होली है

March 16, 2022 in Poetry on Picture Contest

इस बार की होली पर अवगुण जलाये जाएंगे,
हर जन मन के हृदय में सद्गुण सजाये जाएंगे।

जो रूठ के बैठ गए थे कभी संग साथी अपने,
लगाकर गले सब दुःख सन्ताप भुलाए जाएंगे।

आएंगे आँगन में आज खेलेंगे और खिलाएंगे,
माथे से उन सबके स्नेह तिलक लगाये जाएंगे।

सूखी जीवन की बेरंग चादर पर सोये हुए जो,
आज तन मन रंगों से उनके भी भिगाये जाएंगे।

गाँव शहर गली गलियारे चौक चौबारे गूंजेंगे,
होली आई के गीत सभी कानों में सुनाये जाएंगे।

थोड़ी सी भांग पीकर जो धरती माँ से लिपट गए,
तो राही हमभी किसी तरह से घर पहुंचाये जाएंगे।

राही अंजाना

ऋतुराज बसंत

February 16, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऋतुराज बसंत फिर आया है,
जड़ पतझड़ फिर मुस्काया है।

पेड़ पर हैं नव कोपल फूटी,
फिर कोयल ने राग सुनाया है।

पिली – पिली सरसों लहराई,
भीनी खुशबू को महकाया है।

छिप कर के बैठे थे जो पंक्षी,
सबने मिलके पंख फैलाया है।

हर्षित हुआ फुलवारी सा मन,
तितली बन फिर मंडराया है।

सरस्वती माँ की अनुकम्पा से,
क्या लिखना हमको आया है।

राही कहे खुलकर सबसे की,
ऋतुराज बसंत फिर छाया है।।

राही अंजाना

अन्नदाता

February 10, 2021 in Poetry on Picture Contest

खेतों से निकल कर सड़को पर क्यों उतर आना पड़ा,
लाल किले पर उत्तेजित हो क्यों झण्डा लहराना पड़ा।।

लेकर ट्रेक्टर रैली में बढ़ चढ़के क्यों डण्डा खाना पड़ा,
रस्ते पर लगा टेण्ट रातों में आखिर क्यों सो जाना पड़ा॥

अन्न उगाने वालों को आखिर भरभर के क्यों ताना पड़ा,
अपनी ज़मीन को लेकर सरकारों से क्यों टकराना पड़ा।

कमी कहाँ थी संसद में जो बिल किसान बनवाना पड़ा,
मुश्किल हुआ जवाब नहीं तो क्यों पल्ला छुड़ाना पड़ा।

राही अंजाना

जख़्म

January 23, 2021 in ग़ज़ल

जख़्म तुझको मैं दिखा देता हूँ,
दर्द अपना मैं भुला लेता हूँ।

पास आकर जो बैठ जाते हैं,
उनको अपना मैं बना लेता हूँ।

कहते हैं मुझसे मन की अपनी,
मैं भी मन उनसे लगा लेता हूँ।

करते हैं खुल के बातें मुझसे,
तो खुल के मैं भी सुना लेता हूँ।

हैं नहीं जानते दिल की मेरे,
दिल में जिनको मैं छुपा लेता हूँ।

बैठ ख़ामोशी से देखो मुझको,
आँख परिंदों से मिला लेता हूँ।

घर है ना छत है सर पर मेरे,
राही खुद से ही खफ़ा रहता हूँ।।

राही अंजाना

सन् 2020

January 1, 2021 in Poetry on Picture Contest

सन् 2020 को विदा करते हैं,
दुःखो को खुद से जुदा करते हैं।
खुशियाँ का खुल के आगमन,
हर इक से चलो वफ़ा करते हैं।

सन् 2020……

वक्त कट गया मुश्किल था जो,
इसे भूल जाने की ख़ता करते हैं।
चलो बोते हैं ज़मी में नए पौधे,
फिर कोशिश कर बड़ा करते हैं।

