Ajnabi
रखू……
January 3, 2017 in शेर-ओ-शायरी
बड़ी कश्मकश में फ़स गया हु मैँ
उस से आखरी मुलाकात के बाद
के उसको पाने का दिल में शौख रखू
या किया हुआ वादा निभाने का खौफ रखू……….!! (d k)
होश, बेहोश……
January 3, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता
अपने हुसन से पर्दा उठाते हुए वो
बोले हमसे कुछ इस अंदाज़ में साहिब
हमें देखने के बाद, होश में रहोगे तुम
या औरो की तरह बेहोश रहोगे………….!! (d k)
आखरी खुवाईश…….
January 3, 2017 in शेर-ओ-शायरी
आखरी खुवाईश के तोर पर उसका ये सवाल था हम से
के मरना चाहेंगे हम खंज़र से, या उनकी बेवफाई का शिकार बने…….!! (d k)
देखी……
January 3, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता
उनके दिल की हमने एक अजीब खुवाईश देखी
शहर में उनके मौत की अलग ही नुमाईश देखी
फनाह होने लगे लोग उसके एक इशारे पर वहा
उसके शहर मे मोहोब्बत की अलग ही आजमाईश देखी………!! (d k)
हो जाऊ……
January 3, 2017 in शेर-ओ-शायरी
खुवाईश-ऐ-दिल के चलते मैं राख हो जाऊ
के तुम्हारा रहू या फिर ख़ाक हो जाऊ……….!! (d k)
शौख……
January 3, 2017 in शेर-ओ-शायरी
हम दोनों का शौख भी बड़ा अजीब है साहिब
हम उन पर मेहरबान है, और वो हमारी शायरी पर……………!! (d k)
Ho……….
December 30, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
क्यों मुझ से रूठे रहते हो तुम
क्यों तुम मुझ से नज़रें चुराते हो
जानते हो जी नहीं सकता तुम्हारे बगैर
क्यों मुझे इतना इश्क़ मैं तरसाते हो
न जाने कितना इंतज़ार करता हु मैं तुम्हारा
क्यों तुम मेरे दिल को इस कदर जलाते हो
कभी आओ तुम मुझ से मिलने को साजन
क्यों मुझे तुम इतना चाहत मे तड़पाते हो
क्यों मुझ से रूठे रहते हो तुम
क्यों तुम मुझ से नज़रें चुराते हो ………………..!! (d k)
Nahi Karte…….
December 30, 2016 in शेर-ओ-शायरी
दर्द कागज़ पैर यूँ ही बिका नहीं करते
इश्क़-ऐ-गम अक्सर दिल मैं छुपा नहीं करते
होना परत है फनाह भी इस चाहत मैं साहिब
जो डरते है इस से वो मोहोब्बत करा नहीं करते……………..!! (d k)
Jyada ho gai…….
December 30, 2016 in शेर-ओ-शायरी
मोहोब्बत की आज़माइश कुछ ज्यादा हो गई है
इश्क़ की नुमाइश कुछ ज्यादा हो गई है
लोग अब खेल समझने लगे है इस पाक रिस्ते को
शायद चाहत की खुवाईश कुछ ज्यादा हो गई है ……………..!! (d k)
Khoobsurat Ahsaas…..
December 30, 2016 in शेर-ओ-शायरी
एक बात मुझे याद आती है खूबसूरत
वो रात याद आती है खूबसूरत
जब मिला करते थे हम दोनों दुनिया से तनहा हो कर
वो मुलाकात मुझे याद आती है खूबसूरत……………..!! (d k)
Kya Manga…….
December 30, 2016 in शेर-ओ-शायरी
उसने हमारी ज़िन्दगी के लिए क्या माँगा
हमने उसकी ज़िन्दगी के लिए क्या माँगा
हमें मिलता कभी एक कटरा-ऐ-खुसी तो सोचते
हमें मिल गया सब कुछ, इश्क़ मैं उसने जो माँगा …………….!! (d k)
Bhul Gaye…….
