न दूध न रोटी के वो टुकड़े नज़र आते हैं

August 12, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

न दूध न रोटी के वो टुकड़े नज़र आते हैं,
मेरे शहर में पाव और पीज़ा के रगड़े नज़र आते हैं,
न मेरे गाँव की हवा न वो छप्पर छावँ नज़र आते है,
ऊँची मीनारों के नीचे दबे संस्कृति के पाँव नज़र आते हैं।। राही (अंजाना)

किसी को साधन नहीं, दो रोटी क्या दामन नहीं

August 12, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसी को साधन नहीं, दो रोटी क्या दामन नहीं,
कोई बस्ती में है बचपन से मस्ती के पैमानों की,

बहुत बदल गई है दुनियाँ रस्में रीत गुनाहों की,
तोड़ दीवारें लुट जाती हैं अस्मत यहां कुवारों की।।
राही (अंजाना)

मुख पर हँसी और दिल में दर्द लिए बैठे हैं

August 8, 2018 in शेर-ओ-शायरी

मुख पर हँसी और दिल में दर्द लिए बैठे हैं,
कुछ लोग इसी तरह हमें गुमराह किये बैठे हैं,

रहते हैं साथ मगर खुद से दूर किये बैठे हैं,
कुछ लोग जलकर भी रौशनी किये बैठे हैं।।

राही (अंजाना)

चाहतों की चाह में बहुत आगे निकल आये

August 6, 2018 in शेर-ओ-शायरी

चाहतों की चाह में बहुत आगे निकल आये,
कुछ लोग देखो अपनों से आगे निकल आये।।
राही अंजाना

कलम की स्याही को फीकी होने न देना

August 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कलम की स्याही को फीकी होने न देना,
जो ज़िंदा हैं इतिहासों में मुर्दा होने न देना,
छीन भी ले गर तुमसे कोई कविता तुम्हारी,
अपनी कलम का वजूद पर कभी मिटने न देना।।
राही (अंजाना)

किरदार कई बदले पर यार न बदला

August 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

किरदार कई बदले पर यार न बदला
हालात कई बदले पर उसका प्यार न बदला
जीवन के सफर में ठोकरें लगी कई हज़ार
पर बार-बार वो यही बोला
“तू इतनी चिंता क्यों करता है मेरे यार”
मस्ती करने में माहिर हर पल
उसका यह व्यवहार न बदला,
जग बदला कदम-कदम पर
पर वो मेरा यार बिलकुल न बदला।।

-मनीष

तुमसे टकराकर मैं हर पल बिखर जाती हूँ

August 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुमसे टकराकर मैं हर पल बिखर जाती हूँ,

मैं बूंद हर बार मगर जिद्दी पर उतर आती हूँ,

सिलसिला रुकता नहीं मैं थमती नहीं कहती हूँ,

के आसमाँ से धरती को मैं भिगाने चली आती हूँ।।

राही (अंजाना)

सखा सुदामा

August 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ह्र्दयतल में बंशीधर ने सखा सुदामा कुछ ऐसे बसाये लिए,

दुःख सुख सब जैसे श्रीधर ने सारे आप ही दूर भगाए दिए,

रहे ग्वालों और ग्वालिन के संग राधे, प्रेम रस गगरी छलकाए दिए,

जब मुरली बजाये मोहन तो हर जीव के मन को जगाये दिए,

जब देखि दसा मित्र अपने की वो अश्रु आँखन से बहाये दिए,

भागे सन्देस मिलत ही वो द्वारे पे,
मित्र को तन से चिपटाये लिए,

धोकर कान्हा चरणन को सुदामा नई प्रीत की रीत चलाये दिए,

प्रेम की डोरी से बंधे श्री राधे जी सच्चे मित्र का मोल बताये दिए।।
राही (अंजाना)

पंछी

August 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ख्वाइशों का पंछी गगन में उड़ता रहता है,

बैठता एक पल नहीं धरती से उठा रहता है,

आंसुओं का बहना कम नहीं होता एक पल,

इंसा का सर बस रब के आगे झुका रहता है।।

राही (अंजाना)

