by Ajnabi

Love is a Sweet Poison

January 28, 2017 in English Poetry

Love is a Sweet Poison
It makes life useless
It makes life maverick
It makes life sometime over

Love is a Sweet Poison
Since in it, we have to live as dead
It finishes our thinking &
We finished ourself by it

Love is a Sweet Poison
It ends our life slowly-slowly
It gives us lot of pain too
And we begin to end ourself completely

Love is a Sweet Poison
It is always sweet as candy
It has a chrecterstic of Sweetness too
But it makes us as like live statue

Love is a Sweet Poison
Some people says that it is very good
Some says that it is very bad
It is totally depand on situation to situation

Love is a Sweet Poison
Since if we fall in it then
We can’t overcome ourself
It dissolves our life with its…………………..!!

Dev Kumar

by Ajnabi

दहलीज़-ऐ-इश्क़…….

January 27, 2017 in शेर-ओ-शायरी

न रखो उम्मीद-ओ-बफा इस दहलीज़-ऐ-इश्क़ पर साहिब
लूट जाते है दिल अक्सर, चाहत के इस बाजार में………………………!!

D K

by Ajnabi

कहा से सुन लिया तुम सब ने…….

January 27, 2017 in शेर-ओ-शायरी

कहा से सुन लिया तुम सब ने, ये सरासर झूठ है
माना इश्क़ किया है हमने, मगर सजा का हक़दार तो वो भी है……………!!

D K

by Ajnabi

शब्दों की कमी है………

January 27, 2017 in शेर-ओ-शायरी

आज लिखू क्या, बस ये समझ ले शब्दों की कमी है
दिल लबरेज़ है तेरी यादो से, और आँखों मैं नमी है…………….!!

D K

by Ajnabi

हमारा मशवरा है ये……..

January 27, 2017 in शेर-ओ-शायरी

इस मोहोब्बत ने बहुत आज़माया है हमको साहिब
हमारा मशवरा है ये, कभी मोहोब्बत को न आज़माना…………..!!

D K

by Ajnabi

बूँद-ऐ-आंसू……

January 27, 2017 in शेर-ओ-शायरी

क्यों डरते हो साहिब, बारिश के इन बौछारों से
भूल गए क्या, बूँद-ऐ-आंसू अपनी आँखों के……………!!

D K

by Ajnabi

It’s a very good scene of morning…….

January 27, 2017 in English Poetry

It’s a very good scene of morning
When we awake up from our bed

We see sun rises from the east
As well as hearing of sparrow’s chirping

It’s a very good scene of morning
We go for a morning walk

We feel fresh air, fresh enviourment
Besides of one fresh day ahead

It’s a very good scene of morning
When we once again start our day

Take bless from god & parents
It gives us lot of hopes & wants……………………..!!

D K

 

 

by Ajnabi

बहुत रो चुके है……..

January 23, 2017 in शेर-ओ-शायरी

सुकून हम अपने दिल का अब कहू चुके है
हम खुद को गम-ऐ-सागर में डुबो चुके है
क्यों मजबूर करते हो हमें, ये खत दिखा कर
हम पहले से ही उदास है, बहुत रो चुके है………………….!!

D K

by Ajnabi

ख्याल करती,बेहाल करती……..

January 23, 2017 in शेर-ओ-शायरी

शुक्र है मोहोब्बत का कोई मज़हब नहीं होता
वर्ना ये भी अमीरी और गरीबी का ख्याल करती

मिल जाती हर शक्श-ऐ-आमिर को
और हम जैसो को ये बेहाल करती……………………………!!

D K

by Ajnabi

वो मुँह छुपा-छुपा कर रोये……..

January 23, 2017 in शेर-ओ-शायरी

हमको तन्हाई में बुला-बुला कर रोये
अपने आंसुओं को छुपा-छुपा कर रोये

जब देखी उस ने हमारी सिद्क़-ऐ-दिल लोगो
अपने ही आँचल में, वो मुँह छुपा-छुपा कर रोये…………….!!

