इश्क-ए-खुदाई – 6

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

इश्कखुदाई

भी कैसा सौदाई है

खुदी ख़ुद में घोल

ख़ुद को ही पिलायी है

इश्क-ए-खुदाई – 5

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

इश्कखुदाई

भी कैसा सौदाई है

कैदखुदाई में

ना कुंडी है ना पहरा है

इश्क-ए-खुदाई – 4

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

इश्कखुदाई

भी कैसा सौदाई है

ख़ुद को ख़ुद में ख़ुद ही

क़ैद दिलाई है

इश्क-ए-खुदाई – 3

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

इश्कखुदाई

भी कैसा सौदाई है

लाजशर्महयातेह्ज़ीब

इसने भुलाई है

इश्क-ए-खुदाई – 2

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

इश्कखुदाई

भी कैसा सौदाई है

जग की बेजड़सोचें

इसने छोडा़ई हैं

इश्क-ए-खुदाई – 1

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

इश्कखुदाई भी

कैसा सौदाई है

मन  डोर झूम के

यूँ तुझमें बंधायी है

है इरादा गर अटल

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

माना के यह राह् है कुछ जटिल

समाने का मुझमें है इरादा गर अटल

तो मुश्क़िल हर पार तूँ कर जाएगा

काँटों पे चल समा मुझमें जाएगा

सकून

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

दहक रही है जो आग तुझमें

मिलेगा सकून उसे मिल मुझमें

सिमटने की मुझमें तेरी बेकरारी

है मुझे अपनी ख़ुदाई से भी प्यारी

मैं – तूँ

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

हूँ मैं जो रौशनी

है तूँ भी वही रौशनी

हूँ तूँ जो रौशनी

है मैं भी वही रौशनी

ज़िन्दगी ना थी – 11

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

ज़िन्दगी ना  थी कुछ हमारी,

जैसी तुम्हारी

इस ज़िन्दगी के बाद भी

यूई के बुलंद हौंसलों पे

दुश्मन भी इतराते हैं 

ज़िन्दगी ना थी – 10

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

ज़िन्दगी ना  थी कुछ हमारी,

जैसी तुम्हारी

इस ज़िन्दगी के बाद भी

सामने मेरे आने से

अब तूफान भी घभराते हैं

ज़िन्दगी ना थी – 9

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

ज़िन्दगी ना  थी कुछ हमारी,

जैसी तुम्हारी

इस ज़िन्दगी के बाद भी

लिया है सीख

रुख पलट बाधाओं के

हर हाल में जीना हमने

ज़िन्दगी ना थी – 8

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

ज़िन्दगी ना  थी कुछ हमारी,

जैसी तुम्हारी

इस ज़िन्दगी के बाद भी

लिया है सीख

अवरोधों को सर करना हमनें 

ज़िन्दगी ना थी – 7

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

ज़िन्दगी ना  थी कुछ हमारी,

जैसी तुम्हारी

आस्मानी अरमानो के ना थे पंख हमारे,

जैसे तुम्हारे

ज़िन्दगी ना थी – 6

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

ज़िन्दगी ना  थी कुछ हमारी,

जैसी तुम्हारी

आँखों में ना थे सपने रंगीन हमारे,

जैसे तुम्हारे

ज़िन्दगी ना थी – 5

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

ज़िन्दगी ना  थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी

बाज़ूओं को ना था कोई सहांरा, जैसा तुम्हारा

ज़िन्दगी ना थी – 4

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

ज़िन्दगी ना  थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी

बचपन ना था बचपन हमारा, जैसा तुम्हारा

ज़िन्दगी ना थी – 3

