दिल दिमाग

June 19, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

अपने दिल को दिमाग से हर रोज लड़ाता है,
इंसान इंसानों के बीच रहके भी फड़फड़ाता है।।

राही अंजाना

ताजमहल

June 19, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कौन कहता है के हम सब कुछ पल दो पल में कर लेंगे,
हम तो मेहमाँ ही दो पल के पल दो पल में क्या कर लेंगे,

रहने दो ज्यादा से ज्यादा थोड़ा तो उथल पुथल कर लेंगे,
डूब समन्दर में जायेंगे और हम गंगा जल में घर कर लेंगे,

दिल का हाल बेहाल सुना है कहते हैं प्रेम सरल कर लेंगे,
अनपढ़ होकर लिखने वाले हम पूरी हर गज़ल कर लेंगे,

जिस दिन रेत पर चलने वाले रातों को मखमल कर लेंगे,
उसी समय से राही हम अपने सपने ताजमहल कर लेंगे,

राही अंजाना

चोरी

June 13, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल अपना है मगर धकड़न पराई है,
इस बात की खबर मैंने ही फैलाई है,

नज़र वालों ने ही यहाँ नज़र चुराई है,
इस बात में ढूँढो तो कितनी सच्चाई है,

किसीने न सुनी मैंने सबसे जो छिपाई है,
इस बात को दीवार के कान में सुनाई है,

राही अंजाना

तराजू

June 12, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

तराजू के दोनों पलड़ों पर रखकर आंकते देखा,
वजन प्यार का फिर भी मेरे कम भाँपते देखा,

बन न पाया था किसी साँचे से जब आकार मेरा,
के लेकर हाथों में फिर मिट्टी को नरम नापते देखा,

ढूंढते थक हार कर बैठ गए जब मिलने वाले सारे,
नज़रों से गढ़ाये नज़रों को ही फिर यूँ काँपते देखा॥

राही अंजाना

ज़ाहिर

May 31, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

साथ निभाने के लोगों के तरीके अजीब हैं,
अपनों से भी ज्यादा लोग गैरों के करीब हैं,

मर चुके हैं एहसास यूँ दिल की हिफाज़त में,
के धड़कन में नज़रबंद वो कितने अदीब हैं,

गुमराह हैं नासमझ इशारे खुदा के ठुकराते हैं,
क्या करें राही सबके अपने अपने नसीब हैं।।।

राही अंजाना
अदीब – विद्वान

दिमाग

May 31, 2019 in शेर-ओ-शायरी

वो दिल ओ दिमाग की पकड़ से बाहिर लगती है,
सच यह बात उसके चेहरे से ही ज़ाहिर लगती है।।

राही अंजाना

भीतर

May 30, 2019 in शेर-ओ-शायरी

बहुत शोर मच रहा है बाहिर सुनो,
शायद भीतर मेरे सब ख़ामोश हैं।।
राही अंजाना

सूरत

May 26, 2019 in शेर-ओ-शायरी

जब कभी भी मैं आईने को रूबरू देखता हूँ,
सूरत और सीरत को खुद की हूबहू देखता हूँ।।

राही अंजाना

जिम्मेदारी

May 25, 2019 in शेर-ओ-शायरी

वजन ईंटो का उठाकर भी हल्का लगने लगा,
कन्धों पे जिम्मेदारी का जो हल्ला लगने लगा।।
राही अंजाना

बच्चे

May 24, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

बच्चे की खातर माँ कितने ही दान निकाल देती है, M
जिस्म से अपनी सौ बार जैसे जान निकाल देती है,

भूख से बिलखता गर दिख भी जाये कोई मासूम तो,
कुछ सोचे बिन दुपट्टे से सारा सामान निकाल देती है।।

राही अंजाना

फ़साना

May 24, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

न जाने किस-किस का हसीन आशियाना हूँ मैं,
लोग कहते हैं के खुले ज़माने का फ़साना हूँ मैं,

जो उखाड़ने की जद्दोजहद में हैं जड़ों को मेरी,
उनसे खुले दिल से कहता हूँ के कोई नामा हूँ मैं।।