D K

by Ajnabi

उसके नाम का लोगो……..

January 23, 2017 in शेर-ओ-शायरी

यूँ ही नहीं लबरेज़ हो रही, हमारे दिल में यादें उसकी
के हमने पिया था मय-ऐ-गुल्ल-रंग उसके नाम का लोगो……………..!!

D K

by Ajnabi

निगेबानी……..

January 23, 2017 in शेर-ओ-शायरी

कौन कहता है कम्बक्त, के हम बे-सरो-सामान सोया करते है
के रात कटती है सिर्फ, निगेबानी इस दिल-ऐ-गम की करते करते……………!!

D K

by Ajnabi

सफा-सफा रहते है……..

January 23, 2017 in शेर-ओ-शायरी

हमारी इस बात से भी लोग हमसे खफा रहते है
के हम सब से क्यों रफा-दफा रहते है

के रंग-ऐ-बईमानी जब सब पर चढ़ी है इस दुनिया में
तो क्यों हम हरदम सफा-सफा रहते है…………………………..!!

D K

by Ajnabi

रंग नहीं महज़ ये तीनो……..

January 23, 2017 in Poetry on Picture Contest

रंग नहीं महज़ ये तीनो
हमारे हिंदुस्तान की शान है

झंडा है ये हमारे देश का
तिरंगा इसका नाम है

सर से भी ऊँचा रखेंगे हम इसको
जब तक जिस्म में जान है

हर पल देते है सलामी दिल से
के ये हमारी पहचान है

दुश्मन क्या समझेगा इसकी ताकत
अभी वो बहुत अनजान है

पूछो जा कर उन लोगो से
जिनकी ज़िन्दगी तिरंगे के बिना वीरान है

मर मिटेंगे इसके खातिर हम
के ये हमारा गुमान है

अशोक चक्र से सुसज्जित है ये
हर फौजी को इसका ध्यान है

जा देकर भी इसको झुकने नहीं देंगे
ये हम भारतीयों का अरमान है

सबसे प्यारा देश हमारा
हमारा भारत महान है…………………………!!

जय हिन्द, जय भारत
वन्देमातरम

D K

 

by Ajnabi

कइस अकेला है वह, मुझे जाने दो…….

January 21, 2017 in ग़ज़ल

कइस अकेला है वह, मुझे जाने दो
जो किया है वादा, मुझे निभाने दो

वो समां भी कितना रंगीन होगा
जब मिल बैठेंगे दीवाने दो

चलेंगी रात भर इस दिल की बातें
और भरेंगे मय के पैमाने दो

बनना चाहता है वो गवाह इस मंज़र का
खैर,रोको मत उसको, अंदर आने दो

अभी तो हाथ में लिया है जाम-ऐ-खुशनसीबी
कुछ देर तेहरो, ज़रा इसको हलक में उतर जाने दो

मुमकिन नहीं है समझना, बातें दिलो की
रुको तुम, ज़रा उसको समझाने दो

रोशन हो जाएगा तुम्हारा, ये बेहाल कूचा भी
ज़रा उस चाँद को ज़मी पैर उतर जाने दो

कहते हो की इश्क़ में कोई दर्द नहीं है
ज़रा एक बार हमें भी इश्क़ को सताने दो

सुना है हल्का हो जाता है दिल कइस,
चलो आज हमें भी आंसू बहाने दो

तुम्हारी मोहोब्बत का अंजाम भी ठीक वैसा ही है
जैसे हो किसी सागर के किनारे दो………………………………!!

D K

by Ajnabi

सको तो चलो………..

