मुक्तक 35

April 28, 2016 in शेर-ओ-शायरी

समंदर तेज हो, तीखी हवा हो, पतवार छोटी हो,
अगर तुम साथ हो मेरे , परवाह कौन करता है .

…atr

मुक्तक 33

April 28, 2016 in शेर-ओ-शायरी

मोहब्बत में जो मैंने की मोहब्बत से बहुत बातें ,
लबों पर रख के वो बोले बहुत बोला नहीं करते .

…atr

मुक्तक 34

April 28, 2016 in शेर-ओ-शायरी

मोहब्बत में चराग़ों से उजाले हुआ नहीं करते ,
दिलों में आग लगती है,जहाँ रंगीन दिखता है .
…atr

नींद

April 25, 2016 in शेर-ओ-शायरी

बड़ी बेदर्द सी रातें है काफ़ी सुन के सोता हूँ,
जहाँ तुम याद आती हो , वहीं चुपके से रोता हूँ|
ये रोने और सोने का नहीं है सिलसिला लेकिन ,
कहीं जब दर्द आँखों में चढ़े तब नींद आती है |

…atr

kafi is a raag of midnight in Indian classical music

6902855-sea-water-hd

तुम्हारा अक्स

October 17, 2015 in ग़ज़ल

तुम्हारे अक्स से दुनिया है रोशन ,

सुना है चाँद की तू चांदनी है .

सलीका प्रेम में अब क्या करेगा ,

नज़र को अब के माफ़ी मिल चुकी है .

ज़रा अब दर्द से नहला दो मुझको,

वफ़ा की धूल काफी चढ़ चुकी है .

समंदर अब के पानी मांगता है , 

सुना है प्यास उसकी बढ़ चुकी है .

कहीं पर मीर ने देखा है तुझको ,

चमक चेहरे के उसकी बढ़ चुकी है.

…atr

Glasses-of-wine-002

मेरे साकी

October 15, 2015 in ग़ज़ल

तुम्हारी चाह ही मंज़िल हमारी ए मेरे साकी,
ज़रा अब तो पिला दे न , तमन्ना अब भी है बाक़ी.
मेरे साकी तेरे आँखों की मदिरा क्या बताऊँ मैं,
फ़क़त आँखों से चढ़ती है ,मगर दिल तक उतरती है ,
उतरना फिर भी वाज़िब था मगर अब ये लगा है कि,
उतरकर भी ये चढ़ती है , और चढ़ के फिर उतरती है .

 

…atrGlasses-of-wine-002

नुक्कड़ पर

October 12, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज गलियां कुछ सूनी सी है ,

पथिक कम जाते हैं.

गलियों के नुक्कड़ पर

बैठा मैं कुछ सोचता हूँ .

पर क्या क्या जीवन भी पथिक है ,

कभी रुकता कभी चलता है

लेकिन आज उदासी क्यों है ,

लोग डरे सहमे से हैं ,

कारन जान नहीं पाता हूँ ,

कुछ लोगो के नजदीक जाता हूँ,

जो चर्चा कर रहें है किसी बारे  में ,

पूछता हुँ चलकर क्या है  ,

जाता हूँ तो चुप हो जाते है सब …

…atr

https://www.facebook.com/atripathiatr

छुपा है चाँद बदली में…

October 6, 2015 in ग़ज़ल

छुपा है चाँद बदली में ,अमावस आ गयी है क्या?
नहीं देखा कभी जिसको वही शर्मा गयी है क्या?
मिलन की रात में ये घुप्प अँधेरा क्यों सताता है ?
वो मेरा और उसका छुप छुपाना याद आता है..
अभी तो थी फ़िज़ा महकी , क़यामत आ गयी है क्या?

कभी वो थी कभी मैं था, कभी चंचल चमकती रात,
 न वो कहती ,न मैं कहता मगर आँखे थी करती बात..
जिन आँखों में हया भी थी,कज़ा अब आ गयी है क्या?

वो नदियों के किनारो पर जहाँ जाता था मिलने को,
वो नदियां है क्यों प्यासी सी, बुलाती है बुलाने को,
उन्ही नदियों की रहो में रुकावट आ गयी है क्या?