सन् 2020……

साथ इक दो नहीं हजारों ले गया,
प्रार्थना सब मिल दोबारा करते हैं।
जाने अनजाने में हुई जो गलती,
भुला सब हम गले लगा करते हैं।।

*राही अंजाना*
नव वर्ष मङ्गलमय हो।💐🙏💐

मनमोहन

August 7, 2020 in Poetry on Picture Contest

जब भी मनमोहन, श्याम सलोना, बंशीधर मुरली बजाने लगा,
ह्रदय तल के धरातल पे वो प्रेम की ज्योति जलाने लगा,

कभी गैयों और ग्वालों का प्यारा कन्हिया गोपियों संग रास रचाने लगा,
कभी माँ जसोदा का छोटा सा लल्ला फोड़ मटकी से माखन खाने लगा,

कभी बन्धन में जो बंधा ही नहीं वो ओखल में बन्ध कर मुस्काने लगा,
कभी गोपियों संग श्री राधे के प्रेम में वो प्रेम से प्रेम निभाने लगा॥
राही (अंजाना)

दीवाने

May 31, 2020 in ग़ज़ल

तलाशी जिस्म की खुलेआम दे दी।
सब दिखाया पर दिल दिखाया नहीं।

ढूढ़ते रहे हार के लौटना पड़ा सबको,
जब हाथ लगाया दिल धड़काया नहीं।

ढूंढते ढूंढते रात दिन हाथ से निकले,
रूह में रहे वो हम ही को बताया नहीं।

सबके सामने खुले आम जीते रहे हम,
हमने तो सच किसी से छिपाया नहीं।

उनकी यादों में दीवाने हुए इस कदर,
आँखों को भिगाया राही सुखाया नहीं।

राही अंजाना

नव वर्ष

January 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

नव वर्ष आने को है,
कुछ भुलाने को है कुछ याद दिलाने को है,
सच कहूँ तो हमे बहुत कुछ सिखाने को है,
छुप गई थीं जो बातेँ बादल के पीछे कहीँ,
उन उम्मीदों पर जो पड़ा पर्दा हटाने को है,

सपनों की हकीकत बताने को है,
नए रिश्तों के चेहरा दिखाने को है,
टूट गई थी कभी जो राहें कहीँ,
उन राहों पर पगडण्डी बनाने को है,
नव वर्ष आने को है,
उड़ने को काफी नहीं पंख देखो,
हौंसलो के घने पंख फैलाने को है,
बीती बातों का आँगन भुलाने को है,
नई आशा जगाने और निराशा सुलाने को है,
नव वर्ष आने को है।।
राही अंजाना

खामोश एहसास

December 25, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मन्ज़िल की तलाश में खुद राहों को आना पड़ा,
ख्वाबों की तलाश में जैसे आँखों को जाना पड़ा,

चाँद सूरज जब रौशनी कर न सके मेरे दिल में,
छोड़ कर घर अपना फिर जुगनुओं को आना पड़ा,

बहरी होने लगी जब हवाओं की बहर कहानी,
खामोश रहकर फिर एहसासों को सुनाना पड़ा,

रात दिन ढूढ़ता रहा मैं जिस लम्हें की आहट को,
एक साँझ अपने ही हाथों वो लम्हा छिपाना पड़ा,

दोस्ती इतनी गहरी रही अपने खुद के पायदान से,
के रिश्तों की म्यान से “राही” को बाहर लाना पड़ा।।

राही अंजाना
मीजान – संतुलन/तराजू

सर्दी का मौसम

December 11, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम मुझे ओढ़ लो और मैं तुम्हें ओढ़ लेता हूँ,
सर्दी के मौसम को मैं एक नया मोड़ देता दूँ।

ये लिहाफ ये कम्बल तुम्हें बचा नहीं पाएंगे,
अब देख लो तुम मैं सब तुमपे छोड़ देता हूँ।

सर्द हवाओ का पहरा है दूर तलक कोहरा है,
जो देख न पाये तुम्हे मैं वो नज़र तोड़ देता हूँ।