January 21, 2017 in ग़ज़ल

हमारे साथ कदम से कदम मिला चल सको तो चलो
के इस इश्क़ में कुछ देर ठहर सको तो चलो

बहुत ही हौसला चाहिए, इस दिल की निगेबानी करने को
अगर तुम इसकी पहरेदारी कर सको तो चलो

सफर लंबा है ज़रा, मंज़िल-ऐ-वाम तक का
बे-सरो-सामान निकल सको तो चलो

यादों से लवरेज़ है दिल मेरा, खता मेरी नहीं
तुम इसकी हर बात समझ सको तो चलो

रात की ख़ामोशी और अजीब सा सन्नाटा भी
तुम इन सब से निकल सको तो चलो

सफर-ऐ-आम नहीं ये, औरो की तरह
खुद को गुमनाम कर सको तो चलो

इस सफर में कुछ दुश्मनो से भी मुखातिभ होंगे
तुम ये ख़ंज़र रख सको तो चलो

है पता है हमको बहुत से सवाल है तुम्हारे ज़हन में
इन सब के जवाब अगर तुम सुन सको तो चलो

कदम-कदम पर सबब-ऐ-परेशानी का मंज़र है
तुम संभल-संभल कर गर चल सको तो चलो

वादा किया है तुमने साथ निभाने का
गर साथ सही से निभा सको तो चलो……………….!!

D K

by Ajnabi

वक़्त तो लगता है…….

January 21, 2017 in ग़ज़ल

किसी को भूल जाने मे वक़्त तो लगता है
के आँखों के आंसू मिटाने में वक़्त तो लगता है

जब बैठे हो चाहत-ऐ-किस्ती मे, तो सब्र करो
इसको साहिल तक पहुचाने में वक़्त तो लगता है

क्यों रोते हो अब अपने ही किये हुए उस काम पर
गमो के दिन बिताने में वक़्त तो लगता है

धीरे-धीरे भरेंगे, के ये गम और आंसू से बने है
जख्म को भर जाने में वक़्त तो लगता है

ए दिल ज़रा ठहर जा, ज़रा तस्सली रख
किसी शहर जाने में वक़्त तो लगता है

चलो मान लिया ये दरिया गहरा है लेकिन
किसी की गहराई नापने में वक़्त तो लगता है

तुम्ही ने कहा था एक दिन उसको मोहोब्बत जरूर होगी
के किसी के दिल में जगह बनाने में वक़्त तो लगता है

लौट जाऊँगा में भी इस शहर से लेकिन
खुद को तालुक सब से करने में वक़्त तो लगता है

इतनी जल्दी कहा ख़ाक होता है कोई
खुद को जलने में वक़्त तो लगता है

ये दिल भी एक कच्ची बस्ती है लोगो
बस्तियां बसने में वक़्त तो लगता है………………!!

D K

by Ajnabi

खत-४……….

January 20, 2017 in शेर-ओ-शायरी

by Ajnabi

खत-३……

January 20, 2017 in शेर-ओ-शायरी

by Ajnabi

खत-२……

January 20, 2017 in शेर-ओ-शायरी

by Ajnabi

खत…….

January 20, 2017 in शेर-ओ-शायरी

by Ajnabi

वादा न सही मगर, एक इंसा को बचाने के लिए आ……..

January 19, 2017 in ग़ज़ल

वादा न सही मगर, एक इंसा को बचाने के लिए आ
के एक बार मिल कर मुझ से, फिर बिछड़ जाने के लिए आ

मुमकिन है अब ये होश भी साथ ने दे मेरा
मुझ बेहोश पर एक चादर चढ़ाने के लिए आ

कुछ तो मेरे पाक-ऐ-मोहोब्बत की जूनून को समझ
के कभी तो तू भी मुझको मानाने के लिए आ

जनता हू अब वो रिस्ता-ऐ-रस्म-ऐ-दिल नहीं है
खैर एक नया रिश्ता ही बनाने के लिए आ

किस किस को बताऊ मैँ, इस दिल के किस्से को
तू मेरे लिए न सही, इस ज़माने के लिए आ

यकीं-ऐ-चिराग अब भी जल रहा है मेरे सीने मैँ
एक आखरी अहसान कर, इसको बुझाने के लिए आ………………….!!

