स्पर्धा

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

स्पर्धा नहीं कोई ,
ऐ साहित्य सर्जन है

दुरूपयोग न करेंगे
ये आत्म सर्जन है

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

जल

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जल ही जीवन है ,
बूँद बूँद बचाओ
जल को न व्यर्थ बहाओ

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

गति

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्या करूँ क्या न करूँ
उथल पुथल सी होती है

मन में हर दम
एक गति सी होती है

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

जागो

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जागो मनुज जागो ,
जनहित में कल्याण करो

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

निवास

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कण कण वास तेरा
मन है निवास तेरा

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

प्रारम्भ

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्रारम्भ है तो अंत है ,
सफल छन तो जीवंत है

तू विजयी अरिहंत है

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

लक्ष्य

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्या लक्ष्य है नहीं ,
बढ़ोगे कैसे ,चढ़ोगे कैसे

गिर गिर कर फिर उठोगे कैसे

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

भेद भाव

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जाति पाती का भेद नहीं ,
बस सम दृष्टि हो

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

वृक्ष

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

वृक्ष से सीखो
फल देना,छाया देना
मोल न लेना ,अडिग रहना

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

जीवन

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

विषमय जीवन में ,
जीत के जो हारा है

हारा फिर जीता है

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

चल

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तू कहाँ में यहाँ
चल वहां ,सुख जहाँ

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

दिशा

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मनोदशा,चुन दिशा
भागे निशा ,मिले उषा

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

अकारण

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्या कारण, क्यों अकारण
मनुज मनुज से चिढ़ता

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

वसुधा

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हे वसुधा के, प्राण प्यारों
स्वच्छ रखना इस धरा को

स्वच्छ भारत हम बनाएं
जन जन को यह समझाएं

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

उपवन

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुन्दर वन
उपवन भारत में

हमने यहाँ जन्म लिया
प्रभु ने हमको धन्य किया

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

पृथ्वी

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐ पृथ्वी ,ऐ धरा
सुचि वसुंधरा

है मात मेरी ,है मात तेरी

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

सुमन

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हे सुमन तुम कितने सुन्दर ,
सुरभित करते तन और मन

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

कांटे

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कांटे हैं जहाँ, चुभने दो
फिर पुष्प ही तो मिलना है

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

संकल्प

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ह्रदय में है यदि ,संकल्प शक्ति
तो तुझे कोई रोक नहीं सकता

लक्ष्य पाने के लिए तो
गिर गिर कर है ,उठना पड़ता

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

चलना

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्यों बुझे हैं ,द्वीप ह्रदय के
तुझे जग आलोकित ,है करना

नव उमंग उत्साह लिए,
प्रति पल बाधा से है लड़ना

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

तम

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जिस दिशा में दृष्टि जाती,
दिखता तम ही तम है

दूर करदे शीघ्रता से,
तेरे उर में जो अहम है

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

मोह

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

न डरना तुम काली रातों में,
न आना माया मोह की बातों में

फास न जाना झूठे,
रिश्ते नातों में

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

द्वीप

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सदियों से छाए अंधकार को,
दूर भगाओ

मानव तुम ,अंतर् तम के,
द्वीप जलाओ

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

जग

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐ दुनिया वालों,
तुम्हे हम मान गये हैं

ठोकरें खा क्र तुम्हे,
पहचान गए हैं

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

तम

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे तिमिरमय जीवन में ,
अलोक बन के आओगे

आओ तुम ,में एक मरुपथ हूँ,
घनघोर घटा बन छाओगे

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

नवल

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

नवल सृजन हो,नवल सृष्टि हो
उर अंतर में,नवल बृष्टि हो

नवल दिशा हो
नवल दृष्टि हो

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

समय

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

अभी हस रही थी ,
कितनी द्वीप मालाएं

अभी रो उठी,
बुझ गयीं आशाएं

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

साथी

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

अभी साथ थे देखो,
प्राण प्यारे साथी

अभी अभी जाली
एक नवल बाती

कहीं रुदन है ,कहीं हास् है
समय बड़ा घाती

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

अंतर

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

है कैसी अंतर पुल कन,
जिससे में पुलकित हूँ

है घनघोर पतझड़,
फिर भी में सुरभित हूँ

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

पथिक

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

है अकेला हर पथिक,
अपने पथ को पाना होगा

घोर अँधेरा छा रहा है ,
तम निशा से लड़ना होगा

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

दिवस

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सांझ दिवस और रैन में,
बीएस तुमको ही पुकारा है

सृष्टि के कण कण में,
तुमको ही पुकारा है

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

मन मेरे

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज ये मन मेरे ,
मीत अपना ढूंढ ले