लकड़ियाँ जलाकर भी माहोल गर्म हुआ नहीं,
एक बार कहदो मैं नर्म हाथों को जोड़ देता हूँ।

ज़रूरत नहीं है कि पुराने बिस्तर निकाले जाएँ,
सहज ये रहेगा मैं जिस्मानी चादर मरोड़ देता हूँ।।

राही अंजाना

राही

November 24, 2019 in मुक्तक

शब्दों से शब्द निकलते जाते हैं,
रिश्ते रिश्तों को समझते जाते हैं,

चलती है इसी रफ़्तार से ज़िन्दगी,
राही हम सब आगे बढ़ते जाते हैं।।

औकात

November 24, 2019 in शेर-ओ-शायरी

रहम ओ करम तो खुदा के हाथ है,
अब तुही बता मेरी क्या औकात है।।
राही अंजाना

अध्याय

November 24, 2019 in शेर-ओ-शायरी

अभी तो बस अभ्यास चल रहा है,
तेरी मोहब्बत का अध्याय चल रहा है।।

राही अंजाना

सुल्झालूं

November 24, 2019 in शेर-ओ-शायरी

तुझसे बिगड़ी हर बात सुलझा लूँ,
आ मिल तेरे बालों में हाथ उलझा लूँ।।
राही अंजाना

आसरा

November 24, 2019 in शेर-ओ-शायरी

आस होगी न आसरा होगा,
तेरे बिना मेरा क्या होगा।।
राही अंजाना

निराली

November 24, 2019 in शेर-ओ-शायरी

तेरी बातें बखूबी बड़ी निराली रहीं,
सुनकर उनको रातें मेरी खाली रहीं।।
राही अंजाना

कामयाबी

November 24, 2019 in मुक्तक

चुप मत रहो इतना के नाम गुम नाम हो जाये,
तुम्हारे हिस्से की ज़मी किसी के नाम हो जाये,

नाकामयाबी के सफर से बाहर निकल आओ,
कहीं ऐसा न हो कामयाबी की शाम हो जाये।।

राही अंजाना

छुपाना

November 23, 2019 in शेर-ओ-शायरी

सबसे सबकुछ छुपाना अच्छा लगता है,
तुमसे सबकुछ बताना अच्छा लगता है,

असला

November 23, 2019 in शेर-ओ-शायरी

मुझे तुमसे मिलने में कोई मसला नहीं है,
पर सच ये है के मेरे जेब में असला नहीं है।
राही अंजाना

पैसा

November 23, 2019 in शेर-ओ-शायरी

जिसको जो चाहिए मिल जाए तो कैसा हो,
रिश्तों से छोटा गर पैसा हो जाए तो कैसा हो।

राही अंजाना

बहार

November 23, 2019 in शेर-ओ-शायरी

दिल से निकलकर धड़कन बाहर आ गई,
जिस पल से तुझसे मिला बहार आ गई।।

राही अंजाना

पराई

November 23, 2019 in शेर-ओ-शायरी

दिल से अपनी मगर धकड़न से मैं पराई हूँ,
न जाने किस घड़ी में, इस घर में मैं आई हूँ,

आँखों ही आँखों में आँखों में मैं घिर आई हूँ,
सबकी अपनी मगर न जाने कैसे मैं पराई हूँ।।

राही अंजाना

जहाज

November 21, 2019 in शेर-ओ-शायरी

सहारा चाँद को भी एक दिन लगाने चल दिया,
कुछ समझ आया नहीं बस समाझाने चल दिया,

मैं ज़मी पर रहा और आसमाँ झुकाने चल दिया,
उम्मीदों का रुका हुआ जहाज उड़ाने चल दिया।।

राही अंजाना

मैखाने

November 20, 2019 in शेर-ओ-शायरी

बात करने के कुछ इस तरह लोग बहाने ढूंढते हैं,
के दिल में उतरने के लिए मानो तैखाने ढूंढते हैं।।

भटकते हैं जो दर बदर नशे में घर अपना छोड़के,
वो दूसरों की आँखों के प्यालों में मैखाने ढूँढते हैं।।

