इश्क- विश्क से दुर रहो!!

March 29, 2019 in शेर-ओ-शायरी

मन को समझाया था मैने..इस इश्क विश्क से दूर रहो
पर ये मन,मन ही मन मै अपनी मन मानी कर बैठा____!!!!

इश्क- विश्क से दुर रहो!!

March 29, 2019 in शेर-ओ-शायरी

मन को समझाया था मैने..इस इश्क विश्क से दूर रहो
पर ये मन,मन ही मन मै अपनी मन मानी कर बैठा____!!!!

दिल की बाते!

March 29, 2019 in मुक्तक

वफ़ा करनी भी सीखो इश्क़ की नगरी में ए दोस्त,

फ़क़त यूँ दिल लगाने से दिलों में घर नहीं बनते !!

हर दिन हर पल !

February 4, 2019 in शेर-ओ-शायरी

वो मुझे छोड़कर दुसरे के बाहों मे चैन की नींद सो रही है,
और मै सिसक रहा हूँ उनकी तस्वीर को बाहों में लेकर!!

झुठा बादा।।

October 5, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे होकर भी मेरे खिलाफ चलते है,
मेरे फैसले देख तब पर भी साथ चलते है।।

ज्योति

झुठा बादा।।

October 5, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे होकर भी मेरे खिलाफ चलते है,
मेरे फैसले देख तब पर भी साथ चलते है।।

ज्योति

खिलाफ

September 13, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे होकर भी मेरे खिलाफ चलते है,
मेरे फैसले देख तब पर भी साथ चलते है।।

ज्योति

ना कहकशो का दौर है।

September 4, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ना कहकशो का दौर है,ना वो हमसे गुप्तगुह करते है,
संगदिल उस सनम से हम बेपनाह महोब्बत करते है।

ज्योति

तमाम दर्द मिट गये।

August 16, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे आँखो मे गुमाण उनका था ,
वसा ना पाया मेरे आँखो ने किसी दुसरे को दिल मे क्योकि मकान उनका था !
तमाम दर्द -जख्म मिट गये मेरे लेकिन जो ना मिट पाये उसमे नाम उनका था।।

जेपी सिह

Life is not bona fide.

August 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

Life is not bona fide.
It is house of rent as if it is mine or elase it is the wroth.
The price of mud,
Breaking the world in the world
So the Person is running away .
Also earns money

Jyoti
Mob 9123155481

पैसे की चाहत,

August 5, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

पैसे की चाहत ने अपनो से दुर किया,
माँ ,पिता, दोस्त ,भाई जैसे पवित्र रिस्ते को छोड़ दिया ,
पैसे की चाहत ने अपनो से दुर किया ,

जेपी सिह

तुमसे मिलने की तमन्ना।

August 5, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुमसे मिलने की तमन्ना अब भी लगा बैठा हूँ,,
सुबह से शाम तुम्हारी गलीयो मे चक्कर लगा –लगा कर दिल को समझा रहा हूँ,
तुमसे मिलने की तमन्ना अब भी लगा बैठा हूँ,
बीत गई वो दिन- बीत गई बात लेकिन क्या कहूँ हाथ मे सिन्दुर लिये बैठा हूँ,
तुमसे मिलने की तमन्ना—–
रात को जब तन्नहाई होती है करवट बदल सिसक-सिसक कर सुबह हो जाती ,
क्या कहूँ मिलने की तमन्ना अब लगा बैठा हूँ ।

– जेपी सिह

काश

August 4, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

काश मेरी जिन्दगी मे तु होती ना सुबह का इंतजार करती ना शाम का शिर्फ तेरे नीले आँख ो का इंतजार करती।
जेपी

जहजे दिल।

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जहजे दिल को सभाँरने का काम कर रहा,
जेपी अपनो का कीमत अपनो से दे रहा।
जेपी सिह

क्यो कुछते हो परतीभा के परतीभाओ को ।

July 29, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्यो कुचलते हो परतीभा के परतीभाओ को,
चंद पैसो के लिए तुम्हारे घर खुशी जाती पैसो की,,
यहाँ परतीभा वाले बच्चे की लाशे मिलते नदी या रेल किनारे मे,,
क्यो कुचलते हो चंद पैसो के लिए,,

JP singh

आ जाओ,

July 27, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आ जाओ सावन की ये वर्षात तुझे बुला रही है
तेरे बीना ये सावन की बुँद मुझे जला रही है।
Jp singh

