उजास
सब संभव हो यदि हम पूरे मन से चाह ले क्या नहीं बस में है अपना जो खुद की क्षमता जान ले राह निकल ही…
सब संभव हो यदि हम पूरे मन से चाह ले क्या नहीं बस में है अपना जो खुद की क्षमता जान ले राह निकल ही…
हे माँ! तू जीवनदायिनी । तू है माँ इस जग की माता, तेरी ममता हर कोई पाता तुमसे है हमसब का नाता पुत्र कुपुत्र सुने…
कुछ ऐसे भी लम्हे जीवन के जिनके याद का दीपक जलता है घोर तिमिर की खायी में जो प्रकाश बन राह दिखाता है । मन…
हर हर महादेव अब संघार बहुत हुआ थोङी सी करूणा बरसा जाओ। कहलाते हो औघरदानी तुम सन भला कौन विज्ञानी इस व्याधी से, हर परेशानी…
दूर रहकर जीवन यापन करने का फैसला तुम्हारा था मैंने तो बस साथ निभाया, सम्मान किया, जो एकतरफा निर्णय तुम्हारा था। ये खामोशी जो घर…
जब मुझे कयी सवालों के घेरे में रखा जा रहा था, जिनका क़ोई वजूद नहीं आते जाते अंगुली उठा रहे थें बताओ तब तुम कहाँ…
जो दिखता नहीं पर हर घङी अपने होने का आभास हमें कराता है । जैसे ही गर्वित हो बहकने को होते हैं एक हल्की सी…
मेरी अभिलाषा को थोड़ा-सा उङान दे दो हे तात! मुझे मेरी पहचान दे दो कबतक भटकती रहेगी मेरी आत्मा यूँ करते रहोगे, कहाँ तक मेरा…
अलफाजो का अहम् किरदार रहा हमारी नजदीकियाँ मिटाने में कभी हम कभी अतःम नासमझ बन बैठे दूरियाँ बढाने में । ना मेरी कोशिश रही तुझे…
कुछ रातें ऐसी होती हैं जो कयी नये स्वप्न दिखाती हैं जिन्हें पाने की मन में जीजिविषा जगाती हैं । कुछ रातें ऐसी भी होती…
शत-शत नमन उस जन-नायक को लोकनायक से जाने जाते थे भारत-रत्न से सम्मानित, इंदिरा विरोधी कहलाते थे । आज जन्म दिवस है उनका हम नतमस्तक…
तुम्हें खोने का डर एक अनजाने,अनचाहे मुकाम तक पहुंचाएगा खुद को वही रोक लेती अगर मालूम होता हस्र न होता यह अपना । नीचे गिर…
मैं हूँ बेटियाँ, मुझे सभी अपनों का, थोङा नहीं पूरा दुलार चाहिए, अपनी चाहतो को रंग देन, उमंगो के संग, उङने को पूरा आसमान चाहिए…
नित नए विवादों से तंग आकर क्या निकल पङू परसकून की तलाश में । काश कोई करी मिल जाए करार की दस्तखत कर सकें, हर…
बनी बनायी राहों पर चलते-चलते भूल गयी खुद को, औरों की सुनते-सुनते । ज़मीर जिसकी गवाही न दे, क्यूँ बढे अबूझ चिन्हों पर अच्छी बनकर,…
अब तो यह विश्वास भी साथ छोङ रहा “सब अच्छा होगा ” नाउम्मीदी के तिमिर में अब हर उम्मीद भभक रहा क्या पता आगे कौन-…
मुझे रोता हुआ देख शायद तुझे सकूँन मिले मेरे इन आँसूओ की बहती धारा में तेरी रूसवायी का खू मिले ।
तिल-तिल के जलना, मिलना -बिछङना कुछ नया तो नहीं रोज की बात है । जैसे दिनकर का जाना, संध्या का मुस्काना, गगन धरा के मिलन…
तुम्हीं बताओ कैसे एक नयी शुरुआत करें, तुझे जानकर भी फिर से तुझपर कैसे इन्तिखाब करें । जिनकी फितरत रही हैंअकसर ताश के पत्तों की…
इक दृढ़ संकल्प के साथ करते हैं इक नयी शुरुआत । संकल्प लेना और उसपर अमल करने को तत्पर रहना फिर देखो होती है कैसे…
हमेशा रात-सी खामोशी लिए एक अजीब सी वेचैनी से घिरी- घिरी रहती हूँ । निशा हो या दिवस खुद में ही सिमटी, सूर्य की किरणों…
तुम वो एहसास हो जिसे सोंचकर मन-मस्तिष्क में आतंक सा जाता है । तुझे सोंच कर इन नयनों में आँसूओ का सैलाब उमङ आता है…
वतन पे मर- मिटने वालों का हस्र क्यूँ ये हुआ है रौशनी तो पा लिए हम पर करने वाले धुआँ हैं हर जवान हिन्द का…
क्यूँ हम कृतघ्न ऐसे, मूढ़ बने पङे हैं एक वीरान्गना के कृत्यों को भूल बैठे हैं कोई तो होता, थोङा सा भी तस्कीन देता उनके…
