देश प्रेम
मेरा देश प्रेम,मन है बेचैन कब शांति सन्देश मिलेंगे माटी से प्रेम, इसकी सुगंध में रमे हैं होऊं निहाल, जब भारत दर्श किये हैं -विनीता…
मेरा देश प्रेम,मन है बेचैन कब शांति सन्देश मिलेंगे माटी से प्रेम, इसकी सुगंध में रमे हैं होऊं निहाल, जब भारत दर्श किये हैं -विनीता…
तुम साज दो,में स्वर मिलाऊ आवाज़ दो ,संग संग आ जाऊँ लहर लहर आभास तेरा कश्ती दो तो पार हो जाऊँ तुम साज दो,में स्वर…
उमड़ घुमड़ कर छाये घटा देखो चहुँ ओर पंख फैलाय,नाचे वन में मोर ये मधुमास है प्यारा -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
अम्बर बरसे धरती भींगे नाचे श्रष्टि सारी सावन की बरखा प्यारी -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
“आधी रात की आज़ादी की सुबह अभी तक मिली नही थी, दीवारें कई बार हिली, बुनियादें अब तक हिली नहीं थीं , गोरों की गुलामी…
बरखा जरा प्यार बरसा दे कब से प्यासा अंतर है तू प्यास बुझा दे बरखा जरा प्यार बरसा दे बरस बरस बरखा मेरी कितने तुमको…
मैं गा रहा हूं, तुम स्वर मैं स्वर मिलाओ मैं जा रहा हूँ , तुम संग संग आजाओ जाऊंगा न छोड़ कर, गाऊंगा न बिन…
संसार मैं रहना है, संसार मैं जीना है मिलती हैं कुछ खुशियां, कुछ गम भी पीना है कभी होंठों पर मुस्कान कभी आंसू पीना है…
मैं गीत क्या रचूंगी, तुम प्रेरणा न बनते मेरे निष्ठुर उर मैं, वन वेदना न उठते मैं गीत क्या रचूंगी तुम प्रेरणा न बनते -विनीता…
तुम नहीं, तो…… ! : अनुपम त्रिपाठी तुम नहीं; तो ग़म नहीं । ये भी क्या कुछ कम नहीं ।। तुम जो थे, तो ये…
चल वहां जहाँ नहीं गम तुम हो वहां और बस हम सागर सी गहरी जीवन गाथा अम्बर तक है ,प्रीत हमारी साथ चलेंगे हर पल…
चल वहां जहाँ नहीं गम तुम हो वहां और बस हम सागर सी गहरी जीवन गाथा अम्बर तक है ,प्रीत हमारी साथ चलेंगे हर पल…
जब तक है जीवन तब तक इस की सेवा ही आधार रहे विष्णु का अतुल पुराण रहे नरसिंह के रक्षक वार रहे हे प्राणनाथ! हे…
क्या था क़सूर मेरा????? (पीड़ित बेटी आसिफ़ा के सवाल) 1.गहन गिरवन सघन वन में बहुत खुश अपने ही मन मे मूक पशु पक्षी के संग…
क्या था क़सूर मेरा????? (पीड़ित बेटी आसिफ़ा के सवाल) 1.गहन गिरवन सघन वन में बहुत खुश अपने ही मन मे मूक पशु पक्षी के संग…
अभय गान अपने वाणी का मै स्वर आज सुनाता हूँ ले समसीर लेखनी की मै रण नवगीत सुनाता हूँ माँ वीणा पाणी के चरणो मे…
“मैं ढूंढता रहा” :::::::::::::::::: मैं ढूंढता रहा, उस शून्य को, जो मिलकर असंख्य गणना बनते । मैं ढूंढता रहा , उस गाथा को , जिस…
“गीत” :::::::::::: हे!री सखी कैसे भेजूं , प्रिय को प्रणय निवेदन। दूर देश विदेश भय हैं वो मन का मेरे प्रिय साजन। हे! री सखी…
✍?गीत ?✍ ✍ प्रणय निवेदन मेरे तू ही प्रीत है। तू ही आरजू है तू ही मीत है।। रस्मे वफा की कसम तेरी याद है…
तुम देह नहीं तुम देहाकार हो देह में हो देह से मगर पार हो क्या दिखायेगा रूप दर्पण तुम्हारा देखो अंतर में, खुलेगा राज सारा…
“गीत” :::::::::::: हे!री सखी कैसे भेजूं , प्रिय को प्रणय निवेदन। दूर देश विदेश भय हैं वो मन का मेरे प्रिय साजन। हे! री सखी…
Ek Sapne Ke Piche Bhaag Rahi Hu Main, Na Jane Yeh Sach Hoga Bhi Ya Nahi, Phir Bhi Umeed Ka Man Me Deep Jalaye, Chali…
सावन का मुग्ध फुहार तू है । बूंदो की रमणीक धार तू है ।। कोमल वाणी मे खिली, आह! लचक सुरीली । खनकती बोली मे…
क्षणिका ?:– ✍ जब गम सताता है, गाने मैं गुनगुनाता हूं । जब ददं रुलाता है, तराने मैं सजाता हूँ ।। (1) जब रंज बढ…