राही अंजाना
नामा – इतिहास
फ़साना – किस्सा

पहरा

May 24, 2019 in मुक्तक

ख्वाबों ख्यालों में किसी का कोई पहरा नज़र नहीं आता,
जो नज़र में आता तो उसका कोई चहरा नज़र नहीं आता,

घूमती गुमराह सी नज़र आती हैं जो खामोश राहें हमको,
उन राहों पे ढूंढ़े से दूर तलक कोई ठहरा नज़र नहीं आता,

राही अंजाना

बेख़ौफ़

May 5, 2019 in शेर-ओ-शायरी

चेहरे हर एक रोज बदलने का शौख रखते हैं,
कुछ लोग अपने आप को बड़ा बेख़ौफ़ रखते हैं।।

राही अंजाना

खाल

May 4, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

छोटी सी उमर में बदल कर देखो चाल बैठ गया,
पहनके इंसा ही जानवर की देखो खाल बैठ गया,

बड़ी बहुत हो गई ख्वाइशों की बोतल उस दिन से,
रिश्तों का कद भूल जब कोई देखो नाल बैठ गया,

मनाया मगर माना नहीं रुठ कर जाने वाला हमसे,
नमालूम बेवजह ही फुलाकर देखो गाल बैठ गया,

उलझने सुलझाने को खुल के खड़े रहे हमतो आगे,
बनाके परिस्थितियों का ही वो देखो जाल बैठ गया।।

राही अंजाना

तराज़ू

May 2, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज्ञान की पोथियाँ सारी चन्द पैसों में तोल लेता हूँ मैं,
जो भी जब भी मुँह में आ जाये यूँही बोल देता हूँ मैं,

समझ पाता नहीं हूँ किताबों में लिखे काले अक्षर मैं,
सो तराज़ू के बाट बराबर ही सबका मोल लेता हूँ मैं,

लोहा रद्दी प्लास्टिक को बेचने वाले क्या समझेंगे ये,
के दो रोटी की ख़ातिर अपना ठेला खोल लेता हूँ मैं।।

राही अंजाना

तस्वीरें

May 1, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मन की बातो को कलम के सहारे से इशारा देता हूँ
मैं अंजाना होकर भी कुछ लहरों को किनारा देता हूँ,

जब जुबां और दिल सब हार कर अकेले में बैठते हैं,
तब मैं दर्द से भरी चुनिंदा तस्वीरों का सहारा लेता हूँ,

डूबने के हजारों रास्ते समझदारी से सुझाते हैं लोग,
मैं पागलपन में भी लोगों के हाथों में शिकारा देता हूँ।।

राही अंजाना

अक़्ल

May 1, 2019 in शेर-ओ-शायरी

कुछ बेदर्द इंसानों ने अपनी अक्ल उतार कर रख दी,
मासूम ज़िन्दगी की आईने में शक्ल उतार कर रख दी,

दिन में लगे जो गहरे घावों की वस्ल उतार कर रख दी,
पुनर्जन्म के पन्नों की खुदरी नक़्ल उतार कर रख दी।।

राही अंजाना

वस्ल -मिलन( वस्ल की रात)

पत्थर

April 30, 2019 in शेर-ओ-शायरी

तोड़ सके तो कोशिश कर ले एक और बार,
अब कसम से दिल को पत्थर कर लिया मैंने।।

राही अंजाना

बिस्तर

April 29, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

अँधेरे की वाट लगाने को जुगनुओं को आना पड़ा,
समन्दर में नहाने को खुद उतर चाँद को आना पड़ा,

आवाज़ लगाई दिल ओ ज़ान से मगर सुनी नहीं गई,
तो गमों के बिस्तरों को फिर आसुओं से भिगाना पड़ा।।
राही अंजाना

मरम्मत

April 29, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मरम्मत उसूलों की करनी अभी बाकी रह गई,
कहीं सच के मुँह पर लगी झूठी चाबी रही गई,