तिरंगा

August 5, 2018 in शेर-ओ-शायरी

सरहद के मौसमों में जो बेरंगा हो जाता है,
तिरंगे से लिपट कर एक दिन वो तिरंगा हो जाता है।।
राही (अंजाना)

मुलाक़ात

August 3, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

वक्त निकल गया निगाहों से निगाहें मिलाने में,
सफर में एक दूजे को समझने -समझाने में,

परिचय तो पहली मुलाक़ात में हो गया मगर,
ढूढ़ते रहे हम खुद को अपने ही मकानों में।।
राही (अंजाना(

गुड़िया

August 2, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

छोटी सी गुड़िया बड़ी सयानी हो गई,
ख़्वाबों से निकल के कहानी हो गई,

पलकों पर रखी बड़े सहेज कर बरसों,
आज आँखें ही उसकी ज़ुबानी हो गई।।
राही (अंजाना)

बंटवारे

August 2, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

अपने ही घर में क्यों बंटवारे हो गए,
जो अपने थे अपनों से किनारे हो गए,
बहुत शिद्दत से जुड़े थे जो खून के रिश्ते,
दो गज़ ज़मीं की खातिर बे-सहारे हो गए,

जान के प्यारे थे जो एक दूजे के करीब,
दूर मानो जैसे आसमाँ से सितारे हो गए,
खुद ही दिलों में दरारें बनायी हो जिन्होंने,
भला कैसे कह दूँ के वो बेचारे हो गए।।
राही (अंजाना)

तस्वीर पुरानी

August 2, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

माँगने पर तस्वीर अपनी पुरानी दे दी,
हमने जिनको अपनी पूरी जवानी दे दी,

ख़्वाबों की दरख्तों में दफ़्न हुई थी कभी,
कोरे कागज़ पर लिखने को वही कहानी दे दी।।
राही (अंजाना)

बरसात

August 1, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

अनजान रस्तों पर उनसे यूँ मुलाक़ात हो गई,
बिन मौसम जैसे उस एक रोज़ बरसात हो गई,

बादल, आसमाँ, हवाओं सबकी साज़िश थी मानो,
दो दिलों को मिलाने को साथ कायनात हो गई।।
राही (अंजाना)

उम्र

July 31, 2018 in शेर-ओ-शायरी

उम्र तो बस तेरी कोख में बढ़ रही थी,
अब तो हर पल जिंदगी घटटी नज़र आती है।।
राही (अंजाना)

नाव

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं कागज़ की नाव चलाने लगा,
फिर बचपन में धीरे से जाने लगा,
सहसा हुई जब एक दस्तक अचानक,
मैं ख़्वाबों से बाहर फिर आने लगा।
राही (अंजाना)

कागज़

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कागज़ की कश्ती भी पार लगाई है हमने,
लहरों को चीर कर मन्ज़िल पाई है हमने,
बहुत मुश्किल था तैर कर उस पार जाना,
हौंसलों के बाज़ुओं से जीत पाई है हमने।।

राही (अंजाना)

सफर

July 31, 2018 in शेर-ओ-शायरी

हार के अँधेरे से कभी डरता नहीं,
मैं राही सफर में कहीं रुकता नहीं।।
राही (अंजाना)

विषय मोहब्त

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

दूसरों को पढाने लगे तो खुद को पढ़ना भूल गए,

चेहरे ऐसे भी थे जिन्हें हम गढ़ना भूल गए,

समझ ली मोहब्बत की किताब सबसे पहले हमने,

तो बाकी सारे विषयों से हम जुड़ना भूल गए।।

राही (अंजाना)

विषय मोहब्त

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

दूसरों को पढाने लगे तो खुद को पढ़ना भूल गए,

चेहरे ऐसे भी थे जिन्हें हम गढ़ना भूल गए,

समझ ली मोहब्बत की किताब सबसे पहले हमने,

तो बाकी सारे विषयों से हम जुड़ना भूल गए।।

राही (अंजाना)

उलझन

July 31, 2018 in शेर-ओ-शायरी

मैं खुद उलझनों से कभी जब निकल पाता नहीं,
वो हर बार अपने बालों सा सुलझा देती है मुझे।।
राही (अंजाना)

