आधुनिक मधुबाला
चिंतामणि सी अकुलाती हो मुझ में क्या अद्भुत पाती हो? चंचल मृगनयनी सी आंखों से क्या मुझ में ढूंढा करती हो? चंद्रमुखी सी हंसी हंस-हंसकर…
चिंतामणि सी अकुलाती हो मुझ में क्या अद्भुत पाती हो? चंचल मृगनयनी सी आंखों से क्या मुझ में ढूंढा करती हो? चंद्रमुखी सी हंसी हंस-हंसकर…
कुछ अलग सी पगली हो तुम! नैन लड़ाती हो कुछ कहना भी चाहती हो बस मुस्कुरा कर ही रह जाती हो। मेरे इशारों में उलझ…
तिनका तिनका जोड़ -जोड़ कर, चिड़िया नीड़ बनाती है। छोटे-छोटे बच्चों को ऊंची उड़ान सिखाती है। एक दिन नीड छोड़कर बच्चे दूर गगन उड़ जाते…
श्याम रंग विराट ललाट, लाल तिलक सोहे मुख भाल। तिरछी नजर कान्हा जब डालें, गोपियों के दिल भये मतवाले। कान्हा कान्हा रटते रटते, गोपियों ने…
समय कभी ना ठहरा था ना ठहरा है ना ठहरेगा। वह तो कालचक्र का पहिया है, दिन-रात धुरी पर घूमेगा। समय के साथ चलकर ही…
अनपढ़ हैं वह सब पढ़े लिखे, पढ़नेका मर्म जो जाने नहीं। जो अभिमानी है दंभी हैं, वे निपट गवार अज्ञानी है। कर्मों में यदि सुधार…
चतुराई तेरे काम ना आए, बुरे कर्म सब आड़े आए। कर्मों के फल सब तू पाए, फिर काहे चतुराई दिखाएं। दान धर्म का मन अपना…
यह जग दो दिन का फेरा है, भगवान का घर ही डेरा है। आज तुम हो यहां कल जाने कहां, यह जग तो जीवन मरण…
श्रद्धा से जो किया अर्पण, सम्मान से खिलाया। सच्चे अर्थों में वह ही, श्राद्ध कर्म कहलाया जीते जी ही दो मान, पूरा दो उन्हे सम्मान…
बाबूजी का वो लाड़ भरा धमकाता बचपन, है याद मुझे अक्सर आ जाता प्यारा बचपन। खरगोशों के संग दौड़ कुलाचे भरता बचपन, तोते चिड़ियों की…
अपना-अपना सोचे प्राणी, अपनी खुशियां लागे प्यारी। स्वार्थी ना बनो, खुद से ऊपर थोड़ा तो उठो! त्योहार मनाओ खुशियों से उपहारों से, रोतों को हंसाओ…
तेरा सब तुझको अर्पण, तू दे दे मुझे सहारा। क्यों रूठा है तू भगवान अब थाम ले हाथ हमारा है नाव भंवर में मेरी तू…
खुशियों का मतलब पटाखे नहीं, रोशनी और उल्लास है। ना समझो गलत बंद करना इन्हें, प्रदूषण का यह सब सामान है। पहले ही प्रदूषण से…
हे ईश्वर! मेरे मन के गहन तमस में, आशा का उजाला भर दो। मैं तुझ में ही खो जाऊं, कुछ ऐसा मुझको कर दो। चरणों…
अमृत से भरी नदियां ये सभी, आंसू का लिए सैलाब क्यों हैं? बाहर कल कल की नाद तो है, अंदर वेदना बेआवाज क्यों हैं? जैसे…
सुनहरी धूप सी काया, मोगरेकी कली के समान मनमोहिनी माया। सुलक्षणा चपला चंचला सी, मोहक अस्त्रों से बांधती छाया। आंखें खोली तो सिर्फ तुम थी…
रूप अद्वितीय बिखराती हो, जब सामने तुम आती हो। काले घने केश लहराती, आंखों से जादू सा चलाती। एक हंसी उन्मुक्त तुम्हारी, बेचैनी दिल में…
त्योहारों का भी कुछ मतलब, समझो तो नहीं कुछ भी गफलत। समृद्धि उन्नति का द्योतक, राग द्वेष और मेल का ज्योतक। त्योहार बिना जीवन यह…
एक प्यारा संसार सजाएं, हंसी खुशी का शहर बसाए। गम जहां से ओझल हो जाए, खुशियां दामन भर भर आए। प्रगति उन्नति का हो जो…
पिंजर बनना तय हम सबका, क्यों लालच में अंधा रें! प्रेम दया से जी ले रे बंदे जग दो दिन का फेरा रे। जाएगा जब…
पिंजर बनना तय हम सबका, क्यों लालच में अंधा रें! प्रेम दया से जी ले रे बंदे जग दो दिन का फेरा रे। जाएगा जब…
दिल में जो सैलाब है आंखों से निकलता क्यू हैं? तुमको देखे बिना ये दिल तड़फता क्यू है? तुम तो इस दिल के रौनक –…
इशारो इशारो में गुफ्तगू करते हो, कभी दिल का भी हाल सुनाते तो। कभी खयालों में खुशबू से महक उठते हो, आखिर तुम्हारी रजा क्या…
जुबां की बात मत करना.. उसे आंखों में छुपा रखना… वो चिरागे आतिश है सुलग उठोगे। इश्क कोई दर्द भरी शमा नहीं! जो सिसकती रहे…
जुबां की बात मत करना.. उसे आंखों में छुपा रखना… वो चिरागे आतिश है सुलग उठोगे। इश्क कोई दर्द भरी शमा नहीं! जो सिसकती रहे…
