
राही अंजाना
साँप
July 22, 2018 in शेर-ओ-शायरी
साँप सीढ़ी को छोड़कर साँप कहीं और जाने लगे,
जबसे उँगलियों को लोग अपनी कीबोर्ड पर चलाने।।
राही (अंजाना)

बिसात
July 22, 2018 in शेर-ओ-शायरी
छोड़ कर बिसात को मोहरे समाज पर सजाने लगे हैं,
लोग अपने ही लोगों पर देखो चाले लगाने लगे हैं।।
राही (अंजाना)
सैनिक
July 22, 2018 in शेर-ओ-शायरी
एक माँ के लिए एक माँ को छोड़ देता,
सैनिक जब सम्बन्ध सरहद से जोड़ लेता है।।
राही (अंजाना)
अन्धेरा
July 22, 2018 in शेर-ओ-शायरी
अँधेरे में भी रौशनी का एहसास होता है,
जिस पल तू मेरे आस-पास होता है।।
राही (अंजाना)
पैदल
July 22, 2018 in शेर-ओ-शायरी
आत्मविश्वास से पैदल चलने में दिक्कत नहीं होती,
संदेह में दौड़ने की आदत नहीं हमें।।
राही (अंजाना)
ज्ञान
July 22, 2018 in शेर-ओ-शायरी
ज्ञान से शब्दों के उलझे जाले सुलझाने लगे,
हुआ जब अनुभव तब अर्थ समझाने लगे।।
राही (अंजाना)

मै मूरख
July 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
पैदा कर मोहे माँ मेरी ने दुनियाँ देयी दिखाई,
मैं मूरख मुझको माँ की न ममता समझि में आई,
दूर सफर में चलत मोहे जब कछु न दिया दिखाई,
तब बचपन की एक शाम अनोखी आँखन में भर आई,
हाथ नहीं थे भूख मेरी पर माँ ने देयी मिटाई,
याद मोहे भी एक दिन माँ को मैने थी रोटी खिलाई।।
राही (अंजाना)

मै मूरख
July 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
पैदा कर मोहे माँ मेरी ने दुनियाँ देयी दिखाई,
मैं मूरख मुझको माँ की न ममता समझि में आई,
दूर सफर में चलत मोहे जब कछु न दिया दिखाई,
तब बचपन की एक शाम अनोखी आँखन में भर आई,
हाथ नहीं थे भूख मेरी पर माँ ने देयी मिटाई,
याद मोहे भी एक दिन माँ को मैने थी रोटी खिलाई।।
राही (अंजाना)

कुर्सी की चाहत बचपन ऐ दिल में सजाये बैठे हैं
July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
कुर्सी की चाहत बचपन ऐ दिल में सजाये बैठे हैं,
शतरंज के सारे मोहरे अपनी मुट्ठी में दबाये बैठे हैं,
इरादे किसी शीशे से साफ़ नज़र आते हैं के हम,
ख़्वाबों की एक लम्बी फहरिस्त बनाये बैठे हैं।।
राही (अंजाना)

खुद्दारी
July 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
इतनी खुद्दारी थी मुझमें के भिखारी हो गया,
हर रिश्ता जैसे मुझपर ही भारी हो गया,
संबंधों की सारी फहरिस्त झूठी निकली,
एक जानवर जब मेरे जीवन की सवारी हो गया॥
राही (अंजाना)
वजीर
July 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी
शतरंज की बिसात का वो मोहरा हूँ मैं,
जो आखरी खाने पर पहुँच वजीर बन जाता है।।
राही (अंजाना)
डर
July 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी
जीत और हार के डर से आगे निकल आया हूँ,
मैं राही अपने ही सपनों से आगे निकल आया हूँ।।
राही (अंजाना)
सबूत
July 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी
कोई गवाह कोई सबूत नहीं मिलेगा तुम्हें,
मोहब्बत ख्वाबों में जो जवान हुई है मेरी ।।
राही (अंजाना)

कानून
July 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी
किसी भी कानूनी दफा से बेख़ौफ़ हूँ मै,
तेरी मोहब्बत ऐ हथकड़ी में कैद हूँ मैं।।
राही (अंजाना)
जंजीर
July 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी
वक्त की जंज़ीर भला मुझे बांधेगी कैसे,
मैं तो पानी हूँ पत्थर भी चीरे हैं मैने।।
राही (अंजाना)
ख़ामोशी
July 19, 2018 in शेर-ओ-शायरी
ख़ामोशी की कीमत एक दिन मुझे समझ तब आई,
जब वो मुझसे कहती गई न हुई मेरी सुनवाई।।
राही (अंजाना)
जानवर
July 19, 2018 in शेर-ओ-शायरी
अपने ही अपनों को काटने को बैठे हैं,
यहां इसांन जानवर से भी बड़े दांत लिए बैठे हैं।।
राही (अंजाना )
Hole
July 19, 2018 in English Poetry
A small hole can Sink a lofty boat in water,
But a smart idea can float u on water….
Rahi
दीपक
July 19, 2018 in शेर-ओ-शायरी
अँधेरे सभी मिटाने को अब दीपक स्वयं जलाने होंगे,
मन के मैल मिटाने को अब प्रेम के रंग चढ़ाने होंगे।।
राही (अंजाना)
Time
July 19, 2018 in English Poetry
Diamond can only reflect on a face of women but can’t change anything but
Time has the power to convert an unknown stone into a precious diamond..
Raahi