राही अंजाना

गलतियां

November 19, 2019 in शेर-ओ-शायरी

तू तो मेरी गलतियाँ ढूंढने में ही खो जायेगा,
एक दिन मैं सबकी नज़रों में नज़र आऊंगा।।
राही अंजाना

कहने से

November 19, 2019 in शेर-ओ-शायरी

किसी के कहने से सुलझेगी नहीं,
तेरी मेरी कहानी ये उलझेगी नहीं।।
राही अंजाना

दर्द

November 18, 2019 in शेर-ओ-शायरी

लिपट कर अपनी माँ से हर दर्द भूल जाता हूँ,
इस जन्नत में दुनियाँ का नर्क भूल जाता हूँ।।
राही अंजाना

कायनात

November 17, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

निकल कर घोंसले से आ मुलाकात कर ले,
मिलने की कहीं से तो आ शुरूवात कर ले।

ढूंढते – ढूंढते थक हार कर बैठ गए हैं परिंदे,
मुझे लगा गले और सुबह से आ रात कर ले।

अब लगाऊँ मैं तेरे हौंसले का अंदाज़ा कैसे,
हो सके तो थोड़ी सी मुझसे आ बात कर ले।

सुबह का भूला हूँ शाम को लौट तो आया हूँ,
कर माफ़ और पहले जैसी कायनात कर ले।।

राही अंजाना

सोने दो

November 17, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जो भी हो रहा है मेरे यार होने दो,
जो जाग ही नहीं रहे उन्हें सोने दो,

उतर जाने दो सवालों का पहिया,
मेरे दिल को दिल से उत्तर देने दो,

हँसने दो हालत पे मेरी लोगों को,
तुम मुझे मेरी ही मस्ती में रोने दो,

दब रहे हैं एहसानों के वजन से,
छोड़ो व्याज़ मूल के पत्थर ढोने दो,

न दिन न रात में मुलाक़ात हुई है,
सुनो मुझे ख्वाब में उनके खोने दो।।

राही अंजाना

आवाज़ की पुकार

November 17, 2019 in शेर-ओ-शायरी

आवाज़ कोई भी होगी तुम तक जाने नहीं दूँगा,
तुमको अपनी पकड़ से कहीं दूर जाने नहीं दूंगा,

बड़ी मशक्कत के बाद मैंने तुम्हें कमाया है दोस्त,
किसी के कहने से यूँहीं तुमको गवाने नहीं दूंगा।।

राही अंजाना

नादान

November 16, 2019 in शेर-ओ-शायरी

वक्त वक्त पर वक्त का इम्तेहान लेते हो,
तुम इस नादान से कितना काम लेते हो।।।
राही अंजाना

सीढ़ी

November 16, 2019 in शेर-ओ-शायरी

बहुत ही बेकरारी बढ़ा दी तुमने,
मोहब्बत की सीढ़ी चढ़ा दी तुमने।।

राही अंजाना

बत्ती

November 16, 2019 in मुक्तक

बत्ती लाल नीली पीली का फर्क जानते नहीं,
कुछ मेरे देश के युवा खुद को पहचानते नहीं,

जिंदगी के चौराहे पर खड़े ट्रैफिक हवलदार,
जैसे खुद के बनाये नियमों को मानते नहीं॥

राही अंजाना

परछाइयाँ

November 15, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

बज़्म ए महफ़िल में तेरी घूमते मिलेंगे,
थक जायेगें जो तेरी तस्वीर चूमते मिलेंगे,

तू एक फूल है साथ रहे जब तक अच्छा है,
वो गैरमौजूदगी में तेरी खुशबू सूँघते मिलेंगे,

रातभर सोते रहेंगे जो तेरी ख्वाबो हवाओं में,
वो दिन की रोशनाई में भी तेरी ऊँगते मिलेंगे,

भरी हुई थाली में अक्सर छोड़ देते हैं जो दाने,
अक्ल आएगी जब तेरी उँगलियाँ टूंगते मिलेंगे,

