पहली नजर का मेरा इश्क है

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

पहली नजर का मेरा इश्क है
बिन हिसाब का मेरा इश्क है
ख़ुद में ही पावन यह इश्क है
अकारण बिन-व्जह का इश्क है
कह लो के पागल यह इश्क है
माना तो सही के यह इश्क है

…… यूई

एहसास तेरी पह्ली छुअन का

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

एहसास तेरी पह्ली छुअन का मुझमें
जिंदा बच गया मर कीं भी मुझमें

…… यूई

इक आग सी मुझमें सहर गई

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

अपने साजन संग मैं फहर गई
इक आग सी मुझमें सहर गई
अंग गोरे मोरे इक लहर गई
बन तरंग सी मुझमें तैर गई

…… यूई

मोहे अब कोई रंग ना फबता

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

मोहे अब कोई रंग ना फबता
सिवा तेरे अब कोई ना जचता

…… यूई

तेरी हर राह् में बिछ गई मैं सजना

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

रंग जोगिया तेरा मोहे भा गया सजना
इश्क तेरा मोरे दिलपे छा गया सजना
मै तोरे प्यार में बस खो गई सजना
रूह मेरी तोरी जोगन हो गई सजना
लाज़ शर्म सब ताक आई मैं सजना
तेरी हर राह् में बिछ गई मैं सजना

…… यूई

अ‍ब तो अंग लगा ले सजना

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

रंग तेरे में रंग गई सजना
इश्क तेरे में रंग गई सजना
दिल अपने में बसा ले सजना
अ‍ब तो अंग लगा ले सजना

…… यूई

कैसे तुम सबसे ही वफ़ा निभा लेते हो

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

सबको एक नजर में अपना बना लेते हो
कैसे तुम सबसे ही वफ़ा निभा लेते हो

…… यूई

कैसा यह नजरोँ का खेल रचाया है

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

कैसा यह नजरोँ का खेल रचाया है
रकीबों को भी इस खेल में नचाया है

…… यूई

अपनो को एक नजर में कैसे ज़ुदा कर जाते हो

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

नजरो नजरोँ में ही कैसे नजर घुमा जाते हो
अपनो को एक नजर में कैसे ज़ुदा कर जाते हो

…… यूई

नजरोँ में ही मेरी नजर अपनी बना लेते हो

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

नजरो नजरोँ में ही मेरी नजर चुरा लेते हो
नजरोँ में ही मेरी नजर अपनी बना लेते हो

…… यूई

नज़र कही ना लग जाए ख़ुद की मुझको

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

इस कदर प्यार से ना देखो मुझको
नज़र कही ना लग जाए ख़ुद की मुझको

…… यूई

दुनिया के रंग ना अब मोहे भाते हैं

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

अंग अंग अपना रंगाया तेरे इश्क में
अपनी रूह को नहलाया तेरे इश्क में
सब रंग अपने अपने चाहे दिखाते हैं
दुनिया के रंग ना अब मोहे भाते हैं

…… यूई

जो थे बरसों रकीब हमारे प्यार में

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

घूमाई ऐसी नजर यार ने प्यार में
बेवफाई कीं तसवीर दिखाई प्यार में
जो थे बरसों रकीब हमारे प्यार में
हमेे ही हो गए रकीब उनके प्यार में

…… यूई

अब रकीबों से दीवाने

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

जिन नजरों में सुनते थे अपने दिल के फ्साने
उनही नजरोँ में हैं हम अब रकीबों से दीवाने

…… यूई

तेरी नजरों में ही बसा करते थे

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

हमारा एक ऐसा वक्त गुज़रा है
अपना था पर वोह अब गुज़रा है
तेरी नजरों में ही बसा करते थे
हाल-ए-दिल अपना पड़ा करते थे

…… यूई

तू दिल का हाल लिखता है

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

सब कहते हैं तू दिल का हाल लिखता है
तेरे शब्दों का यह जाल खूब बिकता है
जो चाह कर भी कभी तू लिख ना पाएगा
मेरे दिल को तेरा वौह कलाम दिखता है

