(लेख) नारी
आज नारी के पास क्या नहीं है। फिर भी पुरुष उसे अपनों से कमजोर ही समझ रहे है।जबकि,आज हमारी सरकार नारी के प्रति तरह तरह…
आज नारी के पास क्या नहीं है। फिर भी पुरुष उसे अपनों से कमजोर ही समझ रहे है।जबकि,आज हमारी सरकार नारी के प्रति तरह तरह…
कोमल हमेशा अपने माता पिता से डाट फटकार सुना करती थी। जबकि कोमल आठवीं कक्षा के छात्रा थी। पढ़ने लिखने में अपनी क्लास में अव्वल…
गुवाहाटी शहर कर्फ्यू से ग्रस्त था। जहां तहां शोर मची थी। रास्ते पे इन्सान तो क्या जानवर तक चलने में कतराते थे। सारा शहर भयाक्रांत…
रोहन काका फोर्थ ग्रेड की नौकरी करके अपने दो बेटे प्रदीप ,प्रताप एवं बेटी प्रज्ञा को पढ़ाया लिखाया। प्रज्ञा को ग्रैजुएट करने के बाद ही…
मैं उस वक्त हैदराबाद में होटल मैनेजमेंट कर रहा था। एक गरीब माता पिता दो साल की बच्ची को ले कर आया और मुझ से…
एक बूढ़ी औरत, कमर झुकी हुई, एक हाथ में लाठी, दूसरे हाथ में एक छोटी सी गठरी लिए गाँव के पगडंडी पकड़ कर जा रही…
एक तरफ कर्ज तो दूसरी तरफ महामारी करोना। कैसे जिये हम यही कहता है आज सारा ज़माना।। कमाते है हम तब ही दो वक्त की…
चारो तरफ , करोना का क़हर था। सभी लोग भयाक्रांत की आगोश में समाया हुआ था। किसी को किसी से वास्ता नहीं था। लोग एक…
माँ बाप को दु:ख न देना उसने ही तुम्हें चलना सिखाया जिस पैर पर चल कर तुमने कामयाबी हासिल की उसी पैर पर उसने कभी…
खट्टी मीठी यादों से आज उस बेवफा की तस्वीर बनाई। दिल में आ कर देखिए दूर हो गया आज सनम हरजाई।। अक्सर मैं सुना करता…
अब चलें काफी रात हो गई । आपसे मेरी दो बातें हो गई।। वक्त और ठंड के तकाजा है। चलो आप से दीदार तो हो…
गरीब के घर में झांकीए कैसे मनाते है निर्धन दीवाली। मन में उमंगों की पटाखे फोर कर निर्धन ऐसे मनाते है दीवाली ।। दीया है…
हम सब दीप तो जलायेंगे, बाहरी अंधेर को दूर करने के लिए। मगर हम वो दीप कब जलायेंगे मन में छिपे अंधेर को दूर करने…
कहीं दीप जले तो कहीं , गरीब के घर में चूल्हा न जले। हम खुशियाँ मनाते रहे और वो, अंधेरे में माचिस खोजते रहे।। कहीं…
नये कपड़े, नयी उमंग, पटाखे और डिब्बे की मिठाई । गरीबी में पल रहे लाल के किस्मत में कहाँ है भाई ।। दीप जला कर…
हम दीवाली क्या मनाए दीवाली तो करोना ले गए। थी जुस्तजू मुझे भी मगर साल २०२० हमें बर्बाद कर गए।। हमे क्या पता था देश…
कभी कभी दु:ख को गले लगा कर भी जीना पड़ता है। तभी तो सुख से ज्यादा इस जहाँ में दुःख की महता है।। जब तक…
एक दिल कहता है, फिर एक मर्तबा किसी से इश्क़ कर। दूसरा दिल कहता है, ए नादान पुरानी दास्तां से तो डर।।
चल घटा जो हुआ इश्क़ में, शायद अच्छा ही हुआ। कम से कम नादान दिल, तीर ए नजर से तो बचा।।
मुहब्बत में मुकाम तो मिलता है मुकद्दर वालों को। हम बेवजह ही आज़माए अपनी सोए मुकद्दर को।।
एक बहू अपनी सास को हमेशा भला बुरा कहा करती थी। सास चुपचाप रह जाती थी। क्योंकि उसका पति नहीं था। एक बेटा भी था…
कोई उसे जान से भी ज्यादा चाहा था किसी बेवफा को। उसने पल में ही तोड़ दिए सपने हंसते हंसते किसी को।।
ए मेरे दोस्त मुझे यह गम नहीं कि तुम मेरे न हो सके, गम तो इस बात की है कि तुम मुझे कभी समझ न…