D K

by Ajnabi

बरसने के बाद…………

January 19, 2017 in ग़ज़ल

हो गयी रुकसत घटा बरसने के बाद
खिला मौसम नया बरसने के बाद

मेरे गमो से रूबरू हो कर ये हवा भी
जोर से बहने लगी बरसने के बाद

होता आमना-सामना कुछ पल के लिए ही
दिल-ऐ-खुवाईश बनी ये बरसने के बाद

मेरी तन्हाईयों को देखने के बाद
मेरी उदासी कुछ बोली बरसने के बाद

उस चाँद को अकेला देख आसमा में
एक तारा रो दिया बहुत बरसने के बाद

चला जा रहा था मैँ अकेला ही उन रास्तो पर
सरे पत्थड़ नर्म पड़ गए बरसने के बाद

गीले कपड़ों पर नज़र पड़ी मेरी
रो पड़ा दिल मेरा बरसने के बाद

लिखा एक पन्ने पर मैंने उसका नाम
कलम भी रो पड़ी बरसने के बाद

चलो ये दिन भी याद रहेगा मुझ को इसलिए भी
कोई बहुत याद आया था बरसने के बाद……………………………..!!

D K

by Ajnabi

बेअसर कर दे……..

January 19, 2017 in शेर-ओ-शायरी

अपनी सूरत को ज़रा सा इधर कर दे
मेरे हर दिल-ऐ-गम को बेअसर कर दे………..!!

D K

by Ajnabi

ढूंढते क्या हो हमें अब……..

January 19, 2017 in शेर-ओ-शायरी

ढूंढते क्या हो हमें अब, इन वीरान कूचों मे
मिलने की खुवाईश हो, तो हमारे कब्र पर चले आना…………!!

D K

by Ajnabi

आँखों से आंसू गिर पड़े……

January 19, 2017 in शेर-ओ-शायरी

आँखों से आंसू गिर पड़े आज, इस यकीन लव्ज़ को सुन कर
के कभी हमने कहा था उस से मोहोब्बत यकीन का दूसरा नाम है………….!!

D K

by Ajnabi

शख्शियत…..

January 19, 2017 in शेर-ओ-शायरी

इस चाँद की शख्शियत भी कुछ काम नहीं तुझ से ज़ालिम
जब भी मन करता है देखने को, कम्बख्क्त ये नज़र नहीं आता……………!!

D K

by Ajnabi

मुझे भी शौख हुआ था………

January 19, 2017 in शेर-ओ-शायरी

मुझे भी शौख हुआ था इस मोहोब्बत का साहिब
जब गए इसको खरीदने, तो पूरी ज़िन्दगी ही बैचनी पड़ी……………!!

D K

by Ajnabi

तस्वीर……

January 19, 2017 in शेर-ओ-शायरी

न जाने कैसे और कब इस घर की तस्वीर बदल गई
के कभी मरीज़-ऐ-मोहोब्बतो का यहाँ जमघट लगा करता था………….!!

D K

by Ajnabi

वक़्त भी हार जाता है…….

January 19, 2017 in शेर-ओ-शायरी

कुछ ज़ख़्म हमको ताउम्र याद रह जाते है साहिब
के वक़्त भी हार जाता है, उन जख्मो के आगे…………..!!

D K

by Ajnabi

एक इंसान कहते हुए………

January 19, 2017 in शेर-ओ-शायरी

न मोहोब्बत, न साथी और न कोई घर अपना
शर्म आती है हमें खुद को, एक इंसान कहते हुए……………!!

D K

by Ajnabi

हमारी ज़िन्दगी का एक हिस्सा…..

January 19, 2017 in शेर-ओ-शायरी

तन्हाई खुद-बा-खुद बन गयी हमारी ज़िन्दगी का एक हिस्सा
चलो कोई ये तो नहीं कहेगा अब, ये तन्हा है दुनिया में………………..!!

D K

by Ajnabi

खेल मे हारे तो…….

January 19, 2017 in शेर-ओ-शायरी

इस खेल मे हारे तो इतना रोना आया है तुमको
सोचो मोहोब्बत की बाज़ी हारते, तो क्या होता……………..!!

