कश्मीर हमारा है।

June 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम केवल नारे मे गाओ की कश्मीर हमारा है'”
सच तो यह है कि कश्मीर को पाकिस्तान ही प्यारा है।
…………. नेहरू के भुलो को छोड़ अब पटेल बन जाना होगा।
कश्मीर के हर चौराहे पर तिरंगा अपना फहराना होगा;;
… हिन्द की सेना सक्षम है;
बस इसको बेडी ना डाली जाए।
पत्थर बाज भी आतंकी है सीने मे गोली डाली जाय।।
जय हिन्द;;;
ज्य हिन्द की सेना

ज्योति ।
mob 9123155481

याद आता ।

June 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब भी तेरा चेहरा याद आता
हिचकियाँ उठ जाता;
अभी उसकी वेवाफाई से उभरे नही यारो।
अब ना जाने हिचकियाँ कौन सा पैगाम दे जाता।
. जब भी उसका चेहरा नजर आता;
हिचकियाँ उठ जाता ।
ज्योति
mob 9123155481

याद आता ।

June 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब भी तेरा चेहरा याद आता
हिचकियाँ उठ जाता;
अभी उसकी वेवाफाई से उभरे नही यारो।
अब ना जाने हिचकियाँ कौन सा पैगाम दे जाता।
. जब भी उसका चेहरा नजर आता;
हिचकियाँ उठ जाता ।
ज्योति
mob 9123155481

रा

मर जाते है।

June 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ना जाने उनकी किस अदा पर हम मर जाते है;
हर वक्त जुबाँए पर उन्ही का नाम लिये जाते है ।
. बीताएँ कुछ लम्हा उनके” संग”
…………………….. याद आ जाते है।
हो जाता हुँ विबस आँख मे आँसु चले आते है।
ना जाने उनकी———
हमारी महफिल विरानो मे उनकी लोग से सज जाती है।
हमारी आँख मे आँसु देखकर उनकी लब्बो पर खुशी आ जाती है।
हम गले जा रहे गम से वो दुसरे के साथ खुशियां मनाते नजर आते है ।।

मेरी गलतीयाँ माँफ कर देना

June 16, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मुझे माँफ कर देना”
“”उतर ना सकी तेरी महोब्बत रूपी सीढ़ी पर।
हाँ ?
मुझे ले बैठा;लज्

मेरी गलतीयाँ माँफ कर देना

June 16, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मुझे माँफ कर देना”
“”उतर ना सकी तेरी महोब्बत रूपी सीढ़ी पर।
हाँ ?
मुझे ले बैठा;लज्

हद हो गई ।

June 14, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज तो हद हो गई—-
उसकी आँख मेरी आँख से मिली—–
उसके आँख से आँसु निकल पड़ी ।
आज विश्वास हुआ —
उसकी फितरत मे वेवाफाई नही थी।।
शिर्फ मजबुरी थी—
ज्योति

इंतजार

June 14, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कब तक इंतजार करू तेरे दर पर;
तेरा—-
….. अब तो आके मिल
वर्ना आँख भी आँसु से नाता तोड़ लेंगे ।

इंतजार

June 14, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कब तक इंतजार करू तेरे दर पर;
तेरा—-
….. अब तो आके मिल
वर्ना आँख भी आँसु से नाता तोड़ लेंगे ।

कुछ नही मिलती ।

June 11, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

उनकी खैर– खबर नही मिलती;
. हमको ही खासकर नही मिलती ।
मै लचार हो जाऊँगा;
. . अगर तु नही मिलती ।।
लोग कहते है;
बजार मे रूह मे दिल; जिस्म मे दुनिया पैसे पर मिलती —
……….. लेकिन मै जिस शहर मे हूँ यहाँ कुछ नहीं मिलती।।

ज्योति

मैं कुछ बोल नहीं सकता

June 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं कुछ बोल नहीं सकता ;
…. …………….तुम्हारा दिया हुआ जख्म;
किसी के समाने खोल नही सकता।
जब बहती पुरबा हवा बहुत दर्द होती;
पर मै रो नही सकता ।
क्योंकि आँसु को बनाए है दुल्हन ;
मै कैसे खो सकता; ( रो सकता)
ए पुरबा हवा—-
थोड़ी अपनी रुख बदल जा पश्चिम की ओर ;
. मेरी दर्द की दास्ताँ सुना उसे जाके
कही फितरत बदल जाय।
मैं रो नही सकता खो नही सकता।
आँसु को बनाए है दुल्हन मैं रो नही सकता।।

ज्योति
mob 9123155481

तुझे पाने के लिए खुद को जलाएगा कौन।

June 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुझे पाने के लिए खुद को जलाएगा कौन,
है प्यार तुझसे ही लेकिन नखरे का भार तेरा उठायेगा कौन,
तुझे पाने के लिए खुद को जलाएगा कौन,
मन मे तो आता है
रूठे तुम्हारी तरह फिर मुझे मनायेगा कौन
है चाहत हमे भी तुम्हारी —
लेकिन तुम्हारी कीमत चुकाएगा कौन;!!