आपने भाग १ में पढ़ा – (राम उसे देख कर बुरी तरह से डर गया। वह बांध के नीचे से रास्ते के तरफ आ रहा…
छपरा जिला के सांई गाँव में ग्वालों की घनी आवादी थी। वहाँ के लोग गाय भैंस पाल कर ही अपना घर परिवार चलाते थे। उसी…
रास्ते के पत्थर समझ के, ठोकर मार कर चले गए वो। हम किनारे पे खड़े रहे, किसी के हो कर गुजर गए वो।।
खुद को जला के हम, अपनी प्यास कहाँ बुझा पाए। समंदर भी मुझे देख कर , अपनी धारा बदलती जाए ।।
रावण जलाना ही है तो मन में छिपे रावण को जलाओ। गर तुम से न जले तो सच्चे मन से श्री राम को बुलाओ।।
जब जब धर्म अधर्म के चंगुल में फंसा, तब तब इस धरती पे पुरुषोत्तम का जन्म हुआ। अत्याचार से धरती फटी अधर्म से नील गगन,…
रावण जलाया तो क्या जलाया, दिल के रावण जलाओ तो जाने । तुम्हारी ढकोसला षडयंत्र को हम, अपनी सुरक्षा कवच क्यों माने।।
चलो इश्क़ की दरिया में कूद कर देखते है। सुनता हूँ नीली गहराई का कोई अंत नहीं है।।
एक रास्ता मय़खाने की ओर दूसरा रास्ता शबाब की ओर। उतावला दिल किधर जाए इधर जाए या उधर जाए।।
हम तो गिर कर भी संभल नहीं पाए क्या करें चाहत की डोर ही कुछ ऐसी थी। वो कहते रहे चिंगारी से कभी न खेलना…
लोग कहने है मुहब्बत किसी १ से होता है। क्या इस युग में भी किसी १ से ही होता है।।
कौन कहता है कागज के फूलो से , कभी खुशबू आ नहीं सकती है। मैं कहता हूँ – क्या तुमने कभी, कागज के फूलो पे…
जब हुई आँखों से, अश्कों की बरसात। तब याद है मुझे,थी वो बरसात की रात।।
दिल ले के वो नादान, दग़ाबाज़ी करते चले गए। रेत में हम उनके लिए, महल बनाते चले गए।। हमें क्या पता था, खूबसूरत समंदर की…
दिल फेंक आशिक़, सड़क पे अक्सर मिल ही जाते है। गर बोलो दो मीठी बातें तो, जल्द ही मजनू बन जाते है।।
चारो दिशाओं में आज मतलबी इंसान बसते है। तभी तो आज हमारे मन में नफरत ही पलते है।।
मैं दोस्तों के अंजुमन में, अर्शे बाद आया हूँ। खुद को थाम लीजिए मैं फिर वही दिल लाया हूँ।।
जब जब ज़ुल्म की जलजले इस ज़मीन पे फन फैलाया। तब तब इन्सान की इंसानियत खून की आँसू ही रोया।।
बचपन में खेल का तकाजा, जवानी में मौसम के तकाजा तो बुढ़ापे में उम्र की तकाजा ।। जब आ जाए अंतिम घड़ी , उठ जाता…
तुम हर मर्तबा यही कहते हो, इश्क़ बुरी लत है। चुपके चुपके दिल चुरा लेना,ए कौन सा लत है।।
अश्क़ बहा के भी उस बेवफा को मैं अपना न सका। उनको खबर थी मेरी हालत फिर भी वो बेखबर रहा।।
(भाग दो में आपने पढ़ा – रुपा अपने पति के पेट की आग बुझाने के लिए खुद को दिलचंद के हाथों बिकने के लिए तैयार…
अरे पागल आशिक़ बस इतने में ही तुम घबड़ा गए। ज़ुल्म के दौड़ आया ही नहीं तुम अभी से घबड़ा गए।।
प्यार भी करती हो ज़माने से भी डरती हो। गर दम नहीं है तो दो नाव पे क्यों चढ़ती हो।।
चलो हम तुम इश्क़ फरमाते है। ज़माना यों ही जल जल मरते हैं।।
इश्क़ हम करते कहाँ है ए दिल ही फिसल जाता है। दिल को क्या समझाएं जब देखो बर्बाद हो जाता है।।
ए अमित इश्क़ भी क्या बीमारी हैं। इश्क़ पे वश न हमारी है न तुम्हारी है।।
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.