नहीं देखा कभी जिसको वही शर्मा गयी है क्या?
    …atr

मृत्यु : परम सत्य

September 27, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

here is some para frm my long work describing the truth “death”.. hope u all ll like ..

वेदो  की  वाणी  भूल  गयी ,ममता  माया  सब  छूट  गयी ..
तैयार  लगा  होने  अब  तो  प्रियतम  के  घर  को  जाने  को
लो  आज  चली  आई  मृत्यु  हमको  निज  गोद  उठाने  को …
संघर्ष किया  था  जीवन  भर  किस  किस  से  लड़ा  किस  किस  को  छला
अब  तो  निज  की  सुध  भी  भूली  कर  सकते  है  क्या  और  भला ‘
जीवन  भर  पथ  में  कांटे  थे  जो  हमने  सबको  बाटे  थे
सब  छल  था  प्रभु  की   माया  थी , है  परम  सत्य  ये  पाने  को
लो  आज …
मैं शांत  पड़ा  निश्छलता  से  पोषित  क्यों  आज  ह्रदय  होता
सुख  देख  कभी  मुस्कान   भरी  ,दुःख  देख  कभी  था  मैं  रोता
अब  हँसना  रोना  भूल  गया  बस अंतिम  याद  है  आने  को
लो  आज ….
जिसको  जीवन  भर  माना  था  जिसको  हमने  पहचाना  था
जिसको  था  कहा  ये  मेरा  है  ,जिस  जिस  को  कहा  बेगाना  था
सब  आज  पराये  ही  लगते  जो  अपना  है  वो  आने  को
लो  आज …
न  द्रोण  युधिष्ठिर  की  भाषा   न  भीष्म  पितामह  का  मंचन ‘
न  अर्जुन  का  वह  शोक  रहा  न  द्वेषित  है  अब  कौरव  गण
सब  शांत  पड़े  निःशांत पड़े ,उस  चाह  में  जो  है  होने  को ‘
लो  आज …
ये  वही  मृत्यु  है  प्राणप्रिये  जिसने  रावण  को  अपनाया
सम्मान  कर्ण  का   किया  प्रिये  जो  वो  न  जीवन  भर  पाया
उस  कंस  दुस्शाशन  के  घर  पे  जो  आई  थी  आलिंगन  को ‘
लो  आज  …
कवि  अपनी  कविता  भूल  गया ,योगी   उच्छ्वास  न  ले  पाया
छूटा  धनु  तीर  धनुर्धर  से ,न  भीम  गदा  लहरा  पाया
प्रेमी  ही  प्रियतम  भूल  गया  ,जब  साँस  रहेगी  जाने  को ‘
लो  आज …
ये  जीवन  सुन  के  शर्म   करो  क्या  तेरा  मेरा  नाता  था
था  साथ  बहुत  तेरा  मेरा  दस  बीस  सैकड़ो  सालों  का
अपना  पाया  न  फिर  भी  तू  ,अब  साथ  तुम्हारा  छूट रहा ,
एक  पल  में  अपना  लेगी  वो  अपने  घर  को  ले  जाने  को
लो  आज …
न  होली  की  है  चाह  मुझे  न  दीपो  की  अभिलाषा  है
या  क्या  होगा  अब  आगे  डर  इसका  भी  मुझे  न  सताता  है
चिंता  भूली  भय  भूल  गया  तैयार  हुई  अपनाने  को
लो  आज …
है  अजेय  ये  कभी  न  हारी  जीत  चुकी  है  दुनिया  सारी
रवि  भी  इसके  आगे  निर्बल  ,धरा  से  भी  बाजी  मारी
संगीत  नृत्य  सब  कला  ग्रन्थ  है  क्रोध  में  ही  जल  जाने  को
लो  आज …

..continued

…atr

कल्पना

September 24, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

expecting ur reviews and kind attention with ur graceful words ..

जब धरा उठ कर बने आकाश तो अच्छा लगे ,
जब मही की तृप्ति को बादल करे बरसात तो अच्छा लगे.