…… यूई

वौह दिल के तार

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज़िकर तेरे ने फिर छेड़ दिए वौह दिल के तार
जो कब्के भुला दिए थे हमने पिछली बहांर

…… यूई

जो जाने की तैयारी में थे परसो

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

महफिल में लेते ही नाम तेरा
जी उठे फिर वह तमाम चेहरे
जो जाने की तैयारी में थे परसो
वही जम गए वौह फिर बरसो

…… यूई

जाने कब वौह बरसात गई

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

बात निकली तेरी तो रात गई
जाने कब वौह बरसात गई
…… यूई

उस महफिल में नही रमता दिल मेरा

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज़िकर जिस महफिल में ना हो तेरा
उस महफिल में नही रमता दिल मेरा

…… यूई

ज़िकर जब भी तेरा कही उठता है

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज़िकर जब भी तेरा कही उठता है
जाने दिल मेरा क्यों खिल उठता है

…… यूई

आँखों से जो यह अश्क निकले हैं

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

आँखों से जो यह अश्क निकले हैं
यही तो मेरी रूह के चिथड़े हैं

…… यूई

मेरी रूह को वोही तो पकड़े हैं

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

दर्द तेरे दिल को जो जकड़े हैं
मेरी रूह को वोही तो पकड़े हैं

…… यूई

दुआ में कभी हाथ उठा ना पाए तुम

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

दुआ में  कभी हाथ उठा ना पाए तुम
दवा मेरे गम की क्या तुम कर पाओगे
…… यूई

मेरे दर्द-ए-गम की दवा तेरे पास नही

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे  दर्द-ए-गम की दवा तेरे पास नही
तेरे मर्ज-ए-इश्क की दवा मेरे पास नही
…… यूई

मेरे अश्कों के दर्द

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे अश्कों के दर्द क्या तुम सुल्झओगे
इनकी आग में ख़ुद ही भस्म हो जाओगे

…… यूई

दर्द ख़ुद के ही अश्कों का समझ ना पाया

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

दर्द ख़ुद के ही अश्कों का समझ ना पाया
ज़िन्दगी का यह खेल मुझ को ना भाया

…… यूई

बेश्मकीमतें नगीने यह अरमानो के

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

अश्कों में छुपी एक जान होती है
इनकी ज़िन्दगी शानदार होती है
रंग दिखने को बस बेरंग रखा है
हर रंग इन्होंने ख़ुद में समा रखा है
बेश्मकीमतें नगीने यह अरमानो के
बहाना ना इनको बेवफ़ा इंसानो पे

…… यूई

क्यों आँखें रह गई नम

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

सोचा था पी के भूला देंगे तेरे गम
ना जाने फिर क्यों आँखें रह गई नम

….. यूई

दर्द-ए-दिल जितना भी छुपा लो

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

पैमाना कितना भी सम्भालो छलक जाता है
दर्द-ए-दिल जितना भी छुपा लो झलक जाता है

…… यूई

आज तलक ना संभाल पाए

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

सालों पहले जो तोड़ दिया था
दिल जो आपने भरी दोपहर में
आज तलक ना संभाल पाए
उसे हम ज़िन्दगी की सहर में

…… यूई

ज़िकर जब भी उठता है तेरा शहर में

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज़िकर जब भी उठता है तेरा शहर में
दिल डूब सा जाता है किसी लहर में

…… यूई

मौत के इंतज़ार में ही शाम हुई

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज़िन्दगी की राहें अब आसान हुई
मौत के इंतज़ार में ही शाम हुई

…… यूई

तेरे सर के सारे इल्ज़ाम मै लूट गया

March 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

आने का वादा तेरा मुझसे टूट गया
तेरा इंतज़ार अब मुझसे ही रूठ गया
अच्छा हुआ यह खेल अपना छूट गया
तेरे सर के सारे इल्ज़ाम मै लूट गया

