तुम पर एक ग़ज़ल लिखूं
तुम्हें गुलाब लिखूं या फिर कंवल लिखूं। जी चाहता है तुझ पर एक ग़ज़ल लिखूं। गुल लिखूं, गुलफ़ाम या लिखूं गुलिस्तां, या फिर तुम्हें महकता…
तुम्हें गुलाब लिखूं या फिर कंवल लिखूं। जी चाहता है तुझ पर एक ग़ज़ल लिखूं। गुल लिखूं, गुलफ़ाम या लिखूं गुलिस्तां, या फिर तुम्हें महकता…
फिज़ा में खुशबू, पहचानी सी है। छिपी कहां, मुझमें तू सानी सी है। ढूंढे उसे जो खुद से अलग हो , मैं जिस्म और तू…
इस कागज़ी बदन को यकीन है बहुत दफ्न होने को दो ग़ज़ ज़मीन है बहुत तुम इंसान हो,तुम चल दोगे यहाँ से पर लाशों पर…
कोई ज़मीं बेचता, कोई आसमां बेचता । दौलत के नशे में चूर, ये ज़हां बेचता । कब परवान चढ़ा, मोहब्बत मुफ्लिशी का, दौलत मोहब्बत का…
हालात जमाने की कुछ वक्त की नजाकत, कैसे कैसे बहाने भूलों के वास्ते। अपनों के वास्ते कभी सपनो के वास्ते, बदलते रहे अपने उसूलों के…
तारीफ तेरी, नहीं मेरी जुबां करती है । नजरें पढ़ ले, हाले-दिल बयां करती है ।। इश्क में हूँ तेरे आज भी, जहां जानता है,…
सच होते जा रहे हैं मेरे ख्वाब आहिस्ता आहिस्ता, वो दे रही मेरी बातों के जवाब आहिस्ता आहिस्ता, सालों से बेकरार किया है मेरे दिल…
ghujari hai,zindgi aise bhi.. khud ko khud se dhundhne me. lapta sahi kaun apna waise bhi. dhundhta kha hai,koe dhundhne me.. jane do bhikre pdhe…
ye ishq hi to hai, kha kisi ki. bala wajah fir kuan intejar krna.. khush guman hoti hai, hasinawon ki. ye wo mushe dekhta hai,…
Umar hai choti,khawhishe jada hai. zindgi ye bta,ab tera kya irada hai.. siyah hai kam,panne jada hai. khawhishe kuch aur, likhne ka irada hai.. zindgi…
इक समंदर यूं शीशे में ढलता गया । ज़िस्म ज़िंदा दफ़न रोज़ करता गया ॥ ख़्वाब पलकों पे ठहरा है सहमा हुआ । ‘हुस्न’ दिन-ब-दिन…
गीत होठो पे समाने आ गये है प्रीत भावो के सजाने आ गये है ? चाह ले के आस छाके गा रही है साज ओढे…
हम तो चल दिये थे अपना कारवा लिए, मगर तुम रोक तो सकते थे हम तो चल दिये थे अपने आंसू लिए, मगर तुम रोक…
शैलेन्द्र जीवन से एक दिन शिला खण्ड जब टकराया, पिता की छाया हटी तो जैसे संकट मुझपर गहराया, संस्कारों का दम्ब था मुझमें सब धीरे-धीरे…
उत्कर्ष मेल में पहली बार मेरी ग़ज़ल बहुत बहुत शुक्रिया संपादक महोदय जी का । आपका सहयोग यूँ ही बना रहे ।
कब तक मै यूँ ख़ामोश रहूँगा, अब मुझे तू शब्दों में बयां हो जाने दे, कब तक मै राहों में यूँ भटकता रहूँगा, अब मुझे…
कभी ठीक से अपने ही बिछाने पर सो भी तो नही सकते, ए ज़िन्दगी महसूस तो कर सकते है पर छू भी तो नही सकते काश अब ये भी…
परिन्दा कैद से छूटा नही है छुडाने कोई भी आता नही है बहुत खामोश है दरिया के जैसे बहुत बेचैन है कहता नही है दिवाना…
यूं तो अरमानों के इरादे भी परेशान हैं, पानी की बूँदें भी आँखों की बारिश से हैरान हैं| पर जनाब हमारी गुस्ताखियों की भी हद…
आजकल नींद सोती है मेरे बिस्तर पर, और मैं तो ख्यालों की दुनिया मैं टहलने निकल जाती हूँ|
मुझको मुझसे जीत कर, खुशियाँ मना रहे थे वो| शायद हारकर जीतने और जीत कर हारने के , उस एहसास से वाकिफ़ न थे वो|
मेरी हर इक ग़ज़ल की अब तक ज़मीन तुम हो ….. मेरा अलिफ़ बे पे से चे और शीन तुम हो …. जज़्बात से बना…
कवि होना भी खुदा की रहमत का ही नमूना है वरना युं अपने दर्द को शब्दों में बयां कर पाना हर किसी के बस की…
पानी से भरी आखें लेकर मुझे घूरती ही रही शीशे के उस पार खड़ी लड़की उदास बहुत थी।
