बात करते हैं मगर चेहरा छिपा लेते हैं लोग
बात करते हैं मगर चेहरा छिपा लेते हैं लोग, अक्सर खुद पर ही पेहरा लगा लेते हैं लोग, आते क्यों नहीं भला खुल के सामने…
बात करते हैं मगर चेहरा छिपा लेते हैं लोग, अक्सर खुद पर ही पेहरा लगा लेते हैं लोग, आते क्यों नहीं भला खुल के सामने…
भला मौन रहकर भी कैसे कोई गहरे तीर चला लेता है, छोटी-छोटी बातों से ही मन की तस्वीर बना लेता है, लगे चोट अपनों से…
जो उड़ रहे थे परिंदे बेख़ौफ़ खुले आसमाँ में, आज उस खुदा ने उन्हें ज़मी का मुरीद कर दिया॥ – राही
अब कोई तो बादल ही ढूंढ ले मुझको, बारिश ए बून्द ही सही चूम ले मुझको, एक अरसे से सूखी हैं ये आँखे मेरी, कोई…
जब बात करो तो बातों से बातें निकलती हैं, उलझी हुई राहों से सुलझी राहें निकली हैं।। – राही (अंजाना)
जानते हैं के सभी को बीमारी हो गई है, रिश्तों के मध्य खड़ी चार दीवारी हो गई है, कभी बैठ कर साथ में जो बना…
बड़ा अकड़ रहे थे वो चन्द बर्फ के टुकड़े बैठकर, जो मेरे सनम के हाथ लगते ही पानी पानी हो गये।। – राही (अंजाना)
सारे प्रयास प्रत्यक्ष है के विफल हो रहे हैं, सभी अक्षर मुख से निकल अस्त वयस्त हो रहे हैं, पहुँच ही नहीं रही है आवाज़…
चेहरे के हर भाव पढ़ने लगती है, जब कोई लड़की बढ़ने लगती है, कहती कुछ नहीं मुख से फिरभी, चुप्पी आँखों में गढ़ने लगती है,…
कल तक जिस आँगन में पली और बड़ी हुई आज उसी के लिए पराया हो गया है कल तक जिस चीज़ को मन करता उठाया…
आँखों ही आँखों में जाने कब बड़ी हो जाती है बिन कुछ कहे सब कुछ समझ जाती है जो करती थी कल तक चीज़ों के…
दिल में जो हैं ” रहस्य ” देवरिया गर है मोहब्बत तो जताते क्यों नही। दिल मे जो है बात बताते क्यों नही।। %%%% %%%%…
पहने सर पर नीली टोपी उछलता -कूदता आता है कभी इधर तो कभी उधर नाचता और नचाता है। भर अपने थैले में टॉफी बिस्कुट सबको…
ताल्लुक संस्कृति से अपना वो खुल के दिखाती है, बेटी इस घर की जब गुड़िया को भी दुप्पट्टा उढ़ाती है।। राही (अंजाना)
इक लौ जलाकर आया हूं अंधेरों में कहीं ख्वाहिश है के वो कल तक सूरज बन जाये
माथे की लकीरें हर दिन बढ़ती जाती है भविष्य की चिंता रोज उभरती जाती है
मुकद्दर तेरा ज़रूर रंग लायेगा, जब कोई जीत कर भी हार, और तू हार कर भी चर्चा का मुद्दा बन जायेगा॥
चेहरे के हर भाव की जल्द ही कीमत लगने लगेगी, खामोशी, हंसी की दुकानों पर प्रदर्षनी लगने लगेगी, जेब खाली हो जायेगी सिर्फ भावों को…
तुम अक्सर आकर अपने मन की खुल के मुझसे कह लेती हो, धूप लगे जब तुमको मेरी छाया में तुम सो लेती हो, बहुत अकेला…
मत कैद करो इन मासूम परिंदों को यूँ पिंजरे में इनको भी हक़ है खुले आसमां में विचरण का।।
मत कैद करो इन मासूम परिंदों को यूँ पिंजरे में इनको भी हक़ है खुले आसमां में विचरण का।।
सिकंदर सा चला था मै, सारी दुनिया जीतने… पर माँ के दिल से हार गया ।। ~ सचिन सनसनवाल
बड़ी चाह है ख़ुद को फ़िर बर्बाद करें, तुम आओ कि हम फिर मुलाक़ात करें !!
rang bikhero khul k is jamaane me
पकड़ी जब नफ़्ज़ मेरी., हकीम लुकमान यू बोला…! वो ज़िंदा है तुझ में..’ तू मर चूका है जिस में..!?✍?