….. यूई

डर जितने भी थे अपनी बर्बादी के

March 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

अन्धेरे मुझे अब रास आ गए है
तन्हाईया मुझे अब अपना गई है
डर जितने भी थे अपनी बर्बादी के
संग उनके अब मुझको भा गए है

…… यूई

छोड़ा है जिनको तुमने अकेले

March 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

छोड़ा है जिनको तुमने अकेले
मिलेंगे फिर तुझको वोह इस मेले

…… यूई

हूँ मैं जब तक तेरे हुक्म में

March 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

गिर जाऊँ जो मैं तेरी नजर से
कर देना दफन मुझे सत्व में
हूँ मैं जब तक तेरे हुक्म में
जिंदा हू तब तक स्थल में

…… यूई

कब्र ख़ुद की खोद के गिरना

March 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

उठना गिरना यूँ है उसके हाथ
कब्र ख़ुद की खोद के गिरना
यह कहाँ की लियाकत है
…… यूई

गिर कर उठना दीवानों की हसरत है

March 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

उठ कर गिरना इंसानो की फितरत है
गिर कर उठना दीवानों की हसरत है

…… यूई

तेरी सारी सोच मन्सूबे तदबीरें

March 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरी सारी सोच मन्सूबे तदबीरें
इनमें कुछ भी कम ना आएगा
वक्त जब अपना फ़ैसला सुनाएगा
तब तेरा कुछ भी बच ना पाएगा

…… यूई

गिर गया है गर समाज

March 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

गिर गया है गर समाज
तो इसे खोना ही चाहिए
वक्त की गहरी क़ब्रों में
अब इसे सोना ही चाहिए

…… यूई

अच्छा बुरा सब एक वक्त के है दो पहलू

March 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

अच्छा बुरा सब एक वक्त के है दो पहलू
जिन शमशीरों ने सामाजो को बचाया है
उन्ही ने लाखों का खून भी बहाया है

…… यूई

कौन किसका यहां फ़ैसला करे

March 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

कौन अच्छा है कौन बुरा
कौन किसका यहां फ़ैसला करे
पल पल बदलते रंगों में
कौन सफेद स्याह का रंग चुने

…… यूई

जीवन यहां पे सबको है

March 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

यही प्रथा है इस ग्रह की
जीवन यहां पे सबको है
ज़िन्दगी की कवायत यहां की
जिंदा है रिवायत वहां की

…… यूई

उस बाज़ी में

March 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

उस बाज़ी में
कभी ना थी तूने मानी
इस बाज़ी में
अब किसी ने ना तेरी मानी

…… यूई

जब था वक्त

March 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब था वक्त
तब किसी की ना मानी
जब ना अब वक्त
तब ना किसी की मानी

…… यूई

गम सारे जमाने के मिटाने की

March 25, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

गम सारे  जमाने के मिटाने की
क्या तुमने अकेले कसम खाई है
……यूई

रुक जाओ ख़ुद के लिए

March 25, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

बस करो  रुक जाओ ख़ुद के लिए
प्यास अपनी को बड़ा लो मेरे लिए

……यूई

डूब तुझमें भी तुझको छू ना पाया

March 25, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरे दिल के रंग सुनसान से पाए
तेरी आँखों में ख्वाब वीरान से पाए
तेरे मन की उमंगें निर्जन सी पाई
तेरी राहे ख़ुद से अनजान सी पाई
तेरे मन की बातें बेजान सी पाई
तूने होगा मेरा प्यार अधूरा पाया
डूब तुझमें भी तुझको छू ना पाया
……यूई

उदासी अपनी की वज़ह तो बता इक बार

March 25, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

समुंदर में रह कर भी तूं प्यासा क्यों है
अरमानो भरा प्यार पाकर उदासा क्यों है
उदासी अपनी की वज़ह तो बता इक बार
तमाम खुशियाँ जीवन की दूँ तुझ पे वार

……यूई

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