रिश्ते
July 19, 2018 in शेर-ओ-शायरी
दोस्त तेरी दोस्ती की मस्ती ऐसी भाई हमें,
के फिर किसी रिश्ते की डोर न बांध पाई हमें।।
राही (अंजाना)

किताबे
July 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
पन्ने ज़िन्दगी की किताब में जोड़ने पड़ते हैं,
अपने हिस्से के किस्से खुद ही लिखने पड़ते हैं,
छोड़कर कई बार रास्तों को सफर में,
हाथ किताबों से मिलाकर दोस्त छोड़ने पड़ते हैं।।
राही (अंजाना)
उदास
July 19, 2018 in शेर-ओ-शायरी
पास रहकर भी पास नहीं रहती,
तेरी याद मुझसे कभी उदास नहीं रहती।।
राही (अंजाना)

नाव
July 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
खेल खेलने को बहुत कुछ जुटाते हैं हम,
कुछ न कुछ सोंच के कुछ तो बनाते हैं हम,
जिंदगी के सागर में नसीब पानी नहीं हमें,
तो मजबूर होके कचरे की नाव चलाते हैं हम।।
राही (अंजाना)
भाषा
July 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
बिन निज भाषा के ज्ञान के बजे ना कोई बीन,
अंग्रेजी जो भी पढ़े होवे हिय से हीन,
संस्कारों की खेती अब न कर पाये कोई दीन,
हिन्दी को अपनी कोई ले न हमसे छीन।।
राही (अंजाना)
इशारा
July 19, 2018 in शेर-ओ-शायरी
मैं तुमको अपना मित्र बना लूँ क्या?
मैं तुमको अपने दिल की हर बात बता दूँ क्या?
कोई तो इशारा कर दो एक बार,
मैं तुम्हें अपने दिल में बसा लूँ क्या?
राही (अंजाना)
धड़कन
July 18, 2018 in शेर-ओ-शायरी
न दिल मेरा रहा न धकड़न मेरी रही,
तुमसे मिलने के बाद बस ये तड़पन मेरी रही।।
राही (अंजाना)
ईमान
July 18, 2018 in शेर-ओ-शायरी
एक ही मुल्क है जिसमे सारे ईमान बस्ते हैं,
हिन्दू के संग ही देखिये कैसे मुसलमान बस्ते हैं।।
राही (अंजाना)
इरादा
July 18, 2018 in शेर-ओ-शायरी
जो कभी किया ही नहीं वो वादा याद आया,
मुझको तेरी गली से निकला तो वो इरादा याद आया,
न मन्दिर न मस्ज़िद थी राह में मेरे कोई,
फिर सर झुका तो तेरा चेहरा याद आया।।
राही (अंजाना)
एतबार
July 18, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
यूँ तो हर एक नज़र को किसी का इंतज़ार है,
किसे दिख जाये मन्ज़िल और कौन भटक जाए, कहना कुछ भी यहाँ दुशवार है,
एक ही नज़र है फिर भीे पड़े हैं पर्दे हजार आँखों पर,
यहाँ अपनों को छोड़ लोगों को दूसरों पर एतबार है॥
राही (अंजाना)

चांदनी
July 18, 2018 in शेर-ओ-शायरी
चाँद से चांदनी और तारों से उनके घर का पता पूछते हैं,
चलो एक बार फिर से उनके इंकार की वजह पूछते हैं,
दिल लगाया ही था तो मुकर क्यों गए,
आओ उनसे मिलकर उनके डर की वजह पूछते हैं।।
राही (अंजाना)

घर
July 18, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
कचरे की गठरी लेकर मुझको चलना पड़ता है,
हर कदम पर मुझको बहुत सम्भलना पड़ता है,
पैरों पर चुभते कंकड़ भी मुझको रोक नहीं पाते,
जब रोटी की खातिर घर से मुझको निकलना पड़ता है,
जब माँ और बाप का मेरे कोई बस नहीं चलता,
तब खाली हाथ सड़कों पर मुझको भटकना पड़ता है।।
राही (अंजाना)

शराब
July 18, 2018 in शेर-ओ-शायरी
कदम दूसरों के लड़खड़ाकर खुद की अकड़ कायम रखती है,
ये वो शराब की बोतल है जो अपना रुतबा कायम रखती है,
भुला देती है खून के रिश्ते जितने हों गहरे सारे,
पर ये बोतल इस ज़मी पे अपना ही रुबाब कायम रखती है।।
राही (अंजाना)