मुझे नही पता,

July 27, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मुझे नही पता की फुल के तरह खिलुगाँ,
भवरे आयेगे नोच– नोच-खायेगे,
मेरी कोमल तन को पत्थर की चोट से घायाल करके मेरे बदन को नोच- खायेगें
मुझे नही पता भवरे नोच खायेगे,,
किसको गलत कहूँ,
ये परिन्दे मेरे शहर मे हर घर के छत पे नजरे तलाश करते,
लम्बी-लम्बी बात बोल-बोलकर मुझे पंछी की तरह जाल मे फसाकर ,
मुझे नोच खाते किसको कहूँ मेरे शहर के ही परिन्दे मुझे नोच खाते।।
सात- फेरे की कसम खाकर मुझे बुलाकर चार-पाँच परिन्दे मुझ पर बरस जाते,,
मेरी बदन को नोच-नोच खाते!!
जब भर जाता जिस्म !! तो गला घोटकर ,या चाकु से बार करते,,
क्या कहूँ मेरे शहर के ही परिन्दे मुझे नोच खाते,
सात -फेरा की कसम खाकर मुझे लोभ मे फसाकर मुझे नोच खाते !!

JP Singh
Mob no 9123155481

अगर मै कुड़ा कागज होता,

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

अगर मै कुड़ा-कागज होता ,
तो मेरा कोई ना सुबह होता ना शाम होता, ना घर होता ना परिवार होता,
शिर्फ मेरे साथ रास्ते का धुल होता,,,,,
अगर मै कुड़ा–कागज होता,
कभी पढ़ने का काम आ जाता कभी बच्चे के खेलने मे काम आ जाता ,,
अगर मेरी अस्तीत इंसान के बीच खत्म भी हो जाती ,,
तो मै किसी काबारी को भी काम आता!! ,अगर मै कुड़ा -कागज होता_,
ना मेरी कभी अंत होती !!
मुझे फिर से नया बनाया जाता कभी अफसरो के बीच कभी मजदुर के बीच सिपाही के बीच मेरा सुबह शाम होता ,
मेरा वही परिवार होता मेरा हँसता खेलता सुबह शाम होता ,,
फिर कभी हवा के साथ के साथ कभी रोड पर धुल मे खुले -आम लर जाता,,
अगर मै कुड़ा-,कागज होता।।।
जेपी सिह

मानव तुम्हारा हजार रूप देखे,,

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मानव तेरा हजार रूप देखे,,
कभी रावण बनते कभी कंश बनते देखे,
कभी राम बनते देखे कभी Krishna बनते देखे,,
लेकिन जब -जब देखे सच्चाई पर मरते देखे,
मानव तेरा हजार रूप देखे।।

जे पी सिह

दिव मे,

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल मे कुछ अरमान सजाये बैठे है,
आँखो मे कुछ ख्वाब रखे बैठे है,,
तेरी डोली को देखने की इंतजार मे मेरे दिल और आँख वर्षो से किसी मोड़ पर बैठे है।।
जे पी सिह

दर-दर ,

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जे पी सिह

दिल मे तुझे,,

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल मे तुझे बैठा रखा था,
ख्वाबो मे तुझे सजा कर बैठा था,,
दिन मे भी चाँद तारे चमकेगें इसी तरह गलत-फहमी मे तुमसे प्यार कर बैठा था।।

जे पी सिह

हाथ जोड़कर,

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हाथ जोड़कर जब मैने सारी गलती माँग ली जमाने के समाने,
फिर क्यो जलिल करते हो सारे के सामने,,
हाथ जोड़कर सारी सारी गलती माँग ली मैने

हाथ जोड़कर,

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हाथ जोड़कर,

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हाथ जोड़कर,

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हाथ जोड़कर,

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

इस तरह,,

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

इस तरह का दिम्मक पाल रखा था,, मेरे दिल ने,!
खोखला कर डाला पर दवा डाल नही पाया मेरे दिल ने।
इस तरह का दिम्मक पाल रखा मेरे दिल ने।।

सारे कायनात,

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल टुटने के बाद ;;चैन भी रूठ गयी,
रात भर करवट बदला-बदला पुरे शरीर मे दर्द -गर्ग कर गयी ,
चैन रूठी गयी जब दिल टुट गयी।।
JP Singh

