मुक्तक

तुम मेरी जिंदगी में बेहद बेशुमार हो! तुम मेरे तसव्वुर में आते बार–बार हो! मुश्किल बहुत है रोकना तेरे सूरूर को, तुम मेरी नज़र में…

मुक्तक

तुम मेरी जिंदगी में बेहद बेशुमार हो! तुम मेरे तसव्वुर में आते बार–बार हो! मुश्किल बहुत है रोकना तेरे सूरूर को, तुम मेरी नज़र में…

मुक्तक

वक्ते-सितम से रिश्ते टूट जाते हैं! राहे-वफा में रहबर छूट जाते हैं! दूरियाँ हो जाती हैं जिनसे दिलों की, बेरहम बनकर हमसे रूठ जाते हैं!…

पत्थरों को भी खड़े होने का सलीका सिखाने में

पत्थरों को भी खड़े होने का सलीका सिखाने में, कितना काबिल दिखता है वो पिरामिड बनाने में, सन्तुलन कोई रखता नहीं दो रिश्ते निभाने में,…

अस्थिर

शीर्षक – अस्थिर जो सोचती हूँ अपने बारे में शायद किसी को समझा पाऊँ, मैं वो पानी की बूंद हूँ जो आँखों से आँसू बनकर…

मेरे जिस्म से हर रोज़ मेरे वस्त्र उतारे जाते हैं

मेरे जिस्म से हर रोज़ मेरे वस्त्र उतारे जाते हैं, दरख्त काटकर पंछियों के घर उजाड़े जाते हैं, साँसे हैं मेरी ही बदौलत यहाँ जिनके…

नाराज़गी

मेरी ग़ज़ल सग्रंह की बुक “नाराज़गी” बहुत जल्द आपके सामने होगी ।ये सब आपकी दुआओं का असर है । बेहद शुक्रिया । आपका लकी निमेष

स्वप्नों के तराजू पर वजन मेरी जिम्मेदारी का ज्यादा निकला

स्वप्नों के तराजू पर वजन मेरी जिम्मेदारी का ज्यादा निकला, मेहनत के कागज़ों पर नोटों का रंग थोड़ा ज्यादा निकला, बहुत बहाया पसीना दो रोटी…

जब मैंने पूछा

जब मैंने पूछा – आज तुम्हारा बदन इतना मैला क्यों है क्यों हो तुम इतने गुस्से में, क्या कोई संताप है? उसने घूर कर देखा…

मुक्तक

तुम खुद को किसी की याद में क्यों खोते हो? तुम जिंदगी को अश्कों से क्यों भिगोते हो? आती हुई बहारों को न रोको दर्द…

मुक्तक

वो दर्द वो खामोशी का मंजर नहीं बदला! तेरी अदा-ए-हुस्न का खंजर नहीं बदला! शामों-सहर चुभते रहते हैं तीर यादों के, मेरी तन्हाई का वो…

मुक्तक

वो दर्द वो खामोशी का मंजर नहीं बदला! तेरी अदा-ए-हुस्न का खंजर नहीं बदला! शामों-सहर चुभते रहते हैं तीर यादों के, मेरी तन्हाई का वो…

Ghazal

उत्कर्ष मेल में पहली बार मेरी ग़ज़ल बहुत बहुत शुक्रिया संपादक महोदय जी का । आपका सहयोग यूँ ही बना रहे ।

भारतीय हो-भारतीय रहो

भारतीय हो-भारतीय रहो ———————————- भारतीय हो–भारतीय रहो सर ऊँचा कर भारतीय कहो मिट्टी यहाँ की,संस्कृति यहाँ की संस्कारों में पली-बढ़ी है शक़्ल-ओ-सूरत मनुष्य एक सा…

कामना

हमारे दिल की धड़कन है तू हमारे जिगर का टुकड़ा है तू छुए तू इतनी ऊंचाइयों के कि दुनियां जहाँ में मशहूर हो तू।।

माँ

दुनिया की भीड़ में जब कभी अकेली होती हूँ तो बहुत याद आती है मुझे मेरी माँ खुशियाँ हो या गम हो हर सुख दुःख…

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