भावनाओं को ठेस
यूं तो हम किसी की बात का बुरा इतनी जल्दी नहीं मानते पर दिल ही तो है भावनाओं को ठेस पहुंचेगी तो दिल रो ही…
यूं तो हम किसी की बात का बुरा इतनी जल्दी नहीं मानते पर दिल ही तो है भावनाओं को ठेस पहुंचेगी तो दिल रो ही…
कितने करीने से सजा कर रखती हूं मैं तुम्हारी यादों को दिल की अलमारी में! और तुम आकर सब एक पल में बिखेर देते हो…
ताज्जुब है तुम्हारी यादाश्त पर सारी बातें कैसे याद रहती हैं तुम्हें यही सोचती हूं मैं आजकल क्योंकि मैंने तुम्हें कल लफ्ज़ लफ्ज़ याद किया…
आज बड़े दिनों बाद बात की उनसे दिल में ठंडक सी उतर आई गुजरे जमाने की सारी बातें एक-एक करके मस्तक पटल पर खुलने लगी…
दीवानो की तरह हम उन्हें चाहते हैं वो हमें नखरे हजार दिखाते हैं…
कब तक रहोगे यूं मायूस तुम ! जब आयेगे दुल्हन बनकर तो कहाँ जाओगे रूबरू होंगे जब हम तुम्हारे तो बाहुपाश में आ ही जाओगे…
सितारों से आसमान सजा हुआ है पर चाँद फिर भी तन्हा है भीड़ है मेरे आसपास रिश्तों की मगर जाने क्यों दिल उदास है !!
वो कुछ कहते नहीं आजकल बड़ा गुमसुम से रहते हैं लोग कहते हैं अवसाद के शिकार हो गये हैं..
बादल राजस्थान की सूखी जमीन की तरह लग रहे थे मगर फिर भी बरसात हो गई मेरा मन हरा-भरा था फिर भी रो ना सका..
खुशियों की चाबी होती हैं बेटियां घर की लक्ष्मी होती हैं बेटिया खिलखिला कर सारे गम हर लेती हैं मुस्कान की तिजोरी होती हैं बेटियां
राह में काँटे बिछाना काम है उसका मेरे दिल को दुःखाना काम है उसका मैं हँस देती हूँ जो जरा-सा देखकर उसको मेरी हँसी से…
उदासी का आलम इस कदर छाया है रूबरू मेरे एक धुंध छाया है हौसले पंख लगा के उड़ने को तैयार हैं पर मेरे पंखों को…
रात होते ही गुलाबी सपने घेर लेते हैं हम आँख बंद करते हैं तो मुह फेर लेते हैं….
जिन्दगी जब सोचने बैठती है कितने अफसाने याद आते हैं रो नहीं पाती हैं आँखें आजकल अश्क आँखों में ही जम जाते हैं
इल्जाम हमीं पर लगा देते हो मोहब्बत का पर शुरुआत तुमने ही की थी हसीन कितने हो ये जानते नहीं क्या ! दिल में दस्तक…
नन्ही-सी परी मेरी लाडली अब बड़ी हो गई बैग लेकर स्कूल पढ़ने जाने लगी हाथों में कॉपी पेन लेकर लिखने लगी अंग्रेजी में कविता सुनाने…
अभिव्यक्ति बस दिल से:- ************** रोते नहीं हैं हम बस सिसकते रहते हैं तेरी यादों में आहें हम भरते रहते हैं नासमझ है तू जो…
अभिव्यक्ति बस दिल से:- *************** गुजारी हैं तमाम रातें हमने तेरे बगैर ये तो छोटी-सी जिंदगी है ! गुजर जाएगी…
यूं तो आसमां पर नहीं ठिकाना अपना फिर भी हौसलों के पंख लिये जा रहे हैं उड़ना नहीं आता मगर ना जाने कैसे उड़ते जा…
दिनकर ऐसा सूर्य है जिसने हिन्दी जगत को अपनी लेखनी की किरणों से चमकाया देशहित में लिखकर देश का गौरव खूब बढ़ाया जिनके सूर्यातप के…
ड्रग्स रैकेट से देश होता जा रहा है छिन्न-भिन्न कहाँ से शुरू हुई थी सुशांत की कहानी जाकर कहाँ पहुँची सितारों की जिन्दगानी मर रहा…
एक दौर हुआ करता था जब नित वंदन करता था नन्दन.. पिता के चरण दबाकर ही शयनकक्ष में जाता था नित उठकर मात-पिता को अभिनन्दन…
बारी-बारी लूटा मुझको बारी-बारी रौंदा नारी होने पर बेबस थी खत्म हो गया जीवन का औधा ना..री…ना रो एक दिन मिलेगा तुझको इन्साफ सबने यही…
किसी के लिए दोस्त फरिश्ते हैं किसी के लिए जिन्दगी जीने का बहाना मेरे लिए सिर्फ आस्तीन का सांप हैं नहीं है दिल में अब…
क्यों जताया जाता है प्रतिपल मैं दूसरे घर की लक्ष्मी हूँ हूं कुछ दिनों की मेहमान क्यों कहा जाता है हर पल यह एहसास होता…
