माखन चोरी मत करना

August 6, 2020 in Poetry on Picture Contest

कान्हा देख आगे से ऐसे
माखन चोरी मत करना
बता दे रही हूँ कह दूंगी
मैया से
फिर मत कहना।

अच्छी कवितायें मत लिखना मेरे दोस्त

August 1, 2020 in मुक्तक

अच्छी कवितायें मत लिखना मेरे दोस्त
चंद पैसों में तोले जाओगे
जैसे ही आगे बढ़ोगे
तमाम तरह की गालियां खाओगे।

शायरी

July 30, 2020 in मुक्तक

कुछ इधर से खाया कुछ उधर से
मोटे पेट हो गए
रात भर नकली नोट छापे
सुबह सेठ हो गए

ऐसे दुखी हुए

July 30, 2020 in मुक्तक

दूसरे को आगे बढ़ते देख
वे ऐसे दुखी हुए
रात भर सोये नहीं
सुबह सुखी हुए

मुक्तक

July 29, 2020 in मुक्तक

पढ़ने लिखने में
मन लगाकर
कुछ आगे बढ़ने की
सोच रखो बच्चो
कुछ बनने की
सोच रखो

देश भक्ति

July 28, 2020 in मुक्तक

देश भक्ति की सरिता बहे
देश भक्ति की कविता बहे
ऐसी बरसात हो देश
भक्ति की बाढ़ हो

प्यारी वर्षा ऋतु में

July 27, 2020 in मुक्तक

प्यारी वर्षा ऋतु में
देखो कितनी सुन्दर हरियाली है,
नाहा रहे हैं सारे पौधे
शाखाएं क्या मतवाली हैं,

जय हिन्द

July 27, 2020 in मुक्तक

वीरों को नमन
सैनिकों को नमन
जो भी सीमा में प्रहरी तैनात हैं
उन सभी को नमन
जय हिन्द
जय हिन्द

नाम देश का ऊंचा हो.

July 26, 2020 in मुक्तक

देश की रक्षा
पहला धर्म
देश की रक्षा
पहला कर्म,
जुटे देश की रक्षा को,
नाम देश का ऊंचा हो.

पहचान

July 21, 2020 in मुक्तक

नाम बदलते रहा मैं
चेहरे छुपाता रहा
अपनी झूठी पहचान बनाने को
पैंतरे बदलता रहा,

तालाब- मछली

July 20, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तालाब!! तू परेशान मत हो
तेरी एक दो मछलियों की
फितरत होती ही ऐसी है
कि किसी नयी मछली के आने पर
मचल उठती हैं ईर्ष्या से,
उन्हें लगता है कहीं
ताज न छीन जाए उनकी बादशाहत का
उसे घेर लेती हैं
रोक देती हैं,
नई मछली समझ जाती है
उनकी मनःस्थिति
उसके सामने असलियत का चेहरा
उजागर हो जाता है,

मुक्तक

July 15, 2020 in Other

हम कवियों की श्रेष्ठता का निर्णय
जबसे सॉफ्टवेयर करने लगा,
तब से हम इतने सुपरफास्ट हो गए,
कि
एक घंटे में बीस बीस कवितायें
लिखने लगे,
एक घंटा कहाँ हम लगातार
चार पांच घंटे के भीतर
सौ मौलिक कवितायें
लिखने में सफल हो गए,
और श्रेष्ठ हो गए,
सॉफ्टवेयर बेचारा क्या जाने
हम अपनी मौलिक लिख रहे हैं
या जोड़ तोड़ से,
लेकिन
सॉफ्टवेयर अचंभित तो ही रहा होगा
कि हम सुपरफास्ट हो गए

कवि संघर्ष

July 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गजब संघर्ष सा देखा
कवियों के बीच
अपनी मौलिकता को छोड़कर
होड़ सी करने लगे,
नशा इतना किया गहरा
कि किसी कवि के विचारों को
स्वयं की बोलकर कविता
कहने लगे कविता
खो दी मौलिकता
अभी भी वक्त है जागो
अगर सचमुच में कवि तो
होड़ पुरस्कारों की छोडो
लिखो कुछ नयी कविता
लिखो कुछ सत्य की कविता,
बढ़ाओ प्रेम आपस में,
न बनाओ
संघर्ष कविता को

मुक्तक

July 12, 2020 in मुक्तक

बरसात हो रही है
मन झूम रहा है ऐसे
ऊँचे ऊँचे पेड़ों की
पंत्तियां
झूम रही हैं जैसे,
रिम झिम छम छम
छम छम छम छम

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