसी लिए अपनी जान निसार कर दिया हैं,,
??????
दौलत की चाहने रिश्तों के धागे को तार तार कर दिया हैं,
??????
((((“रहस्य “))))((देवरिया))

मुर्दों को उठाने चलें है “रहस्य “देवरिया

November 21, 2017 in Other

मुर्दों को उठाने चलें है ” रहस्य “देवरिया

अफ़सोस की हम सबको जगाने चलें है ,
हाँ ये सच है की मुर्दों को उठाने चलें है,,

हर हिन्दू मस्त है अपनें मे जमाने से बेखबर ,
उनको आनें वाली सच्चाई अब दिखाने चलें है,,

निंद मे हो तो मौत की निंद सूला दिये जावोगे ,
सपनो से जगा के सच से रूबरू कराने चलें है,,

वो एक होते जा रहे छोटा बड़ा सब भूलकर,
एक हम उच नीच जाती के नाम से लड़ते चलें है ,,

“रहस्य “देवरिया

दिल को मेरे जलाया होगा “रहस्य “देवरिया

November 21, 2017 in Other

जिस्म को मेरे जलाये होंगे “रहस्य”देवरिया

दर्द कितने खुद में हमने छुपाये होंगे ,
तूने जब दिल को मेरे जलाया होगा ,

ये रूह मायूस बेबस होकर तूझ से ,
जब तन्हाई में खुद को छुपाया होगा ,

मेरा साया तेरे कदमों से लिपट कर ,
कितना तेरे आगे वो रोया होगा ,

मासूम सा दिखने वाला कातील मेरा ,
कैसे गुनाहो को अपने छुड़ाया होगा ,

दर्द कितना खुद में हमने छुपाया होगा /

” रहस्य ” देवरिया

दिल को मेरे जलाया होगा “रहस्य “देवरिया

November 21, 2017 in Other

जिस्म को मेरे जलाये होंगे “रहस्य”देवरिया

दर्द कितने खुद में हमने छुपाये होंगे ,
तूने जब दिल को मेरे जलाया होगा ,

ये रूह मायूस बेबस होकर तूझ से ,
जब तन्हाई में खुद को छुपाया होगा ,

मेरा साया तेरे कदमों से लिपट कर ,
कितना तेरे आगे वो रोया होगा ,

मासूम सा दिखने वाला कातील मेरा ,
कैसे गुनाहो को अपने छुड़ाया होगा ,

दर्द कितना खुद में हमने छुपाया होगा /

” रहस्य ” देवरिया

उनसे गुफतगू ना हो “रहस्य “देवरिया

November 21, 2017 in Other

उनसे गुफतगू ना हो “रहस्य “देवरिया

ऐ खुदा काश कि अब से वो रूबरू ना हो ,
ख्वाबों में भी अब उससे गुफतगू ना हो ]

कम्बख्त झूठे सपने देखना कौन चाहता है,
वो रात ही ना हो जिसमें निंद पूरी ना हो ]

याद ना करू ये तो तेरी दिली ख्वाहिश थी,
ना आ सामने कही ये हसरत पूरी ना हो ]

ऐ खुदा काश कि अब से वो रूबरू ना हो %

” रहस्य “देवरिया

गवाही ना दे

January 5, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

  • इस कदर मुस्कूरा की ऑखों में आंसू दिखाई ना दे,
  • ऐ वक्त! तू अब मेरी वफा मेरी मोहब्बत की गवाही ना दे l
  • :::::::::::::::
  • :::::::::::::::
  • दिखा दिया है उसने अपनी ज़फाओं का आलम,
  • चल अब छोड़ तू मेरे दर्द पर दुहाई ना दे l
  • ::::::::::::::
  • ::::::::::::::
  • कहते है गुनाह छुपता नही छुपाने से कभी,
  • मेरा गुनाह सिवा उसके किसी को दिखाई ना दे l
  • ::::::::::::::
  • ::::::::::::::
  • कैसे सम्भाला था अपने लड़खड़ाते कदमो को मैने,
  • सबको सब कुछ दे रब बस उसकी तरह खुदाई ना दे l
  • :::::::::::::
  • :::::::::::::
  • इस कदर मूस्कुरा की ऑखों में आंसू दिखाई ना दे,
  • ऐ वक्त! तू अब मेरी वफा मेरी मोहब्बत की गवाही ना दे ll
  • ::::::::::::::
  • “”””::::::””””
  • राज सोनी “”रहस्य””

तेरी जफा को याद

November 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब तेरे शहर की गलियों से गुजरता हूँ,

तेरी बेवफाई तेरी जफा को याद करता हूँ l

 

 

क्या खूब की थी तूने बेवफाई मेरे साथ,

आज तेरे हर ख्वाब से भी डरता हूँ l

 

 

कैसे मिटाये बैठा हूँ मै खुद को क्या कहूं,

आज तेरी हर तस्वीर जलाया करता हूँ l

 

मिट जाती हर वो दास्ता वो फसाना,

इसलिए वो याद उस पल को जलाया करता हूँ l

 

अपने दिल मे एक आग जला रखा है,

इसलिए उस आग को हर रोज जलाया करता हूँ l

 

तेरी गलियों से जब गुजरता हूँ

किस कदर तुझको याद करता हूँ l

 

जब तेरे शहर की गलियों से गुजरता हूँ,

तेरी बेवफाई तेरी जफा से डरता हूँ l

 

राज सोनी,”रहस्य”

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