सारे कायनात,

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

,—सारे की इशारे को भुल गये,
लेकिन तेरी नशीली आँखो को देखकर झुम गये!
JP Singh

एक शहर मे तीन मित्र

July 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक शहर मे तीन मित्र रहते थे,तीनो मे बहुत गहरा मित्रता थी,
एक का नाम गौरव जो शांत-सोभाव के थे उनको गीत गाना गुनगुना कविता लिखने का इश्क चहरा हुआ था,,
दुसरा मित्र सौऱभ जो पेशा से शिक्षक थे इन्हे दुनिया दारी से कोई मतलब नही रहती,,
तीसरा मित्र प्रसांत ,,
जो थोड़ा हटके थे इन्हे नशा के साथ लड़की के पीछे भागना दौड़ना इन्हे लगा रहता,,
दोनो मित्र यानि गौरव और सौरभ लाख समझाये भला कोई इस उम्र मे समझता है,,
वो लड़की के पीछे भागते रहा,,
एक दिन की बात है प्रसांत को कुछ दिन से लड़की बात नही कर रही थी जिससे प्रसांत बहुत परेशान रहने लगा।
दोनो मित्र को लाख समझाने से वो नही समझा मित्र को ही भला बुरा कह देता और फिर नशा मे डुब जाता,
लड़की बड़े परिवार की थी जिसके कारण वो प्रसांत से बात करना नही चाहती लेकिन वो अपने जिद पर अरे रहा लड़की अपने जिद पर दोनो मित्र परेशान रहने लगे भला कोई मित्र परेशान रहे तो कैसे कोई दुसरा मित्र नीद की रोटी खा सकता,,
बाद मे प्रसांत को रोटी की भुख नही नशे की भुख लग गयी,प्यार मे घोखा खाकर वो बदले की आग मे खुद को जला लिया,
लड़की की इश्क ने बेचारे को मित्र की मित्रता पर भी शक होने लगा,,
बाद मे प्रसांत सबसे दुर होकर नशे को अपना साथी बना लिया ,,
जो कि दोनो मित्र को चिंता का विषय बना हुआ है।

मै आप सबो को एक कहानी के जरीय कहना चाहता हूँ प्यार रूपी नाटक करने वाले लड़की से दुर रहे नही तो आपके शुभचिंतक भी साथ छोड देगे

काश

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज्योति

काश

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज्योति

देखने की आश,

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुझे देखने की आश लगा बैठा हूँ,
तुझे पाने की आरजु दिल मे सजा बैठा हूँ,,
कौन से दिन आयेगें मिलन की पंडितो से दिखाकर बैठा हूँ।।
ज्योति

उजड़ी।

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरी उजड़ी हुई घर को बसायेगा कौन,
माँ !
जब तु ही नही रही बहु लयेगा कौन।
ज्योति

जिन्नदगी के पन्ने मे।

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

चल जिन्नदगी के पन्ने मे तेरा नाम लिखता हूँ,
तुम्हारे साथ जीने मरने का वादा अदालत मे गीता मर हाथ रख कर कहता हूँ।।
ज्योति

उजड़ी।

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे उजड़ी हुई फुलवाड़ी ,(बाग)
देखकर मत हँसना यारो,,
बागीयो ही ने उजाड़ा है यारो।

प्यासा ।

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

नजर प्यासा -प्यासा सा है,
तुमहे देखने के लिए,,
सुना है तुम्हारी मेहदी रचाने वाली है किसी दुसरे नाम की।।
ज्योति

सपना ।

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सपनो तो बहुत देखे थे ,,
तुम्हारे हाथ मे हाथ डालकर,
तु ही तो खुदगर्ज निकली किसी के हाथ पाने के बाद।।

काश।

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

काश अगर मै जानवर से दिल लगाया होता,
मेरे साथ भले वो वादे जीने और मरने की नही करती,,
लेकिन दुम हिलाया होता।।

अपनी आँख से

July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरी नसीली आँखो मे बसती है मेरी दुनिया!
तु आँखो से आँसु मत बहा।

खव्वाइश।

July 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

इस ख्ववाइशो की समंदर ने चखना-चुर किया है,
अपने मीठी धारा मे फसाकर लहुँ-लुहाँन किया है।
ज्योति

जिस दिन से

July 16, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जिस दिन से तुम्हारी नसीली आँख देख लिया ;मैने!
लड़खराये –डगमगाये चलता हूँ।।
चाहे चाय खाना से निकलु,,
या तुम्हारे गली से निकलु।
डगमगाये फिरता हूँ।।
ज्योति

