आ रहा मंक्रर संक्राति का त्योहार

January 9, 2020 in साप्ताहिक कविता प्रतियोगिता

आ रहा मंक्रर संक्राति का त्योहार।

तिल को गुड़ से मिलायेगें,
दही को छक कर खायेगें।
नही होगा किसी से शिकवा-शिकायत,
दिल को पतंग सा आसमान में उड़ायेगें।

सूर्य नरायण का दर्शन रोज होगा,
भक्त मंडली का किर्तन रोज होगा।
जल से न रहेगा किसी को प्रतिकर्षण,
प्रात: स्नान अर्पण रोज होगा।

मनायेगा इसे पूरा देश अलग-अलग नाम से,
कोई कहेंगा संक्राति कोई पोंगल बतायेगा।
कोई खिचरी तो कोई माघी बताकर,
खुशी का गीत अपनों संग गुनगुनायेगा।

लम्बें खरमाश के बाद यह आयेगा,
जीवन को नया सिख देकर जायेगा।
हो दु:ख कितना भी गहरा,
कोहरे की भांती खत्म हो जायेगा।

आओ इस संक्रान्ति नया संकल्प अपनाये,
सम्प्रदायिकता की बीज खत्म हो जाये।
बन जाये देश फिर सोने की चिड़िया,
विश्वगुरु बनने के पथ पर अग्रसर हो जायें।

मैं प्रमाणित करता हूँ कि यह मेरी मौलिक रचना हैं।

नया साल

January 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

इस नये साल में इतिहास नया बनाना हैं।

पुरानी राहों पर दुनिया चलती हैं,
हमें राह नया छोड़ जाना हैं।
हुआ नही हैं जो अबतक,
वो करके दिखलाना हैं।
इस नये साल…………………………।

खायें बहुत हैं ठोकर हमने,
बहुत सहें हैं जुल्मों-सितम।
उन पत्थरों को चुन-चुन कर,
पथ नया हमें बनाना हैं।
इस नये साल…………………………।

हुआ बहुत जग हँसाईं अपना,
हुआ बहुत जात-पात।
भुलकर पुरानी बातों को,
नया भारत हमें बनाना हैं।
इस नये साल…………………………।

थे हम प्रथम विश्वगुरु,
पाया संसार हमसे ही अहिंसा का ज्ञान।
फिर जगमग हो जायें पूरा संसार,
लौ ऐसा बनकर दिखलाना हैं।
इस नये साल…………………………।

शुभकामना

January 1, 2020 in Other

गुल ने गुलफाम भेजा हैं,
सितारों ने चाँद भेजा हैं।
आप खुशामद रहे नये वर्ष में,
अमोद ने यही पैगाम भेजा हैं।

साथी

December 29, 2019 in मुक्तक

पलके तेरी झुकी थी,
ओठों पर था तुफान।
संग चलने का इरादा किया,
मुझ पर था एहसान।

इस कदर एक साथ में चलें,
हर मुश्किल हालात में चलें।
आई जितनी परेशानियाँ,
उन्हें कुचल हर हाल में चलें।

धीरे-धीरे ही सही,
वर्ष कई बीत गयें।
कई उलझनें भी आई,
कदम हमेशा टिक गयें।

जब भी मैं भुखा रहा,
तुम भी भुखी सोई थी।
ढ़ाढस बंधाकर तुमने,
हर दु:ख हमारा धोई थी।

तेरे जैसे साथी पाकर,
धन्य हुआ भाग्य हमारा।
तुझपर मैं लुटा दूँ,
अगले कई जन्म हमारा।

एहसास

December 25, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

यादों के समन्दर में डुबकी लगाते हैं,
तुझे हर पल पास अपने पाते हैं।
तु करती हैं वेवफाईं पर,
एहसास हमें रोज मिला ही जाती हैं।

तेरे हालात मेरे पास पहुँच जाते हैं,
तेरे रूदण हमें रुला जाते हैं।
तु मिलती नही एक बार धोखे से भी,
एहसास हमें रोज………….।

हमें शिकवा नही तेरे रुसवाईं से,
गीला भी नही मेरी जग हँसाईं से।
इस भागम-भाग में सुकुन तेरी याद देती हैं,
एहसास हमें रोज………………..।

कई बार सोचता हूँ क्या नाम दूँ?
इस मुलाकात को क्या पहचान दूँ?
चाहत की मर्माहत हमें जला ही देती हैं,
एहसास हमें रोज………….।

जब थककर निढ़ाल हो जाता हूँ,
दुःख की कुहाँसों से भर जाता हूँ।
तेरे हँसी की याद हमें हँसा जाती हैं।
एहसास हमें रोज………….।

माँ

December 22, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जरूर मेरा दुआँ रंग लाया होगा,
इसलिए तेरा आँचल पाया होगा।
ईश्वर भी तरशता होगा,
माँ तेरी एक झलक को।
मुझे मिला तेरा गोद,
इस जन्म में।
मेरे ऊपर जरूर,
अच्छे कर्मों का साया होगा।

बहन

December 21, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

बहन तुम माँ तो नही,
पर हो माँ से भी प्यारी।
पग-पग पर इतना साथ मिला,
मैं भूल गया देवत्व सारी।
बहन तुम माँ ……..