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

ज़िन्दगी ना  थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी

मजबूरियाँ थी अजब सबकी हमारी, ना जैसी तुम्हारी

ज़िन्दगी ना थी – 2

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

ज़िन्दगी ना  थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी

दीवारें थी कच्ची कमजोर हमारी, ना जैसी तुम्हारी

ज़िन्दगी ना- 1 थी

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

ज़िन्दगी ना  थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी

पक्की छत ना थी सर पे हमारी, जैसी तुम्हारी

जो हूँ मैं – 8

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

जो हूँ मैं वह जिंदा रंगों-छंदों मैँ,

जो नहीं मैं वह दुनियावी धंधो में

जो हूँ मैं – 7

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

जो हूँ मैं वह हर पल शिल्पकार है,

जो नहीं मैं वह मुर्दा बेकार है

जो हूँ मैं – 6

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

जो हूँ मैं वह अन्दर से हूँ सुंदर,

जो नहीं मैं वह बाहर हूँ आडंबर

जो हूँ मैं – 5

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

जो हूँ मैं वह है सबका सदा,

जो नहीं मैं वह ना किसी का सगा 

जो हूँ मैं – 4

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

जो हूँ मैं वह पूर्ण एह्सास हूँ,

जो नहीं मैं वह शून्य का वास हूँ

जो हूँ मैं – 3

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

जो हूँ मैं वह तो है मेरे सुकर्म,

जो नहीं मैं वह थे मेरे दुष्कर्म

जो हूँ मैं वह सबका मीत है,

जो नहीं मैं वह ख़ुद का गीत है

जो हूँ मैं – 2

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

जो हूँ मैं वह हूँ हवाओ में,

जो नहीं था मैं वह है चिताओ में

जो हूँ मैं वह है सब जगह,

जो नहीं मैं उसकी ना कोई जगह

जो हूँ मैं – 1

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

जो हूँ मैं वह है स्दीवि यहीं,

जो नहीं मैं वह था कभी नहीं

जो हूँ मैं बचा वह तो है असल,

जो नहीं बचा वह था नकल

पल – पल – 4

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

पल पल

बदलतीरचतीघटती इस दुनिया मॆं ,

मन कैसे कहे ,  तुझे पा ही लिया ,

है यूई जानता अब ,

था जो कल , है वोह आज नहीं ,

है जो आज , होगा वोह कल नहीं

पल – पल – 3

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

पल पल

घटता बहुत कुछ यहां ,

जो रिश्ते कल बुने , देखा उनका अंत आज यहीं ,

ख्वाब नये जो देख रहा , होगा उनका भी अंत यहीं

पल – पल – 2

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

पलपल

रचता यहां कुछ नया ,

जो था कल तक सच , जिंदा वोह आज नहीं ,

है लगता जो आज सच , मौत उसकी कल यहीं

पल – पल – 1

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

पलपल

बदलता सब कुछ यहां ,

जो कल था तूं , है वोह आज नहीं ,

है जो आज तूं , होगा वोह कल नहीं

ਅਜ ਦਾ ਮੁਬਾਰਕ ਦਿਨ

February 23, 2016 in ਕਵਿਤਾ ਪੰਜਾਬ

ਅਜ ਦਾ ਮੁਬਾਰਕ ਦਿਨ

 

ਦੋਸਤੋ ਅਜ ਪੋਹੁੰਚ ਨੀ ਸਕਿਆ ,

ਏਹਦਾ ਅਫਸੋਸ ਮੇਨੂੰ I

ਪਰ ਨਾ ਪੋਹੰਚ ਕੇ ਭੀ ,

ਤੁਹਾਡਾ ਹਿੱਸਾ I

 

ਸਚ ਤਾ ਏਹਿ ,

ਮੈ ਤੁਹਾਡੇ ਕੋਲ ,

ਤੇ ਤੁਸੀਂ ਮੇਰੇ ਕੋਲ I

ਅਸੀਂ ਸਬ ਇਕ ਦੂਜੇ ਦੇ ,

ਅਜ ਭੀ ਓਨੇ ਹੀ ਕੋਲ ,

ਜਿਨੇ ਸਾਡੇ ਕਾਲਜ ਦੇ ਬੇੰਚ ,

ਮੇੱਸ ਦੀਆਂ ਕੁਰਸੀਆ ,

ਤੇ ਹੋਸ਼ਟਲ ਦੇ ਕਮਰੇ I

 