D K

by Ajnabi

बंदिशे-ऐ-मोहोब्बत…….

January 19, 2017 in शेर-ओ-शायरी

बहुत ही अजीब थी हमारी बंदिशे-ऐ-मोहोब्बत साहिब
न वो हमको कैद कर सके, और न हम कही फरार हो सके…………!!

D K

by Ajnabi

तो कर के देख लेना…….

January 19, 2017 in शेर-ओ-शायरी

बड़ी ही ज़िल्लत-ऐ-ज़िन्दगी मिलती है इस इश्क़ मे साहिब
हो अगर शौख-ऐ-चाहत दिल में, तो कर के देख लेना………………!!

D K

by Ajnabi

हमारी आँखों को वो……

January 19, 2017 in शेर-ओ-शायरी

हमारी आँखों को वो कभी गौर से देखता देखता साहिब
तो वो भी रूबरू, रोने के सबब और जागने की खुमारी से होता……….!!

D K

by Ajnabi

Kawwali…….

January 19, 2017 in Other

वो कहने लगे रुख से पर्दा हम हटा नहीं सकते
हम ने कहा तुम्हारे हुस्न को देखे बिना हम जा नहीं सकते

वो कहने लगे इस से हमारी रुसवाई होगी
हमने कहा होने दो गर जो जगहसाई होगी

उस ने कहा कभी तो हमारा कहा भी मान लिया करो
हमने कहा हरदम परदे में रह कर न जान लिया करो

वो कहने लगे बड़े ही लाचार नज़र आते हो
हमने कहा कभी बेपर्दा आप आते हो

मुस्कुरा कर वो बोले अबके जरूर आउंगी
हमने कहा वादा करो के अबके निभाऊंगी

इतना कहना था के वो मुस्कुराने लगे
धीरे धीरे नज़रें अपनी वो उठाने लगे

फिर धीरे से कहा ये वादा है हमारा
हमने कहा अब बस इंतज़ार है तुम्हारा

इतना कह कर वो महफ़िल से जाने लगे
कसम इश्क़ की वो और भी याद आने लगे

उनके दिल को जाना शायद मंज़ूर न था
मगर वक़्त को शायद ये मंज़ूर न था

अब तो इंतज़ार है हमको उनके आने का
और उनके बेपर्दा हुस्न पर गौर फरमाने का………………….!!

D K

by Ajnabi

ओ बेवफा…….

January 17, 2017 in शेर-ओ-शायरी

ताजुब नहीं मुझे तेरे बदल जाने से ओ बेवफा
के कुछ लोग बदल नहीं सकते फितरत-ऐ-दिल अपना………….!!

D K

by Ajnabi

खूब किया…….

January 17, 2017 in शेर-ओ-शायरी

अपनी मोहोब्बत का हमने तमाशा भी खूब किया
एक बेवफा ने हमको इश्क़ मे बेहताशा भी खूब किया

सोचा था मर कर अब हम किधर जाएंगे, मगर
उस बेवफा ने काम-ऐ-दिलासा भी खूब किया……………….!!

D K

by Ajnabi

इंसा, इंसा को क्या देता है…….

January 17, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

इंसा, इंसा को क्या देता है
जख्म और सिर्फ दगा देता है

पिला कर घूँट धोके का सबको
ये बड़े आराम से सबको सुला देता है

करता है विश्वास घात चंद रुपयों के खातिर
दिल के रिश्तों को ये क्या सिला देता है

बना लिया है इस ने रुपयों को खुद अपना
इंसानियत को तो अब वो बहा देता है

बागबानी करता है, झूठ के बीज बो कर
धोके का फूल वो खिला देता है

कोई हाल-ऐ-दिल अपना सुनाये कैसे किसी को
हर कोई अब झूठा दिलासा दिला देता है

दोस्त बन कर वार करता है खंज़र से
इस पाक रिश्ते को भी भुला देता है

अपना फ़ायदा देखते ही आज कल वो
दूसरों को रास्ते से हटा देता है

इंसा तो वो शक्श होता है दोस्तों
जो एक बिछड़े को दूसरे से मिला देता है

कभी सोचूंगा मैं फुरसत मे बैठ कर
आखिर इंसा, इंसा को क्या देता है………………….!!