December 30, 2016 in शेर-ओ-शायरी
वो हमको गले से लगाना भूल गए
रुलाने के बाद हमको हसाना भूल गए
कुछ इस कदर खो गए वो अपनी शख्शियत-ऐ-बेवफाई मैं
जिन्दा मार तो दिया, मगर हमको काबर मैं दफनाना भूल गए ……..!! (d k)
khata-e-ishq……
December 30, 2016 in शेर-ओ-शायरी
मोहोब्बत मैं किसी की कोई खता नहीं होती
दिल मैं हर किसी के हरदम बफा नहीं होती
जरा संभल कर जाना इस समुन्दर-ऐ-इश्क़ मैं साहिब
ये वो नासूर है दिल का, जिसकी कोई दवा नहीं होती……………..!! (d k)
Na tum karna, Na main karunga……
December 30, 2016 in शेर-ओ-शायरी
रिश्तों के दरमियान शक न तुम करना, न मैं करूँगा
मोहोब्बत कभी कम न तुम करना, न मैं करूँगा
जरुरत पड़ी तो आज़मा लेना हमको बिना एक लव्ज़ कहे
अंजाम की परवाह न तुम करना, न मैं करूँगा……………….!! (d k)
khwaish-e-Dil……
December 30, 2016 in शेर-ओ-शायरी
काश ऐसा दिन भी कभी आया होता
जब उसने मुझे गले से लगाया होता
और कहता मुझ से क्यों उदास हो तुम
और उसने मुझ को अपना सब कुछ बताया होता………!! (d k)
kashmakash…….
December 30, 2016 in शेर-ओ-शायरी
काश उसने हमारी मोहोब्बत को कभी समझ होता
काश उसने कभी हमारे दिल मैं झाँका होता
कितनी सिद्दत से छह है उसको ये पता चलता उसको
काश उसने कभी हमसे खुद के बारे मैं पूछा होता……..!! (d k)
khaak…….
December 30, 2016 in शेर-ओ-शायरी
आज हम हर बात साफ़ कर देंगे
उसको और ज़िन्दगी उसकी आबाद कर देंगे
खुद को मीट कर हम एक बात साबित कर देंगे
हम पीछे नहीं हटेंगे , चाहे खुद को ख़ाक कर देंगे ………!! (d k)
Saja……
December 30, 2016 in शेर-ओ-शायरी
मोहोब्बत को तो लोग यूँ ही बदनाम करते है
सजा तो साहिब बेवफाई देती है
दे कर ज़िन्दगी भर का गम इंसा को ये ,
ज़िंदा-लाश बन जाने की सजा देती है ………………!! (d k)

Love’s Fact……..
December 24, 2016 in English Poetry
Rakhta hai…….
December 22, 2016 in शेर-ओ-शायरी
Apna, Praya……
December 22, 2016 in शेर-ओ-शायरी
Karte hai……..
December 22, 2016 in शेर-ओ-शायरी
Rakhte Ho……
December 22, 2016 in शेर-ओ-शायरी
क्या करू…..
December 16, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुझ से मोहोब्बत की आजमाईश करू
या तुझ से अपने दिल की कोई खुवाईश करू
करू तेरे इस चेहरे का सज़दा ,
या फिर अपने इश्क़ की नुमाइश करू……….!!

मैं हु एक शराबी शराब जानता हू
December 14, 2016 in Poetry on Picture Contest
मैं हु एक शराबी शराब जानता हू
कुछ नहीं सिवा इसके नाम जानता हू
उतर जाती है ये सीनै में सुकून देने
कुछ नहीं में इसका ईमान जानता हू
मैं हु एक शराबी शराब जानता हू
कुछ नहीं सिवा इसके नाम जानता हू
टूटे हुए दिलो को सुकून बड़ा देती है ये
कुछ नहीं में बस इसका अरमान जानता हू
मैं हु एक शराबी शराब जानता हू
कुछ नहीं सिवा इसके नाम जानता हू
न करो कोई इस मासूम को यूँ ही बदनाम
कुछ नहीं बस में इसका हर नाम जानता हू
मैं हु एक शराबी शराब जानता हू
कुछ नहीं सिवा इसके नाम जानता हू
लोग तो यूँ ही कहते है मुझको न पीयू में इसको
कुछ नहीं में इसका हर अंजाम जानता हू
मैं हु एक शराबी शराब जानता हू
कुछ नहीं सिवा इसके नाम जानता हू…………………………..!!

कातिल नज़र
December 14, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
न तीर चल सकेगा,
न आज तलवार चल सकेगी
आज कत्ल-ऐ-आम होगा,
बस उनकी कातिल नज़रों से…………!!