खींच ले जो मीत को,
मीत ऐसा ढूंढ ले

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

तूफ़ान

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

पास मेरे आते हो,
क्यों बार बार

पुछा मैंने जब तूफ़ान से,
तूफान बोलै ,तुम्ही हज़ारों में

मिले इंसान से

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

भगवान

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मिल जाये कहीं ,
मुझे पूछना है भगवान से

तुमने चुने क्यों रास्ते,
मेरे लिए वीरान से

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

पौधा

July 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

पौधा लगाया मैंने ,
सोचा बृक्ष बन छाया देगा

बृक्ष बन गया जब,
गिरा दिया,मिटा दिया मुझे

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

दिशा

July 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

भवर मैं था ,सोचा न था
तूफ़ान भी आएगा

गिरिफ्त मैं ले मुझे
अपरिचित दिशा पहुँचाएगा

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

दौड़

July 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

दौड़ते परायी है जो
अपनी मंजिल छोड़ कर

कठिन है रास्ता
कदम रखना सोच कर

साथ न कोई आएगा
अकेले तुझे जाना है

जग मेरी मंजिल नहीं
कुछ पल का ठिकाना है

रास्ता पहचान लो
मंजिल फिर मुश्किल नहीं

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

उजाला

July 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

उजाला पाने की छह मैं में,
चलता रहा चलता रहा

पर अँधेरा बस अँधेरा
रह मैं मिलता गया

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

भवर

July 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

भवर मैं पहुंचा तो,
सोचा मुझे आएगा कोई बचाने

किनारे पर भीड़ थी लाखों की,
कुछ चेहरे कुछ जाने अनजाने

देखती रही दुनिया मुझको
न आया कोई बचाने

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

वक़्त

July 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐ वक़्त तू कितने रंग बदले,
बह रही हो सृजन धार
क्यों प्रलय बन निकले
तू कितने रंग बदले

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

बरखा

July 6, 2018 in गीत

बरखा जरा प्यार बरसा दे
कब से प्यासा अंतर है

तू प्यास बुझा दे
बरखा जरा प्यार बरसा दे

बरस बरस बरखा मेरी
कितने तुमको बरस गए

सिंधु की एक बूँद को
हम कबसे तरस रहे

तू सिंधु से बिंदु मिला दे
बरखा जरा प्यार बरसा दे

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

स्वर मैं स्वर मिलाओ

July 6, 2018 in गीत

मैं गा रहा हूं,
तुम स्वर मैं स्वर मिलाओ

मैं जा रहा हूँ ,
तुम संग संग आजाओ

जाऊंगा न छोड़ कर,
गाऊंगा न बिन तेरे

मैं भवर मैं,
तुम पतवार बनके आओ

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

संसार

July 6, 2018 in गीत

संसार मैं रहना है,
संसार मैं जीना है

मिलती हैं कुछ खुशियां,
कुछ गम भी पीना है

कभी होंठों पर मुस्कान
कभी आंसू पीना है

संसार मैं रहना है
संसान मैं जीना है

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

गीत

July 6, 2018 in गीत

मैं गीत क्या रचूंगी,
तुम प्रेरणा न बनते

मेरे निष्ठुर उर मैं,
वन वेदना न उठते

मैं गीत क्या रचूंगी
तुम प्रेरणा न बनते

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

कदम

July 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

खामोश न रहो ,
नज़रों को न झुकाओ

पीछे न तुम देखो,
आगे कदम बढ़ाओ

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

वीर

July 5, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

छोड़कर घर अपना ,
सीने पर झेली गोली

बहा अपने लहू को ,
ली बचा मांगों की रोली

-विनीता श्रीवास्तव (नीरजा नीर)-

माँ

July 5, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

माँ न होती,
तो यह श्रष्टि न होती

पृथ्वी है माँ,
प्राण है माँ

उचित अनुचित की ,
द्रष्टि है माँ

-विनीता श्रीवास्तव (नीरजा नीर)-

कर्तव्य

July 5, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

घर न जो बना सके,
वो क्या बनायंगे देश को

कर्त्तव्य मर्यादा न जाने,
क्या चालयंगे देश को

-विनीता श्रीवास्तव (नीरजा नीर)-

भूमी

July 5, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मानव जीवन का ,सार है गीता
हम हैं अर्जुन ,कृष्ण है गीता

कर्म का सार है यह गीता
हम हों भ्रमित, तो सारथी गीता

-विनीता श्रीवास्तव (नीरजा नीर)-

कर्म भूमी

July 5, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कर्म भूमी है हमारी
मर्म भूमी है हमारी

बार बार प्रभु आते जहाँ पे
देव भूमी है ये हमारी

मातृ भूमी है हमारी
भारत माँ ये है हमारी

-विनीता श्रीवास्तव (नीरजा नीर)-

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