है अँधेरा, धुंध सा है,राह पथरीली बहुत ,
इस घुटन को चीर कर लूँ साँस तो अच्छा लगे.

मन शांत हो, जिज्ञाशु बुद्धि , और दया संचार हो,
भीड़ से उठकर कोई बोले “शाबास “तो अच्छा लगे .

खोज हो जब सत्य की , और धर्म  का संधान हो ,
शक्ति और क्षमता करें सहवास तो अच्छा लगे .

हो यहाँ प्रज्ञा अकल्पित , प्रेम का संगीत हो ,
धैर्य और साहस पर , हो अटल विश्वास तो अच्छा लगे .

हर कदम पर ,हर शहर में , हर ग़ज़ल हर गीत में ,
हो जहाँ भी मीर तेरी बात तो अच्छा लगे ..
…atr

#feel_it

ख़ामोशी

September 23, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

चुप रहता हूँ आजकल ,

कम बोलने लगा .

देख लिया दुनिया को मैंने ,

 जान लिया सच्चाई को .

अब दिल बरबस रो पड़ता है,

इस झूठी तन्हाई पर .

इस ख़ामोशी को तुम क्या जानो ,

पाया कितनी मुद्दत बाद .

अब तो सन्नाटे की भी आवाज़ सुनाई देती है ,

कितना सुन्दर आँखों को दुनिया दिखलाई देती है .

चुप हो जाओ , चुप रहने दो , 

कुछ न कहूँगा आज के बाद .

ख़ामोशी कितनी प्यारी है , चादर लेके चुपके चुपके 

मीठी सी गहराई में , सोने की इच्छा है बस 

जी  भर के मुझको सो लेने दो , जाने दो ख़ामोशी से

  …atr

in your love

September 22, 2015 in English Poetry

Sometimes when there is evening ,

Come into my  heart .

you bother me sometimes,

somtimes you make me cry .

 

Your name in my heart ,

had been written over the centuries ,

aspire to your love ,

MEER  would be God ..

…atr

मेरी याद आएगी

September 22, 2015 in ग़ज़ल

क़भी जब गिर के सम्भ्लोंगे  तो मेरी याद आएगी ,

कभी जब फिर से बहकोगे  तो मेरी याद आएगी।

वो गलियां , वो बगीचे ,वो शहर ,वो घर ,

कभी गुजरोगे जब उनसे तो मेरी याद आयेगी।

वो कन्धा मीर का तकिया तुम्हारा वस्ल में जो था,

कभी जब नींद में होगे तो मेरी याद  आएगी।

मुझे है याद वो पत्थर कि जिनसे घर बनाया था ,

आँखों ही आँखों से जहाँ सपना सजाया था ,

मुझे है याद वो आँखे, वो बातें और वो सपना,

कभी उस घर से गुजरोगे तो मेरी याद आएगी।

क़भी जब गिर के सम्भ्लोंगे तो मेरी याद आएगी।

कभी जब फिर से बहकोगे तो मेरी याद आएगी।

…atr

मुक्तक 32

September 18, 2015 in शेर-ओ-शायरी

हवाओं  की नज़र से देखता हूँ मीर मैं तुझको ,

कि छूकर पास से निकलूं और तुझको खबर न हो .

ये दिल पत्तों सा हिलता है तेरी यादों के आने से,,

कभी तो झूम के बरसेगा सावन उम्मीद बाक़ी है .

…atr

मुक्तक 31

September 15, 2015 in शेर-ओ-शायरी

दिल  के आइने में मीर तेरा अक्श देखूंगा ,

कभी सोचा नहीं था तुमपे इतना प्यार आएगा .

…atr

मुक्तक 30

September 15, 2015 in शेर-ओ-शायरी

तेरे  जाने  से सब  ये सोचते  है मैं अकेला  हूँ  ,

उन्हें  शायद खबर न हो कि तेरी याद  बाक़ी है .

मैं तनहा कैसे समझूँ मीर इन ख़ाली मकानों को ,

तेरे और मेरे प्रेम का वो सहज संवाद बाक़ी है. .