गजल : कुमार अरविन्द जहां में चाहे गम हो या खुशी क्या | मेरे मा – बैन रंजिश दोस्ती क्या | खुदा मुझको यकीं खुद…
हर एक तनहा लम्हे में एक अर्थ ढूँढा करती थी| हर अँधेरी रुसवाई में गहरा अक्श ढूँढा करती थी | मैं मेरी परछाई में एक…
यूँ तो दिल उबल रहा है, शब्दों के उबाल से | और ये कम्बखत दिमाग कहता है, अपने ज़ज्बातों को संभाल ले |
गजल : कुमार अरविन्द नहीं तकदीर में जो मेरे क्यों फिर जुस्तजू करते | मेरी किस्मत में क्या है वो पता जाकर के यूं करते…
मुहँ लटकाए आख़िर तू क्यो बैठा है इस दुनिया में जो कुछ भी है पैसा है दुख देता है घर में बेटी का होना चोर…
मुहँ लटकाए आख़िर तू क्यो बैठा है इस दुनिया में जो कुछ भी है पैसा है दुख देता है घर में बेटी का होना चोर…
कुछ न कुछ टूटने का सिलसिला आज भी ज़ारी है इस दुनिया का डर प्यार पे आज भी भारी है।। टूटकर बिखरना, बिखरकर समिटना आज…
गजल : कुमार अरविन्द मुहब्बत की गली कूचों में क्या है | इधर देखो मेरी आँखों में क्या है | बड़ा ही जोर है उन…
गजल : कुमार अरविन्द चले आओ मेरी आंखों का पानी देखते जाओ | कहानी है तुम्हारी ही , निशानी देखते जाओ | मैं जिन्दा हूं…
✍?अंदाज ?✍ ——-$——– ✍ न करो चमन की बरबाद गलियां कुचल के सुमन रौंद कर कलियाँ पुरुषार्थ है तुम्हारा तरूवर लगाना बागो मे खिलाना मोहक…
✍?(अंदाज) ?✍ ——-$—— ✍ नूर हो तुम आफताब हो तुम लहर हो तुम लाजवाब हो तुम मेरे चाहते दिल की तमन्ना जवाॅ दिलकश गजब शबाब…
✍?(अंदाज )?✍ ———-$———- ✍ उठ जाग मत थक हार इंसान तू मानवीय औकात निखार इंसान तू है तू प्रचंड शक्ति शाली बलवान आत्म ज्ञान परख…
✍?(अंदाज )?✍ ———$——- ✍ घोर कलियुग है देख पाप प्रबल चंहुदिश क्षुद्र देख विद्रूप दलदल दूषित जल घना हवाएं प्रदूषित मन मे मैल देख बेईमानी…
mauz e zindgi humari unhei achi nhi lagti Kya… Jo takleefo k farman bejwa deti Hai wo.. cherei par hasi humarei haseen nhi lagti Kya..…
इश्क़ में हैं गुज़रे हम तेरे शहर से तनहा, महब्बत के उजड़े हुए घर से तनहा! हम वो हैं जो जीये जिंदगी भर से तनहा,…
पैदा कलम से कोई कहानी की जाए, फिर जज़्बातों की तर्जुमानी की जाए! खिलावे हैं खुद भूखे रहकर बच्चों को माँ-बाप के नाम ये जिंदगानी…
गजल वक्त का वक्त क्या है पता कीजिए | बाखुदा हूं ‘ खुदा बाखुदा कीजिए | दर्दे – दिल आज मेरे मुखालिब रहे | सुखनवर…
ग़मगीन लम्हों का मुस्कुराना हुआ है —————————————- कोई एहसास दिल को छुआ है मुमकिन है,आपका आना हुआ है ख़्वाबों की धुन्ध छँटने लगी इक फ़साने…
बिछड़ा जो फिर तुमसे तनहा ही रह गया, ग़म-ए-हिज़्र मे अकेले रोता ही रह गया। मुसलसल तसव्वुर में बहे आँसू भी खून के शब् में…
सोज़िशे-दयार से निकल जाना चाहता हूँ, हयात से अदल में बदल जाना चाहता हूँ! तन्हाई ए उफ़ुक़ पे मिजगां को साथ लेके, मेहरो-माह के साथ…
मयस्सर कहाँ हैं सूरते-हमवार देखना, तमन्ना हैं दिल की बस एक बार देखना! किसी भी सूरत वो बख्शा ना जायेगा, गर्दन पे चलेगी हैवान के…
✍?(गीताज ) ?✍ ——-$——- ✍ विष मय है आज देख परिवेश। आक्रोश मे घुला है सुप्त आवेश।। कण कण मे गुस्सा आलम मे नव क्रोध…
✍?(अंदाज)?✍ —–$—– ✍ जिंदगी मे व्यवहार जिंदा रखिए जिंदगी मे सुसंस्कार जिंदा रखिए रूठना मनाना क्रम है जीवन का रूठकर भी नेह धार जिंदा रखिए…
जख्म दबा – कर मुश्काता हूं | चुप रहकर मैं चिल्लाता हूं | मेरी बातें खुल न जाये | बातों से ‘ मैं बहकाता हूं…
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