उजास

सब संभव हो यदि हम पूरे मन से चाह ले क्या नहीं बस में है अपना जो खुद की क्षमता जान ले राह निकल ही…

अहम् का फासला

अलफाजो का अहम् किरदार रहा हमारी नजदीकियाँ मिटाने में कभी हम कभी अतःम नासमझ बन बैठे दूरियाँ बढाने में । ना मेरी कोशिश रही तुझे…

लोकनायक

शत-शत नमन उस जन-नायक को लोकनायक से जाने जाते थे भारत-रत्न से सम्मानित, इंदिरा विरोधी कहलाते थे । आज जन्म दिवस है उनका हम नतमस्तक…

भूल गयी खुद को

बनी बनायी राहों पर चलते-चलते भूल गयी खुद को, औरों की सुनते-सुनते । ज़मीर जिसकी गवाही न दे, क्यूँ बढे अबूझ चिन्हों पर अच्छी बनकर,…

रात भर

हमेशा रात-सी खामोशी लिए एक अजीब सी वेचैनी से घिरी- घिरी रहती हूँ । निशा हो या दिवस खुद में ही सिमटी, सूर्य की किरणों…

वो एहसास हो

तुम वो एहसास हो जिसे सोंचकर मन-मस्तिष्क में आतंक सा जाता है । तुझे सोंच कर इन नयनों में आँसूओ का सैलाब उमङ आता है…

तसलीम

क्यूँ हम कृतघ्न ऐसे, मूढ़ बने पङे हैं एक वीरान्गना के कृत्यों को भूल बैठे हैं कोई तो होता, थोङा सा भी तस्कीन देता उनके…

अपना किसे कहे

अंग्रेजी हुकूमत को चकमा दी सेनानियों को बचाने खातिर पति शहीदों में शामिल बम बनाने खातिर घर-वार कर निछावर जेल में पङी थी बाहर आकर,…

शत शत नमन

पिता बाँके बिहारी इलाहाबाद में नाजीर थे महारानी विक्टोरिया की आस्था में लीन थे ससुर “राय साहब” उपाधि से दे मण्डित आसपास के सभी ब्रिटिशों…

दुर्गा भाभी – 02

अनगिनत वर्ज़नाओ की बंदिशो में, नारी जकङी हुई थी क्रांति की अलख जगाने,धधकती विद्रोह में कुद पङीथी मुखबिर, कभी भार्या बन, वतन का कर्ज चुका…

दुर्गा भाभी-01

उम्मीद की लौ जल-जल के बुझ रही थी नाउम्मीदी के तिमिर में, हर साँस जल रही थी परालम्बन भरे जीवन से मुक्ति हमें दिलाने वीर-…

“सावन” मंच हमरा

विविध काव्यों से सजा है न्यारा कविवर ने है जिसे संवारा समालोचना की मुखरता से मिलकर सबने जिसे निखारा छन्द- अलंकार की बहती धारा हाँ,…

कुछ इस तरह

बादलों से चाँद जैसे निकल आया हो आके अपनी छटा से सारी गम की परछाई को मुझसे छिपा आया हो हाँ, कुछ इस तरह तेरा…

विकृति

बेटियों के साथ क्यूँ होता यह बार बार मानसिक विचलन है ये कहते जिसे बलात्कार यह सामान्य नहीं क्रूरतापूर्ण व्यवहार है मानसिक विकृति की ओर…

अर्द्धनग्न फकीर

अपनी दुर्वलताओ से भी अवगत करवाकर दुनिया को बताया, अहिंसा अपनाकर अर्द्ध नग्न फकीर कहा था कभी किसीने। बिना अस्त्र-शस्त्र के ही, चले लाठी ठेकाकर…

इंसाफ

हमारे संविधान की विशेषता असंतुष्टो को भी संतुष्ट होने के अवसर उपलब्ध कराती है यही वजह है कि इंसाफ की प्रक्रिया तारीख़ दर तारीख़ चलती…

क्या दे जबाब

बताइए क्या जबाब दें, उस मासूम को कैसे कहें, बाहर का कोई ठिकाना नहीं है कहाँ, क्या, कौन भेङिया का रूप लिए है तेरी जिन्दगी…

क्यूँ है इंकार

पूछ रही नन्ही परी क्या होता यह दुराचार क्यूँ होता महिलाओं के साथ गलत व्यवहार क्यूँ माँ किसी से बात करने पर टोकती तू क्यूँ…

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