ऊर्जा पुंज
ऊर्जा पुंज ————- तुम ऊर्जा पुंज …..और तुम से बहता अविरल तेज! बन जाता है मेरे लिए प्रेरणा .. सृजन की। मेरे हृदय में बहने लगती है धारा….. जो जा मिलती है तुमसे….. और उपजने लगती हैं कुछ नन्ही कोपल जो जगाती है मुझे नींद से……। उठो! चलो लिखना है तुम्हें। और मैं एक आज्ञाकारी शिष्या सी, ”जी आचार्य जी “कहकर चल पढ़ती हूं कागज और कलम की ओर…R... »