बीते कल
ए हमजोली जरा बता तो सही कहाँ गए वो दिन । रह नहीं पाते थे कभी हम एक दूसरे के बिन।। वो कसमे वादे वो…
ए हमजोली जरा बता तो सही कहाँ गए वो दिन । रह नहीं पाते थे कभी हम एक दूसरे के बिन।। वो कसमे वादे वो…
पत्थर को पत्थर से मारे तो क्या मारे ए दीवाने । दिल को जरा शीशे बना कर वार करो तो जाने।।
बेवफाई के बाजार में ए दोस्त वफाई नहीं मिलती। सब है यहाँ धोखेबाज़ कोई प्रेम कली खिलती तो कैसे खिलती ।।
एक दिन दिल ने जब कहा , वहाँ दग़ाबाज़ों का बसेरा है। नादान चाहत से तब मैं कहा , संभल वहाँ जरूर कोई सपेरा है।।
कर ले ख्वाईश पुरी जो आज तुम्हारे दिल में है। क्या पता कल मैं रहूं या न रहूं ए किसने देखा है।।
चलो हम फिर नारी पे, एक सुंदर कविता रचे। नारी जीवन से प्रेरित रचना ही कविता में सजे।।
मेरी मुहब्बत को उसने भरी महफिल में तमाशा बना दिया। मैने जब दी उसे तोहफ़ा, तब उसने ज़हरीली मुस्कान लेती हुई मेरे मुंह पे फेंक…
हम तो आपकी चाहत में , फ़लक से सितारे तोड़ कर लाए है । जरा चाँद से हो गई है नाराजगी, बस यही आपसे कहने…
नाउम्मीदी से अश्क का गहरा रिश्ता है। तभी तो बने है वो आज का फरिश्ता।।
पत्थर समझ के ए ज़माना, मुझे ठोकर पे ठोकर न मार। कभी कभार पत्थर भी बन जाता है तलवार की धार।।
गंगा स्वच्छ है तो देश स्वच्छ है। यानी नारी ही देश की गंगा है।। इनके ही पवित्रता से । हर दिन नया प्रभात उगा है…
हमने ज़माने से पूछा मैं बदनामी का बहुत बड़ा धब्बा हूँ क्या आपके शहर में पनाह मिलेगा मैं उम्मीद की कश्ती पे सेहरा बांध के…
नारी के अनेक रुप मिले। इसलिए पुरुष नारी से जले।।
वक्त के सिकन्दर से पूछो दोस्त कितनी ताक़त है वक्त में । ठोकरें खा के भी वक्त को झुकने नहीं दिया इस ज़माने में।।
गम की दरिया में मुझे दरियादिली नहीं मिला। जो भी मिला सब एहसान फ़रामोश ही मिला।।
चले थे मेरे साथ साजन घर से यह कह के। निभाएंगे साथ हम रिश्ते है सौ जन्म के।। थक गए है आज कुछ ही दूर…
जब जब मैं कलम उठाना चाहा हसीन शेर लिखने के लिए उसने कहा लगता है मैं हो जाउंगी बदनाम शायद तुम्हारे लिए मैं चाह के…
फिर वही ढलती गोधूलि मन में एक एहसास जगा दिया। नादान था दिल, बिना सोचे दिल दग़ाबाज़ को दे दिया।।
हम दो जिस्म एक जान हो कर भी ज़माने को हम कहाँ झुका पाए आज फिर ज़माना मुहब्बत पे भारी पड़ी आखिरी बार भी तुम्हें…
ए कविता चल आज कवियों के अंजुमन में। शायद दीदार के क़ाबिल हो जाए उनके अंजुमन में।।
युग युग से तू ,आंसू बहाती आई पुरुष के अधीन तू, सदा रहती आई अपने घर, अपने बच्चो के लिए युग युग से तू ,मर…
कौन कहता है, पुरुषों के जीवन में रौशनी नहीं है। उनकी अर्धांगिनी की बिंदिया क्या रौशनी से कम है।।
ए दोस्त सोचो,अगर राह में रोड़े न होते। जीवन के परिभाषा, हम कैसे समझ पाते।। यही रोड़े सभी को जीवन धारा बदल दिया। वरना संसार…
युग युग से नारी पुरुष के हाथों, छलती आई। तभी तो नारी आज की साक्षात देवी कहलाई ।। —प्रधुम्न अमित
यदि नारी से निर्माण हुआ है नया संसार। फिर क्यों नारी पे हुआ घोर अत्याचार।। हम कहते है नारी होती है ममता के सागर। फिर…