बहुत वक्त से तू मेरी ओर बढ़ रही थी
July 16, 2018 in शेर-ओ-शायरी
बहुत वक्त से तू मेरी ओर बढ़ रही थी,
आ चूम कर तेरे पैरों को तेरी थकान उतार दूँ।।
राही (अंजाना)
पैरों की अपने वो झुर्रियां छुपा लेता है
July 16, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
पैरों की अपने वो झुर्रियां छुपा लेता है,
चेहरे पर झूठी वो हंसी सजा लेता है,
बनाने को किस्मत की लकीरें बच्चों की,
पिता हाथों की अपने लकीरें मिटा लेता है।।
राही (अंजाना)
मैने अपनी मैं को हम कर लिया है
July 16, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
मैने अपनी मैं को हम कर लिया है,
जिस पल से तुझको अपने संग कर लिया हैं,
अपने ही घर में घर नहीं रहा मेरा,
तेरे दिल में जब से मैने घर कर लिया है।।
राही (अंजाना)

अदब से झुकने की कला भूल गए
July 16, 2018 in मुक्तक
अदब से झुकने की कला भूल गए,
मेरे शहर के लोग अपना गुनाह भूल गए,
भटकते नहीं थे रास्ता कभी जो अपना,
आज अपने ही घर का पता भूल गए,
महज़ चन्द पैसों की चमक की खातिर देखो,
यहां अपने ही अपनों की पहचान भूल गए।।
राही (अंजाना)
मुल्क
July 15, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
चलो मिलकर एक नया मुल्क बनाते हैं,
जहाँ सरहद की हर दिवार मिटाते हैं,
छोड़ कर मन्दिर मस्ज़िद के झगड़े,
हरा और भगवा रंग मिलाते हैं,
चलो मिलकर एक…..
जिस तरह मिल जाते हैं परिंदे परिंदों से उस पार बेफिकर,
चलो मिलकर हम भारत और पाकिस्तान को एक आइना दिखाते हैं,
जब खुदा एक और रंग एक है खून का तो,
चलो मिलकर हम सारी सर ज़मी मिलाते हैं॥
चलो मिलकर एक नया मुल्क बनाते हैं॥
राही (अंजाना)
पालना
July 15, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
रोज तोड़ कर मैं फिर बना लेता हूँ,
जोड़ कर कुछ खांचे खिलौने का घर अपना,
रोज खेल कर मैं फिर बहला लेता हूँ,
जोड़ कर कुछ टुकड़े आईने सा मन अपना,
रोज देख कर मैं फिर मिटा लेता हूँ,
जोड़ कर कुछ ख़्वाबों का सपना अपना,
रोज घूम कर मैं फिर लौटा लेता हूँ,
जोड़ कर कुछ पलो का पालना अपना॥
राही (अंजाना)
हाथ
July 13, 2018 in शेर-ओ-शायरी
इश्क करके उससे मुझे मलाल ही हुआ,
जब हाथ मलता रह गया मैं उसके ठुकराने के बाद।।
राही (अंजाना)
बारिश
July 12, 2018 in शेर-ओ-शायरी
धीमे धीमे ही सही पर होती जा रही है,
बारिश आज सबको मेरा दर्द बता रही है।।
राही (अंजाना)

रक्तचाप
July 11, 2018 in शेर-ओ-शायरी
इन बूढ़ी रगों में भी रक्तचाप बढ़ निकलेगा,
तुम आगर प्रेम से मेरे हाथों पर अपना हाथ रख दो।।
राही
हिसाब
July 11, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
वो ऊपर बैठ कर ही सारे हिसाब लिख देता है,
इस ज़मी पर हम सबकी किताब लिख देता है,
आता नहीं उतर कर कभी चेहरा अपना दिखाने,
अंतर्मन के हमें पर वो सारे जवाब लिख देता है।।
राही (अंजाना)

उम्र
July 11, 2018 in शेर-ओ-शायरी
किसी उम्र का कोई भी परहेज नहीं रखते,
आखिर क्यों ये दरिंदे नारी सहेज नहीं रखते।।
राही (अंजान)

उम्र
July 11, 2018 in शेर-ओ-शायरी
किसी उम्र का कोई भी परहेज नहीं रखते,
आखिर क्यों ये दरिंदे नारी सहेज नहीं रखते।।
राही (अंजान)

बहुत तरक्की कर ली मेरे गांव ने मगर
July 11, 2018 in शेर-ओ-शायरी
बहुत तरक्की कर ली मेरे गांव ने मगर,
मेरी गरीबी का बादल छटा ही नहीं।।
– राही (अंजाना)

नदी के दो किनारों पर मेरी नज़र टिकी थी,
July 11, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
नदी के दो किनारों पर मेरी नज़र टिकी थी,
एक छोर पे मैं और दूजे छोर वो खड़ी थी,
समन्दर था लहरें थीं कश्ती थी सामने,
इन सब के मध्य भी मेरी मोहब्बत डटी थी।।
– राही (अंजाना)
ख्वाब
July 11, 2018 in शेर-ओ-शायरी
तुम जहां भी रहोगी निहारा करूँगा,
तुम्हे ख्वाबों में अपने पुकारा करूँगा,
दिखेंगी नहीं जब मुझे आँखे तुम्हारी,
तुम्हें आईने में अपने उतारा करूँगा।।
राही (अंजाना)