इश्तेहार

September 12, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

खबरें खुलकर बेशुमार हर रोज़ इश्तेहार में डालते हैं,
दिलओ दिमाग के किस्से बेगुनाह बाज़ार में डालते हैं,

मार पीट गैंग रेप मडर मदर-फादर को भी लपेट कर,
आये दिन छत की मुँडेर पर कभी दरार में डालते हैं,

रुपये पैसे का क्या है आज नहीं कल ही दे देना यार,
ऐसा कहते हैं और बेसबर हर घर उधार में डालते हैं,

कुछ सोते हैं सिरहाने रख या चाय के साथ खंगालते हैं,
नसीब जिन्हें दो पल नहीं वो इसे गुलज़ार में डालते हैं।।

राही अंजाना

सवाल

September 12, 2019 in शेर-ओ-शायरी

पहले खयाल ए ख्वाब भी आस-पास न थे,
आज तुमसे मिलके ज़िन्दगी ख्वाब हो गई है॥

चन्द जवाब थे मगर सवाल आस-पास न थे,
आज तुमसे मिलके ज़िन्दगी सवाल हो गई है।।
राही अंजाना

हकदार

September 11, 2019 in शेर-ओ-शायरी

हक जताना है तो जीते जी जता लो मुझ पर,
मर गया तो उसी पल से मेरे हकदार बहुत होंगे।।

राही अंजाना

हवन

September 11, 2019 in शेर-ओ-शायरी

जो सब लोग की कहन है कहन कर रहा हूँ मैं,
किसी को क्या पता कितने जतन कर रहा हूँ मैं,

बड़ा छोटा सबका तो सम्मान रखा करता हूँ मैं,
आते जाते हर किसी को तो नमन कर रहा हूँ मैं,

बाते बहुत हैं पर मुँह पे लाना अच्छा नहीं होता,
तो मन के भीतर ही भीतर हवन कर रहा हूँ मैं।।

राही अंजाना

गुनाह

September 11, 2019 in शेर-ओ-शायरी

गुनाह तो कोई बहुत बड़ा कर रहा हूँ मैं,
सबकी नज़रों से होकर गुज़र रहा हूँ मैं,

राही अंजाना

झूला

September 10, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

चाँद पर लगाया है झूला देख न जल जाये कोई,
मुझे देखा देख कहीं घर से न निकल जाये कोई,

ये बादलों की चादर ये आसमानी घना अन्धेरा,
डर भी लगता है मुझको के निगल न जाये कोई,

रंग तो देखे ज़माने में पर दिल को भाया न कोई,
पर रंगों भरी रागिनी देखके फिसल न जाए कोई।।

राही अंजाना

कटघरा

September 10, 2019 in शेर-ओ-शायरी

हम सबके हिस्से में अपने हक़ की ज़मीन क्यों नहीं,
अब जो कुछ है यही है इसबात पर यकीन क्यों नहीं,

रिश्ते उलझे हैं इस कदर के सुलझने को तैयार नहीं,
आपसी सम्बन्ध सारे आज धागे से महीन क्यों नहीं,

जिस्म पे पहनने वाले हर एक कपड़े का कारीगर है,
जो इज्जत के कागज़ को सिले वो मशीन क्यों नहीं,

कटघरा अपना है और मुजरिम भी और कोई नहीं,
इस गिरेबान में झांकते हाथों में आस्तीन क्यों नहीं,

मिलकर देखा कितनों से जो कुछ अनोखा रखते हैं,
बताओ तो ‘राही’ कलम में हुनर बेहतरीन क्यों नहीं,

राही अंजाना

आवाज़ बहुत देर तक लगाई

September 10, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

आवाज़ बहुत देर तलक थी लगाई पर क़ोई बोला नहीं,
कानों में किसी के भी मैंने शब्द मीठा कोई घोला नहीं,

एक परिंदा भी था पास बैठा उड़कर आया था कहीं से,
न जाने क्या सोंचता रहा पर मुँह उसने भी खोला नहीं,