अनजान बन कर चैन से जीने वाले । तू क्या जाने कौन गोरा कौन काले।।
मुद्दत बाद आज ही नहाया हू़ँ अपने अश्क ए तालाब में। कहीं कोई काली नैनो़ से देखा तो नहीं मुझे नहाते हुए।।
पागल पुकारो आवारा पुकारो या तुम दीवाना पुकारो। जो भी पुकारो जरा प्यार से अपना कह कर पुकारो।।
आँखों से हुई थी अश्कों की बरसात। याद है मुझे वो थी बरसात की रात ।।
हम वो शख्स नहीं जो, गड़े मुर्दे को भी कब्र में सोने न दे। मुद्दत बाद नींद आयी है कम से कम कुछ पल सोने…
हमने दर्द को दावत दे दिया अपनी गुलिस्ताँ में। देखें क्या रंग लाती है इन अमीरों के अंजुमन में।।
आ सनम तुझे मैं आज, अपनी इन गेसूओं में छुपा लूं। ए आँखें बंद होने से पहले, मैं तुझे आँखों में बसा लूं।।
जिसने परखा औरत के दर्द। वही कहलाया जवां एक मर्द।। भाई ताक़त से नहीं जाना जाता। उसे उसका हक़ दो तो ही मर्द।। हुकूमत की…
इनायत की थी मैने कोई शिकायत नहीं। बेवजह कह गए वो आपसे कोई रिश्ता नहीं।।
मंजिल दूर है “राहत “, फिर भी इरादे बुलंद है। इसलिए तो आज भी मेहनत ज़िंदाबाद है।।
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- रवि के उजाले में हम तिरंगा लहरायेगें वीर जवानों की गाथा फिर से हम दोहरायेंगे दो मिनट का मौन रखकर…
दिल का मचलना बार बार हिचकी पे हिचकी आना। बता “राहत ” किधर जाना इधर जाना या उधर जाना।।
खत्म हुआ खेल मुहब्बत का। गिर गया पर्दा मेरे अंजुमन का।।
रवि के उजाले में हम तिरंगा लहरायेंगे। वीर जवानो के गाथा फिर से हम दोहरायेंगे।। दो मिनट के मौन रख कर हम एक साथ। इंकलाब…
अपना देश कितना सुंदर कितना प्यारा। हर देश से प्यारा देश हिन्दुस्तान हमारा।। हिन्दी है हम हिन्दी ही मेरा परम धरम। इसलिए तो गर्व करे…
हसीन अदा इनके अंग अंग में, अल्हड़पन सी लगती भली है। माना इन पर चढ़ी नही जवानी, फिर भी यह नाजुक कली है।।
जब देश में रंगा बसंती चोला था। तब अंग्रेजी शासन भी डोला था।। महासंग्राम की जब आई घड़ी। सभी के दिलो में तब, शोला ही…
हमारा आन तिरंगा है, हमारा बान तिरंगा है। हमारा शान तिरंगा है, हमारा जान तिरंगा है।। हमारा धर्म तिरंगा है, हमारा कर्म तिरंगा है। हमारा…
मैने वो तस्वीर फाड़ दी जिस तस्वीर को देख कर, हम कभी बेहतरीन ग़ज़ल लिख लिया करते थे। हकिक़त जब सामने आई तस्वीर को जोडना…
कभी माँ का प्यार तो कभी बहन का प्यार। यही प्यार के रिश्ते में बना है हमारा घर संसार।। काश!!! यह पवित्र रिश्ते हम में…
हुस्न के बाजार में ए “मीर” हम चले थे, अपने जख़्म के मरहम खोजने के लिए। किसी ने जहरीली मुस्कान लिए कहा, अमीर संग कीड़े…
चिड़ी के गुलाम था ए दोस्त गेसुओं के कैद में। उसे क्या पता था डसेगी नागिन चाँदनी रात में।।
ए ग़ालिब चल कल आते हैं। शायद आज मुहब्बत बंद है।।
सावन में ए सखी, खनके क्यों कँगना। कोयलिया गीत सुनाए ,क्यों मेरे घर अँगना।। बार बार दिल धड़काए, प्यास जगाए। जाने क्या करेगी, मेरी नादान…
सावन में ए सखी, खनके क्यों कँगना। कोयलिया गीत सुनाए ,क्यों मेरे घर अँगना।। बार बार दिल धड़काए, प्यास जगाए। जाने क्या करेगी, मेरी नादान…
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