…atr

ये गीत मेरे

September 11, 2015 in गीत

नैनो के सूखे मेघो से मैं आज अगर बरसात करूँ ,
हल करुँ ज़मीन ए दिल में मैं नीर कहाँ से मगर भरूँ?
है सूख चुका अब नेत्र कूप न मन का उहापोह बचा ,
न मेघ रहा न सावन है ,मिट गया जो कुछ था पास बचा .
एक बार हौसला करके मैंने बीज प्रेम के बोये थे ,
न मौसम ने रखवाली की ,सावन ने पात न धोये थे .
अब न मन है , न मौसम है ,न उर्वर क्षमता धरती की ,
न नैनो में अब पानी है ,न दिल में इच्छा खेती की .
रोते है मेघ और कूप सभी ,करता विलाप अब ये मन है ,
फिर भी न आंसू गिरते है ,न नैनो में इतना दम है .
अब बस अंधियारी रातो का यह निपट घना सन्नाटा है ,
दिल रोता है , मैं लिखता हूँ ,जीवन से पल का नाता है .
मैं जाऊँ पर ये गीत मेरे ,फिर किसी जमीन ए बंज़र में ,
मेघ बने ,बरसात करे ,फिर किसी अकालिक मंज़र में …

…atr

मुक्तक 28

September 11, 2015 in शेर-ओ-शायरी

जवां दिल था , जवां धड़कन , जवां सांसे , जवां मन था ,

मगर बस मीर इतना था, जहाँ वो थी वहां मन था ..

…atr

बस्ती प्यार की

September 11, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

कहीं आसूं  की बारिश थी ,कहीं यादों का झोंका था,

जिसे देखा था बस्ती में वही दिन रात रोता था .

नगर था प्यार का , उजड़ा था गुलशन , शाम ख़ाली थी,

रहूँ कैसे वहां मैं मीर , जहाँ बस ख्वाब सोता था ..

…atr

मुक्तक 29

July 31, 2015 in शेर-ओ-शायरी

ढूंढा जिसे गली में, शहरा में शाम में ,

दीदार उसका हो गया बस एक ज़ाम में.

…atr

मुक्तक 27

July 31, 2015 in शेर-ओ-शायरी

तमाम गुलाबो की खुश्बू है तेरे इकरार में साकी ,

कही ऐसा न हो मैं खुश्बुओं की चाह ही रख लू..

…atr

मुक्तक 26

July 31, 2015 in शेर-ओ-शायरी

तेरी आँखों से पीनी है, मुझे अब रात भर साकी ,

ज़रा अब फिर पिला दे न , तमन्ना अब भी है बाक़ी.

…atr

मुक्तक 25

July 31, 2015 in शेर-ओ-शायरी

ख़ुदा ने क्या दिया तुमको, ख़ुदा ने क्या दिया हमको,

की तू है हुस्न की मल्लिका , औ मुझको आशिकी दे दी ..

 

 

…atr

 

मैं प्यार दूंगा .

July 31, 2015 in ग़ज़ल

भुला सकोगे न तुम कभी भी ,

की  तुमको इतना मैं प्यार दूंगा .

जो होगा चुलमन वो  होंगी  आँखे ,

उसी से तुमको निहार लूंगा .

मगर रहे याद तुम्हे सदा ये,

 उसी में नज़रें उतार लूंगा .

तू मेरा साकी मैं रिन्द तेरा, 

ये मयकदा ही तेरा बसेरा ,

पिला कभी तो मेरे हमनफ़स ,

तुम्हारे दर पे खड़ा हु बेबश ,

नज़र न फेरो , पिला के जाओ,

कसम है दिल में उतार लूंगा ..

भुला सकोगे न तुम कभी भी,

की तुमको इतना मैं प्यार दूंगा..

…atr

मुक्तक 24

July 29, 2015 in शेर-ओ-शायरी

खबर मेरी यहाँ पर पूछते क्या हो एहसास ,

जरा एक बार मेरे मकान से  गुजरो.

तुम्हे मालूम होगा इश्क़ में क्या क्या लुटाते हैं,

कभी एक बार इस इम्तिहान से गुजरो. .