नज़र जहाँ भी जाती आँखों में समन्दर का साया रहा,
पर कमाल की बात रही के वो एक पल भी डोला नहीं,

पत्थर भी पत्थर ही रहा जब तक उसपर बैठा रहा मैं,
मेरे हटने के बाद भी देखो किसीने उसको तोला नहीं।।

राही अंजाना

रौशनी

September 8, 2019 in शेर-ओ-शायरी

रौशनी बहुत है मेरे यार तारे नहीं दिखेंगे,
गरीबों के माथे पे लिखे नारे नहीं दिखेंगे,

बचा लो इस घर को अभी ज़िंदा हो तुम,
मरने के बाद तो दर ओ दीवारे नहीं दिखेंगे,

काट दो ये बेडियाँ और कैद मत रहो यहाँ,
तुम्हारे बाद फिर वक्त के मारे नहीं दिखेंगे,

चलो ले चलो चाहें जैसे भी पार नदिया के,
हाथों में हाथ लोगे तो पतवारे नहीं दिखेंगे,

ये आखिरी पड़ाव नहीं है उम्र का जान लो,
अभी से तुम्हें आने वाले अंगारे नहीं दिखेंगे,

अभी भी रंज हैं ‘राही’ उठकर संभल जाओ,
गर्दिश-ए-दौर में उल्फत के सहारे नहीं दिखेंगे।।

राही अंजाना

साँसे

September 8, 2019 in मुक्तक

ज़िन्दगी भी कैसे साँसे तलाश करती है,
मौत की आहोश में बाहें तलाश करती है,

यूँहीं बंध कर रहने वाली धकड़न मेरी,
अक्सर आहें तलाश करती है,

जिस्म से मोहब्बत करने वाली रूह,
आज भी राहें तलाश करती है।।

राही अंजाना

बाकी

September 8, 2019 in शेर-ओ-शायरी

कोई तो कहानी है अधूरी जो लिखनी बाकी है,
चन्द पन्नों की किताब आज भी बिकनी बाकी है।।
राही अंजाना

उसूल

September 7, 2019 in शेर-ओ-शायरी

न जाने किसने ये उसूल बना रक्खे हैं,
मैं कहता हूँ सारे फ़िज़ूल बना रक्खे हैं।।

राही अंजाना

कहानी

September 7, 2019 in शेर-ओ-शायरी

कोई तो कहानी है अधूरी जो लिखनी बाकी है,
चन्द पन्नों की किताब आज भी बिकनी बाकी है,

मुतासिर

September 7, 2019 in शेर-ओ-शायरी

बन्द कर लो बेशक ऑंखें मर्ज़ी तुम्हारी सही,
तुम्हारी आँखों से मुतासिर आँखें हमारी सही।।

राही अंजाना

मुतासिर – प्रभावित

अच्छा लगे

September 7, 2019 in शेर-ओ-शायरी

बात इस दिल की दिल में रख लो तो अच्छा लगे,
सपनों में ही सही मुलाकात रखलो तो अच्छा लगे,

देखकर तुमको मैं ज्ञानी गूढ़ भी मूढ़ ही हो जाता हूँ,
सुनो बातों की तुम्हीं शुरुवात करलो तो अच्छा लगे,

तकलीफें बहुत हैं ज़माने में कदम कदम पर जाना,
मेरे हाथों में तुम्हीं अपना हाथ रख लो तो अच्छा लगे।।

राही अंजाना

नग्में

September 7, 2019 in शेर-ओ-शायरी

गलतफहमियों की कितनी और किश्तें बाकी रह गईं,
इंसानों की कितनी और देखनी किस्में बाकी रह गईं।।

नज़र-नज़ारे दिल-दिमाग और जुदाई सबपे लिखा मैंने,
कहना मुश्किल है के और कितनी नग्में बाकी रह गईं।।

राही अंजाना

खबरदार

September 7, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

खबर मिली है के सबको ही ज़रा खबरदार रहना है,
अपनों को अपनों से ही सम्भलकर मेरे यार रहना है,

