
UE Vijay Sharma
मिटा कर मुझको मिटेंगी बेचैनीयाँ
April 5, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
खयाल उनका आए तो बेचैनीयाँ
ना आयें जो खयाल तो बेचैनीयाँ
या रब यह कैसा मर्ज दिया तूने
मिटा कर मुझको मिटेंगी बेचैनीयाँ
…… यूई
चाहते हो दिल को राहत मिलें
April 5, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
लुटाने किसी पे दिल को हो निकले
और चाहते हो दिल को राहत मिलें
…… यूई
यह सब कहां है आशिकों के निशान
April 5, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
राहतें सकून आराम चैन इत्मिनान
यह सब कहां है आशिकों के निशान
बेचैनीयाँ घबराहटें उन्नीदे उम्मीदे
यह सब हैं उनके गहने और पहचान
…… यूई
ज़िन्दा है दिल तो उसे धड़कने दो
April 5, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
ज़िन्दा है दिल तो उसे धड़कने दो
याद में उसे किसी की तड़पने दो
चाहतों को जी भर कर मचलने दो
अरमान हजारों उसमें पनपने दो
…… यूई
मिलिएगा ज़रूर कभी हमारे दिल से
April 5, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
मिलें होंगे आप हज़ूर हजारों दिल से
मिलिएगा ज़रूर कभी हमारे दिल से
होंगी सभी शिकायतें जो उन सब से
मिट जाएगी एक पल में मिल हमसें
…… यूई
जो है ही बेवफा वोह कभी किसी का नही होता
April 5, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
अपना कह देने से कभी कोई अपना नही होता
अपना आप लुटा देने से कोई अपना नही होता
सालों तमाम वफ़ाए उनपे ऊपर वार कर देखी
जो है ही बेवफा वोह कभी किसी का नही होता
…… यूई
आपने अपनी दिल्लगी निभा ली
April 5, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
अपना कह के आपने अपनी दिल्लगी निभा ली
आपकी दिल्लगी पे हमने तो पूरी ज़िंदगी बिता दी
…… यूई
सिर्फ़ कहने से ना बात बनेगी
April 5, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
सिर्फ मिलने से ना बात बनेगी
सिर्फ़ कहने से ना बात बनेगी
गर दिल में नही है प्यार आपके
बात कभी भी फिर यह ना बनेगी
…… यूई
दिल जो सिर्फ़ आपके लिए हो बना
April 5, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
कहने को होंगे हजारों दीवाने यहां
यहां जाने होंगे कितने परवाने यहां
दिल जो सिर्फ़ आपके लिए हो बना
ख़ुद ही देगा अपनी आवाज़ सुना यहां
…… यूई
हमारे आने की चाह लगाए रखना
April 4, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
उम्मीद की शमाँ जलाए रखना
हमारे आने की चाह लगाए रखना
…… यूई
ख्यालो से जुदा ना हो पाएँगे आपसे
April 4, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
शायद कभी मिल ना पाएँगे आपसे
ख्यालो से जुदा ना हो पाएँगे आपसे
…… यूई
बंधा है मन मेरा खयाल में जो आपसे
April 4, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
बंधा है मन मेरा खयाल में जो आपसे
हुआ है यह बे-खयाल हर जमाल से
…… यूई
इससे बेहतर क्या होगा इश्क खयाल का
April 4, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
कहने को बस है यह रिश्ता खयाल का
इससे बेहतर क्या होगा इश्क खयाल का
…… यूई
ख्यालोँ मे ही बँध गया यह मन आपसे
April 4, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
ख्यालोँ में कभी सोचा किए थे आपको
ख्यालोँ मे ही बँध गया यह मन आपसे
…… यूई
सूरत जो ज़िन्दगी भर देखी उसमें
April 4, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