…atr

मुक्तक 23

July 29, 2015 in शेर-ओ-शायरी

किया है प्यार छुप छुप कर खुदाया , दिल्लगी न की ,

जमाना ढोंग कहता है हमारे प्यार को साकी .

…atr

नज़र ..

July 27, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्रेम  होता  दिलों  से  है फंसती  नज़र ,

एक तुम्हारी नज़र , एक हमारी नज़र,

जब तुम आई नज़र , जब मैं आया नज़र,

फिर तुम्हारी नज़र और हमारी नज़र,

बन गयी एक नज़र, हो गयी एक नज़र.

ये तुम्हारी नज़र या हमारी नज़र,

ये हमारी नज़र या तुम्हरी नज़र .

बस तुम्हारी नज़र , बस हमारी नज़र,

न तुम्हारी नज़र न हमारी नज़र ,

मैं तुम्हारी नज़र , तुम हमारी नज़र ,

देखता हु जिधर तू ही आये नज़र ,

है ये कैसी नज़र ,है ये जैसी नज़र,

या है मेरी नज़र या तुम्हारी नज़र ,

ये तुम्हारी नज़र में हमारी नज़र ,

ये हमारी नज़र में तुम्हारी नज़र ,

जो है मेरी नज़र , वो है तेरी नज़र ,

जो है तेरी नज़र ,वो है मेरी नज़र,

देख तुम एक नज़र , देखूं मैं एक नज़र,

प्रेम होता दिलों से है फंसती नज़र..

 

नज़रों का खेल अनोखा है,

फिर भी इसमें धोखा है..

फिर तुम्हारी नज़र न हमारी नज़र …

 

…atr

मुझे फिर याद आये.

July 27, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो राह वो बस्ती, वो घर, वो गलियां ,

वो राह के कांटे  , वो फूल और कलियाँ ,

मुझे फिर याद आये..

वो दो दिलों की धड़कन ,वो दोपहर का साथ,

वो शाम का मौसम , हाथो में तेरा हाथ ,

मुझे फिर याद आये

वो बचपनों के खेल, वो प्यार में रुसवाई ,

वो हार में भी जीत , अब याद और तन्हाई,

मुझे फिर याद आये.

…atr

मुक्तक 22

July 23, 2015 in शेर-ओ-शायरी

चुपके चुपके ही चाहा है, इज़हार किया न जीवन भर ,

एक डर में एक संशय में, मैं हाल ए दिल कैसे  कह पाऊँ.

जीवन के अंतिम क्षण में यदि बात जुबां तक आ जाये,

बस उसी काल मैं तृप्त हुआ ,दुनिया को छोड़ चला जाऊं..

…atr

ये गीत

July 23, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये गीत मेरे न पत्थर है, न कांटे ,न अंगारे है,

ये गीत ह्रदय की पीड़ा हैं,वो सब है जो हम हारे हैं.

हर लफ्ज़ में उसकी ख़ुश्बू है, हर मतला उसकी भाषा है,

हर मक़ता उसका पूजन है, बस इसीलिए ये प्यारे है..

…atr

गुरु महिमा

July 15, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

फूंक देते प्राण मनुज में वो गुरुदेव  कहाते है,

जीवात्मा की परमात्मा से वो ही मिलन कराते है.

मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताकर करते है उद्धार गुरु,

निज शिष्यों को ईश्वर से बढ़कर करते है प्यार गुरु.

कभी कभी निज उपदेशो से मानव का कल्याण करें,

कभी धर्म की शिक्षा देकर मनुज जन्म साकार करें.

अहंकार से मुक्त कराकर माया मोह से दूर भगाकर,

परमानन्द की प्राप्ति कराकर, करते है कल्याण गुरु.

गुरुदेव निज चरणो में प्रणाम मेरा स्वीकार करें ,

अंतर्मन में ज्योति ज्ञान की प्रज़्वलित कर उद्धार करें.

सफल हो गया जीवन मेरा ,पाया जो गुरु का आधार ,

गुरु के इस उपकार कर्म का व्यक्त कर रहा मैं आभार..