करली बहुत सी बेवकूफियां तुमने अब छोड़ो सबको,
सुनो इस दुनियां में तुम्हें थोडा तो समझदार रहना है,

गुमराह करने में लगें हैं एक दूसरे को सब ऐसे मानो,
के बनाकर उन्हें जानो खुद की यहॉं सरकार रहना है।।

राही अंजाना

होंसला

September 7, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

सोये हुए मेरे अरमानों को उठाने आया था कोई,
कल रात मुझको चुपके से जगाने आया था कोई,

के एक उम्र बीत गई थी अँधेरी चार दिवारी में मेरी,
खुले आसमाँ में मुझको सैर कराने आया था कोई,

हार कर यूँही छोड़ दिए थे जब हाथ पैर अपने मैंने,
तब परिंदे सा हौसलों के पंख लगाने आया था कोई॥

राही अंजाना

नाराज़

September 7, 2019 in शेर-ओ-शायरी

इंसान ही नहीं परिंदे भी नाराज़ लगते हैं,
सच के पीछे छिपे हमेशा राज़ लगते हैं,
राही अंजाना

आरज़ू

September 7, 2019 in शेर-ओ-शायरी

एक दूजे से मिलने की अनोखी आरज़ू रखते हैं,
चराग हवाओं से लिपटकर भी आबरू रखते हैं,

ब मुश्किल कुछ पल की मुलाकात के खातिर,
बड़ी हिम्मत जुटाते वो खुद को रूबरू रखते हैं,

राही अंजाना

हर्जाना

September 6, 2019 in शेर-ओ-शायरी

धड़कन को दिल में रहने का हर्जाना चाहिए,
महबूब को संग रखने का जुर्माना चाहिए।।
राही अंजाना

बचपन

September 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कहीं से कहीं तलक कोई और नज़र आता नहीं,
बचपन में खेल के सिवाये कोई और भाता नहीं,

कहाँ से शुरू और कहाँ पर खत्म हो जाते हैं लम्हें,
ढूंढने निकलो तो कोई ओर छोर नज़र आता नहीं,

उड़ती हुई पतंग जब हत्थों से कभी कट जाती है,
चरखी में फिर डोर में कोई जोर नज़र आता नहीं।।

राही अंजाना

आऊँगा

September 5, 2019 in मुक्तक

मैं दिन नहीं रात में आऊंगा,
ख़्वाब हूँ ख़्वाब में आऊंगा,

न देखो मुझे इस कदर यारों,
जो आऊंगा रुवाब में आऊंगा,

पकड़ा गया

September 5, 2019 in मुक्तक

चाहें जहाँ भी छुपना चाहा हर बार पकड़ा गया,
रास्ता साफ दिखने वाला भी अक्सर पथरा गया,

बड़े प्यार से काम पर काम निकलता रहा पहले,
फिर नज़रें मिलाने वाला भी बचकर कतरा गया।।

राही अंजाना

कहर

September 3, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जहाँ तलक नज़र आता है कहर है,
बाढ़ में डूबा हुआ ये जिन्दा शहर है,

सिसकियाँ हैं कहीं तो दबी सुनो तो,
किस किसने पिया बोलो ये ज़हर है,

झूठ बोलते हैं शांत रहता है समन्दर,
मेरा घर डूबने की वजह एक लहर है,

अंधेरा ही अंधेरा क्यों है चारों तरह ये,
बुलाओ ज़रा उसे जो कहता है पहर है।।

राही अंजाना

सुकूँ

September 3, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

इतनी भीड़ में भी न जाने कैसे यहाँ सुकूँ मिलता है,
एक दूजे को देख ही लोगों का जहाँ पे खूं जलता है,

डरते हैं पास से गुजर जाने भर के ख्यालात से राही,
वहीं सुबह शाम वो मुझे अकेला भला क्यूँ मिलता है,

ज़मी पे मुमकिन नहीं शायद तो आसमां तलाशता हूँ,
के ऑंखें बन्द जो कर लूँ सामने वो जूं का तूँ मिलता है,