बेघर करे जाएंगे जिस दिन याद आएगा घर,
सड़कों पे घूमने वाले तेरी चौखट घूमते मिलेंगे,

खुद से खुद को पहचानने में अंजान है राही,
लोग जल्द ही तेरी परछाइयों को ढूंढते मिलेंगे।।

राही अंजाना

घरोंदा

November 14, 2019 in मुक्तक

उड़ने नहीं दोगे आज तो कल उड़ना भूल जाएंगे,
परिंदे अपनी ही शाख से मिल जुलना भूल जाएंगे,

घर बनाने के हुनर के साथ जो पैदा हुए हैं बन्दे,
गर पिंजरे में बन्द रहे तो घरोंदा बुनना भूल जाएगे।।

राही अंजाना

छप्पर

November 14, 2019 in शेर-ओ-शायरी

सीने पर पत्थर रख कर जीना सीख लिया,
गरीब ने आसमाँ के छप्पर में रहना सीख लिया।।

बटुआ

November 14, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

पति के बटुए पर अक्सर ही नज़र टिकाई जाती थी,
पति जो भी कमाये वो पत्नी हाथ कमाई जाती थी,

भूख लगने पर रोटी जो चूल्हे में ही पकाई जाती थी,
चार लोगों को बैठाकर इज्जत से खिलाई जाती थी,

आज मिलता नही समय अपने रिश्ते सम्भालने का,
पहले जमकर के आँगन में चौपाल लगाई जाती थी,

खरीदकर पहने जाते हैं आज तन ढकने को कपड़े,
पहले तो माँ के हाथों ही जर्सी सिलवाई जाती थी।।

राही अंजाना

जेल

November 13, 2019 in शेर-ओ-शायरी

बस दो चार घड़ी का खेल नहीं,
ये मोहब्बत है दोस्त जेल नहीं।।
राही अंजाना

बबाल

November 13, 2019 in शेर-ओ-शायरी

हर एक मोड़ पर नया सवाल खड़ा है,
इस छोटी सी ज़िन्दगी में बबाल बड़ा है।।
राही अंजाना

Guest

November 13, 2019 in English Poetry

You are the guest,
Just hold down n Rest,
Do ur level best,
N see what will happen next…
Raahi anjana

गहराई

November 13, 2019 in शेर-ओ-शायरी

हर रोज़ मन की गहराइयों में सिमट जाता है कोई,
आकर अपनी ही परछाइयों से लिपट जाता है कोई।।
राही अंजाना

बात बतानी है

November 11, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुछ बात बतानी है कुछ बात छुपानी है,
लोगों को हर रोज नई कहानी सुनानी है,

बा मुश्किल ही सही करनी मनमानी है,
न दो कहनी किसीकी न चार लगानी है,

चुप नहीं रहना कुछ पल की जवानी है,
यूँहीं गुज़रने न दो ये तुम्हें ही बनानी है,

एहसासों के पन्नों में न पहचान दबानी है,
राही आग नहीं कलम पानी पे चलानी है।।

राही अंजाना

फरेब

November 11, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

चाहें जहाँ भी छुपना चाहा हर बार पकड़ा गया,
रास्ता साफ दिखने वाला भी अक्सर पथरा गया,

बड़े प्यार से काम पर काम निकलता रहा पहले,
फिर नज़रें मिलाने वाला भी बचकर कतरा गया,

प्यार की झूठी कहानी गढ़कर यूँही बढ़ता गया,
फिर एक रोज सीधे ख्वाबों से फरेब टकरा गया,

क्या यही प्रेम है जो आत्मविश्वास से अड़ता गया,
या वो झूठ जो सच पर लगाकर सीधी चढ़ता गया।।

राही अंजाना

प्रपंच

November 10, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जो बढ़ रहा है हाथ नापाक उसे तोड़ना होगा,
हाथ मिलाया था जो बेशक उसे छोड़ना होगा,