…atr

written in 2010

मुक्तक 21

July 15, 2015 in शेर-ओ-शायरी

बड़ी सिद्दत से चाहा था ख़ुदा के नूर को मैंने ,

मेरी नीयत भी पाकीज़ा थी मगर इकरार ही न हुआ..

…atr

मुक्तक 20

July 15, 2015 in शेर-ओ-शायरी

जिस अकल्पित प्रेम का संवाह मैं करता रहा,

आज जाना स्वप्न की बस्ती कहीं और है..

….atr

गीत कहूँ कैसे अब मैं.

July 15, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

गीत लिखूँ कैसे अब मैं, गीत कहूँ कैसे अब मैं.

सब शब्द तुम्हारे प्रेमी है,हर कविता तेरी दासी है,

हर वाक्य तुम्हारा वर्णन है, हर हर्फ़ तेरा अभिलाषी है,

फिर इन दीवाने लोगो को अब कहु, गढ़ूं   कैसे अब मैं,

गीत लिखूँ कैसे अब मैं, गीत कहूँ कैसे अब मैं.

 

जो सृजन तुम्हारा दीवाना ,है दूर बहुत जाता मुझसे,

उत्पत्ति मुग्ध है अब तुम पर , है नाता तोड़ चुकी मुझसे ,

फिर इन परदेशी लोगो को , सुनूँ , कहूँ कैसे अब मैं.

गीत लिखूँ कैसे अब मैं, गीत कहूँ कैसे अब मैं.

 

जिन कल्पित भावो से नूतन, नव प्रेम कथा मैं गढ़ता था,

जिन अश्रुधराओं से प्रेरित हो, ग़ज़ल मैं लिखता था,

वो भाव गए सब तेरे संग, कहो , लिखूँ कैसे अब मैं..

गीत लिखूँ कैसे अब मैं, गीत कहूँ कैसे अब मैं.

…atr

 

मुक्तक 19

July 15, 2015 in शेर-ओ-शायरी

चलो अब देर से तुम सो सकोगे ,

हमारी नींद तुमको लग गयी है..

…atr

मुक्तक 18

July 15, 2015 in शेर-ओ-शायरी

बढ़ी है तीरगी रूश्वाईयों  में  ,

ज़रा अपनी नज़र तुम बंद रखना..

…atr

मुक्तक 17

July 15, 2015 in शेर-ओ-शायरी

करोगे क़त्ल क्या हमको दरिंदो ,

हमारे हर्फ़ रूहानी, हमारी बात रूहानी..

…atr

मुक्तक 16

July 15, 2015 in शेर-ओ-शायरी

कभी मेरी निगाहों को जहाँ दिखता था तुझमे मीर ,

मगर अब दौर ऐसा है , खुदी पुरज़ोर हावी है ..

…atr

मुक्तक 15

July 15, 2015 in शेर-ओ-शायरी

कहीं है दफ़्न  तुम्हारा ग़म हमारे दिल के कोने में,

हमे भी मीर लाशो को बहुत रखना नहीं आता..

…atr

मुक्तक 14

July 15, 2015 in शेर-ओ-शायरी

अभी   मुझमे  जरा  तू  है ,जरा  मैं  हूँ तेरे  दिल  में ..

मगर  अब  अपने  अपने  में  जरा  सा  तू , जरा  मैं  हूँ ..

…atr

मुक्तक 13

July 4, 2015 in शेर-ओ-शायरी

चला जाता है कोई दूर ,दिल के पास रहता है ,
वही यादें ,वही खुशबू ,वही एहसास रहता है .

फ़कत इतना फरक है प्रेम के इन दो मिलापो में ,
की जब वो दूर होते है तो ग़म ये साथ रहता है ..

…atr

मुक्तक 12

July 4, 2015 in शेर-ओ-शायरी

खत को मेरे संभाल के रखा जो होता मीर,
हर हर्फ़ मेरे प्यार की दास्ताँ कहते .
करे अब किस जगह रोशन गुलिश्ता ए जिगर को यार ,
यहाँ तो आशियाँ ही लुट गया है मीर तूफां में .

