आज भूल गई

ताज्जुब है तुम्हारी यादाश्त पर सारी बातें कैसे याद रहती हैं तुम्हें यही सोचती हूं मैं आजकल क्योंकि मैंने तुम्हें कल लफ्ज़ लफ्ज़ याद किया…

बादल

बादल राजस्थान की सूखी जमीन की तरह लग रहे थे मगर फिर भी बरसात हो गई मेरा मन हरा-भरा था फिर भी रो ना सका..

गैंग रेप**

बारी-बारी लूटा मुझको बारी-बारी रौंदा नारी होने पर बेबस थी खत्म हो गया जीवन का औधा ना..री…ना रो एक दिन मिलेगा तुझको इन्साफ सबने यही…

दुःखी आत्मा….!!

निस्तेज-सी स्तब्ध-सी असहाय-सी अधूरी-सी निर्वेद-सी बैठी थी.. दुनिया की सबसे दुःखी आत्मा मैं ही थी… आपा खोकर भी मौन थी तुमसे दो टूक करने के…

मन के कोंण*******

************* हे आराध्य प्रेम ! आज मैं तुम्हें प्रणाम करती हूँ क्योंकि तुम ही हो जिसने मुझे जैविक से सामाजिक प्राणी बनाया मेरे अन्तस में…

आत्मनिर्भर बन

शिक्षा की खदानें बंद करो डिग्री बेचने वाली दुकानें बंद करो छात्रों को डालो जेलों में शिक्षकों की तनख्वाहें बंद करो ना लूटो हमको शिक्षा…

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