!…..D K…..!

by Ajnabi

जैसे रहता हो समुन्दर तन्हा, किनारों की तरह…….

January 16, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

पहली मोहोब्बत का तकाज़ा क्या करे हम
वो मिला था हमको बहारों की तरह

दीवानगी इस से बढ़ कर और क्या होगी
हमने चाहा था उसको तलबगारों की तरह

खता क्या हुई एक छोटी सी हम से
वो हमें देखने लगा गुनाहगारों की तरह

के ज़िन्दगी जी हमने तब से खानाबदोशों जैसे
और रहने लगे हम बंजारों की तरह

इस शहर से उस शहर, इस नगर से उस नगर
छुपते रहे बस हम पनाहगारों की तरह

गमो ने ज़िन्दगी मे जगह बना ली इस कदर भी
के खुशियां रह गई महज़ ज़िन्दगी मैं बाज़ारों की तरह

अच्छा सिला मिला उसकी इस चाहत का हमको
ज़िन्दगी बन गई तन्हा, दीवारों की तरह

रातों को जगना, और करवटें बदलना
शरीर हो गया हमारा, बीमारों की तरह

कभी वो मिलता, और पूछता हाल-ऐ-दिल मेरा
खुवाईश बन गई थी, दरारों की तरह

मौत भी डर रही थी मुझ तक पहुचने से जाने क्यों
रूह बन चुकी थी, बैज़ारों की तरह

लाते कहा से हौसला ज़िन्दगी जीने का
हर एक दिन बीता था, तड़प के किरदारों की तरह

लौटना था मुश्किल इस इश्क़-ऐ-सफर से अब
के हालत हो गई थी हमारी कर्ज़दारों की तरह

उसको तो मिल गया था आशियाना अपना
हम बस तन्हा रह गए थे, बफ़दारों की तरह

सहारा लिया हमने मयखाने का इसलिए भी
हर पल बीतता था ग़मखारों की तरह

थोड़ी देर के लिए सब कुछ भूल जाते थे हम
वह लोग मिलते थे सब से यारों की तरह

मोहोब्बत एक हसीं गुनाह है दोस्तों
जिस मे सब फिरते है यहाँ वह मारो मारो की तरह

आंसू बरसते है सबके आँखों से ऐसे
जैसे बरसता है बादल, फुआरों की तरह

मौत जल्दी नसीब होती नहीं उन सब को
और ज़िन्दगी जीते है वो सब एक बेसहारों की तरह

बंध गई ज़िन्दगी किसी दायरे मे ऐसे
जैसे रहता हो समुन्दर तन्हा, किनारों की तरह…………………….!!

!……….D K……….!

by Ajnabi

कुछ लोग यूँ भी ज़िन्दगी बसर कर रहे है……..