राही अंजाना

निकल आया

September 3, 2019 in मुक्तक

किसी के पीछे नहीं घर से अकेला निकल आया हूँ मैं,
लोग कहने लगे के डर के अकेला निकल आया हूँ मैं,

वो कैसे देखेंगें दिन और रात के उजाले में मुझको यूँ,
ख़्वाब जिनके अपनी आँखों में भरके निकल आया हूँ मैं,

राही अंजाना

साज़िश

September 3, 2019 in मुक्तक

जो नज़र आया मुझे तो उस आरिश में खो जाऊंगा,
होजाये गर जो बारिश तो उस बारिश में सो जाऊंगा,

लगे हैं लोग रास्ता भटकाने की फ़िराक में यारों मेरा,
लगाता है मैं खुद शामिल इस साजिश में हो जाऊंगा,

राही अंजाना

कैद

September 3, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

अपनी ही बनाई कैद से रिहाई हो न पाई,
दिल की धड़कन से ही जुदाई हो न पाई,

तरसती रहीं मेरी आँखें देखने को उसको,
ता उम्र यूँही कटी मगर मिलाई हो न पाई,

रिश्तों की चादर तो बहुत मोटी बनाई मैनें,
मगर उधड़ी जब कभी तुरपाई हो न पाई,

कहते रहे कहने वाले छोड़के देखो एकबार,
क्या करूँ मुझसे एकपल ढिलाई हो न पाई,

परिंदों ने काट दी उम्मीदों की डोरी ऐसे के,
राही मन पतंग की कभी उड़ाई हो न पाई।।

राही अंजाना

मन के दरवाजे

September 3, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मन के दरवाजे में हजार चहरे छुपाये बैठ गया,
ढूढ़ न ले कोई मुझे बहार पहरे लगाये बैठ गया,

नज़रें मिलाईं कभी नज़रें बचाई उस ज़ालिम से,
फिर एक दिन भरे बाज़ार सहरे लगाये बैठ गया,

मरहम तो हर दर्द के पुड़िया में दबाकर रखे थे,
जाने क्यों बेशुमार ज़ख्म गहरे लगाये बैठ गया,

बहरे इतने मिले के सुनके भी किसीने सुना नहीं,
हार कर खुदा के खुमार में सर झुकाये बैठ गया॥

राही अंजाना

कलम की ताकत

September 1, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कलम की ताकत का एहसास करता है शिक्षक,
कमजोर बच्चों में भी उत्साह जगाता है शिक्षक,

जो भटक जाये कोई तो राह दिखाता है शिक्षक,
छुटपन से ही संस्कारों का पाठ पढ़ाता है शिक्षक,

रोशनी से जगमगाती इस अँधेरी दुनिया में सुनो,
ज्ञान की श्री ज्योति का प्रकाश फैलाता है शिक्षक,

कभी माँ कभी गुरु रूप में साथ रहता है सबके,
सहज सरल स्वरूप में रहना सिखाता है शिक्षक।।

राही अंजाना

सरकार

August 28, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज कल बेरोजगारों की कहाँ मेरे यार सुनती है,
उल्टी सीधी जैसी भी हो जनता सरकार चुनती है,

कानों पे जूं भी नहीं रेंगती चाहे चीखलो जितना,
पर बात गर अपनों की हो तो बारम्बार सुनती है,

तार दिलों के दिलों से अब मिलते नहीं देखे जाते,
बहरी हो महबूबा मगर फिर भी हर बार सुनती है।।

राही अंजाना

मैं

August 27, 2019 in शेर-ओ-शायरी

पहले तुम्हें पाने को दिन-रात जागा करता था,
आज तुम्हें पाकर भी कब से सोया नहीं हूँ मैं।।

राही अंजाना

कुबूल ह

August 24, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसी को दिन तो किसी को रात कुबूल है,
मेरे महबूब् की सुनो हमें हर बात कुबूल है,