दफनाते हुए मेरी कबर के अन्दर
आईना एक उलटा लटका देना
सूरत जो ज़िन्दगी भर देखी उसमें
सकू्न वह मौत में भी दिला जाएगी
…… यूई
जब भी कोई शिकायत होते है तुमसे
April 4, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
जब भी कोई शिकायत होते है तुमसे
आईना उठा के ख़ुद मिलता हू खुदसे
अकसर तो वो शिकायत ही नही बचती
रह भी जांए अगर तो ख़ुद से ही रह्ती
…… यूई
मैं तो ता-उमर दिखाता रहा हूँ
April 4, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
मैं तो ता-उमर दिखाता रहा हूँ
तुझको तेरा जो था असली चेहरा
तुमने ना माना अपना उसको चेहरा
तुझको था पसंद तेरा नक्ली चेहरा
…… यूई
झूठ की परतें गिर कर टूट जाएँगी
April 4, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
आईने को तोड़ने से क्या होगा
सच्चाई से मुँह मोड़ने से क्या होगा
इन दोनों से आँखें मिला कर देख
ज़िन्दगी की सच्चाई अपना कर देख
झूठ की परतें गिर कर टूट जाएँगी
ज़िंदगी जन्मो के लिए सँवर जाएगी
…… यूई
यह जो जमाने से है शिकायतें लाख हमको
April 4, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
बाहर सब यह जो हमारे दिखता हमको
अन्दर हम जैसे वैसा सब दिखता हमको
यह जो जमाने से है शिकायतें लाख हमको
जमाने के दिल में है वैसी ही लाखो हमसे
…… यूई
वोह आखिरी शाम आए
April 3, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
कौन जाने कब वोह आखिरी शाम आए
जिसके बाद ना ज़िन्दगी की शाम आए
…… यूई
लोग दोनों सूरतों में खूब हाथ मिलाते हैं
April 3, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
लोग दोनों सूरतों में खूब हाथ मिलाते हैं
उपर उठे हुए इनसान को नीचे गिराने में
और उपर उठ गए इनसान को उठाने में
…… यूई
जिंदा हो के जो ख़ुद ही डूब गए
April 3, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
जिंदा रह के कभी जी ना पाए
मौत के फलसफे वो समझाते हैं
जिंदा हो के जो ख़ुद ही डूब गए
वो मर के हमें कैसे पार उतारेंगे
…… यूई
आदमी बेचारा है सच में बेचारा आदमी
April 3, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
ढूँढने की ऐसी लगी है आदत इसको
कुछ ना कुछ ढूँढने में लगा है आदमी
पल पल यह है कुछ ना कुछ ढूँढता
जब कुछ हो रहा हो जिंदगी में ग़लत
यह उसको सही करने की राह ढूँढता
जब सब चल रहा हो ज़िन्दगी में सही
ढूँढ उसमें ग़लत, उसको ना सही छोड़ता
आदमी बेचारा है सच में बेचारा आदमी
……. यूई
अबके नीयत होना खराब
April 3, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
अबके किस्मत होना खराब
पिछले कर्मो का है हिसाब
अबके नीयत होना खराब
करती हैं अगली किस्मत खराब
……. यूई
रूह प्यासी रह जाते मेरी
April 3, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
रूह प्यासी रह जाते मेरी
गर तेरे संग ना मर पाता
……. यूई
आपने नज़र उठाई भी नही
April 3, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
आपके प्यार करने का
यह अंदाज़ खूब निराला है
आपने नज़र उठाई भी नही
और हमसे आँखें चार हो गई
……. यूई
खूब मिला है सिला मुझे
April 3, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
खूब मिला है सिला मुझे
तुझे दिल में बसाने का
गलतियों तेरी के इल्ज़ाम
लगते मुझ पे हैं सभी
……. यूई
बेचेनीयाँ दिन की हुई पराई सी
April 3, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