दिखाई पड़ता है
December 14, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
तेरी आंखें में जैसे कोई नशा दिखाई पड़ता है
तेरे होंठ में जैसे कोई मदिरा दिखाई पड़ता है
ये तेरा धीरे धीरे पलकों को उठा कर हँसना
तेरे मुस्कुराहट में जैसे कोई कतल-ऐ-अंदाज़ दिखाई पड़ता है
ये तेरे सुनहरे, रेशम जैसे बाल क्या कहू
तेरे बालों की लटें जैसे कोई घटा दिखाई पड़ता है
यूँ तेरा एकटक हमको देखना बिना नज़रें झुकाये
तेरे आँखों में जैसे कोई अपना दिखाई पड़ता है
तुझे पा तो लिया मगर यकीं नहीं आता दिल को
तेरे प्यार में जैसे कोई सपना दिखाई पड़ता है…………………….!!

कैसे रहते है हम
December 14, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
पूछा जो उस ने हम से
की अब कैसे रहते है हम,
हमने भी हँस कर जवाब दे दिया
की अब तनहा रहते है हम……………………!!

तनहा-तनहा सा है, बिखरा-बिखरा सा
December 14, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
ये गुलाब थोड़ा तनहा-तनहा सा है
ये गुलाब थोड़ा बिखरा-बिखरा सा है
छूटा है ये शायद किसी के हाथों से
ये गुलाब थोड़ा सहमा-सहमा सा है
रहता है काँटों के साथ है कर, खुसी से
ये गुलाब थोड़ा सेहता-सेहता सा है
सुंदरता इसकी क्या कहे हम तुम से
ये गुलाब थोड़ा जवा-जवा सा है
अभी नहीं निकली है जान इसकी
ये गुलाब थोड़ा हरा-हरा सा है
कोई कमी नहीं दिखती है हमको इस मैं
ये गुलाब थोड़ा भरा-भरा सा है
मनमोहक सी अदा जान पड़ती है इस मैं
ये गुलाब थोड़ा रंगा-रंगा सा है
क्यों फैकते है लोग इस को यूँ ही
ये गुलाब थोड़ा भला-भला सा है
ये गुलाब थोड़ा तनहा-तनहा सा है
ये गुलाब थोड़ा बिखरा-बिखरा सा है …………………………….!!
चले आओ
December 13, 2016 in ग़ज़ल
मेरी मौत का तमाशा देखने चले आओ
के मैं मर रहा हु मुझे देखने चले आओ
कुछ तो मेरे दिल मैं भी अरमान होंगे तुम जानते हो
क्या है मेरी आखरी खुवाईश मुझसे पूछने चले आओ
मोहोब्बत के खातिर न सही, एक इंसा की हैसियत से
एक आखरी बार मुझ से मिलने चले आओ
कब्र मैं जा कर भी मुझे चैन नहीं मिलेगा
सब लोगो के साथ मेरी कब्र पैर माटी गेरने चले आओ
एक आखरी अरमान-ऐ-दिल बचा है ज़िन्दगी का मेरे
मेरी इन आँखों की प्यास बुझाने चले आओ
छोड़ दिया है मैंने अपना वो पुराना घर
मेरे नए घर मैं हाथ बटाने को चले आओ
आखरी वक़्त है मेरा आखरी मेरी खुवाईश है
मेरे कब्र पैर दो आंसू बहाने चले आओ
मेरी मौत का तमाशा देखने चले आओ
के मैं मर रहा हु मुझे देखने चले आओ……………………!!
फितरत
December 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी
उनकी फितरत भी बड़ी कमल की होती थी
रोज़ हमको वो भूल जाया करते थे वो,
हमारी ज़िद्द भी मगर कमल की होती थी
हर रोज़ हम उनको शिद्दत से याद कर लिए करते थे…………………!!
दीवाना कहने लगे
December 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी
अब जा के यकीं आया है मुझ को इस लव्ज़-ऐ-मोहोब्बत पर
के लोग अब मुझको तेरा दीवाना कहने लगे………………………!!
मोहोब्बत करते करते
December 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी
अपनी मोहोब्बत का किस्सा बहुत छोटा है,
बस ज़िन्दगी गुज़र गई, मोहोब्बत करते करते………….!!