अंग्रेजी हुकूमत को चकमा दी सेनानियों को बचाने खातिर पति शहीदों में शामिल बम बनाने खातिर घर-वार कर निछावर जेल में पङी थी बाहर आकर,…
अपने जीवन के अमूल्य पल, दुर्गा वोहरा सूवा की सुश्रुषा में, इन्तिसाब कर मुमानियत को तोङ, मुल्क के हिफाज़त मे रही जो तत्पर, मिली क्यूँ…
पिता बाँके बिहारी इलाहाबाद में नाजीर थे महारानी विक्टोरिया की आस्था में लीन थे ससुर “राय साहब” उपाधि से दे मण्डित आसपास के सभी ब्रिटिशों…
अनगिनत वर्ज़नाओ की बंदिशो में, नारी जकङी हुई थी क्रांति की अलख जगाने,धधकती विद्रोह में कुद पङीथी मुखबिर, कभी भार्या बन, वतन का कर्ज चुका…
उम्मीद की लौ जल-जल के बुझ रही थी नाउम्मीदी के तिमिर में, हर साँस जल रही थी परालम्बन भरे जीवन से मुक्ति हमें दिलाने वीर-…
किसी का आसरा नहीं करूँ मन में दंभ न भरूँ अभ्यर्थना है प्रभु बस तेरे पनाह में मैं रहूँ
फ़िजाए भी कुछ बदलने लगी शायद असर उसपर भी तेरा छाने लगा
हम तो तेरे मुरीद हैं तुमसे मिले तमस ही मेरे नसीब है
आँखे रोके कहाँ रूकती तफ्तीश में लग जाती हैं छिपे हुए अश्क को पहचान लेती हैं
विविध काव्यों से सजा है न्यारा कविवर ने है जिसे संवारा समालोचना की मुखरता से मिलकर सबने जिसे निखारा छन्द- अलंकार की बहती धारा हाँ,…
कब अपनी इबादत “उन्हे ” तस्लीम होगी सभी सुताओ की ख्वाहिशे महफ़ूज होंगी ।
कोई ख्वाहिश कहाँ कोई पछतावा भी नहीं पतझङ-सी है वीरानी बसंत आया ही नहीं दूर तक फैला है सूनापन जैसे शून्य निकल आया हो हाँ,…
बादलों से चाँद जैसे निकल आया हो आके अपनी छटा से सारी गम की परछाई को मुझसे छिपा आया हो हाँ, कुछ इस तरह तेरा…
बेटियों के साथ क्यूँ होता यह बार बार मानसिक विचलन है ये कहते जिसे बलात्कार यह सामान्य नहीं क्रूरतापूर्ण व्यवहार है मानसिक विकृति की ओर…
बापू हमारे, जन- जन के प्यारे मिली आजादी बापू तेरे सहारे ।। वर्षों से भारत माता सिसक रही थी पाँवो में गुलामी की बेङी पङी…
जिनके तेज के आगे, चाँद की चमक फीकी हो ऐसा कौन है जिसने, अहिंसा से लङाई जीती हो । बिन गोली- बारूद के चला था…
अहिंसा के पुजारी, सत्य, प्रेम , करूणा जैसे मानवीय गुणों की हमें दरकार है । किसानों के हिमायती की दृढ़ता को अपनाने हेतु क्या हम…
अपनी दुर्वलताओ से भी अवगत करवाकर दुनिया को बताया, अहिंसा अपनाकर अर्द्ध नग्न फकीर कहा था कभी किसीने। बिना अस्त्र-शस्त्र के ही, चले लाठी ठेकाकर…
स्मृतियों के झरोखो से ऐसे शूल निकल आए हम फिर से, मिले घावों को अनजाने ही कुरेद आये।
हमारे संविधान की विशेषता असंतुष्टो को भी संतुष्ट होने के अवसर उपलब्ध कराती है यही वजह है कि इंसाफ की प्रक्रिया तारीख़ दर तारीख़ चलती…
कैसे कहें ” सुरक्षित हैं तू” —————–******* हम भारत की आधी आबादी, कबतक सहे दुराचार बढता ही जा रहा, थमता नहीं, हिंसक व्यवहार आख़िर क्यूँ…
हम अभिभावकों के लिए यह कहाँ तक संभव है हर जगह बेटियों के साथ, परछाई बन चल पाना क्या यह उचित होगा, फिर से घर…
बताइए क्या जबाब दें, उस मासूम को कैसे कहें, बाहर का कोई ठिकाना नहीं है कहाँ, क्या, कौन भेङिया का रूप लिए है तेरी जिन्दगी…
पूछ रही नन्ही परी क्या होता यह दुराचार क्यूँ होता महिलाओं के साथ गलत व्यवहार क्यूँ माँ किसी से बात करने पर टोकती तू क्यूँ…
माँ भारती, अब भी चुप क्यों, फिर बिटिया हुई शिकार दुष्कर्म, असह्य पीङ, कत्ल, कर दिया अंतिम संस्कार । अपमान हर महिला का, हर पिता…
इस महामारी में आमजन के कष्टों की दासताँ जानना हो तो बस एक दिन गुजारिए उनके बीच, उनसे मिल, जिनके दिन बितते आजीविका तलाशते रातें…
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