by Panna

ये कैसा तसव्वुर

July 20, 2015 in शेर-ओ-शायरी

ये कैसा तसव्वुर, कैसा रब्त, कैसा वक्त है
जो कभी होता भी नहीं, कभी गुजरता भी नहीं

रब्तः संबंध

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by Panna

एक मुलाकात की तमन्ना मे

July 20, 2015 in ग़ज़ल

आपकी यादो को अश्कों में मिला कर पीते रहे
एक मुलाकात की तमन्ना मे हम जीते रहे

आप हमारी हकीकत तो बन न सके
ख्वाबों में ही सही हम मगर मिलते रहे

आप से ही चैन ओ सुकून वाबस्ता दिल का
बिन आपके जिंदगी क्या, बस जीते रहे

सावन, सावन सा नहीं इस तनहाई के मौसम में
हम आपको याद करते रहे और बादल बरसते रहे

जब देखा पीछे मुडकर हमने आपकी आस में
एक सूना रास्ता पाया, जिस पर तनहा हम चलते रहे

sign

by Panna

यूं इकरार ए इश्क मे तू ताखीर न कर

July 12, 2015 in शेर-ओ-शायरी

यूं इकरार ए इश्क मे तू ताखीर न कर

चले गये जो इकबार, फिर ना आयेंगे कभी

by Panna

Wait for it

July 11, 2015 in English Poetry

https://soundcloud.com/ladyofire/waitforit-rmx

by Lady of Fire

by Panna

कौन कहता है

July 9, 2015 in शेर-ओ-शायरी

कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबाँ होती है
ये हक़ीक़त तो निगाहों से बयाँ होती है

वो न आये तो सताती है ख़लिश सी दिल को
वो जो आये तो ख़लिश और जवाँ होती है

(ख़लिश = चुभन, वेदना)

रूह को शाद करे, दिल को जो पुरनूर करे
हर नज़ारे में ये तनवीर कहाँ होती है

(शाद = प्रसन्न), (पुरनूर = प्रकाशमान, ज्योतिर्मय), (तनवीर = रौशनी, प्रकाश)

ज़ब्त-ए-सैलाब-ए-मुहब्बत को कहाँ तक रोकें
दिल में जो बात हो आँखों से अयाँ होती है

(ज़ब्त-ए-सैलाब-ए-मुहब्बत = मुहब्बत की बाढ़ की सहनशीलता), (अयाँ = साफ़ दिखाई पड़ने वाला, स्पष्ट, ज़ाहिर)

ज़िन्दग़ी एक सुलगती-सी चिता है ‘साहिर’
शोला बनती है न ये बुझ के धुआँ होती है

-साहिर होशियारपुरी

by Panna

जिंदगी मेरी जिंदगी से परेशान है

July 5, 2015 in ग़ज़ल

जिंदगी मेरी जिंदगी से परेशान है
बात इतनी है कि लिबास मेरे रूह से अनजान है­­

तारीकी है मगर, दिया भी नहीं जला सकते है
क्या करे घर में सब लाक के सामान है

ऐसा नहीं कि कोई नहीं जहान में हमारा यहां
दोस्त है कई मगर, क्या करें नादान है

कोई कुछ जानता नहीं, समझता नहीं कोई यहां
जो लोग करीब है मेरे, दूरियों से अनजान है

घर छोड बैठ गये हैं मैखाने में आकर
कुछ नहीं तो मय के मिलने का इमकान है

ढूढ रहा हूं खुद को, कहीं कभी मिलता नहीं
चेहरे की तो नहीं, मुझे उसके दिल की पहचान है