ਏਹ ਯਾਦਾਂ ਅਨਮੋਲ ਨੇ ,

ਸਾਡੀ ਸਾਰੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੀਆਂ ,

ਕਮਾਈਆ ਇਨਹਾ ਅਗੈ ਬੇਮੋਲ ਨੇ I

ਯਾਰ ਅਸੀਂ ਅਨਮੁਲੇ ,

ਸੰਗ ਪਾਏ ਆਪਾ ਬੁੱਲੇ ,

ਅਜ ਭੀ ਉੰਹਾ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ,

ਲਈਦੇ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਦੇ ਝੁਲੇ I

                           

ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਭਰ ਨੀ ਭੂਲ ਸਕਦੇ

ਕਾਲਜ ਦੀਆਂ ਮਸਤੀਆਂ ਦੇ ਮੇਲੇ

ਕਟ ਮਾਰ ਕੇ ਚਾਹ ਪੀਣ ਜਾਣਾ

ਮੇੱਸ ਦਾ ਖਾਣਾ ਛਡ

ਰਿਸ਼ੀ ਢਾਬੇ ਜਾਣਾ

ਕਾਲਜ ਤੋ ਸ਼ਹਿਰ

ਬਿਨਾ ਟਿਕਟ ਜਾਣਾ

ਗਿੱਲਾ ਵਾਲੇ ਕਾਲਜ ਕੇਹ

ਆਪਨੀ ਮੁਛ ਨੂੰ ਵਟ ਜੇਹਾ ਦੇਣਾ

 

ਪੂਰਾ ਸਮੇਸਟਰ ਮਸਤ ਕਲੰਦਰ ਰਹਨਾ

ਪੇਪਰਾ ਅਗੈ ਆਪਣੀ ਬੇਂਡ ਬਜਾਨਾ

ਸਭ ਨੇ ਇਕ ਦੂਜੇ ਦਾ ਹੋੰਸਲਾ ਵਧਾਨਾ

 

ਰਹੇ ਕੋਏ ਵੀ ਵੇਲੇ

ਅਸੀਂ ਯਾਰ ਅਨਮੁਲੇ

ਅਸਾਂ ਰਚਾਏ ਏਹ ਜੇਹੜੇ ਮੇਲੇ

ਰਖਨੇ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਭਰ ਏਹ ਖੇਲੇ

 

                         …… ਤੁਹਾਡਾ ਵੀਰ

                                                      ਵਿਜੇ ਸ਼ਰਮਾ

ਪਿਆਰੀਆ ਨਿਸ਼ਾਨੀਆ,

February 23, 2016 in ਕਵਿਤਾ ਪੰਜਾਬ

ਠੰਡ ਦੇ ਮੋਸਮ ਦੀਆਂ ਪਿਆਰੀਆ ਨਿਸ਼ਾਨੀਆ,

ਸਾੰਭ ਸਾੰਭ ਰਖੀਆ ਮੈ ਪੂਰੀਆ ਜਵਾਨੀਆ,

ਵਿਜੇ ਦੇ ਦਿਲ ਤੇ ਲਿਖੀਆ ਜਿਨਹਾ,

ਨਿਘੇ ਪਿਆਰ ਦੀਆ ਕਿਨੀਆ ਕਹਾਨੀਆ I

ਨਿਘੀ – ਨਿਘੀ ਠੰਡ

February 23, 2016 in ਕਵਿਤਾ ਪੰਜਾਬ

ਨਿਘੀਨਿਘੀ ਠੰਡ

 

ਮੇਰੇ ਪਿੰਡ ਦੀ , ਨਿਘੀ ਨਿਘੀ ਠੰਡ,

ਨਿਘੇਨਿਘੇ ਪਿਆਰ ਦੀ , ਅਵਾਜ਼ ਬਣ ਜਾਂਦੀ I

 