उदासी जब तुम ?? ♀️पर बीतेगी ? तो तुम भी ?जान जाओगे, कोई ? नजर-अंदाज ? करता है तो ? कितना दर्द ? होता है..
एक टेबल, चाय का कप, और तुम, एक शाम, वो बेन्च, और तुम एक डोली, मेरा हाथ, और तुम एक घर, चारो धाम, और तुम…
ज़माने से बेपरवाह रहती है दुनिया के दिखावे से अंजान है माँ तू ऐसी क्यों है जो मेरी खुशियों में अपनी खुशियाँ संजोए रहती है।।…
अब तो कदम -कदम पर लोग शतरंज की बिसात बिछाये बैठे रहते हैं एक मामूली सी चूक पर तत्काल मात दे डालते हैं।।
कितने मजबूर होकर यूँ हाथ फैलाते होंगे, भला किस तरह ये बच्चे सर झुकाते होंगे, उम्मीदों के जुगनू ही बस मंडराते होंगे, बड़ी मशक्कत से…
कितने मजबूर होकर यूँ हाथ फैलाते होंगे, भला किस तरह ये बच्चे सर झुकाते होंगे, उम्मीदों के जुगनू ही बस मंडराते होंगे, बड़ी मशक्कत से…
कब तक मै यूँ ख़ामोश रहूँगा, अब मुझे तू शब्दों में बयां हो जाने दे, कब तक मै राहों में यूँ भटकता रहूँगा, अब मुझे…
मित्रो , ईश्वर के आशीर्वाद से , आज मेरी रचना , एक बार फिर राष्ट्रीय अखबार “दैनिक वर्तमान ” मे प्रकशित हुई है जिससे मेरे…
ज़िन्दगी जैसे शतरंज की बिसात हो गई, जिसने समझ ली उसकी जीत ना समझा जो उसकी मात हो गई, ज़िन्दगी जैसे…… बंट गए हैं चौंसठ…
हाथ में लेकर सीटी आता साइकिल पर होकर सवार एक डंडे पर ढेर से खिलौने जिसमे रहते उसके पास गली गली और सड़क सड़क बच्चों…
हाथ में लेकर सीटी आता साइकिल पर होकर सवार एक डंडे पर ढेर से खिलौने जिसमे रहते उसके पास गली- गली और सड़क- सड़क बच्चों…
नयनों से निकले अश्रु भी बड़े अज़ीब है ख़ुशी हो या गम हो हर बात पर निकल पड़ते हैं।।
भक्ति तुम बिन वैभव कहीं एक पल को रह न पाये, जबसे देखा तुमको मुझको कुछ और नज़र न आये, कितने दिन से बैठा था…
जब भी बादलों से उतर के आती है बारिश, ज़मी को खुल के गले से लगाती है बारिश, भिगा देती है तन संग मन के…
तेरे कलाम में हर पहर पढ़ती रहती हूं तेरी हर नज्म में खुद को ढ़ूढती रहती हूं इक चाहत थी कि तुझसे किसी दिन मिलूं…
इंसान की भी गजब फितरत है, रिश्ते जुडे़ तो है दिल से… और विश्वास धागों पर करता है । ~ सचिन सनसनवाल
main rahunga teri yaad bankey , chota hi sahi bas ek fariyad bankey , tere juban ki baat bankey kabhi yaad meri ayegi, tere cherey…
कवि ही हैं जो बिखरे हुए शब्दों को, खूबसूरत माला में पिरोकर रख देते हैं।।
क्यों कैद करते हो पंछियों को आज़ाद कर दो इनको सब आज इनको भी हक़ मिला हुआ है खुले आसमाँ में विचरण का जनाब गुलामी…
बदनाम हो गये शिर्फ!!
दुश्मनी ले, रहे हो बिना काम के!! ना तुम कुछ ले जा पाओगे, ना हम कुछ ले जा पायेगे।। केवल दो गज के कपड़े मेरे…
कितनी भी धूप हो, कितनी भी ठण्ड हो काम पर अपने लगे ही रहते दिन हो या रात हो,सुबह हो शाम हो खेत पर हल…
गर्मियों की छुट्टियाँ शुरू हुई हैं बच्चों में नई लहर दौड़ उठी है खेलेंगे -कूदेंगे अब दिन भर जमकर मस्ती और मस्ती खुलकर करेंगे दीदी…
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