जीतने का शौक तो हारने का खौफ भी है,
मगर प्यार की हो बात तो हमें मात कुबूल है,

मुमकिन न सही दिन के उजाले में मिलना,
ख्वाबों में हो जाये तो हमें मुलाकात कुबूल है,

अंजाना हूँ जवाबों की कैफियत से जान लो,
के उनसे हों दो चार तो हमें सवालात कुबूल है,

गुनाह के रंज ओ गम से कोई वास्ता नहीं है,
मोहब्बत में हो जाये तो हमें हवालात कुबूल है।।

राही अंजाना

कैफ़ियत – विवरण, समाचार

बशीधर

August 23, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब भी मनमोहन, श्याम सलोना, बंशीधर मुरली बजाने लगा,
ह्रदय तल के धरातल पे वो प्रेम की ज्योति जलाने लगा,

कभी गैयों और ग्वालों का प्यारा कन्हिया गोपियों संग रास रचाने लगा,
कभी माँ जसोदा का छोटा सा लल्ला फोड़ मटकी से माखन खाने लगा,

कभी बन्धन में जो बंधा ही नहीं वो ओखल में बन्ध कर मुस्काने लगा,
कभी गोपियों संग श्री राधे के प्रेम में वो प्रेम से प्रेम निभाने लगा॥
राही (अंजाना)

परिंदा

August 17, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

सोये हुए मेरे अरमानों को उठाने आया था कोई,
कल रात मुझको चुपके से जगाने आया था कोई,

के एक उम्र बीत गई थी अँधेरी चार दिवारी में मेरी,
खुले आसमाँ में मुझको सैर कराने आया था कोई,

हार कर यूँही छोड़ दिए थे जब हाथ पैर अपने मैंने,
तब परिंदे सा हौसलों के पंख लगाने आया था कोई॥

राही अंजाना

सरकार

August 14, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

खबर मिली है के सबको ही ज़रा खबरदार रहना है,
अपनों को अपनों से ही सम्भलकर मेरे यार रहना है,

करली बहुत सी बेवकूफियां तुमने अब छोड़ो सबको,
सुनो इस दुनियां में तुम्हें थोडा तो समझदार रहना है,

गुमराह करने में लगें हैं एक दूसरे को सब ऐसे मानो,
के बनाकर उन्हें जानो खुद की यहॉं सरकार रहना है।।

राही अंजाना

अच्छा लगे

August 13, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

बात इस दिल की दिल में रख लो तो अच्छा लगे,
सपनों में ही सही मुलाकात रखलो तो अच्छा लगे,

देखकर तुमको मैं ज्ञानी गूढ़ भी मूढ़ ही हो जाता हूँ,
सुनो बातों की तुम्हीं शुरुवात करलो तो अच्छा लगे,

तकलीफें बहुत हैं ज़माने में कदम कदम पर जाना,
मेरे हाथों में तुम्हीं अपना हाथ रख लो तो अच्छा लगे।।

राही अंजाना

उम्मीदों का ठेला

August 13, 2019 in शेर-ओ-शायरी

उम्मीदों का ठेला लेकर रोज निकल जाता है कोई,
कागज़ कोरे जेब में लेकर रोज निकल जाता है कोई।।

कलम कीमती है कितनी ये भटक राह में जाना है,
तभी बैग में स्याही लेकर रोज निकल जाता है कोई।।

राही अंजाना

किश्तें बाकी रह गई

August 13, 2019 in मुक्तक

गलतफहमियों की कितनी और किश्तें बाकी रह गईं,
इंसानों की कितनी और देखनी किस्में बाकी रह गईं।।

नज़र-नज़ारे दिल-दिमाग और जुदाई सबपे लिखा मैंने,
कहना मुश्किल है के और कितनी नज़में बाकी रह गईं।।

राही अंजाना

आँखे

August 11, 2019 in शेर-ओ-शायरी

बन्द कर लो बेशक ऑंखें मर्ज़ी तुम्हारी सही,
तुम्हारी आँखों से मुतासिर आँखें हमारी सही।।