बना तो लिए बर्तन सोने चाँदी के भी कारीगर ने,
के अमीरी में गरीबी की थाली यूँही खाली रह गई,

आईने में देखनी सूरत खुद ही की साकी रह गई,
गुनाहों की मांगी थी शायद अधूरी माफ़ी रह गई।।

राही अंजाना

चाँद

April 28, 2019 in मुक्तक

छोड़ कर पीछे सबको आज चाँद को घुमाने निकला हूँ,
सच कहता हूँ दोस्त मेरे आज खुद को गुमाने निकला हूँ,

सोया था न जाने कब से समन्दर की बाँहों में यूँ अकेला,
पिघले हुए एहसास को आज फिर जमाने को निकला हूँ,

राही अंजाना

बहोत ख़ूब

April 26, 2019 in मुक्तक

मैं बहोत खूब जानता हूँ उसे,
खुद से जादा ही मानता हूँ उसे

वो कहीं भी ढूढ़ता नहीं मुझको,
मैं ख्वाबो में भी छानता हूँ उसे।।
राही अंजाना

असर

April 25, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

अब तो हमसे कोई और सफर नहीं होता,
क्यों भला उनसे अब भी सबर नहीं होता,

सब पर होता है बराबर से के जानता हूँ मैं,
एक बस उन्हीं पे मेरा कोई असर नहीं होता,

याद रह जाता गर प्यार में कोई सिफ़त होता,
खत्म हो जाता इस तरह के वो अगर नहीं होता,

रह के आया हूँ मैं उनकी हर गली सुन लो,
मान लो ये ‘राही’ वरन यूँ ही बेघर नहीं होता।।

सिफ़त – गुण
राही अंजाना

जंग

April 24, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

अपने आप से ही एक जंग जारी रक्खा करो,
खेल कोई भी हो पर अपनी बारी रक्खा करो।।

दुश्मन हर कदम पर बैठे हैं नज़रें गढ़ाए यहाँ,
होसके तो दुश्मनी में भी कहीं यारी रक्खा करो।।

फैलाकर हाथों को यूँ ज़रूरी नहीं हो मुराद पूरी,
खुदा के दरबार में कोई बात तो खारी रक्खा करो।।

छिपाकर चेहरा भला कब तक रहोगे इस बस्ती में,
के बनाकर कोई तो पहचान ‘राही’ भारी रक्खा करो।।

#राही अंजाना#

कठपुतली

April 23, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल ने धड़कन की ही मान लो के अब सुनना छोड़ दी,
स्त्री को नचाया जबसे इंसा ने कठपुतली बुनना छोड़ दी,

देखती ही रहीं आँखों की दोनों पुतलियाँ एक दूजे को,
उँगलियों के इशारों पर हाथों ने सुतली चुनना छोड़ दी।।

राही अंजाना

सरस

April 16, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुछ कहे बिना ही बहुत कुछ कह गया,
ख़ामोश बादल यूँही बरस कर रह गया,

बनाया आशियाना बड़ी उम्मीदों से हमनें,
ज़रा सी हुई हरकत तो परस कर रह गया,

कैद ऐ मोहब्बत की गिरफ्त से छूट कर,
राही अंजाना सबसे सरस कर रह गया।।

राही अंजाना
परस- स्पर्श
सरस – रसीला, स्वादिष्ट

पराया

April 12, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुछ अपने अपनों को ही पराया कहने लगे,
दिल को धड़कन का मानो साया कहने लगे।।

जो गवांते रहे घर का हर इक कोना रात दिन,
गैरों की महफ़िल में ही सब कमाया कहने लगे।।

हर कदम पर साथ साथ चलने वाले भी देखो,
आज संग बीते हुए वक्त कोही ज़ाया कहने लगे।।

राही अंजाना

मज़हब

April 11, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कोई करतब कोई जादू नहीं दिखना होता है,
बस मज़हबी दीवारों से बाहिर आना होता है,

मुश्किल ये नहीं के बस दायरें बाँधे हैं दरमियाँ,
हमें खुद के ही दिल को तो समझाना होता है,

