Chandra
मेहनत रंग लाती है
October 5, 2021 in मुक्तक
मेहनत रंग लाती है
हमें मंजिल दिलाती है,
बिना मेहनत किसी के पास
कोई चीज आती है।
सलिल
September 27, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
सलिल जीवन में
कितना जरूरी है,
सलिल के बिना सब
जिन्दगी अधूरी है।
सलिल ही प्यास बुझाता है
सलिल पावक बुझाता है।
सलिल मुरझाये पौधों में
नया जीवन
सजाता है।
सलिल इतना जरूरी है।
गाली देना सरल है,
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
गाली देना सरल है,
मुँह से गलत शब्द निकालना
बहुत सरल है।
इंसान को
आस्तीन का सांप,
दो-गला, दो-गले कहना
बहुत सरल है।
फिर भी आंखों में
तरल है।
यह अमिय है या
गरल है।
फूटी आंख नहीं सुहाते,
मुझे अपने से आगे बढ़ने वाले
मैं ही बोलूँ,
सब लगा लें अपनी जुबान में ताले।
स्नेह एक बार जो हुआ
वो मिटता नहीं है
लेकिन स्नेह वक्त बेवक्त
गाली सहता नहीं है।
गाली ही तो तोड़ देती है
सब कुछ,
बाकी तो चलता रहता है
बहुत कुछ।
दूसरों पर निशाना
May 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
दूसरों पर निशाना साध कर,
तुम सुखी नहीं रह सकते,
जब खुद जहर बाँटोगे तो,
दूसरे से अमृत की,
आशा नहीं कर सकते।
न तुम्हारा राज था,
न तुम्हारा राज रहेगा,
खुद को शेर समझने वाले को,
सवा शेर मिला ही है,
मिलता ही रहेगा।
प्रेम पाने के लिए,
थोड़ा प्रेम देना पड़ता है,
झुकना पड़ता है,
अकड़ कर चलने वालों को
तो
केवल टेंशन में रहना पड़ता है।
आहट होते ही
May 23, 2021 in मुक्तक
कुएं का मेंढक
समझता है और आएं नहीं
मैं ही टर्राते रहूँ,
राज अपना समझ कर
और पर गुर्राते रहूँ।
दूसरों के आने की
आहट को सुन
पूरा तालाब गंदा कर देता है।
जहर उगलने वाले
May 23, 2021 in मुक्तक
सबसे भयानक मंजर
वह होता है,
जब जहर उगलने वाला
खुद को विदूषक
समझने लगता है।
मन में इर्ष्या जलन और
खुद ही पाऊँ और न पायें
की भावना रखकर
कुएँ के मेढ़क की तरह
उछलने लगता है।
चूर करती है
May 9, 2021 in मुक्तक
लेखनी चलती है
घमंड चूर करती है,
जो उड़ता है हवा में ज्यादा
उसे जमीं में आने को
मजबूर करती है।
महक रहा है सावन
April 28, 2021 in मुक्तक
महक रहा है सावन
सुन्दर सुन्दर कविताओं का आँगन,
और महक आ गई है जब से
हुआ नये कवियों का आगमन।
साहित्य साहित्य है
April 5, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
साहित्य साहित्य है
न हार न जीत है,
न जद्दोजहद है,
न ही संघर्ष है।
न दूसरे पर निशाना है,
न कोई बहाना है,
साहित्य साहित्य है,
संघर्ष नहीं है।
साहित्य दर्द है जीवन का
साहित्य जीवन की खुशी है,
साहित्य न कोई लफ़ड़ा है
साहित्य न कोई झगड़ा है, साहित्य प्रेम है,
साहित्य मन का है
स्वान्तः सुखाय है
बहुजन हिताय है।
साहित्य आनन्द है
साहित्य उमंग है।
साहित्य जीवन के
करीब और संग है।
नव प्रभात सजा है
April 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
नव प्रभात सजा है
नई किरण आशा की लेकर
यह प्रभात सजा है।
फूल खिले हैं गमलों में
आतुर हैं मिलने किरणों से
चिड़ियाओं के नैन लग रहे
छोटे से हिरनों से।
जनवरी की ठंड है
January 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
जनवरी की ठंड है
पर ढल रही सी ठंड है
कम हुआ है कोहरा
लेकिन अभी भी ठंड है।
बढ़ रहे हैं दिन
घट रही हैं रात
कटकटाना कम हुए हैं
ठंड से अब दांत।
सूर्य की किरणें में
अब बढ़ने लगा है ताप,
थम गई है निकलती
साँस से अब भाप।
अरी वो धूप
January 9, 2021 in मुक्तक
अरी वो धूप
तुम क्यों डर गई ठंडक से
चीर कर आ जाओ
हमें तपा जाओ,
जीने की राह दिखा जाओ
कुहरे को दूर कर
आ जाओ।
चाँद
December 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
रात की ठंड में
चाँद कैसे चल रहा है,
चाँद तो चाँद है
सितारों का यूँ टिमटिमाना
ठिठुरना लग रहा है।
ओढ़कर कर चादर
नीली आसमां की
सफर यह चल रहा है।
दर्द
September 23, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
जीवन जुड़ा दर्द लिखना
जीवन से जुड़ा दर्द पढ़ना
मेरी आदत में शामिल है
सच कहना, सच को ही सुनना।
कवि कुछ सच्ची कविता कह दो
जिसमें जीवन की पीड़ा उभरे
वो घाव भरने ही होंगे
चाहे वो हों कितने गहरे।