सन्नाटे रात के हुए मेरे अपने से
बेचेनीयाँ दिन की हुई पराई सी
गहन अंधेरों में कर मिलन ख़ुद से
खुदी की राह् मिली थी जो पराई सी
……. यूई
जिसने तराशे है यह नायाब हीरे
April 3, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
ना नज़ारो की बात करता हूँ
ना हज़ारो की बात करता हूँ
जिसने तराशे है यह नायाब हीरे
उसमें मिलने की बात करता हूँ
……. यूई
जिसने ना खुद के दिल की आवाज़ सुनी
April 2, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
जिसने ना खुद के दिल की आवाज़ सुनी
उसने फिर ना ता–उमर कोई राह् चुनी
……. यूई
इंसान ख़ुद ही ख़ुद का है
April 2, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
इंसान ख़ुद ही ख़ुद का है सबसे बड़ा है शिक्षक
भटक जाए तो है ख़ुद ही ख़ुद का सबसे बड़ा भक्षक
……. यूई
उसमें ही तुझे मेरा पैगाम मिलेगा
April 2, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
मैंने पूछा
कैसे ए मालिक तेरा नाम मिलेगा
मालिक बोला,
नाम मेरा ले कर क्या मिलेगा
जां बंदे कर सेवा मेरे बंदो की
उसमें ही तुझे मेरा पैगाम मिलेगा
……. यूई
मेरे आने का मकसद
April 2, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
सबने ज़िन्दगी का फल्स्फा समझाया
पानी है बस शोहरत और दौलत
यह है बस मेरे आने का मकसद
इसी को पाने से मिलेगा सब आराम
किया सब जो भी सबने कहां
करके भी सब जां ना चैन मिला मन को
ल्गा यह तो सबसे बड़ा हो गया है लोचा
भटके हुए मुसाफिरों ने भटका दिया मुझे भी
तब जां के यह बात समझ में आयी
के यह है सब भटके हुए ख़ुद ही अपनी राहो में
मुझे क्या राह् दिखाए यह ख़ुद भटके हुए मूसाफिर
जैसे यह तुझको भूल गए हैं
मुझको भी भुलायेंगी
तेरी राह् तो ख़ुद जान ना पाए
मुझको भी यह छुड़ा जाएँगे
तब जां मैनी अपनी राह् बुनी
फिर ना मैंने किसी की कुछ सुनी
तूने भी सच में क्या साथ दिया
मेरी ख़ुद की ख़ुद का साथ दिया
आगे बड़ अपना हाथ थमा दिया
अब यू तुझको मैनी पाया है
फिर ना दिल मेरा गभराया है
….. यूई
अपने दिल में मुझे पनाह दे दे
April 2, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
दर दर पे मैं सदियों भटका हूँ
अब जा के तेरे दर पे अटका हूँ
खोल दर अब मुझे पनाह दे दे
अपने दिल में मुझे पनाह दे दे
….. यूई
तुम्हारी कब्र की बगल में
April 2, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
मेहंदी रचे हाथों से मिली उस
आपकी आखिरी अलविदा को,
हमने दिल से यूँ मान लिया
हाथ जोड़ तुम्हारा दिल रख
तुम्हारी कब्र की बगल में
खोद कर ख़ुद कबर अपनी
ज़िन्दगी को सलाम किया
….. यूई
अब रिश्ता है यह पूरी बराबरी का
April 2, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
जबसे तुमने हमसे मुँह फेर लिया
हमने तेरे घर का रास्ता छोड़ दिया
हाँ कुछ मयकदो को घर बना लिया
अब रिश्ता है यह पूरी बराबरी का
ना रुकेंगे जब तक बर्बाद ना होंगे
…… यूई
आवाज़ तेरी में बस जाऊँ मैं आयत की तरह
April 2, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
तेरे होंठों पे सज जाऊँ मैं दुआओं की तरह
आवाज़ तेरी में बस जाऊँ मैं आयत की तरह
दिल तेरे में रच जाऊँ मैं तेरी धड़कन की तरह
रूह तेरी से जुड़ जाऊँ मैं मौत और जन्मो की तरह
…… यूई
घर है यह सिर्फ तुम्हारा
April 2, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
दिल में रहते हो तुम
घर है यह सिर्फ तुम्हारा
बसते थे यहां सदा तुम