खुदा रब भगवान के आँगन की तो नहीं कहता,
पर माँ के दर पे राही सबको सर झुकना होता है।।

राही अंजाना

दीवार

April 7, 2019 in मुक्तक

उसने मेरे दिलो दीवार के पार देख लिया,
मुझसे पूछे बिना ही मुझमे यार देख लिया,

बैठा तो था मैं अंधेरे की चौखट पर गुमसुम,
पर वही था जिसने मुझमे प्यार देख लिया।।

राही अंजाना

फ़िक्र

April 7, 2019 in शेर-ओ-शायरी

जब कभी भी वो मेरा कहीं ज़िक्र करता है,
मुझे लगता है वो बेशक मेरी फ़िक्र करता है।।
राही अंजाना

ज़मी

March 31, 2019 in मुक्तक

रिश्तों के धागों से खुद को सिलना सीख लेते हैं,
आसमां से ज़मी के बीच ही खिलना सीख लेते हैं,

बनाते ही नहीं ख्वाब वो उन मखमली बिस्तरों के,
गरीबी की गोद में ही जो बच्चे हिलना सीख लेते हैं।।

राही अंजाना

अंताक्षरी

March 31, 2019 in शेर-ओ-शायरी

तेरे प्यार की अंताक्षरी में राही हार कर,
बैठा है जंग शब्दों से अक्षरी जीत कर।।
राही अंजाना

गोद

March 29, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरी गोद में आकर मुझको जन्नत मिल जाती है,
मांगी हुई मेरी पूरी मुझको मन्नत मिल जाती है।।

राही अंजाना

गुजारिश

March 26, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

बीते लम्हों से खुलके गुजारिश करनी होगी,
आज फिर डाकिये से सिफारिश करनी होगी,

दबा रखीं थीं एहसासों की चिट्ठियां छिपाकर,
खुलेआम लगता है सबकी रवाईश करनी होगी।।

राही अंजाना

रवाईश- आतिशबाजी

शब्द

March 22, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

हर शब्द हर वक्त तुझे झूठा ही लगेगा यहाँ,
जो तूने प्रेम का ढाई अक्षर गर पढ़ा ही नहीं,

जो कहता हूँ सच है ऐ मेरे दिल सुन तो ज़रा,
ख्वाब दिलों के बाहिर तूने कभी गढ़ा ही नहीं।।

राही अंजाना

होली

March 20, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

होली के रंग में हम भिगायेंगे अंग,
मिल जाये हमें कोई तो लगाएंगे रंग,

न सोचेंगे न समझेंगे न समझायेंगे हम,
मिलजाये जो थोड़ी सी तो चढ़ाएंगे भंग,

घूमेंगे फिरँगे झूमेंगे हम मस्ती में अपनी,
बस ऐसे ही खुलकर होली मनाएंगे हम।।

राही अंजाना

मजबूरी

March 17, 2019 in शेर-ओ-शायरी

मजबूरियों से भरे कटोरे के चुल्लू भर पानी को देख,
समन्दर भी हार कर एक दिन आंसुओं में डूब गया।

राही अंजाना

अलकें

March 15, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

उसकी आँखों में मेरी आँखें उतर कर भूल गईं,
दिल ओ जिगर के पैमाने पे असर कर भूल गईं,

गहरा समन्दर था ये गुमान टूट कर बिखर गया,
उस रोज़ उसकी अलकों से सफर कर भूल गईं।।

राही अंजाना

सवाल

March 10, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जो सवाल अभी तलक बना ही नहीं,
शायद मैं जवाब उसी सवाल का हूँ।।

राही अंजाना

क़र्ज़

March 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

क़र्ज़ शायद पिछले जनम का चुकाना पड़ता है,
इसीलिए नन्हें कन्धों को वजन उठाना पड़ता है।