नज़र

July 31, 2018 in शेर-ओ-शायरी

रात भर ख़्वाबों में परेशान करती है जो नज़र,
सहसा ही सुबह को हैरान करती है वो नज़र।।

राही (अंजाना)

ऐलान

July 31, 2018 in शेर-ओ-शायरी

वो अपने होने का एलान कर देता है,
मेरे हर सफर को वो यूँ आसान कर देता है।।
राही (अंजाना)

रिश्ता

July 31, 2018 in शेर-ओ-शायरी

झूठ के रस्ते पे सच का फ़रिश्ता मिला,
मुझे हर कोई रिश्ता बड़ा पक्का मिला।।
राही (अंजाना)

दवा

July 31, 2018 in शेर-ओ-शायरी

जिस्म छोड़ कर रूह पे असर उसका होता रहा,
दवा नहीं मर्ज़ ऐ मोहब्बत की चपेट में था मैं।।
राही (अंजाना)

कलम

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज दिल में छुपे हर राज़ लिखने बैठा हूँ,

तुझको अपने ख़्वाबों किस्सों का सरताज लिखने बैठा हूँ,

एतराज़ हो कोई तो मुझसे खुल कर कह देना,

आज खामोशी को भी तेरी आवाज लिखने बैठा हूँ,

उतर रही थी तू हफ़्तों से मेरे दिल के कोरे पन्नों में,

आज तुझ पर ही मैं अपनी कलम से किताब लिखने बैठा हूँ॥

राही (अंजाना)

बस्तियाँ

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सच के समन्दर में झूठ की कश्तियाँ डूबती नज़र आती हैं,

जहाँ तलक नज़र जाती है बस सच की कश्तियाँ नज़र आती हैं,

बढ़ते झूठ के सुनामी हैं कई सच की बस्तियाँ गिराने को,

मगर बह जाती हैं झूठ की बस्तियाँ सारी बस सच की बस्तियाँ तैरती नज़र आती हैं॥

राही (अन्जाना)

धरती

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसके कहने पे ये डाली झूम- झूम इठलाती है,

तेज हवा के झोंके से ये पत्ती क्यूँ गिर जाती है,

बारिश की ये बूँद भला क्यूँ खुदपर इतना इतराती है,

धरती से मिल जब अपना ये वजूद ढूंढती रह जाती है।।

राही (अंजाना)

छल

July 31, 2018 in शेर-ओ-शायरी

ख्वाबों में आकर वो हमसे रोज़ मिलते रहे,
और हम मासूम बस उनसे यूँहीं छलते रहे।।
राही (अंजाना)

तालीम

July 31, 2018 in शेर-ओ-शायरी

मोहब्बत की तालीम कहीं मिलती नहीं यहाँ पर,
फिर भी इस रंग में लोग रंगे नज़र आते हैं।।
राही (अंजाना)

तजुर्बा

July 31, 2018 in शेर-ओ-शायरी

हर सुबह ज़िन्दगी की नई जंग शुरू करता हूँ,
हर शाम तजुर्बों से अपनी किस्मत बुनता हूँ।।
राही (अंजाना)

ऊँगली

July 30, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

अब एन्टिना कोई घुमाता नहीं,
छत पर यूँहीं कोई जाता नहीं,
बैठे रहता हर एक यहां फैल कर,
अब रिमोट से ऊँगली हटाता नहीं।।
राही (अंजाना)

सुनने वाला

July 30, 2018 in शेर-ओ-शायरी

जब बोलते रहे तो कोई सुनने वाला न मिला,
जब खामोश हो गए तो बहुत सुना गया हमें।।
राही (अंजाना)

खामोश

July 30, 2018 in शेर-ओ-शायरी

जवाब देने में हाजिरजवाब बताये गए हम,
अपने ही घर में खामोश कराये गए हम।।
राही (अंजाना)

चित्र

July 30, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आँखों पर पड़ा पर्दा हटाना होगा,
कुछ तो अर्थपूर्ण कर दिखाना होगा,
यूँही मिलता नहीं सम्मान जगत में,
कोई चित्र तो परिपूर्ण बनाना होगा।।
राही (अंजाना)