अंगुली पकड़कर चलना सिखाया तुमनें
हर बार गिरने पर उठाया तुमनें।
जख्म जैसें भी था,
हमेशा मरहम लगाया तुमनें।
बहन तुम माँ ……..

भले ही तुम भुखी सोईं,
पर मुझे भरपेट खिलाया तुमनें।
निरक्षर रही तुम आजीवन,
पर मुझे एम.ए. कराया तुमने।
बहन तुम माँ ……..

तेरे ऋण से ऋणी,
हैं मेरा कण-कण सारा।
चैन नही जब तक मिटा दूँ,
तेरे दु:ख का अंधियारा।
बहन तुम माँ ……..

तेरे बिना मेरा गीत अधुरा हैं

December 21, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरे बिन मेरा गीत अधुरा हैं,
तुझसे मिलकर ही
होता ये पूरा हैं।
तेरे बिन मेरा……..

तेरे मदमस्त यौवन,
शरारती नयन,
मटकाती कमर,
दिल पे छुरा हैं।
तेरे बिन मेरा……..

जब भी तुझे ये न पाता हैं,
दिल मेरा बैठ ही जाता हैं,
मेरी हर साँस का तार,
तेरी साँसों से जुड़ा हैं।
तेरे बिन मेरा…….

पुस की रात

December 18, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

पुस की रात जरा सा ठहर जा।

तेरे तेज चलने से,
मैं भूल जाता हूँ अपनो को,
उनके दिये जख्मों को,
उन पर छिड़के नमको को।
पुस की रात जरा …………….

तेरी ठंड की कसक ,
कुछ पल तक ही सिहराती हैं।
अपनों की दी जख्में,
वक्त-वेवक्त मुझे रुलाती हैं।
पुस की रात जरा …………….

पुस की रात तुम तो बस,
चंद लम्हों के लिए आती हैं।
अपने की वेवफाई मुझे,
हर वक्त सुई चुभों जाती हैं।
पुस की रात जरा …………….

तेरे सिहरन में वो टिस नही,
जो भुला दूँ मैं अपने घावों को।
मैं मिलना भी चाहूँ तो,
रोक ले मेरे पावों को।
पुस की रात जरा …………….

प्रिय

December 18, 2019 in शेर-ओ-शायरी

तेरी हँसी- वादियों का मारा हूँ मैं,
तुझे जिस्मों-जान तक उतारा हूँ मैं।
प्यार करके कहती हो,
शादी-शुदा हूँ मैं।
तो कान खोलकर सुन लो,
दो बच्चों का बाप होते हुए,
अभी तक कुँवारा हूँ मैं।

:-अमोद कुमार राय

महबुबा

December 16, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरी खुशी के लिए
मंदीर-मस्जिद भटका हूँ।
तेरी तन्हाई में
पल-पल तड़पा हूँ।
तु मिल तो सही एक बार
इस पागल दिवाने से।
तेरे एक मुलाकात को
जन्मों-जन्मों का तरशा हूँ।

फिर वो याद आई हैं।

December 16, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

फिर वो याद आई हैं
फिर वो याद……..

जिसके रेश्मदार बाल
जिसकी हिरणी जैसी चाल,
यौवन है कमाल,
पग-पग में वेवफाई हैं।
फिर वो याद आई हैं
फिर वो ……….

जिसके कजरारे नयन,
रुप है मधुबन,
अंगड़ाई लेती पवन,
पल-पल में रूसवाई हैं,
फिर वो याद आई हैं।
फिर वो याद……….

माँ

December 15, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब तक वो जिदा थी खाने की लाचारी थी।
मरते ही श्राद्ध की भोज बहुत भाड़ी थी।
जीवन में रूखी-सुखी भी नसीब न थी
श्राद्ध में लाव-लस्कर की तकलीफ न थी।
उसे जो एक ग्लास पानी भी दे नही पाते थे,
वो रोक कर ब्राह्मणों को दान दिये जा रहे थे।
बड़ी बदनसीब थी वो माँ जो ठंड से मरी थी,
उसके श्राद्ध में कंबलों का दान दिये जा रहे थें।

हीरा की तरह

December 13, 2019 in शेर-ओ-शायरी

तु दिखी मुझे हीरा की तरह,
हुआ प्यार मीरा की तरह,
मिले हम सरफिरा की तरह,
बाप तेरा खा गया खीरा की तरह,
मैं पेट में बना पीड़ा की तरह,
उसने निकाल दिया जलजीरा की तरह।

सर्दी

December 11, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरा चुपके से आना गजब,
घंटो धूप में बिताना गजब।
आग के पास सुस्ताने लगे हैं,
तुझे हर वक्त पास पाने लगे हैं।
तेरे यादों को मन में समेटे बैठे हैं

तन को कम्बल में लपेटे बैठे हैं।
तु आती हर साल हमें मिलाने के लिए,
मिठी यादो को जिंदगी में घुलानें के लिए।
सर्दी सिर्फ तु ही मेरे साथ वफा करती हैं,
प्रेयसी के यादों को जिंदा करती हैं।

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