**************** मेरी किस्मत रंगी है काले रंग में दर्द ही है जीवन के हर अंग में.. आँसुओं की लकीरें कभी मिटती नहीं बल्कि और गहरा…
निस्तेज-सी स्तब्ध-सी असहाय-सी अधूरी-सी निर्वेद-सी बैठी थी.. दुनिया की सबसे दुःखी आत्मा मैं ही थी… आपा खोकर भी मौन थी तुमसे दो टूक करने के…
मेरी जिंदगी की एक शाम थी मैं घर जा रही थी कोई नहीं था साथ में अकेली ही आ रही थी.. कुछ मनचले पीछा कर…
जीवन के पहले प्रभात में ली मैंने अंगड़ाई बाल्यकाल था बीता किशोरावस्था की बेला आई.. रोंक-टोंक थी ज्यादा मुझ पर समझ नहीं मैं पाती थी…
वो हर कदम साथ देती थी मेरा, चाहे जितनी मुसीबतों ने हो घेरा.. हर मन्दिर में मेरी सलामती की दुआ मांगती थी, मैं बन जाऊं…
ख्वाहिशों की बदलियां छटने लगी हैं आजकल मुहब्बत की रेत फिसलने लगी है आजकल काजल आँखों का दुश्मन बन बैठा है मेहंदी से भी अब…
जा रहा हूँ आज फिर परदेश जहाँ से आया था धर प्रवासी मजदूर का वेश छोंड़ी थी जो गलियां यह सोंचकर मैंने के कभी ना…
आज भी माँ की गोद में सिर रखकर सो लेता हूँ होता हूँ उदास कभी तो लिपटकर रो लेता हूँ माँ को गुजरे जमाने हुए…
************* हे आराध्य प्रेम ! आज मैं तुम्हें प्रणाम करती हूँ क्योंकि तुम ही हो जिसने मुझे जैविक से सामाजिक प्राणी बनाया मेरे अन्तस में…
हे हिमाद्रि ! सदियों से जब मैं नहीं थी तब भी तुम यूँ ही अडिग खड़े थे और आज भी एक इंच तक ना हटे…
कब तलक निगाहें यूँ चुराओगे है यकीन एक दिन तो पास आओगे..
मेरे होंठों की मुस्कान पर ना जाओ दोस्तों! ये तो मेरे यार की तरह फरेबी है! मेरे आँसू हैं मेरी असली पहचान जो बंद कमरे…
मेरे जीवन की कहानी दुःख ही रही आखिर क्या लिखूँ आज जो अभी तक मैंने लिखा नहीं… विधाता ने मेरे भाग्य में आँसुओं के सिवा…
खोखलापन है तुम्हारी बातों में अब ना रही तेरे लिए मेरे दिल में वो जगह ! जो हुआ करती थी पिछली बरसातों में..
वो कहते हैं तुम्हारी कविता में भाव नहीं हैं मैं क्या जवाब दूं जब दिल ही नहीं हैं !!
कल रात मैंने अपने आईने से कहा- आजकल मैं बहुत अच्छा लिखने लगी हूँ सब कहते हैं.. आईने ने कहा दिल जो टूट गया ना…
कबूतर को भेजूं अब वो जमाना नहीं रहा खुद जाकर मिलूं यह सम्भव नहीं रहा कितने खत लिखे हैं उसके लिए मैंने डाकिया कहता है…
यूँ ही सिलसिला चलता रहा कभी मैं कभी वो रूठता रहा टूटने लगे दिल बेतहाशा मगर इश्क आँच पर पकता रहा..
दूध के दाँत पालने में ही टूट गये गरीबी का थप्पड़ इतनी जोर से पड़ा लाद दी जिम्मेदारी की पोटली कंधों पर बचपन के खिलौने…
शिक्षा की खदानें बंद करो डिग्री बेचने वाली दुकानें बंद करो छात्रों को डालो जेलों में शिक्षकों की तनख्वाहें बंद करो ना लूटो हमको शिक्षा…
करुण रस की कविता:- ***************** जिसने हमको प्यार किया मेरी राह में सुबहो से शाम किया ना कद्र की हमनें एक पल भी उसकी अपशब्दों…
गिले-शिकवे जरा कम कर दिये हमनें जब से वो दूजी गली जाने लगे वो हमसे दूर रहकर खुश रहेंगे इसलिए हम ये दुनिया छोड़ आज…
रोम-रोम में बसी हमारे हिंदी राजभाषा है बन जाए यह राष्ट्रभाषा इस जीवन की यह आशा है हिंदी है परिपक्व, परिपूर्ण हिंदी ही ममता-सी निर्मल…
हिंदी दिवस:- चौदह दिसंबर को हर वर्ष हिंदी दिवस मनाया जाता है उसी दिन क्यों हिंदी को सम्मान दिलाया जाता है हिंदी तो ऐसे ही…
अभिव्यक्ति ह्रदय से:- +++++++++++++ आज तोड़ दिया तुमने मेरा टूटा हुआ दिल ! ऐसा लग रहा है जैसे सीने पर एक पत्थर-सा रखा है मेरे।…
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