Radha ke dukh
तुझे मेरी याद न आई,
ओ कान्हा तूने कैसी ये प्रीत निभाई,
छोड वृंदावन चले गए तुम,
लौट के फिर आए नहीं तुम,
हमजोली संग रास रचाया,
गोपियों को भी खूब सताया,
,तूझ बिन मै तो सूझ बुझ खोई,
अंखियो मे अब नीद नही है,
नयनो से आसू बहते है,
वादे जो मुझसे किये थे,
फिर क्यों हमें भूल गए बनवारी,
ओ कान्हा तूने कैसी ये प्रीत निभाई,
तुझ बिन सूनी वृंदा की गलियां,
कैसे बीतेगे दिन ये रतिया
लौट के तुम आए न एक बार,
भेज दिए उद्धव को मेरे पास,
तुम्हें मेरी याद न आई,
ओ कान्हा तूने कैसी प्रीत निभाई |
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NIMISHA SINGHAL - October 31, 2019, 3:42 pm
Bhut sunder 🌺
Poonam singh - October 31, 2019, 3:45 pm
Thanks
राम नरेशपुरवाला - October 31, 2019, 4:44 pm
Nice
Poonam singh - October 31, 2019, 7:23 pm
Thanks
Kumari Raushani - October 31, 2019, 6:03 pm
वाह
Poonam singh - October 31, 2019, 7:23 pm
Thanks
देवेश साखरे 'देव' - October 31, 2019, 6:23 pm
Nice
Poonam singh - October 31, 2019, 7:23 pm
Thanks
महेश गुप्ता जौनपुरी - November 3, 2019, 8:42 pm
वाह
राही अंजाना - November 5, 2019, 3:05 pm
Wah
nitu kandera - November 8, 2019, 10:31 am
Good
Abhishek kumar - November 24, 2019, 11:52 pm
🙏🙏🙏