ਭਾਪਾ ਜੀ ਦਾ ਮੈਨੂੰ ਭਰ ਸਰਦੀਆ,

ਸਾਇਕਲ ਤੇ ਬਿਠਾ ਪਹਲੀ ਬਸੇ ਚੜਾਓਨਾ,

ਵਾਪਸ ਜਾੰਦੇ ਆਪਨੀ ਚਾਦਰ ਲਾਹ ਮੈਨੂੰ ਲਪੇਟ ਜਾਣਾ,

ਪਿਓ ਦੇ ਪਿਆਰ ਘੁਲ, ਠੰਡ ਦਾ ਨਿਘਾ ਹੋ ਜਾਣਾ I

 

ਦਸੰਬਰ ਚੜਦੇ ਮਾਂ ਦਾ ਰਾਤਾਂ ਜਗ, ਪਿਨੀਆ ਦੇ ਕੁਜੇ ਬਨਾ ਲੈਣਾ,

ਭਰ ਸਰਦੀਆ ਗਰਮ ਦੁਧ ਨਲ ਜਬਰਦਸਤੀ ਖਿਲਾਨਾ,

ਇੰਨਾ ਪਿਨੀਆ ਠੰਡੇ ਮੌਸਮ, ਅੰਦਰੋ ਨਿਘ ਜੇਹਾ ਪਾਨਾ I

 

ਦਾਦੀ ਦਾ ਭਰ ਸਰਦੀਆ, ਕਚੇ ਕੋਲਿਆ ਦੀ ਅਗ ਭਖਦੀ ਰਖਨਾ,

ਮੈਨੂੰ ਆਪਣੀ ਬੁਕਲ ਲਪੇਟ , ਠੰਡ ਤੋ ਬਚਾ ਰਖਨਾ,

ਮੇਰੇ ਨਿਕੇ ਨਿਕੇ ਪੈਰਾਂ ਨੂੰ , ਏਨਾ ਕੂ ਸੇਕ ਕੋਲੀ ਰਖਨਾ,

ਕੇ ਠੰਡ ਰੁਕ ਭੀ ਜਾਵੇ, ਤੇ ਸੇਕ ਭੀ ਲਗ ਨਾ ਜਾਵੇ I

 

