राम नरेशपुरवाला
खुदगर्ज
September 21, 2019 in शेर-ओ-शायरी
मेरे घर मे लगी आग से
खुदगर्ज जमाना हाथ सेंकता है
दुख कितना भी बड़ा हो मेरा
मदद करने से पहले मेरा रुतबा देखता है
माँ -बाप
September 21, 2019 in मुक्तक
माँ बाप की क्या इच्छा होती है
अपने बच्चों से
थोड़ा सा प्यार थोड़ी सी इज्जत
चाहते है उन गढ़े पक्के रिश्तो से
दुख के दिनों मे तुम साथ दो ना दो
तुम्हारे साथ सुख के कुछ क्षण गुजरना चाहते है
जिंदगी के खेल मे जीतो तुम
पल पल हारने के लिए अपनी मात चाहते है
सुखी तुम जिंदगीभर रहो
तुम्हारे दुख मे तुम्हारा साथ चाहते है
बुढ़ापे मे कांपते हुए शरीर को थमने वाला
तुम्हारा मजबूत हाथ चाहते है
बस मेरे बच्चों हम तुम्हारा साथ चाहते है…….
सरकार
September 19, 2019 in मुक्तक
वाह री सरकार
क्या गजब बनाए है तूने ट्रेफिक रूल.
दिमाग मे बस चलता रहता हेलमेट, इंश्योरेंश, लाइसेंस कभी ना मै जाऊ भूल.
वाह री सरकार
सब्सिडी तो तूने give up करा दी
पर सिलेंडर-चूल्हा किसे मिला ?
इसकी तो तूने खबर भी ना दी.
वाह री सरकार
बिजली चोरी के छापे तो तो तूने खूब मारे
25%की रियायत दी…. बाकि सारा तू खा ले.
खा ले ले मर.
अब ऐसा वक्त आ गया
September 16, 2019 in मुक्तक
कवि तो खुशिया फैलाने का जरिया था
पर अब ऐसा वक्त आ गया
कागज़- कलम को छोड़ सबने
लेपटॉप कंप्यूटर को अपना लिया
लिखने का कीमती वक्त तो
Whats up twiter खा गया
उंगलियां you tub को छनती
दिमाग़ को pub G खा गया
अब ऐसा वक्त आ गया
आंसू
September 13, 2019 in शेर-ओ-शायरी
झूठे लोग बिना दर्द के भी आंसू बहाते है
सच्चे लोग दुसरो का दर्द देखके ही रोने लग जाते है
झूठे लोग दुख का बहाना बनाते है
सच्चे लोग दुखो मे भी मुस्कुराते है
कवि तो उड़ता पंछी है
September 11, 2019 in मुक्तक
सारे पिंजरे तोड़ चुका वो
. मन की मर्जी से जीता है.
कवि तो उड़ता पंछी है जो
उमंगो के आसमान मे उड़ता है
कवि तो बहुत ही प्यासा है
बस भावनाओ मे बहती नदी का पानी पीता है
शान से वो रहता है
कलम की डाल पर बैठकर
सकून के पल वो जीता है
वाह वाह
September 11, 2019 in शेर-ओ-शायरी
जिंदगी जीने का नाम है
इसमें क्या अगला क्या पिछला है.
कवि को तो वाह… वही चाहिए
क्योंकि हर शब्द उसके दिल से निकला है.
गुनेहगार
September 11, 2019 in शेर-ओ-शायरी
बचाके बहुत रखा अपने मासूम दिल को
दिन रात तुम्हारी जासूस निगाहो पर पहरा दिया.
चुराया दिल मेरा तुमने ही
और गुनेहगार भी हम ही को ठेहरा दिया.
गुनेहगार
September 11, 2019 in शेर-ओ-शायरी
बचके बहुत रखा इस मासूम दिल को
दिन रात तुहारी जासूस निगाहो पर पहरा दिया
चुराया भी दिल तुमने ही और गुनेहगार भी मुझे ठहरा दिया
कलाकार
September 10, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
सालो से भीख मांगती भिखारन
सोचती मेरे नसीब मे ये ही सही.