गुजर जायेगी जिंदगी अब जिंदगी से क्या डरना
जो अब बस पल दो पल की मेहमान है

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by Panna

दर्द ए दरिया कैद है इस दिल में

July 2, 2015 in शेर-ओ-शायरी

दर्द ए दरिया कैद है इस दिल में

by Panna

एक मुलाकात की तमन्ना मे

June 30, 2015 in ग़ज़ल

आपकी यादो को अश्कों में मिला कर पीते रहे
एक मुलाकात की तमन्ना मे हम जीते रहे

आप हमारी हकीकत तो बन न सके
ख्वाबों में ही सही हम मगर मिलते रहे

आप से ही चैन ओ सुकून वाबस्ता दिल का
बिन आपके जिंदगी क्या, बस जीते रहे

सावन, सावन सा नहीं इस तनहाई के मौसम में
हम आपको याद करते रहे और बादल बरसते रहे

जब देखा पीछे मुडकर हमने आपकी आस में
एक सूना रास्ता पाया, जिस पर तनहा हम चलते रहे

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by Panna

बरसते सावन में कभी तो भीगती होगी वो

June 27, 2015 in शेर-ओ-शायरी

बरसते सावन में कभी तो भीगती होगी वो

by Panna

कैसे करें शिकवे गिले हम उनसे

June 20, 2015 in शेर-ओ-शायरी

by Panna

ज़ाकिर भी लिखूं तो जिक़्र उन्ही का आता है

June 18, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज़ाकिर भी लिखूं तो जिक़्र उन्ही का आता है

by Panna

शाम ओ सहर उनके ख्यालों में खोए रहते है

June 17, 2015 in शेर-ओ-शायरी

शाम ओ सहर उनके ख्यालों में खोए रहते है

by Panna

अफ़साने मोहब्बत के होठों तक आ नहीं पाते

June 16, 2015 in शेर-ओ-शायरी

अफ़साने मोहब्बत के होठों तक आ नहीं पाते

by Panna

न उस रात चांदनी होती

June 13, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

न उस रात चांदनी होती

by Panna

ये कैसा तसव्वुर, कैसा रब्त, कैसा वक्त है

June 13, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये कैसा तसव्वुर,  कैसा रब्त,  कैसा वक्त है

by Panna

इश्तेहार सी हो गयी है ज़िंदगी मेरी

June 3, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

ishehaar si ho gayi he zindagi meri

by Panna

शोक ए हिज़्र करूं या जश्न ए वस्ल करूं

May 2, 2015 in शेर-ओ-शायरी, हिन्दी-उर्दू कविता

shok e hizr

by Panna

गंगा की व्यथा

March 18, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

जीवन का आधार हूं मैं
भागीरथ की पुकार हूं मैं
मोक्ष का द्वार हूं मैं
तेरे पूर्वजों का उपहार हूं मैं
तेरा आज, तेरा कल हूं मैं
तुझ पर ममता का आंचल हूं मैं
हर युग की कथा हूं मैं
विचलित व्यथित व्यथा हूं मैं
तेरी मां हूं मैं, गंगा हूं मैं|

अनादि अनंत काल से
हिमगिरी से बह रही
तेरी हर पीढ़ी को
अपने पानी से सींच रही
मेरी धारों से गर्वित धरा
धन-धान से फूल रही
विडंबना है यह कैसी?
यह धरा ही मुझको भूल रही
क्ष्रद्धाएं रो रही है, विश्वास रो रहा है
प्रणय विकल रहा है, मेरा ह्रदय रो रहा है
तेरी क्ष्रध्दा का श्रोत हूं मैं
प्रणय का प्रकोष हूं मैं
मेरी मासूम बूंदो का रोष हूं मैं
तेरी मां हूं मैं, गंगा हूं मैं|

असहाय हूं मैं,लाचार हूं
सदियों से शोषण का शिकार हूं
अब तो थोडी सी अपनी उदारता का प्रमाण दो
मेरी इस दशा को थोडा तो सुधार दो
तेरे संस्कारो का क्ष्रंगार हूं मैं
तेरी संस्क्रति की गरिमा हूं मैं
तेरी मां हूं मैं, गंगा हूं मैं…. गंगा |

by Panna

तुझसे रुबरु हो लूं मेरे दिल की आरजू है

March 4, 2015 in ग़ज़ल

तुझसे रुबरु हो लूं मेरे दिल की आरजू है
तुझसे एक बार मैं कह दू, तू मेरी जुस्तजु है

भॅवरा बनकर भटकता रहा महोब्बत ए मधुवन में
चमन में चारो तरफ फैली जो तेरी खुशबु है

जल जाता है परवाना होकर पागल
जानता है जिंदगी दो पल की गुफ्तगु है

दर्द–ए–दिल–ए–दास्ता कैसे कहे तुझसे
नहीं खबर मुझे कहां मैं और कहां तू है

शायर- ए- ग़म तो मैं नहीं हूं मगर
मेरे दिल से निकली हर गज़ल में बस तू है

by Panna

उनकी उलझी हुई जुल्फ़ें

March 4, 2015 in शेर-ओ-शायरी

उनकी उलझी हुई जुल्फ़ें जब मेरे शानों पे बिखरती है
सुलझ सी जाती है मेरी उलझी हुई जिंदगी

by Panna

न उस रात चांदनी होती

March 4, 2015 in शेर-ओ-शायरी

न उस रात चांदनी होती
न वो चांद सा चेहरा दिखता
न मासूम मोहब्बत होती
न नादान दिला ताउम्र तडपता

by Panna

इस कफ़स में वो उडान, मैं कहॉ से लाऊं

February 16, 2015 in ग़ज़ल

इन परों में वो आसमान, मैं कहॉ से लाऊं
इस कफ़स में वो उडान, मैं कहॉ से लाऊं   (कफ़स  = cage)

