जान गयी
देखो ना, जिन्दगी आज फिर मैं हार गयी किसी और के लिए फिर से गलत ठहरा दी गयी ।। आज फिर मैं यह जान गयी…
देखो ना, जिन्दगी आज फिर मैं हार गयी किसी और के लिए फिर से गलत ठहरा दी गयी ।। आज फिर मैं यह जान गयी…
ॠणी आपके हैं हम सभी, त्याग, तप, पौरूष की गाथा भूलेगे ना कभी । 28 सितम्बर, 1907 का था वो पावन दिवस बसंती चोला धारी,…
आज सवेरे ही मैने निश्चय किया मन में शत्रुता संभाल अब न रखूगी मेरे नज़र से जो भी मेरे दोषी हैं उनके दोष मन से…
हाँ कुछ लोगों को समय रहते ही ज्ञान आ जाए अपनी क्षुधा की तृप्ति में, किसी और का चैन न उङाए
खुशी हो या गमी संग नहीं रहती सदा एक-दूसरे से मिलकर भी रहती जुदा-ज़ुदा
खुद को संभाल पाते, इस लायक ही कहाँ छोङा है कई अपनों ने ही, अपनेपन में, अपना बन, दिल तोङा है
लगता पूछती हो, बता माँ कबतक बंदिशो में रहना होगा कब खुलकर हंसना, बोलना बेखौफ़ घर से निकलना होगा । कब मैं भी बेखौफ़, सुबह…
माँ की सबसे अच्छी सहेली पिता की हर ज़रूरतों का ख़्याल बिटिया के बिना सब अधूरा इसके जैसा कहाँ कोई मिशाल । भाई की हर…
मेरे इन आँखों में प्यार की एक बूंद नहीं कभी इन में प्रेम का समन्दर उमङा था खुद पर पछतावा करें या खामोशी से भूल…
मास्क-सेनेटाइजर से मुक्ति दिला दो प्रभु फिर से वही हमारा जहाँ लौटा दो। जहाँ खुलकर रह सकें, खुली हवा में गमन कर सकें गमगीन है…
बेहतर भविष्य की चाह में, खुद की असीम भावनाओं पर, थोङा-सा संयम रखें । ख्वाहिश गगन को छूने की, पाँव जमी पे टिकी रहे ।।
तुम क्या गये हम तो जीना भूल गए । तेरा छाया था कैसा सरूर तेरा होके था खुद पे गुरूर सच झूठ की कालीमा से…
सोचो कैसे गुज़रे वे पल जब घिरे थे कयी सवालों के घेरे हर तरफ़ बस सुनाने वाले जब साथ देने वाले तुम नहीं थे
आज किन रंगों से सजा होगा यह दिन क़ोई पल न गुजरे प्रभु तुझ बिन आज किन रंगों से सजा होगा यह दिन क़ोई पल…
चलो आज अपनी तन्हा जिन्दगी को नया रूप देते हैं सशंकित ह्रदय में फिर से नव उम्मीदों के बीज बोते हैं । रोज की भागदौड़,…
अधरों पर कभी आया तेरा नाम नहीं नयनों में तेरा प्यार छलक आया हमें चाह नहीं तुझे पाने की दूरियाँ ही मुझे रास आया
समझ में बिलकुल नहीं आता ये कैसी फितरत है इनकी जहाँ देखा नफ़ा अपना हाथ थाम ली उनकी । हल्ला मचा करके बस बात रखनी…
बहुत कोशिश की मैने तुम से दूर जाने की हर कोशिश जाया ही जाती रही हरदम तुम ही दिखाई देते हो, आँखे बंद कर के…
जाना ही था उसको,चला ही गया वो, जाते-जाते बेजान कर गया वो।। जाने वाले को रोक पाया है कहाँ कोई होता है वही जो, नसीब…
हर घर की यह बस मिलती-जुलती गाथा है बेटी का कुछ वर्षों का मैके से नाता है । हीना रचने से पहले थी अलहङ अब…
कयी प्रश्न है मानस पर उभरे यहाँ दस्तूर भी हैं कैसे-कैसे अपने भी हैं क्यूँ पराए जैसे माँ-पापा ने भरपूर स्नेह दिया फिर क्यों कर…
मेरी रैना की शुरुआत है तुझसे इन नैनन की बरसात है तुझसे तुम जो दो मीठे बोल भी दो हर दर्द कबूल मुझे, जो मिले…
हम शिक्षक हैं शिक्षा की लौ दिखलाते हैं देश के नौनिहालो में उम्मीद की किरण जगाते हैं । समाज की प्रतिष्ठा हमसे है हम भारत…
मेरे कुल का दीपक तुझसे छाया प्रकाश है आया है तू जबसे आलोकित आकाश है । बहनों की तू आशा माता का लाल है सबो…
माँ तेरी निश्छल ममता की, छाया नशा कुछ ऐसा है कुछ भी तो नहीं बदला हममें, हाँ सब पहले जैसा है आज भी माँ की…
किसी पर आख बंद कर एतवार मत करना किसी से टूट- टूट कर प्यार मत करना।। प्यार तो वो है जहाँ खोने का डर नहीं…