न जीने मे मजा, न मरने मे मजा
December 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी
मोहोब्बत का अगर दर्द देने का उसूल न होता,
न जीने मे मजा होता, न मरने मे मजा होता………….!!
कुछ इस तरह से
December 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी
कुछ इस तरह से उस ने हम से मोहोब्बत कर ली
जैसे किसी ने किसी के झूठ पर ऐतबार कर लिया हो…………….!!
कहते है
December 13, 2016 in ग़ज़ल
खुद को शराब, और अपनी जवानी को नशा कहते है
खुद है वो एक मुर्दा और हमको वो फनाह कहते है
हुसन-ऐ-शबाब परोसना एक काम-ऐ-सबाब है उनके लिए
इबादत-ऐ-मोहोब्बत को वो एक संगीन गुनाह कहते है
रूह मर चुकी है उनकी, और जिस्म भी ताड ताड पड़ा है
न जाने किस बात को लेकर वो खुद को जवां कहते है
दिखती है उनकी महफ़िल मैं सबकी निगाहें भूखी हमको
अपने इस माहौल-ऐ-महफ़िल को वो हसीं समां कहते है
टूट कर बिखर गई है शख्शियत उनकी मगर
सबको दिखने के लिए वो अपने जिस्म को गुमा कहते है
खुद को शराब, और अपनी जवानी को नशा कहते है
खुद है वो एक मुर्दा और हमको वो फनाह कहते है……………………….!!
वो भी ज़हर खा बैठे, हम भी ज़हर खा बैठे
December 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी
उनकी तग़ाफ़ुल का नतीज़ा क्या कहे तुम सब से
हम अपनी मोहोब्बत को तबाह कर बैठे,
वो न जी सके हमारे बेगैर, और हम न जी सके उनके बेगैर
वो भी ज़हर खा बैठे, हम भी ज़हर खा बैठे……………………………..!!
अदा-ऐ-इश्क़
December 13, 2016 in ग़ज़ल
बस एक यही अदा हमको उसकी भाती नहीं है
के बुलाने के बाबजूद भी वो मिलने आती नहीं है,
मोहोब्बत है उसको हमसे हम जानते है यूँ तो
बस अपने मुँह से वो हमको कभी ये बताती नहीं है,
बस एक यही अदा हमको उसकी भाती नहीं है
के बुलाने के बाबजूद भी वो मिलने आती नहीं है,
तड़पती है हमको ऐसे जैसे हम कोई गैर हो
थोड़ा सा भी हमको वो सुकून दिलाती नहीं है,
बस एक यही अदा हमको उसकी भाती नहीं है
के बुलाने के बाबजूद भी वो मिलने आती नहीं है,
हक़ है उसका हम पर पूरा जैसे चाँद का सितारों पर
मगर कभी वो अपना हक़ हम पर जताती नहीं है,
बस एक यही अदा हमको उसकी भाती नहीं है
के बुलाने के बाबजूद भी वो मिलने आती नहीं है,
जरूर दर है उसके दिल मैं भी शायद
इशारा तो करती है, मगर कभी बुलाती नहीं है
बस एक यही अदा हमको उसकी भाती नहीं है
के बुलाने के बाबजूद भी वो मिलने आती नहीं है………………..!!
पाक-ऐ-मोहोब्बत, चाहत-ऐ-पाकीज़ा
December 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी
क्या कह मैं तुम सब से अपने दिल के किस्सा
ये किसी के मोहोब्बत का नतीजा है,
मैं हु उसका पाक-ऐ-मोहोब्बत
और वो मेरी चाहत-ऐ-पाकीज़ा है…………….!!
कसूरवार
December 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी
क्यों सजा देते हो इसको,
ये कही से भी गुनाहगार नहीं
सारा कसूर मेरे है लोगो,
ये शराब कसूरवार नहीं…………!!
मासूम
December 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी
कोई गुनाह नहीं है इसका
और न ही ये कसूरवार है,
हर टूटे दिल का भला करती है जो
ये वो मासूम शराब है……………………..!!