राही अंजाना

सरहद के शहीद

March 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

वीर थे अधीर थे सरहद के जलते नीर थे,
इस देश के लिए बने तर्कश के मानो तीर थे,

भगतसिंह राज गुरु सहदेव ऐसे धीर थे,
बारूद से भरे हुए ये जिद्दी मानव शरीर थे।

इंकलाब से हिलाये दिए अंग्रेज चीर थे,
स्वतंत्रता संग्राम में फूँके सहस्र शीष थे,

इतिहास के पटल पे छोड़े स्वर्णिम प्रीत थे,
तिरंगे में लिपटके बोले वन्दे मातरम् गीत थे।।
राही अंजाना

नारी

March 8, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

महिला दिवस

शिव की शक्ति बनकर तूने हर क्षण साथ निभाया नारी,
पिता- पती के घर को तूने हर एक क्षण महकाया नारी,

हर युग में अपने अस्तित्व का तूने एहसास कराया नारी,
प्रश्न उठे भरपूर भले सबको निरुत्तर कर दिखाया नारी,

ममता के आँचल में मानुष को तूने प्रेम सिखाया नारी,
आँख उठी जो तुझ पर तूने काली रूप दिखाया नारी,

बेटा-बेटी के बीच पनपते फर्क को तूने मिटाया नारी,
कन्धे से कन्धा मिला जग में सम्मान फिर पाया नारी।।

राही (अंजाना)

कागज़

March 7, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कागज़ की सीढ़ी बनाकर चढ़ते नज़र आते हैं,
जो पढ़ते हैं अक्सर वही बढ़ते नज़र आते हैं,

किसी कलम की स्याही सा जिंदगी में चलने वाले,
ख्वाबों को हकीकत का सच गढ़ते नज़र आते हैं।।

राही अंजाना

खुशियाँ

March 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जहाँ कचरे के ढ़ेर में भी बच्चे खुशियाँ ढूंढ़ लेते हैं,
वहीं कमज़र्फ दिल इसमें भी सुर्खियाँ ढूंढ़ लेते हैं।।

राही अंजाना

खुराक

March 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरे ख्वाबों की दो ख़ुराक लेकर मैं,
बरसों से मोहब्बत के बुखार में हूँ।।

सच

March 5, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्या सच में तुम भूख के मायने जानते हो,
या यूँही झूठ मूट के तुम आईने छानते हो।।

राही अंजाना

तितलियाँ

March 5, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

हाथों की लकीरें तितलियाँ बन उड़ीं,
जब जी चाहा उनका जिधर तन उड़ीं,

बंद मुट्ठी में बड़ा दम घुटता था कहकर,
रंग हाथों में छोड़ वो सुनहरा ठन उड़ीं।।

राही अंजाना

नशेमन

March 4, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ताबिश ए जलन ने जला कर रख दिया,
भीतर ही भीतर मुझे गला कर रख दिया,

फूंकता रहा हवा जिस चिंगारी में हर दिन,
उसी धुँए ने फिर मुझे घुला कर रख दिया,

मोहब्बत किसको कितनी थी मालूम हुआ,
जब नशेमन ने ‘राही’ सुला कर रख दिया।।

राही अंजाना

सख्श

March 4, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

न अक्षर चुराने दिया न अक्स चुराने दिया,
मैंने दिल में बैठा जो न सख्श चुराने दिया,

बदलते रहे लोग चेहरे के मुखौटे आये दिन,
मैंने अपनी मोहब्बत का न नक्श चुराने दिया,

जुम्बिश अश्क बहाने की किसी काम न आयी,
‘राही’ तेरे आशिक ने कोई न रक्स चुराने दिया।।

राही अंजाना

आसमानी

March 3, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये कहानी यूँहीं अल्फ़ाज़ों में बयाँ होगी नहीं,
बस दो चार किताबी पन्नों में जमा होगी नहीं,

एहसास ज़मी पर आसमानी करने वाले सुनो,
मोहब्बत ज़ंजीरों में जकड़ कर जवाँ होगी नहीं,

रास्ते राहों में खुद ब खुद तुम्हें तय करने होंगें,
हर बात ‘राही’ जज़्बातों में तो रमा होगी नहीं।।

राही अंजाना

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