बेटी

आँखों ही आँखों में जाने कब बड़ी हो जाती है बिन कुछ कहे सब कुछ समझ जाती है जो करती थी कल तक चीज़ों के…

जोकर

पहने सर पर नीली टोपी उछलता -कूदता आता है कभी इधर तो कभी उधर नाचता और नचाता है। भर अपने थैले में टॉफी बिस्कुट सबको…

नफ़्ज़

पकड़ी जब नफ़्ज़ मेरी., हकीम लुकमान यू बोला…! वो ज़िंदा है तुझ में..’ तू मर चूका है जिस में..!?✍?

नजर-अंदाज

उदासी जब तुम ?? ‍♀️पर बीतेगी ? तो तुम भी ?जान जाओगे, कोई ? नजर-अंदाज ? करता है तो ? कितना दर्द ? होता है..

एक टेबल

एक टेबल, चाय का कप, और तुम, एक शाम, वो बेन्च, और तुम एक डोली, मेरा हाथ, और तुम एक घर, चारो धाम, और तुम…

खिलौने वाला

हाथ में लेकर सीटी आता साइकिल पर होकर सवार एक डंडे पर ढेर से खिलौने जिसमे रहते उसके पास गली गली और सड़क सड़क बच्चों…

खिलौने वाला

हाथ में लेकर सीटी आता साइकिल पर होकर सवार एक डंडे पर ढेर से खिलौने जिसमे रहते उसके पास गली- गली और सड़क- सड़क बच्चों…

अश्रु

नयनों से निकले अश्रु भी बड़े अज़ीब है ख़ुशी हो या गम हो हर बात पर निकल पड़ते हैं।।

ख्वाहिश

तेरे कलाम में हर पहर पढ़ती रहती हूं तेरी हर नज्म में खुद को ढ़ूढती रहती हूं इक चाहत थी कि तुझसे किसी दिन मिलूं…

फितरत

इंसान की भी गजब फितरत है, रिश्ते जुडे़ तो है दिल से… और विश्वास धागों पर करता है । ~ सचिन सनसनवाल

कवि

कवि ही हैं जो बिखरे हुए शब्दों को, खूबसूरत माला में पिरोकर रख देते हैं।।

आज़ादी

क्यों कैद करते हो पंछियों को आज़ाद कर दो इनको सब आज इनको भी हक़ मिला हुआ है खुले आसमाँ में विचरण का जनाब गुलामी…

किसान

कितनी भी धूप हो, कितनी भी ठण्ड हो काम पर अपने लगे ही रहते दिन हो या रात हो,सुबह हो शाम हो खेत पर हल…

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