कर प्रतिकार तू
नारी तू जो चाह ले रच दे नव संसार तू होने वाले अपमान का करती क्यूँ न प्रतिकार तू ।। कभी दाव पे लगा दिया खुद तेरे ही परमेश्वर ने मौन हुए सब देख रहे, बिलखते छोङ दिया हर अपने ने तेरे चीरहरण के साक्षी बनने थे सब तैयार खङे कान बंद थे जैसे उनके, कैसे सुन पाते चित्कार तेरे सोंच हृदय कंपित है मेरा, कैसे वे भारतवंशी थे निर्वस्त्र होती कुलवधू, कैसे देख रहे, अत्याचार तेरे सत्य शपथ तेरा था, क्यूँ करती क्षमा अप... »