महामना

हे महामानव महामना, श्रद्धान्जली ज्ञापित है तुझको! काशी हिन्दू विश्विद्यालय के प्रणेता बहुआयामी प्रतीभा के धनी, शत-शत नमन् है तुझको तुझ जैसों से ही पुष्पित…

अटलजी

आपकी दूर दृष्टि से भारत निखर कर शिखर की ओर बढ़ चला है आपका दिखाया सपना साकार होने का समय है आने वाला। महानता की…

बन निडर

छोङ न अपनी लगन में कोई कसर दुनिया देखती रह जाएं मेहनत का असर, साहसी बन तू तू हो निडर हाँ यू हीं हो तू…

बदल पाते

दिन अगर बदल सकते पुनः अपने बचपन में लौट पाते । फिर से पापा की नन्हीं परी बन चार पैसे की नेमचुस खरीद लाते। घर…

मझधार

हमें बस जीवंत बोध की दरकार है नहीं मुझे खुद पर, हाँ तुझपर एतवार है हम सजग प्राणी भले हैं पर स्वार्थ से सना अपना…

क्यूँ

यह जख्म कोई नया तो नहीं फिर दर्द का अहसास इतना गहरा क्यूँ ? कयी सितम अपनों ने किये पर उफ ना आज तक हमने…

नन्ही

मेरी नन्ही परी तू हमसब की खुशी । खुश रहना हमेशा कहाँ कोई तेरे जैसा । हम सब हैं तुझसे मगन है तेरी खुशियों की…

कृषक

कृषि हमारे वतन की रीढ़ कृषकों के श्रम से कौम का पेट भरता है । पर इनकी उपेक्षाओ से क्यूँ ना हमारे प्रतिनिधियो का दिल…

सूर्य उपासना

हम आधुनिक होते जा रहे हमारी आस्था आज भी वही हम उपासको के लिए सूर्य परिक्रमण कर रहा पृथ्वी है स्थिर। दर्शाता रह पर्व लोक-आस्था…

खोते अपने

जिसे अपना मानते आये हर बात पर, नुक्श निकालने को आमदा , देखते ही देखते ये कैसे बेगाना हुआ । दर्द जब हद से बढ़ा…

आहट

आकाश-सी फैली ख़ामोशियों में भी ये कैसी अनुगुंज फैली है इन स्याह-सी वीरान रातों में तेरे आने की आहट सुनाई देती है । तू नहीं…

सच कहूँ

हम उस मुकाम पर है जहाँ जिम्मेदारियां सर चढ़ बोलती हैं काम के बोझ तले दबी जिन्दगी, नयी चीजों को सीखने की प्रवृत्ति उदासीन होती…

तोहमत

औरों की सुनते रहे, मुझे अपना क्यू न मान सके तोहमत लगाते, लगवाते रहे मेरे दिल में क्यूँ न झांक सके

लोकतंत्र की जन्मस्थली

लोकतंत्र की जन्मस्थली, लक्ष्वीगणतंत्र जहाँ थी बसी, प्रलोभन नहीं जहाँ बस काम, विकास, आत्मसम्मान की, विजयगाथा पुनः सुनने को मिली।। जहाँ फिर से कर्मयोगी की…

इक़रार

इक इन्तज़ार में रहे कोई अपना हमें प्यार करें हमें जाने समझें हमसे हमारी अच्छाइयों का इज़हार करें! दुख से भागते रहे सुख का दामन…

अख्तियार

गैरो पर राज की चाहत नहीं बस खुद पर हो अख्तियार अपना ख़ुद को हमेशा कमतर आके औरोंको दिखावे की शौक न हो अपना

ख़्वाहिश

तू जो मेरी जिंदगी में आयी मेरी जिंदगी जन्नत हुई । ख़्वाहिशे गगन को छू पायीं पूरी मेरी अधूरी मन्नत हुई। देखी जो तेरा मुखरा,…

नुमाइंदे

बिहार की विडंबना गरीबी की वज़ह से जहाँ की जनता सङको पर निकल पङी वहाँ के 153 करोङ, नुमाइंदे धनाढ्य अथाह धन 53 करोङ की…

इन्तज़ार

कहाँ कभी ऐसा किसी ने सोंचा था एक पीङित, शव से विस्तर साझा करेगा। यह प्रकृति का कहर, या बढती आवादी की लहर जिन्दगी और…

शुमार

आदतों में कहाँ ये शुमार है अपनों के लिए जगह नहीं बस औरों के लिए प्यार है । आपकी अदा है आपका अपना यह सारा…

रस्साकशी

तुम्हारे और मेरे रस्साकशी में पीस कर रह गये अरमान हमारे तुम भी अपनी मर्जी के मालिक समझे न जज़्बात हमारे । पर अब और…

टीस

सवाल और गम के थपेडों के बीच पिसकर रह गये मेरे रूह और जिस्म समझने की कोशिश में, समझते- समझते सारी ख्वाहिश स्वाहा, बस मन…

हिकारत

तुम्हारी हिकारत गहरे पङे जख्म को हरा-हरा कर जाते हैं उपेक्षित किसी और के ख़ातिर मेरे रूह तक को वेध जाते हैं ।

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