लोग तो पीते है इसको, हम पीते है इसको
December 13, 2016 in ग़ज़ल
लोग तो पीते है इसको
खुद को भुलाने के लिए,
हम पीते है इसको
उसको याद आने के लिए,
लोग तो पीते है इसको
किसी से दूर जाने के लिए,
हम पीते है इसको
उसको अपने पास बुलाने के लिए,
लोग तो पिता है इसको
खुद ही मर जाने के लिए,
हम पीते है इसको
थोड़ा और जी जाने के लिए,
लोग तो पीते है इसको
खुद को रुलाने के लिए,
हम पीते है इसको
खुद को हँसाने को हँसाने के लिए,
लोग तो पीते है इसको
मर जाने के लिए,
हम पीते है इसको सिर्फ
“अमर” जाने के लिए……………………….!!
शराब
December 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी
बड़ा सुकून देती है ये शरीर मैं मिल जाने के बाद,
लोग तो यू ही बदनाम करते है इस मासूम शराब को…………..!!
तेरी बेवफाई
December 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी
बहुत काम शब्दो मैं बया कर दी मैंने अपनी सक्शियत
इस से भी काम शब्दो मैं बया करूँगा तेरी बेवफाई को ,
ज़माना भी जान पाएगा तेरे जैसे हरदर्द के किस्से को
ज़माना भी जान पाएगा मेरी इश्क़ मैं हुई रुसवाई को………………….!!
तेरे शहर
December 13, 2016 in ग़ज़ल
तेरे शहर का मौसम मैंने अजीब देखा
लोगो का वह पैर एक अलग तहज़ीब देखा,
खरीद सके न मुझ से इंसा को वो एक कौड़ी-ऐ-खुसी देकर
तेरे शहर के लोगो को मैंने बहुत गरीब देखा,
हर तरफ सन्नाटा और गम का माहौल देखा
हर इंसा को तेरे शहर मैं मौत के करीब देखा,
कैसी किस्मत पाई उन सब ने सोचता हु मैं
मैंने उन सब की लकीरों को बदनसीब देखा,
रोते, बिलखते और दर्द से जूझते हुए थे सब
तेरे शहर का क़ानून बड़ा अजीब देखा,
जिन्दा तो थे वो सब मगर जिस्म मर चूका था
जैसे किसी मूर्दे को मैंने सजीव देखा
तेरे शहर का मौसम मैंने अजीब देखा
लोगो का वह पैर एक अलग तहज़ीब देखा……………….!!
गुनाह
December 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी
तड़प कर देख एक बार ज़ालिम
कभी खुद को किसी पैर फनाह भी कर,
सजा भी बाखूबी मिलेगी तुझ को चाहत मे
बशर्त है की तू मोहोब्बत करने का गुनाह तो कर……………!!
सच्ची मोहोब्बत
December 13, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
दर्द जब उसको होगा,
तब तड़प का उसको भी एहसास होगा,
जब ठुकराएगा कोई उसको,
तब उसको हमारी मोहोब्बत का विश्वास होगा,
न था हमारी ज़िन्दगी मैं कोई उसके अलावा,
न उसके अलावा ज़िन्दगी मैं अब कोई खास होगा,
मिलेंगे जरूर हम ये दिल कहता है हमारा
जिस दिन उसको हमारी सच्ची मोहोब्बत का आभास होगा…………………!!
कैसे करू
December 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी
अपनी पहचान को मैं सर-ऐ-आम कैसे करू
अपनी चाहत को मैं गुमनाम कैसे करू
उसने नहीं की बफ मेरे साथ ये और बात है
भला मैं इस मोहोब्बत शब्द को बदनाम कैसे करू…………………!!
शिकस्त-ऐ-पछतावा
December 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी
सुना है वो फिर से हमें चाहने लगे है
आँखों से आंसू बहाने लगे है
झेल रहे है वो भी शिकस्त-ऐ-पछतावा
सुबह-ओ-शाम हमको बुलाने लगे है……………………………..!!
न मिटा
December 13, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
जान निकल गई जिस्म से मगर,
मोहोब्बत का अरमान न मिटा,
रूठ गई मोहोब्बत मगर,
दिल का ईमान न मिटा,
टूट गया खुवाबगाह चाहत का,
और लूट गई हर चाहत मेरी,
मिट गई पूरी ज़िन्दगी मेरी मगर,
उसकी बेवफाई का गुमान न मिटा…………………..!!