बसेरा रहेगा स्दीवी तुम्हारा
जाना हे तो जांओ
पर ना इसे रुलाओ
क्या पाओगे इसे तड़पा कर
जो ना जी पाएगा
इक पल भी तुम्हे भुला कर
…… यूई
तंग दिली के इस माहौल में
April 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
तंग दिली के इस माहौल में
जगह कम हो गई हर जगह
दिल दिमाग आँगन और सीना
तंग हुआ इनसान का हर कोना
…… यूई
यादों के झरोखों से भी अलविदा कर गए
April 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
बाहों की पनाहो से हमें ज़ुदा कर गए
दिल की दीवारो से भी विदा कर गए
मज़बूरीया रही होंगी ज़रूर कुछ ज्यादा
यादों के झरोखों से भी अलविदा कर गए
…… यूई
जाने हो क्यों ना सके
April 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
तेरी ज़ुल्फों की पनाहो में हो गुम
बुने थे जो प्यार के हसीन सपने
जो थे दिल के इतने क़रीब अपने
जाने हो क्यों ना सके वोह अपने
…… यूई
जिसने ख़ुद के दिल की ना आवाज़ सुनी
April 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
जिसने ख़ुद के दिल की ना आवाज़ सुनी
ता-उमर उसने ना फिर कोई सही राह चुनी
…… यूई
प्यार है पपीहे की झुन झुन
April 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
प्यार है कलियो की गुन गुन
प्यार है पपीहे की झुन झुन
…… यूई
प्यार है मेरी धरती
April 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
प्यार है मेरी धरती, जिसपे छाया है आसमान तेरा
प्यार वोह ब्रह्मांड मेरा, छा गया जिसपे मन तेरा
…… यूई
प्यार वोह जो ज़िन्दगी दिखलाई तूने
April 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
प्यार वोह जो ज़िन्दगी दिखलाई तूने,
प्यार है वो ज़िन्दगी जो जिवाई तूने
…… यूई
प्यार है रुबायी तेरी
April 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
प्यार है पहचान मेरी, प्यार है पहचान तेरी
प्यार है रुबायी तेरी, प्यार है परछाई तेरी
…… यूई
प्यार है भूखे को खिलना
April 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
प्यार है दुखिया को हँसना
प्यार है भूखे को खिलना
प्यार है बच्चो को पढ़ाना
प्यार है वफ़ा को निभाना
…… यूई
प्यार वफ़ा का वोह गीत है
April 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
प्यार वफ़ा का वोह गीत है,
जो लुभा हमें बार बार गया
हर बार यह खूब गाया गया
संगीत यह सबका मनमीत है
…… यूई
तलाक
April 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
तलाक
क्या सच में ही
होता है इतना आसान
चंद तारीखे
कुछ ज़िरहे
दो दस्तखत
खोल दी गिरहे
बस निकल लिए
पकड़ ख़ुद की राहे
हो गए क्या सब हिसाब
बँट गए क्या सब हिस्से
उनका क्या
जो दे भी गए
और ले भी गए
बेशुमार वोह पल
गमो के भी
प्यार के भी
करते भी कैसे
उनका बँटवारा
उनका हिसाब क्यों
किसी कचहरी ने
ना तौला, ना गिना
बस छोड़ दिया
हमको हमारे सहांरे
तुमने तो ज़िकर
भी ना किया उनका
लगा होगा तुमको
के इनका क्या मोल
यह क्या कर दिया आपने
समझाता रहा उमर भर
कभी सौदा ना करना
चूक जाओगे, चूक गए
बेशकीमती हीरे छोड़ दिए
पत्थर भर कर चल दिए
…… यूई
कंठ मेरे को वरदान यह दे दो
April 1, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
दोस्त कहा से इतना दर्द लिया
लपेट यह विष का जाल लिया
अब इस ज़हर को कैसे दहन करू
राह् और कोई तो नज़र ना आए
अपने शिव से ही अब माँग करू
कंठ मेरे को वरदान यह दे दो
तेरा विष सारा यह ग्रहन करे
…… यूई