प्रेम हमारे लिए इबादत है ईश्वर की दी हुई सबसे खूबसूरत इनायत है प्रेम विश्वास का दूजा नाम है विश्वास नहीं तो बस यह हिमाकत…
सुबह सवेरे , आखोंदेखी घटना का है यह मंजर अरूणोदय से पहले पहुँची,बच्चों की टोली चलकर दौङ लगाते लगते थे, जैसे हो मंजिल पाने को…
नारी तू जो चाह ले रच दे नव संसार तू होने वाले अपमान का करती क्यूँ न प्रतिकार तू ।। कभी दाव पे लगा दिया…
खत्म होगा इन्तजार, स्वागत को कब होंगे तैयार वह सुहाना पल जब कोरोना मुक्त होगा यह संसार इस टूटन-घुटन पङी जिन्दगी से है सभी बेजार…
तस्लीम नहीं उनकी हिमाकत हरहाल में करेंगे अपनी हिफाज़त मुमानियत लगाए अपनी आकांक्षाओं पर नहीं तो भूल बैठेगे हम भी अपनी सराफत मकबूल नहीं तेरी…
क्यूँ करें उनकी हिमायत उद्धत रवैया जो अपनाए हुए हैं खुद पे लगा पाते नहीं मुमानियत बदस्तूर आतंक बन छाए हुए हैं
रफ्ता-रफ्ता चलते-चलते पहुँच गए हम किस मंजिल पे बोध नहीं है, सुध-बुध खोके मक़बूल नहीं,सब अर्पित करके (मकबूल-सर्वप्रिय)
आज अवसादो से जुङा है रिश्ता अपना मुस्कुराना भूल गए, कहाँ होता है हंसना अपना वो बात- बात पर रूठकर चुप होके बैठे रहना थोड़ी-…
हर मुश्किल को चुनौती देने की हमारी रवायत है हम नारी हैं, हर रिश्ता हमारे लिए एक इबादत है । हर नामुमकिन को मुमकिन बनाना…
आप हमेशा सलामत रहें अपना जन्मदिन मनाते रहे । आज वैश्विक मंच पे हमारे भारत को गौरवपूर्ण स्थान दिलाया है आपने एक उभरती शक्ति का…
नहीं कुछ और कहना है आपके साथ चलना है ।। स्थितियां अनुकूल हो न हो सुख से मुलाकात हो ना हो पर हर घङी, हर…
दिल खाली-खाली क्यू है शाम भी क्यू तन्हा-तन्हा लागे है । बिन कारन, क्यू बेचैनी का साया है यह कैसा उलझन वाला पल आया है…
हम भी हैं मुश्किलों से, हारने वालों में से है नहीं कोई भी चुनौती क्यू न आए, घबरायेगे हम तो नहीं कैसा भी हो अनल,…
बहुत ही कोशिश की,जरा हम भी बदले से जाएँ पर कैसे अब तक यह मन, बात समझ न पाए । अपनों से दर्द मिले थे…
एकता के सूत्र में विविधता को पिङोती, जनमानस की भाषा है जो देवनागरी लिपि में गुथी हुई,अपनी राजभाषा रूप धर आई है जो। हर जन…
इंसाफ की लङाई लङनी हो तो फिर कोरोना का क्या डर मुस्कुरा के करेंगे हर मुश्किल का सामना, चाहे जिसका हो कहर
फांसी, एनकाउन्टर जैसी किसी भी सजा का नौनिहालो को न रहा है अब डर जब हो गया हो पतन नैतिक मूल्यों का फिर कैसे हो…
चीखते चेहरों पर चीखने से क्या फायदा सजा मिल जाने पर, बेगुनाह साबित होने से भी क्या फायदा । इज्जत की नाम अपने ही मासूमो…
नदी नाम है अविरल बहती जलधारा की त्याग, गतिमय, अवगुण-गुण का भेद मिटाने की कश! हममें भी यह सब आ जाए अपना चित भी तरनी…
तरू को आलस सताता कहाँ सरिता को रुकना भाता कहाँ पाने की जद हो जिन्हें मुश्किलों से वो घबराता कहाँ ।
चलिए एकबार फिर से, खुद पर एतवार करते हैं । बहुत कर लिया गैरो से, इसबार खुद से ही प्यार करते हैं ।। बहुत किया…
अवनी हूँ मैं अंबर है तू , डूबू जो मैं संबल है तू । ये मन मेरा मन्दिर है जो प्यारे प्रभु की मूरत है…
विविधता में एकता के सूत्र को सहजता से पिङोती जो संस्कृत की बेटी, विविध भाषाओं की सहचरी है वो। माँ सी ममता जिसके हर वर्ण…
सोची समझी चाल से, शायद जानबूझकर पार्टियां वे कर रहे, विश्व को मौत में ढकेल कर। जिस वुहान से इसकी शुरुआत हुई इससे निजात की,…
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