बुझती, बंद होती यादों की मोमबत्तियां, दे जाती है याद आज भी मधुरिमा। कुछ शब्द कोंधते हैं आवाज़ बनके कहकहे हवाओंमें गूंजते हैं साज बनके।…
तोसे प्रीत लगाई कान्हा रे! जोगन बन आई कान्हा रे। तोसे प्रीत लगाई कान्हा रे। १. लाख विनती कर हारी, राधा तेरी दीवानी, तेरे दरस…
कवि बनना आसान नहीं, हृदय के उद्वेगो को माला में पिरोना कोई खेल नहीं। झुरमुटों के जंगल से जज्बातों को एक-एक करके बाहर लाना कोई…
तुम्हारे अंदर जो मैं है, वह तुम्हें पीछे धकेलता है। तुम्हारे अंदर जो पीड़ा है, वह तुम्हें दया सिखाती है। तुम्हारे अंदर जो प्यार है,…
जिंदगी आज फिर एक सवाल पूछती है! अपने साथ है या साथ छोड़ गए?? झूठे आडंबरो के लिए नाता तोड़ गए!! तुम तो उनके अपने…
सांवले सलोने चेहरे पर चमकती सफेद दंत पंक्ति, खूबसूरत उन्हें बनाती है। खेतों में काम करती महिलाएं, हंसी -ठिठोली करते -करते काम निपटाती हैं। नपी…
प्रकृति ने हमें क्या-क्या ना दिया! यह कल-कल करती नदियां, यह स्वच्छ धरा यह नीलगगन। यह सुंदर चांद, तारे ,सूरज, लंबे , हरे भरे हैं…
आओ दिवाली ऐसी मनाए , थोड़ी खुशियां हम भी लुटाए। जो तरसे इन खुशियों को इन, आओ दिवाली उन सब की मनाए। थोड़ी मिठाई हम…
नेताजी लाल पीले हैं, मुंह में है आग, ताशे उनकी ढीले हैं। विपक्षी दलों पर आरोपों की कंकरिया फिकवा रहे, वादों पर वादों की फुलझड़ीया…
जय जवान हम सब का सलाम, जज्बे को सलाम हिम्मत को सलाम। अपनी तूफानी इरादों से, लगा देते जो दुश्मन पर लगाम। उन शूरवीरोंको हम…
दुर्गा का ले अब अवतार, कर दे मर्दन, तोड़ दे सारे मोह के बंधन। तू ही तो है गृहस्थी का आधार, तेरे बिना घर केवल…
हे प्रभु! करुणानिधि… अब शीघ्र करुणा कीजिए। हम दीन अब किसको पुकारे ! नाथ दर्शन दीजिए। जो पाप थे हमने किए, वह स्वयं ही फल…
प्यार होता ही है गहराइयों में, वरना गहरे पानी में कौन डूबकी लगाता है। तेरी तीखी निगाहों का मिलना, सर्द रातों में भी आतिश मुझे…
जर्रा हूं मैं आकाश नहीं, आकाश तले ही रहने दो। पिंजर हूं कोई मोम नहीं, पत्थर सा मुझे यूं रहने दो। आतिश हूं मैं आफताब…
जरा हूं मैं आकाश नहीं, आकाश तले ही रहने दो। पिंजर हूं कोई मोम नहीं, पत्थर सा मुझे यूं रहने दो। आतिश हूं मैं आफताब…
सहधर्मिणी, वह संगिनी, गृह स्वामिनी वह वह वामांगिनी आर्य पग धरे वह साथ हो,सुखद अनुभूति का अहसास हो। वह स्मिता वह रागिनी वह साध्वी, धर्मचारिणी।…
क्यू कोलाहल से भरा हृदय! सरगम सांसों की धीमी कयू? आंखें पथरायी सी दिखती हैं, पहले सा ना उनमें पानी क्यू? चेहरे पर ना वह…
धुंध का गुबार सी आधी नींद की खुमारी सी इत्र और शराब सी खिल उठे गुलाब सी बादलों में बिजली सी चंदन की महक सी…
स्मृतियां, विस्मृतियां आती नहीं जाती रही। हृदय में कोलाहल मचाती रही। अश्रु मिश्रित सी रातों में, दुख सुख की बदली छाती रही। झंकृत ,अलंकृत सी…
डांटती भी,दुलराती भी। झीकती भी, मुस्काती भी। दिन भर ताना -बाना बुनती, काम में दिनभर उलझी रहती। कढ़ाई में जब छुन -छुन करती गीत कोई…
कलम चलाए बगैर चैन कहां! आंखों के समंदर को स्याही में घोलकर उड़ेले बिना चैन कहां! दफन जज्बातों को उधेड़े बिना चैन कहां! आतिश ए…
तेरा तिरछी नजर से देखते रहना मुझको बेपनाह प्यार की बक्शीश सा लगता है फिर एक ख्वाब आंखों में ठहर जाता है दिल में एक…
तेरा तिरछी नजर से देखते रहना मुझको बेपनाह प्यार की बक्शीश सा लगता है फिर एक ख्वाब आंखों में ठहर जाता है दिल में एक…
प्रकृति की कंदरा पर्वतों घाटियों में विचरों, प्रकृति का संगीत सु नों। खुद मौन हो जाओ, झरने की कलकल पक्षियों का कलरव, जानवरों की अजीबोगरीब…
बुद्धू सा मन चंचल सा यह तन बहका बहका सा लगे सांसो का भी चलन। १. दर्पण बनी तेरी आंखें मेरे सनम सरगोशियां तेरी सीने…
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