
Vinita Shrivastava
साहित्य एक माला
July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
साहित्य सृजन इक,
विश्व प्रेरणा होती है
मिले प्रेरणा हर शब्द से,
वो कविता ही माला होती है
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
अकारण
July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
अकारण ही मनुज,
क्यों मनुज से जलता है
विजय पाने की होड़ मैं,
विचारों से गिरता है
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
डर
July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
मैं तूफाँ नहीं,
क्यों मुझसे डरते हो
ईर्ष्या मैं क्यों,
जल जल कर मरते हो
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
चल कहीं
July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
चल कहीं नदिया किनारे,
प्रिय नयन,सुन्दर चितवन
नैनों में दमके,तेरे काजल
है मेरा मन ऐ पागल
जब बजती तेरी पायल
झूमे जहाँ बस चाँद तारे
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
विषम
July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
चन्दन का वन हो,
प्यारा मधुबन हो
विष धार ,न विषम हों
श्रष्टि में सम हों
चन्दन सा वन हो
प्यारा मधुबन हो
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
अलबेला मन
July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
कहाँ चला अलबेला मन तू,
बेस जिया में,पिया हमारे
इन प्रिय को,जग में न खोजो,
बसी नयन सुरतिया प्यारी
कहाँ चला अलबेला मन तू
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
रास्ते
July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
त्रिकोण से हैं रास्ते
जिस रास्ते तू जायगा,
फलित होंगे कर्म वैसे
जिस रास्ते तू जायगा
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
सांझ
July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
सांझ हुई,दीपक जलाओ
आयंगे प्रियतम तुम्हारे
हैं अँधेरे पंथ में जो
है वही चांदनी हमारी
सांझ हुई दीपक जलाओ
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
प्रभु
July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
है प्रभु विनती हमारी
मार्ग दो संसार को
है निशा जहाँ जगती पर
प्रकाश दो संसार को
तुम हो नाथ अनाथ के
सानिध्य दो संसार को
है प्रभु विनती हमारी
सार दो संसार को
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
प्रभु विनती हमारी
July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
है प्रभु विनती हमारी
मार्ग दो संसार को
है निशा जहाँ जगती पर
प्रकाश दो संसार को
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
राम
July 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
दीन दयाल प्रनत पालक
दीन बंधू हे राम
जन्मूँ या मरुँ
परे तुम्ही से काम
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
कान्हा
July 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
कारो कारो सांवरो
कारी जाकी सूरत
कारी कारी कंगी है
काली दह से कीरत
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
दामिनी
July 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
सावन की काली रातों में
उमड़ घुमड़ जब दामिनी दमके
पट खोलो अंतर् मन के
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
पाश्यचात्य होड़
July 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
आधुनिकता की होड़ में
पाश्यचात्य संस्कृति अपना रहे
हम शौर्य वीर भारतबासी
किस मोह में हैं बंध रहे
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
धरा
July 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
इस धरा पर किसका हक़ है
जो तू इसे उजाड़ रहा
मत खेल इस माया से
तू खुद का नसीब बिगाड़ रहा
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
नारी
July 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
नारी नहीं जागीर किसी की
मत इसका अपमान करो
सम दृष्टि रख करके
इसका सम्मान करो
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
तक़दीर
July 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
तक़दीर ऐ जुल्म
नहीं है हमको इल्म
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
बहार
July 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
बहार है तो फ़िज़ां है
फ़िज़ां है तो बहार है
हमको दोनों से ही
प्यार है
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
वक़्त
July 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
कम्बख्त वक़्त ये नहीं कटता
वक़्त का रुख हर वक़्त बदलता
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
बाधा
July 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
आज हमारे रास्ते में
बाधा हज़ार हैं
हारो न हिम्मत
जय बार बार है
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
बुलबुले
July 18, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
पानी के हम बुलबुले,
लहर बन जायँगे
सीने पर कश्ती चलायंगे
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
नाव
July 18, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
हस कर चलते रहो
आंसू न बहाओ
ख़ुशी और गम की,
है ये नाव
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
रंग
July 18, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
रंग रंग हज़ार हैं,
रंगों में एक रंग