रच लिए बखूबी प्रपंच और चढ़ लिए ढेरों मंच,
अब उतर कर जंग में इनका सर फोड़ना होगा,

वार्तामाप नहीं अब और कोई भी आलाप नहीं,
ये मानलो इन हवाओं का भी रुख मोड़ना होगा।।

राही अंजाना

राम नाम

November 9, 2019 in मुक्तक

राम – राम कहके ही मिलना अच्छा लगता है,
राम – नाम का धागा ही एक सच्चा लगता है,

पृथ्वी पर आने जाने का एक रस्ता दिखता है,
मानव रूप में राम रंग ही एक पक्का लगता है।।

राही अंजाना

राम

November 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

पृथ्वी के कण-कण में देखो एक राम समाये थे,
मन के पावन मंदिर में सबने एक राम बसाये थे,

छोड़ राज पाठ घर से जब जंगल में वो आये थे,
चौदह वर्ष संघर्षों का जीवन एक राम बिताये थे,

सीताजी से मिलने हनुमत लंका में घुस आये थे,
छोटी सी मुद्रिका में माता को एक राम दिखाए थे,

पुल पर कदम बढ़ाने में सब असक्षम हो आये थे,
राम नाम लिख पत्थर गंगा में एक राम बहाये थे,

साधारण दिखते थे पर असाधारण कहलाये थे,
राम ने स्वयं ही समुद्र किनारे एक राम बनाये थे,

अधर्म मिटाने धर्म पथ वो मानव रूप में आये थे,
राम राज़ जब लाये स्वयं वो एक राम मिटाये थे।।

राही अंजाना

बाल्यवस्था

November 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

गर्भ के भीतर और बाहर का ज्ञान समाया है,
मनोविज्ञान की शाखा में बालविज्ञान समाया है,

बाल अवस्था से प्रौढ़ावस्था का भान कराया है,
बालविज्ञान ने असहज को सहज कर दिखाया है,

मस्तिष्क में चल रही स्थितियों का पता लगाया है,
इस वैज्ञानिक ढंग को हमने मनोविज्ञान बताया है।।

राही अंजाना

करतब

November 8, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कोई तो करतब कोई तो जादू दिखलाना चाहिए,
धरती पे रहने वालों को आसमां पे जाना चाहिए,

बहाने बनाने को तो बैठे हो तुम हजार मेरे यार,
कभी झूठ को भी सच्चा आईना दिखाना चाहिए,

जरूरी नहीं के ये हाथ जोड़ कर काम बन जाए,
हथेलियाँ खोल केभी किस्मत आजमाना चाहिए,

ख्यालों में हासिल है जो उसकी हकीकत समझो,
अँधेरे को चीरते हुए तुम्हें रौशनी में आना चाहिए,

बैठ कर बातें करने के मौसम अब कहाँ लौटेंगे,
दो मिनट मिलने में भी लोगों को मैख़ाना चाहिए,

खुद को ढूढ़ने की तलाश में मत खो जाना राही,
अंजाना होकर भी तुम्हें पहचाना जाना जाहिए॥

राही अंजाना

नदी कहानी

November 8, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कल-कल बहती नदिया कहलाती हूँ मैं,
पृथ्वी के हर एक जीव को महकाती हूँ मैं,

जोड़ देती हूँ जिस पल दो किनारों के तट,
लोगों के लिए फिर तटिनी बन जाती हूँ मैं,

सर- सर चलती सबकी नज़रों से गुजर के,
सुरों सी सरल सहज सरिता बन जाती हूँ मैं,

सबकी प्यास बुझाती गहरे राज़ छुपाती हूँ,
खुद प्यासी रहके सागर से मिल जाती हूँ मैं,

धरती पर मैं रहती और हरियाली फैलती हूँ,
चीर पर्वतों का सीना रौब बड़ा दिखाती हूँ मैं।।

राही अंजाना

अर्ज़

November 7, 2019 in शेर-ओ-शायरी

के तेरे दर पे मैं खुल कर के सब अर्ज़ करता हूँ,
के तुझको पाने की खातिर मैं खुद को यूँही खर्च करता हूँ।।
राही अंजाना

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