पर्दा

July 30, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आँखों पर पड़ा पर्दा हटाना होगा,
कुछ तो अर्थपूर्ण कर दिखाना होगा,
यूँही मिलता नहीं सम्मान जगत में,
कोई चित्र तो परिपूर्ण बनाना होगा।।
राही (अंजाना)

सपने

July 29, 2018 in शेर-ओ-शायरी

तुझको अपने सिरहाने रख सोता हूँ,
मैं तुझ संग ही अपने सपने बोता हूँ।।
राही (अंजाना)

इंतज़ार

July 29, 2018 in शेर-ओ-शायरी

इंतज़ार के बाद मिलने का मज़ा आ गया,
सुबह दरवाजे पर मेरे उसका तार आ गया।।
राही (अंजाना)

रंग

July 29, 2018 in शेर-ओ-शायरी

बारिश में नहाये तो हम सभी थे मगर,
जिनके उतरने थे सारे रंग उतर गए।।
राही (अंजाना)

आईना

July 29, 2018 in शेर-ओ-शायरी

उसके चेहरे को देखकर मैं दीवाना हो गया,
मेरी छोड़ो आइना भी उसका दीवाना हो गया।।
राही (अंजाना)

दुआ

July 29, 2018 in शेर-ओ-शायरी

कोई दवा कोई दुआ काम न आई,
आँख जब बन्द की तो सामने माँ आई।।
राही (अंजाना)

दवा

July 29, 2018 in शेर-ओ-शायरी

यार इसमें तो मज़ा ही नहीं,
कोई हमसे खफा ही नहीं,
इश्क है मर्ज़ है दोस्त,
इसकी कोई दवा ही नहीं।।
राही (अंजाना)

लकीरें

July 29, 2018 in शेर-ओ-शायरी

हाथों की लकीरों में तेरा नाम नही देखा तो,
लेकर कलम हाथों में खुद ही तेरा नाम लिख लिया।।
राही (अंजाना)

बहाने

July 29, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुमसे अपने आंसू छिपाने पड़ते हैं,
मुझको तो लाख बहाने बनाने पड़ते हैं,

तुम्हे तो मुझे हंसते हुए देखना है,
मुझको तो गम भी ठिकाने लगाने पड़ते हैं।।
राही (अंजाना)

बच्ची बन कर

July 29, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मन करता है सपने जो देखूं,
मैं सच में उनसे मिल जाऊं,

मन करता है पढ़ लिखकर मैं अपने,
माँ पापा से आगे बढ़ जाऊँ,

मन करता है डर को जीतूँ,
इस दुनियाँ से मैं लड़ जाऊं,

मन करता है चलना सीखूं,
और पर्वत पे मै चढ़ जाऊं

मन करता है बारिश बनकर,
इस धरती से मैं जुड़ जाऊं,

मन करता है सोने को अपनी,
माँ के आँचल में छुप जाऊं,

मन करता है पंछी बनकर,
मैं दूर गगन में उड़ जाऊं,

मन करता है बच्ची बनकर,
फिर बचपन में मुड़ जाऊं।।

राही (अंजाना)

सैनिक

July 29, 2018 in शेर-ओ-शायरी

मोहरे बड़े होकर भी पीछे खड़े रहते हैं,
बिसात पर सैनिकों का ओहदा ज़रा हटके है।।
राही (अंजाना)

बादशाह

July 29, 2018 in शेर-ओ-शायरी

मुमकिन नहीं के किसी की तकदीर खरीद ले कोई,
बादशाह कितना भी बड़ा हो इस शहर का कोई।।
राही (अंजाना)

पानी

July 29, 2018 in शेर-ओ-शायरी

पत्थरों को चीर कर रस्ते बना लेता है,
जब पानी अपनी सारी हदें मिटा देता है।।
राही (अंजाना)

डर

July 29, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मन करता है पढ़ लिख कर मैं,
माँ पापा का नाम कराऊँ,

मन करता है सपनों को देखूं,
आसमान में मैं उड़ जाऊं,

मन करता है डर को जीतूँ,
इस दुनियाँ से मैं लड़ जाऊं,

मन करता है बारिश बनकर,
इस धरती से मैं जुड़ जाऊं।।

राही (अंजाना)

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