रंग लो अपने मन में
देश भक्ति का रंग
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
नज़र
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
नज़र ऐ खूब है खूब नज़राना
देखूं तुझे या जमाना
मनो न मनो मर्जी तेरी
देदी मेने अर्जी मेरी
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
जागीर
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
ऐ ज़िन्दगी किसी की जागीर नहीं
आज़ाद परिंदा रूह सबकी
रूह तक पहुंचा जो,
दुनिया में आबाद रहा
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
तालीम
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
तालीम लो न नफरत की,
आदमी से प्यार करो
ये रास्ता नहीं जन्नत का,
मत दुनिया बर्बाद करो
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
फूले फले
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
आबाद रहे नित फूले फले
ये देश मेरा
ये देश तेरा
विजयी रहे मंगल बरसे
ये देश मेरा
ये देश तेरा
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
चाँद
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
अमावस की रातों में,
चाँद कभी ही आते हैं
लेते अँधेरा दुनिया का
उजयारा कर जाते हैं
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
शक
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
इस पर शक,
मत कर यारों
विश्व विजयी ,
ये भारत है
हम संतानें हैं इसकी,
करता मन से आरती है
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
मन्नत
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
मन्नत मेरी पूरी हो जाये
भारत में जो शांति आए
सारा ताम दूर हो जाये
मिल जुलकर ज्योत जलाएं
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
वीर
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
कायर नहीं वीर बनो
मुश्किल में धीर बनो
बादल तो छठ जायगा
छा कर इनको घिरने दो
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
अंगारे
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
अंगारों पे चलने का
शौक बहुत रखते हैं
लाखों में कुछ ही
आग पर चलते हैं
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
विधि
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
विधाता की विधि को
न कोई जान सका
अपरम्पार का पार
कोई पा न सका
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
चन्दन
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
कर्म काजल से न करो
मेहको तुम चन्दन से
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
मेरी बेटी
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
मेरी शान है बेटी
अभिमान है बेटी
हर मुश्किल में
साथ है बेटी
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
बेटी
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
पायल की खनक रुनझुन
सुखद एहसास करती है
आंगन में बेटी जब
छन छन करती आती है
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
कागज की नाव
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
कागज़ की नाव हम
कश्ती तेरे हाथ में
बंधन हूँ,
मुक्ति तेरे हाथ में
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
बेवसी
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
मजबूरी नहीं कोई
फिर भी मजबूरी क्यों है
आज़ाद हूँ फिर भी
बेबसी क्यों है
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
न्याय
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
कब तक सहन करोगे
अन्याय तो अन्याय है
परिचय पालो खुद का
न्याय करो,न्याय चलो
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
कांच
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
कांच की दीवार सा जीवन
दरार न आए
चेहरा देखो आईने में,
पहचान हो जाये
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
जाग
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
जाग्रति के इन पलों में
जाग कर जाग्रत करेंगे
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
वहां
July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम नहीं थे कल वहां
तो हम नहीं थे कल यहाँ
जो कदम तेरे चले
वो कदम मेरे चले
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
सानिध्य
July 16, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
आओ वरण करो,मैं तुम्हारे सानिध्य में हूं
धरा में हूं या अंतरिक्ष में
आभास है तेरे प्रतिनिधित्व में हूं
नहीं पता किस लोक में हूं
पराजय
July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
रात रात भर जाग कर
आगे बढ़ने की होड़
चल कपट से जो जीता
ये तेरी जीत नहीं
संभल जा ऐ बंदे
जीत के भी तेरी हार हुई
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
कर्म
July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
परिणाम न देख मनुज
कर्म कर बस कर्म कर
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
द्वेष
July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
राग द्वेष अरु पाखंड
कारण विनाश के प्रचंड
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
मानवता
July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
मानव मानवता सीखो
मत होड़ करो तुम बढ़ने की
मत काव्य का अपमान करो
देश हित काव्य सृजन करो
-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-