पेट की ना सही पर
दिल की आवाज़ सुनी तो सही.
भिखारन कहकर सालो तक दुत्कारा
आज कलाकार कहकर पुकार तो d
सही.
डर लगता है
September 8, 2019 in शेर-ओ-शायरी
हर मौसम सुहाना लगता है
हर ख्याल लुभाने लगता है
तुम्हारी ही आहट है ये
ख़ुशी से दिल धड़कने लगता है
आज तो तुम साथ हो मेरे
तुम बिन जीने से डर लगता है
दिल के टुकड़े
September 8, 2019 in शेर-ओ-शायरी
प्यार उनसे बहुत है आज भी
कही उनकी यादे पीछा छोड़ ना दे
दर्द मे उनके जीना अच्छा है
कोई उन टुकड़ो को जोड़ ना दे
मामले
September 8, 2019 in शेर-ओ-शायरी
भगवान ने टांगे दी है
आगे बढ़ने के लिए
दुसरो के मामले मे
अड़ाने के लिए नहीं
दया सब पर दिखाओ
पर बाद मे पछताने के लिए नहीं
बड़ा दुश्मन तो बड़ा ही है
पर छोटे को छोटा समझो नहीं
पजाबी
September 8, 2019 in शेर-ओ-शायरी
दीखते खादे पिन्दे
मनादे हर जगह जश्न
यही उनका वट है
यही उनका टशन
प्यार
September 8, 2019 in शेर-ओ-शायरी
गुलो की क्या बात कहु
तुमसे ज्यादा खुशबू उनमे नहीं
सुनता बस तुम्हारी
फिर भी कहती सुनते नहीं
छोटे छोटे झगड़े हमारे
खतम कभी होते नहीं
प्यार जन्मो से है
खोखले रिश्तो से नहीं
प्यार रूहों से करने वाले
बाते जिस्मो की करते नहीं
आँखे
September 8, 2019 in शेर-ओ-शायरी
उनकी आँखों मे सच मुझे दिखता है
मन के अंदर झाँकने मे
पल नहीं मुझे लगता है
सच्चा प्यार उनको भी है
ऐसा मुझे लगता है
जन्मो का साथ है
ये रिश्ता सुहाना लगता है
मौसम
September 8, 2019 in शेर-ओ-शायरी
अभी मौसम का
हाल कुछ ऐसा है
वातावरण है ठंडा
हवा मे नमी जैसा है
मन बहुत प्रसन्न है मेरा
आपका हाल कैसा है
कवि
September 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
मौसम सुहान होते ही
मिजाज उनका आशिकाना होने लगता है
साँझ ढलते ही हर कवि शायराना होने लगता है
कितना भी संभालो इन उंगलियों को
हाथ जाकर कलम को छूने लगता है.
शायद ये कोई
शमा का परवाना कोई लगता है
तू गर्व कर तू नारी है
September 6, 2019 in मुक्तक
कितनी ऊँची अटल अम्बारी है
निर्मल, कोमल और सबसे न्यारी है
माँ -बाप की तू दुलारी है
तू गर्व कर तू नारी है.
दुनिया समझें तू तो एक बेचारी है
हमेशा दबकर रहने की तेरी ये लाचारी है
पर वक्त पड़े तो नारी सब पर भारी है
तू गर्व कर तू नारी है.
तेरा हक़ तुझे ना देगी, स्वार्थी दुनिया सारी है
लड़ने की ठान ले तो कभी नहीं तू हरी है
शत शत नमन है तुझको,
ये सृस्टि सारी तेरी ही आभारी है
तू गर्व कर तू नारी है
नन्हा सा पेड़
September 6, 2019 in मुक्तक
एक नन्हा सा पेड़
आज ही अंकुरित हुआ
अब उसपर जिम्मेदारी
बड़ी और भारी है
सारा जीवन उसका
प्रदूषण मे कटेगा
उसकी यही अब
लाचारी है.