January 16, 2017 in Poetry on Picture Contest

कुछ लोग यूँ भी ज़िन्दगी बसर कर रहे है
बीन कर कचड़ा सब्र कर रहे है

ज़िन्दगी सिर्फ अमीरों की नहीं है
ये तो तोहफा है खुदा का, ये गरीबों की भी है

क्यों करते हो नफरत तुम इन सब को देख कर
ये हम जैसों की ज़िन्दगी को सरल कर रहे है

जब आते है गली मे, कुत्ते भोंकते है इन पर
सब देखते है इनको शक की नज़र से

कभी झाँक कर देखो इन सब के घर और आंगन मे
ये अपनी ज़िन्दगी का क्या हस्र कर रहे है

अक्सर हम फैंक देते है कचरे को यूँ ही
ये सब उन्ही कचरों मे रोटी ढूंढते है

ये भी काम रहे है अपनी आजीविका
ये भी हमारी तरह इधर से उधर कर रहे है

ज़िन्दगी इनकी भी बड़ी आम सी दिखती है
बस ज़रा बदनाम सी दिखती है

हम सब भी करते है काम अपना अपना
वो सब भी इसी तरह अपना अपना कर्म कर रहे है

कड़ी मेहनत से जूझना पड़ता है उन सब को भी
थकान शरीर की होती है उन सब को भी

हम सब उठाते नहीं कचड़ा शर्म के मारे ये सच है
मगर ये सब ये काम बेधड़क कर रहे है

शिकार होते है ये बस हमारे बनाये हुए समाजो के
मिलती है गालियां, डांट और गुस्सा

कचड़ा अगर ये न उठाये तो गंदगी बहुत बढ़ जाये हर जगह पैर
ये सब ऐसा कर के, बहुत बड़ा धर्म कर रहे है

कुछ लोग यूँ भी ज़िन्दगी बसर कर रहे है
बीन कर कचड़ा सब्र कर रहे है …………………………………..!!

!……….D K……….!

by Ajnabi

Love……

January 16, 2017 in English Poetry

                 Love

I find myself, in love, waste
I thought, love is, totally waste

But someone told me, it is nice
By which, every human become wise

It includes sorrow, reliance & emotion
That is why it is found in every relation

It makes our life as like a heaven
It is very innocent, not a clever

Once again when I thought on it
Then I found truthiness in it

That was not my fault, I said
Despite of, some person addressed me “Bad”

I didn’t know about facts of love at that time
That it spread fragrance & make our life as shine

Then I began to think about it more
I found sometime it is sweet, sometime it is sour

After that I knew, one special thing about love
That it is very special & very precious for all…………………!! By: D K

by Ajnabi

इश्क़-ऐ-नाकामी का सबब……

January 14, 2017 in शेर-ओ-शायरी

अपनी इश्क़-ऐ-नाकामी का सबब बस इतना था साहिब
मांग बैठे थे खुदा से वो चीज़, जो बहुत अज़ीज़ थी खुदा के लिए…………!!

                                                                            …………………D K

by Ajnabi

ऐ खुशियां…….

January 14, 2017 in शेर-ओ-शायरी

ऐ खुशियां अब तो लौट आ तू
मेरी ज़िन्दगी में सुलह कर करके

के अब न वो रहा, न उसकी यादें,
और न कोई बहाना इस दिल का…………!!

                                   ……………..D K

by Ajnabi

हाल-ऐ-दिल……..

January 14, 2017 in शेर-ओ-शायरी

कही तन्हा न कर दे तुझे,
ये आदत तन्हा रहने की

रातों को अपना हाल-ऐ-दिल
तू चाँद, तारो से कह दिया कर……………….!!

                                         ………………D K

by Ajnabi

सारे मौसम रो रहे है………

January 14, 2017 in शेर-ओ-शायरी

इस बारिश के रुकने का इंतज़ार न करना तुम आज
हमने पीया है गम-ऐ-आंसू, सारे मौसम रो रहे है……………..!!

                                                             …………………D K

by Ajnabi

चिराग की तरह……..

January 14, 2017 in शेर-ओ-शायरी

तू हुकुम ही नहीं दे सका, हमको रोशन करने के लिए
के हम तो पड़े थे तेरे ही घर मे, चिराग की तरह……………..!!

                                                          …………………D K

by Ajnabi

ज़िन्दगी अपनी……

January 14, 2017 in शेर-ओ-शायरी

ताश के पत्तों की तरह हो गई है ज़िन्दगी अपनी,
जो भी आता है बस खेल कर चला जाता है………………!!

                                                         ………………D K

by Ajnabi

पूरी ज़िन्दगी……..

January 14, 2017 in शेर-ओ-शायरी

इतना भी आसान नहीं,
किसी को इश्क़ मे पा लेना

पूरी ज़िन्दगी दाव पर लगनी पड़ती है,
हर तरह से किसी का होना पड़ता है…………..!!

                                                …………D K

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