हो गये पेड सूने इस पतझड के शागिर्द में
अब इन पर नये पत्ते, मैं कहॉ से लाऊं

जले हुए गांव में अब बन गये है नये घर
अब इन घरों में रखने को नये लोग, मैं कहॉ से लाऊं

बुझी-बुझी है जिंदगी, बुझे-बुझे से है जज्बात यहॉ
इस बुझी हुई राख में चिन्गारियॉ, मैं कहॉ से लाऊं

पथरा गयी है मेरे ख्यालों की दुनिया
अब इस दुनिया में मुस्कान, मैं कहॉ से लाऊं

by Panna

When you hold my hand

February 16, 2015 in English Poetry

When you hold my hand
When your hairs spread over my face
When your deep ecstatic eye see me
My heart remain no longer with me

When your lips touch my hand
When you put your head on my shoulder
When you whisper in my ear
I feel I am where I should be
I want to spend all my life with you

But now you left me
A long distance is between us
When I realize this, I cry
My feelings get condensed
At this premonition of separation

Perhaps in another world
In another life
We will meet
We will be together again
You will hold my hand again
I believe

–  follow my blog – http://poetrywithpanna.wordpress.com/

by Panna

…पुरानी नजरों से

February 16, 2015 in शेर-ओ-शायरी

उनको हर रोज नये चांद सा नया पाया हमने
मगर उन्होने हमें देखा वही पुरानी नजरों से

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by Panna

शागिर्द ए शाम

February 16, 2015 in शेर-ओ-शायरी

जब शागिर्द ए शाम तुम हो तो खल्क का ख्याल क्या करें
जुस्तजु ही नहीं किसी जबाब की तो सवाल क्या करें

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by Panna

अब न चांदनी रही न कोई चिराग रहा

February 16, 2015 in ग़ज़ल

अब न चांदनी रही न कोई चिराग रहा
राहों में रोशनी के लिए न कोई आफताब रहा

उनकी महोब्बत के हम मकरूज़ हो गए
उनका दो पल का प्यार हम पर उधार रहा

वेवफाई से भरी दुनिया में हम वफा को तरस गए
अब तो खुद पर भी न हमें एतबार रहा

शम्मा के दर पर बसर कर दी जिंदगी सारी
परवाने को शम्मा में जलने का इंतजार रहा

उन्हे देख देख कभी गज़ल लिखा करते थे हम
अब न वो गजल रही और न वो हॅसी गुबार रहा

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by Panna

कैसे करें शिकवे

February 16, 2015 in शेर-ओ-शायरी

कैसे करें शिकवे गिले हम उनसे
उनकी हर मासूम खता के हम खिदमतगार है

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by Panna

वो आये कभी पतझङ कभी सावन की तरह

February 16, 2015 in ग़ज़ल

वो आये कभी पतझङ कभी सावन की तरह
जिंदगी हमें मिली हमेशा बस उनकी तरह

फूलों के तसव्वुर में भी हुआ उनका अहसास
आये वो मेरी जिंदगी में खिलती कली की तरह

जब से दी जगह खुदा की उनको दिल में हमने
याद करना उनको हो गया इबादत की तरह

डूब गया दिल दर्द ए गम ए महोब्बत में
बहा ले गयी हमें साहिल ए इश्क में लहरो की तरह

हुई जब रुह रुबरु उनसे जिंदगी ए महफिल में
समा गयी वो मेरी रुह में सांसो की तरह

by Panna

ये कैसा तसव्वुर, कैसा रब्त

February 16, 2015 in शेर-ओ-शायरी

ये कैसा तसव्वुर, कैसा रब्त, कैसा वक्त है
जो कभी होता भी नहीं, कभी गुजरता भी नहीं

रब्तः संबंध

 

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