ਜਦੋਂ ਨਾਲ ਵਾਲੀ ਭਾਭੀ , ਦੇਰ ਰਾਤ ਠੰਡ ਨਾਲ ਕੰਬਦੀ,

ਸ਼ਾਲ ਲਿਪਟਿਆ ਗਰਮ ਸਾਗ ਦਾ ਕੁਜਾ,

ਦੇ ਮਾਂ ਨੂੰ ਆਖਦੀ, ਏਹ ਮੇਰੇ ਵੀਰ ਦਾ,

ਸਮਾਜ਼ ਚੌ ਗਵਾਚਦਾ ਪਿਆਰ, ਨਿਘਾ ਹੋ ਜਾਪਦਾ I

ਹੱਟੀ ਅਨਮੋਲ

February 23, 2016 in ਕਵਿਤਾ ਪੰਜਾਬ

ਮੇਰੀ ਹੱਟੀ ਅਨਮੋਲ

ਏਹਦਾ ਨਹੀਓ ਕੋਈ ਮੋਲ

ਵਿਜੈ ਨੂੰ ਕਹਿਦੇ ਨੇ ਵਪਾਰੀ

ਹੈ ਏਹ ਸਿਰਫ ਰੂਹ ਦਾ ਲਿਖਾਰੀ

ਏ ਝੂਠ

February 23, 2016 in ਕਵਿਤਾ ਪੰਜਾਬ

ਜੇ ਤੈਨੂੰ ਤਨ ਤੇ ਮਾਣ

ਤਾ ਕੋਈ ਹੋਰ ਹਟ ਪਛਾਣ

ਮੇਰੇ ਮਨ ਨੂੰ ਨਾ ਜਾਣ

ਝੂਠ ਨਾ ਕਮਾਨ

ਤਨਾ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤੇ

February 23, 2016 in ਕਵਿਤਾ ਪੰਜਾਬ

ਮਨਾ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤੇ

ਸਦਾ ਨਿਭਨ ਸਾਹਾ ਤਾਈ

ਤਨਾ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤੇ

ਕਦੀ ਸਵੇਰ ਨਾ ਵਿਖਾਈ

ਮੇਰੇ ਇਸ਼ਕੇ ਦੀ ਹੱਟੀ

February 23, 2016 in ਕਵਿਤਾ ਪੰਜਾਬ

ਮੇਰੇ ਇਸ਼ਕੇ ਦੀ ਹੱਟੀ

ਬਸ ਮਨ ਬਿਕਦਾ

 ਮੈਂ ਹਾ

ਮਨ ਦਾ ਵਪਾਰੀ

ਮੇਰਾ ਮਨ

ਮਨ ਹੀ ਰਿਸਦਾ

वोह दर्द

February 23, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

आँखों से जो बह निकले ,

                              वोह दर्द ज़रा से हल्के थे

       जो दिल ही दिल में द़फन हुए ,

                              वोह दर्द यूई के अपने थे  

                                                                     …… यूई

याद-ए-बचप्न

February 23, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

यादबचप्न

दिल को मुसकराती है

यादमेह्बूब

खूनअश्क रूलाती है

ख़ुदा

मेरा यार लौटा दे

या अगले बचपन में पहूँचा दे

 

                                              ..….  यूई

मैं खामोश

February 23, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

                       उदास लम्हों की गहराईयों में

                       मैं खामोश

                       महफिलो की रंगीनीयों में

                       मैं खामोश

                       यह खामोशी ही अब

                       यूई की पहचान है

…….यूई

सैलाब

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

यह रुके हुए आँसुओं का हिज़ाब है

                       या फिर आने वाला कोई सैलाब है

 

                                                             ….. यूई

दर्द

February 23, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

इस दर्द में जीने की

आदत सी हो गई

लगता था उस पल

कि मर जायेंगे

तेरे बिन

अब तो

यह मौत ही

अपनी ज़िन्दगी हो गई

 

                                      ……   यूई

नशा

February 23, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

यह नशा

वोह नशा

इसमे नशा

उसमें नशा

नशे में नशा

सबसे रंगीन नशा

रुक जाओ ज़रा

इतनी जल्दी क्यों है

तुमने वोह नशा चखा ही कहाँ

अभी मैंने तुम्हे छुआ ही कहाँ

एक पल  यूई  को छूने तो दो

फिर बताना कौनसा नशा

                    ………. यूई

मेरा वज़ूद

February 23, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

कभी यहॉ तो कभी वहॉ

मेरा यार मुझ्से पूछे

कि तुम कहॉ

मेरा मन कहे

कि तुम ही हो

मैं कहाँ

यह हमारा इशक

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

दो इशको का मिलन है

             यह हमारा इशक

है खुदा की तसवीर यह इशक

             यह तेरा इशक और यह मेरा इशक

मेरा इशक – तेरा इशक

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

है यह तेरा भी इशक

              और है तो मेरा भी इशक

ना कम तेरा इशक

              ना कम मेरा इशक

दो एह्सासो का मिलन है

             यह हमारा इशक

तेरा इशक

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

मेरा इशक तेरे मन में सिमटा हुआ परिंदा

              तेरा इशक मेरे मन को अपने संग ऊङाता हुआ परिंदा

मेरा इशक तेरे आँचल में सिमटी हुई मेरी रूह

              तेरा इशक मेरी रूह में सिमटी हुई तेरी रूह

मेरा इशक

February 23, 2016 in शेर-ओ-शायरी

मेरा इशक झील का रुका हुआ पानी

              तेरा इशक नदी की बहती हुई धारा

मेरा इशक वोह आग, जो आग को पानी कर दे

              तेरा इशक वोह आग, जो पानी को आग कर दे

New Report

Close