–:?गीत ?:- ✍ सावन का मुग्ध फुहार तू है । बूंदो की रमणीक धार तू है ।। कोमल वाणी मे खिली, आह! लचक सुरीली ।…
–:?गीत ?:- ✍ सावन का मुग्ध फुहार तू है । बूंदो की रमणीक धार तू है ।। कोमल वाणी मे खिली, आह! लचक सुरीली ।…
स्वच्छ्ता हो प्राथमिकता स्वयं से शुरुआत करिए। स्वच्छ हो घर-बार अपना स्वच्छता हो सार अपना ग़र नहीं मिलता समय तो दीजिए इतवार अपना मामला सबसे…
गांधी जी का सपना सच करके हम दिखाएंगे अपने भारत को हम स्वच्छ भारत बनाएंगे साफ-सुथरी गलियां होगी साफ सुथरा होगा गांव साफ सफाई करने…
Zindagi me tera saath dungi sanam chahe aa jaye kitne hi mujhpe gam,na hi chuuta hai aur na hi chuutega jab tak hai,mera tera saath…
*मन थिरक उठो…”* *********** कभी पुराने नहीं रहेंगे ये रसभरे , सुरीले गीत । सदा नयापन। देंगे मन को , यह है इन गीतों की…
बोल दू ! जो बातें दबी है इस दिल में बोल दू! जो साँसे महसूस होने लगी है। मोड़ दू! इन नगमों का रुख तेरी…
मैं आसमां की ऊंचाइयों को छू लूंगी, तू पिंजरा तो खोल ज़रा। मैं दिल की गहराइयों को छू लूंगी, तू1मुझे वक्त तो दे ज़रा। मैं…
अवसाद का विक्षोभ नीरव, चपल मन का क्लांत कलरव देखता पीछे चला है लगा मर्मित स्वरों के पर । शुष्क हिम सा विकल मरु मन,…
sloth goti cholchey gari ajo thomkey daraye eye mon amari khub chena akta goli diye jekhaney hetey chilam bhalobashar sopno niye abujh se mon ajo…
मैं अकेला था अकेला हूँ अकेला रह गया, ज़िन्दगी की धूप छाँव सब खुशी से सह गया। टूटा हूँ पत्ते सा क्यूँकि मेरी सूखी डाली…
*ओ बाबुजी…* बहुत याद आते हो ओ बाबूजी दिल को रुलाते हो ओ बाबुजी ।। जीना तुम्हारे बिन गवारा नहीं धड़कते हो सीने में ओ…
भूल जाना मोहब्वत को मुमकिन नही भूल जाने की तुम यूँ ही जिद्द न करो अश्को को तुम छुपा लोगे माना मगर इन नजरों को…
रंग क्या होंगे—? ————————- लिखेगी लेखनि कौन सा अक्षर स्याही के रंग क्या होंगे–? लफ़्जें कहेंगी कहानी कौन सी कथाओं में उमंग क्या होंगे—? झलकेगा…
तन वदन मन खिलखिलाता , जब किसी का पत्र आता । पत्र के उर में बसे हैं , प्रेमियों के भाव गहरे । दूर हों…
आ गया अब शीत का मौसम कंपकंपी के गीत का मौसम । झील सरिता सर हैं खामोश अब न लहर में तनिक भी जोश वृक्ष…
सर्दियों में धूप मनको जिस तरह प्यारी लगे । आपकी छवि व्यथित मन को परम सुखकारी लगे । मौन रह.अनकही बातें , शेष कहने को…
ऊपर से कुछ दिख न पाए , अंदर अंदर होता है गहराई में नप न पाए , प्रेम समंदर होता है लोगो ने है कितना…
अब ना गाऊंगा गित तेरे यादो की. अब ना चाहुंगा प्रित तेरे सांसो की. कुछ थमा तुम्हारे हमारे बिच यादो का गुलिस्ता. जो हमसफर रुठ चुका हमारे घर से. जो चूक चुका महफिल की रंजोगम से. फिर गित ना गा पाऊंगा. महबूब तुझे गुनगुना ना पाऊंगा. अवधेश कुमार राय “अवध”
दुनियाँ का कोई कानून चलता नहीं। रौशनी का दिया कोई जलता नहीं। कोशिशें अमन की दफन हो गयी हर मुद्दे पे बंदूक चलन हो गयी॥…
मेरी बातों में बस तुम थी , मगर मेरी बात कम आंकी तेरे यारों के कुनबे में , मेरी जात कम आंकी अपने अल्फाजों से…
हृदय–पटल पर नृत्यमय नुपुर झनक से झंकृत हूँ विस्मित मैं मधु-स्वर से विह्वल अभिराम को आह्लादित तिमिर अंतस को कर धवल— कनक–खनक करके उज्जवल सारंग–सा…
किस्मत हमारी लटक रही है जैसे पाव में पायल , भारत माँ विलख रही है जैसे दीन-दुखी घायल , जिस आँचल में पले- बढे उसमे…
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