महोब्बत की बजार

July 16, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

चलो महोब्बत की बजार चलता हूँ,,
अपने दिल की दर्द को साथ ले चलता हूँ,
देखता हूँ इस बजार मे कोई मेरे जैसा तन्नहा है,,
अगर है!
तो उसको अपने दर पर साथ ले चलता हूँ।।
ज्योति

कभी दोस्त पर सवाल मत करना।

July 13, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कभी दोस्त पर सवाल मत करना यारो,
दोस्त मार भी लेगा, डाँट भी लेगा लेकिन तेरी भुखी आँख को पहचान लेगा यारो।।

मेरी गाँव मुझे बुला लो

July 13, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरी गाँव मुझे बुला लो,
मुझे अकेलपान अच्छा नही लगता मुझे बोला लो।।
बुढ़े को खिजलाना खटीया इधर उधर करना,,
ये मुझे याद आती मेरी गाँव मुझे बोला लो,,
बाबु जी से चुड़ाकर सिगरेट पीना ,,बाबु जी को झुठ मुठ बोल कर पैसा ठकना,,
ये मुझे याद आती मेरी गाँव मुझे बुला लो।।
दादा के बठुआ से दो चार रूपया निकाल कर गुल्ली खेलना,,
भैया के डर से चौकी के नीचे छुपना तुतला कर बोलना अब ऐछा गलती नही होगा भैया मुछे माँफ कर दो ।
इस तरह का बोलना मुझे बहुत याद आती मेरी गाँव मुझे बुला लो।।
मेरे चेहरे के सारे खुशी ठिकेदार के हाथ मे है
दो जुम की रोटी कभी देता कभी लायन मे ही भर दिन खड़ा रह जाता ,
अब मेरी गाँव मुझे बुला लो।।
ज्योति
मो न० 9123155481

वो अब मेरी नही।

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मै आज भी वही हूँ,
जैसा तुमको पसंद है।
लेकिन हम वैसा भी नही,
जैसा तुम्हारे पिता का पंसद है।
तुम मेरी पहली प्यार थी,
लेकिन मै क्या करू रिस्ते और नाते दौलत के तलवार बनाते।
मै आज भी खुश हूँ तुम्हारी खुशी देखकर,,
लेकिन दिल हारने लगता कभी तेरा याद कर-कर।
मै आज भी कुवाँरा हूँ ,,
तेरे साथ जो वादे किये थे उस पर डटकर।
एक बार तुम कभी मिलने आ जाना ,,
नदान दिवाना समझकर।।

ज़्योति
मो० 9123155481

कल क्या होगा,

July 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

बहुत कुछ सपना सजाया था !मैनै,
लेकिन जिसके लिए सजाया,
वो पराये का मेहदी हाथो मे सजाये थे।।

जुवाएँ

July 9, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जुवाएँ पर बदजुबानी पर बात लिये फिरते,,
जो खुद गिरा —
वो मुझे क्या गिराने की बात करते।।

मेरी गलती माँफ करो।

July 9, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

अगर हुई गलती मुझे माँफ करो,
हर गलती मेरी शर्मनाक है, या तुम मार गिरावो या माँफ करो।
गलती किया इसलिए माँफी माँग रहा,
अगर लगता गलती– गलती का अनुमोदन है तो इसे भी स्वीकार करो,,
गलती हुई मुझसे इतनी पर दु:ख मत होना,
तुम्हे पता है विजली भी गिरती ऊँचे पेड़ पर गिरता तब पर भी वतावरण उसे माँफ करता ,,नई पौधा जन्म देने का प्रयास करता,
या तो तुम मेरी गलती माँफ करो ,या मार गिरावो।
मुझे से गलती हुई पर दु:ख मत होना,
मुझसे हुई गलती सचमुच मे लज्जा की बात है,
मेरी अपनी गलती स्वय नही दिखा,
इसलिए मै इतना बड़ा गदम उठाया,,
एक छोटा भाई के नाते मुझे माँफ करो !!
ये तुम्हारी मर्जी मुझे माँफ करो या मार गिरावो,,
मै लहरो की शक्ति से परिपक हूँ उसमे भी तुफान आती पर किनारा उसे काटकर वापस कर देता,,
या तो तुम मुझे माँफ करो या मार गिरावो।

ज्योति सिह
मो0 9123155481

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