…atr

मुक्तक 11

July 3, 2015 in शेर-ओ-शायरी

किया है खून रिश्तो का , तुम्हे कातिल कहूँ या भ्रम ,
जला कर प्रेम का दीपक , अँधेरा कर दिया कायम .

…atr

मुक्तक 10

July 3, 2015 in शेर-ओ-शायरी

न देखोगे मुझे अब तुम , न अब संवाद होगा ..
जो कल था ,आज तक जो था , न इसके बाद होगा ..

…atr

गीत मेरे..

July 3, 2015 in ग़ज़ल

नैनो के सूखे मेघो से मैं आज अगर बरसात करूँ ,
हल करुँ ज़मीन ए दिल में मैं नीर कहाँ से मगर भरूँ?
है सूख चुका अब नेत्र कूप न मन का उहापोह बचा ,
न मेघ रहा न सावन है ,मिट गया जो कुछ था पास बचा .
एक बार हौसला करके मैंने बीज प्रेम के बोये थे ,
न मौसम ने रखवाली की ,सावन ने पात न धोये थे .
अब न मन है , न मौसम है ,न उर्वर क्षमता धरती की ,
न नैनो में अब पानी है ,न दिल में इच्छा खेती की .
रोते है मेघ और कूप सभी ,करता विलाप अब ये मन है ,
फिर भी न आंसू गिरते है ,न नैनो में इतना दम है .
अब बस अंधियारी रातो का यह निपट घना सन्नाटा है ,
दिल रोता है , मैं लिखता हूँ ,जीवन से पल का नाता है .
मैं जाऊँ पर ये गीत मेरे ,फिर किसी जमीन ए बंज़र में ,
मेघ बने ,बरसात करे ,फिर किसी अकालिक मंज़र में …

…atr

मुक्तक 9

July 3, 2015 in शेर-ओ-शायरी

लहरा रहा है सामने यादों का समंदर ,
जो डूबना भी चाहूँ तो किस किनारे से..
मेरे इश्क़ की दास्ताँ बस इतनी है,
तलाश हमसफ़र की थी मुकाम तन्हाई का मिला.
…atr

मुक्तक 8

July 3, 2015 in शेर-ओ-शायरी

मुद्दत से तेरी आँखों में नमी नहीं देखी,
लगता है तुमने मुझमे कोई कमी नहीं देखी ..
यादों की लहरों पर किया है प्यार का सफर ,
हमें है राब्ता उनसे उन्हें नहीं मेरी खबर..

…atr

मुक्तक 7

July 2, 2015 in शेर-ओ-शायरी

आँखों से झरते आंसू ने थमकर पूछा,
आखिर सजा क्यों मिली मुझे ख़ुदकुशी की?
दिल रो पड़ा पुराना जखम फिर हरा हुआ,
कहा, गुनाह उसी ने किया जिस छत से तू गिरा ..
..atr

तो अच्छा हो

July 2, 2015 in ग़ज़ल

ज़रा कुछ देर रहमत हो सके तो अच्छा हो ,

ज़रा मन शांत होकर सो सके तो अच्छा हो.

 .

ख़तो के ज़ाल में उलझे हुए है मीर हम , 

ज़रा कुछ देर खुद में खो सके तो अच्छा हो . 

 .

गुज़र गया है मुसाफिर फिर शहर से तेरे , 

तेरा कुछ राब्ता दिल हो सके तो अच्छा हो . 

 .

न कह पाया जुबा से हाल दिल का अब तलक, 

ज़रा अब हर्फ़ मेरे कह सके तो अच्छा हो. 

 .

सुना है हिज़्र के किस्से ,विरह की दास्ताँ समझी, 

ज़रा अपना भी दिल अब रो सके तो अच्छा हो

…atr

मुक्तक 6

July 2, 2015 in शेर-ओ-शायरी

बर्बादी किसे दिखेगी हमारी जहाँ में मीर ,
लुटने के बाद ग़म का खज़ाना जो पा लिया ..
मुझको तेरी कमी तो सताती ही है मगर ,
तू दूर जा के खुश है ये सुकून की बात है .

…atr

New Report

Close