राही अंजाना

मुतासिर – प्रभावित

माहिर

August 1, 2019 in मुक्तक

जितना सुलझाती है उतना ही उलझाती है मुझको,
उधेड़कर पहले खुद सिलना सिखलाती है मुझको,

खोलकर दिल को जोड़ने में माहिर बताने वाली वो,
सच को रफू कर बस झूठ ही दिखलाती है मुझको।।

राही अंजाना

रियाज़

July 28, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

सात सुरों के संगम का एक जैसा सबको,
रियाज़ कराया जाता है,

फिर आपस में ही एक दूजे में क्यों सबको,
इम्तियाज़ बताया जाता है,

जब ज़मी आसमां चाँद सितारे हम सबसे,
कोई भेद न रखते हैं,

फिर दो दिल जब मिलना चाहें तो इसमें,
क्यों एतराज़ जताया जाता है।।

राही अंजाना

सहारे

July 25, 2019 in मुक्तक

समन्दर के कभी दो किनारे नहीं मिलते,
हमसे तो आकर ही हमारे नहीं मिलते,

बात ये है के विचारधारायें भिन्न हैं सभीकी,
तभी तो ढूढे से किसी को सहारे नहीं मिलते।।
राही (अंजाना)

तस्वीर बनाने बैठा हूँ।

July 23, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

बहुत दिनों के बाद नई तस्वीर बनाने बैठा हूँ,
मुझसे रूठी थी जो मेरी तकदीर बनाने बैठा हूँ,

इल्जामों की सबने जो फहरिस्त लगाई है मुझपे,
कोरे कागज़ पे मैं अपनी तहरीर बनाने बैठा हूँ,

कोई नहीं है पास मेरे सब वयस्त नज़र ही आते हैं,
मैं मन ही मन में ख्वाबों से तकरीर बनाने बैठा हूँ।।

राही अंजाना

तकरीर – बातचीत
तहरीर – लिखावट

अभिमान

July 14, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जो छूले मन कोई मेरा मुझे अभिमान हो जाये,
क्या होती है हृदय धड़कन मुझे भी ज्ञान हो जाये,

किसीकी बात सुनकर मैं भटक जाऊँ नमुमकिन है,
वो दे आवाज़ तो मैं ज़िंदा हूँ मुझे भी भान हो जाये,

आसमां से गिरा धरती पे जो वो टूटा एक सितारा हूँ,
वो देखे एक नज़र मुझको मुझे मेरी पहचान हो जाये।।

राही अंजाना

कारीगर

July 14, 2019 in शेर-ओ-शायरी

दिलों को सिलने वाला कारीगर ढूंढ निकाला,
हार कर जितने वाला बाज़ीगर ढूंढ निकाला,

मदहोश

July 7, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

होश में रहने वाले ही अक्सर बेहोश निकले,
बिना पिए ही पीने वालों से मदहोश निकले,

बोलने वालों की भीड़ का जायज़ा किया हमने,
न बोलने से बोलने वाले ज्यादा ख़मोश निकले,

जो बहाने बनाते रहे साथ हैं हम तुम्हारे कहके,
बगल में रहने वालों से ज़्यादा सरगोश निकले।।

राही अंजाना

पता

June 28, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक मासूम सी ज़िन्दगी को यूँ दगा दे गई,
उड़ाकर खुशियाँ सारी गमों को सजा दे गई,

कहते हैं जो मरहम लगाने आई थी वो यारों,
बेवजह वही ज़ख्मो को खुल के हवा दे गई,

चाँद तारों भरी कायनात ने बताया मुझको,
एक जुगनू भरी रात थी तुम्हारा पता दे गई,

बनाके खड़ी की मोहब्बत में इमारतें जिसने,
उसी के घर को राही ये दुनियां क्या दे गई।।

राही अंजाना

माईने

June 27, 2019 in मुक्तक

सच और झूठ के माईने बदल गए,
ऐसा हुआ क्या के आईने बदल गए,

साध के बनाई जब हाथों की लकीरें,
तो राहों में लोग क्यों लाईने बदल गए,

राही अंजाना

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