हवा पानी और खान पान,
पेड़ पर भी इसका प्रकोप है
फिर भी क्यों नहीं बदलता इंसान,
उठते काले धुँए जैसी उसकी सोच है.
अब तो ज़हरीली हुई हर सांस है,
जलते प्लास्टिक की हर जगह बांस है
उम्मीद बस इतना है कि पेड़ हमारे पास है,
मानवता की अब तो पेड़ ही एक आस है
hindustan-पाकिस्तान
September 3, 2019 in मुक्तक
तेरे चाहने से पाकिस्तान
मेरी सांसे कम ना होंगी,
हिम्मत से दम भरूंगा इतना,
मेरी सांसे सरहद तक तुझे सुनाई देंगी.
सुनकर जय जय कार मेरी,
कान तूने बंद कर लिए,
सिर्फ 370 लगाकर ही मेने,
तेरे जैसे कितने ही अपनी जेब मे धर लिए.
आतंकवाद फैलाकर, गोली चलाकर
कुछ बिगड़ नहीं सकता पाकिस्तान,
सिर्फ मेरे मिराज की दहाड़ ही
कहीं मिटा ना दे तेरा नमो निशाना.
मार्स पर अब खड़ा है हिंदुस्तान,
7सितम्बर को सुन लेना मेरा गुण गान,
दुबक कर बैठ जइयो बिल मे तू,
जब चाँद पे उतरेगा दुबारा चंद्र यान.
काम कर कोई नेक
September 2, 2019 in मुक्तक
जेब मे भरकर नोट,
और मन मे भर कर खोट,
दुसरो के लिए गढ्डा खोद,
पाप की गठड़ी कंधो पर उठा ,
चला ढूंढने बरगद की ओट.
पैसा खूब कमा लिया,
और सोचे पैसा ही दुनिया को चलाए है,
पर सच तो है की,
निर्धन और धनवान को
सिर्फ भूख -प्यास ही नचाये है.
बोझ तू अपना हल्का करके देख,
मिलेगी गर्मी मे राहत और सर्दी मे सेंक,
बैठना फिर बरगद के सहारे तू लगाके टेक,
एक बार तो काम कर कोई तो नेक.
मेरा राजा बेटा
August 31, 2019 in लघुकथा
खुशियों का एहसास लाया,
जब तू मेरी जिंदगी मे आया
छू ना पाए तुझे मुश्किलों का साया,
बीड़ा मैंने यही उठाया.
दुख तुझपर कोई ना आए,
इसी जिद्द पर मै अडी हूँ
जब तू खुद को निराश पाए,
हमेशा साय की तरहा,
” तेरे पीछे ही मै खड़ी हूँ ”
खून का रिश्ता तुझसे गहरा और पक्का है,
तुझपर है भरोसा एक तू ही लगता मुझको सच्चा है,
बार-बार कहती यही “मेरा राजा बेटा सबसे अच्छा है,
तू कितना भी बड़ा हो जाये “तू फिर भी मेरा बच्चा है “.
सूखी मिटटी
August 30, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
मुठि भर सूखी मिट्ठि को जब
सजा सवारकर गूँथ गूँथ कर आकर दिया
शिक्षक की कड़ी मेहमान के कारण
एक दिप्त छात्र का निर्माण हुआ.
कमजोर हू थोड़ी पढ़ाई मे..
August 30, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
मै पढ़ते वकत अटकती हू
कमजोर हू थोड़ी पढ़ाई मे
पर साथ आपका चाहती हू
मेरे जीवन की इस लड़ाई मे
. हमेशा ही पैर रखती हू
आपके पेरो की ही परछाई मे
जब लिखती, पढ़ती, बोलती हू
परेशान जो होती किसी बुराई मे
आपकी सीख याद रखती हू
जीवन जीना हमेशा ही अच्छाई मे
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