ज्योति
मो न०| 9123155481

तुझे पाने के लिए खुद को जलाएगा कौन।

June 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कभी आइस– क्रीम की तरह पिघलती रही जिन्दगी,
हवा की रूख की तरफ बदलती रही जिन्दगी,
लाख समझया उसे पाने की जिद ना करो–
पर इक वच्चे की तरह जिद ठानी रही जिन्दगी।
मंजिल पर कैसे पहुच पाते
सीढ़ी ही थी फिसलन वाली,
कोशिश तो बहुत की लेकिन फिसलती रही जिन्दगी,
मैने तो अब हार चुका हूँ जिन्दगी से,
क्योकि वो मंजिल ही थी जिन्दगी।।

ज्योति
मो न० 9123155481

पिघलती रही,बदलती रही जिन्दगी

June 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कभी आइस– क्रीम की तरह पिघलती रही जिन्दगी,
हवा की रूख की तरफ बदलती रही जिन्दगी,
लाख समझया उसे पाने की जिद ना करो–
पर इक वच्चे की तरह जिद ठानी रही जिन्दगी।
मंजिल पर कैसे पहुच पाते
सीढ़ी ही थी फिसलन वाली,
कोशिश तो बहुत की लेकिन फिसलती रही जिन्दगी,
मैने तो अब हार चुका हूँ जिन्दगी से,
क्योकि वो मंजिल ही थी जिन्दगी।।

ज्योति
मो न० 9123155481

पिघलती रही,बदलती रही जिन्दगी

June 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कभी आइस– क्रीम की तरह पिघलती रही जिन्दगी,
हवा की रूख की तरफ बदलती रही जिन्दगी,
लाख समझया उसे पाने की जिद ना करो–
पर इक वच्चे की तरह जिद ठानी रही जिन्दगी।
मंजिल पर कैसे पहुच पाते
सीढ़ी ही थी फिसलन वाली,
कोशिश तो बहुत की लेकिन फिसलती रही जिन्दगी,
मैने तो अब हार चुका हूँ जिन्दगी से,
क्योकि वो मंजिल ही थी जिन्दगी।।

ज्योति
मो न० 9123155481

मत लगाओ आग।

June 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मत लगाओ नफरत की आग दिवानों की दिल मे,जिसके दिल मे वर्षो से तुम्हारे नाम के महोब्बत की चिराग जलती हो ।
वरना वो बेधर हो जाएगा अपने दिलो वाले धर से।।

चाहिए सब कुछ जुबाएँ ना साथ देती ।।

June 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सब कुछ चाहिए जुबाएँ ना साथ देती,
जब आती है रिश्ते शादी की जुबाएँ पर मिठास होती,
देख अच्छे से ऐसी — वैसी बात होती–
चाहिए सब कुछ जुबाएँ ना साथ होती।
बात बन जाती तब होती बात समाधी की तब लम्बी–लम्बी बात होती,
चाहिए सब कुछ जुबाएँ ना साथ होती,
पहले बार मे लेने देने की बात नही होती, दुसरे बार मे फरमाइस होती,
चाहिए सब कुछ जुबाएँ ना साथ देती।।
आ जाता जब दिन नजदीक शादी की पड़ोसी का धर भरा देखकर फरमाइस हजार होती,
सब कुछ चाहिए जुबाएँ ना साथ होती,
फिर होती औकाद की बात,
फिर इस तरह की बात होती अभी ना मिलेगा तब कब मिलेगा ऐसी ऐसी बात होती।
चाहिए सब कुछ जुबाएँ ना साथ होती,
जब कुछ कमी रह जाती तो ऱिश्ते मे खट्टास होती,
चाहिए सब कुछ जुबाएँ ना साथ होती,
क्या फायदा ऐसे चुप्पी का खोल कर बोल दो ना मेरा बेटा बिना तौले बेच नही सकते,
हर चीज तुम्हे मिल जाएगा तुझे खुल के बोल दो ना जो बेटी दे सकती वो अपना वस्ती भी बेचकर तुम्हारे बेटे को खरीद सकता।
चाहिए सब कुछ जुबाएँ ना साथ होती।।
ज्योति
मो न० 9123155481

ए वक्त अब उससे दुर ना कर ।

June 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ए वक्त अब उससे दुर ना कर ,
ए वक्त इतना मुझे मजबुर मत कर।
वरना टुट जाऊँगी,
उसके बिना मुझे उससे इतन दुर ना कर,
क्योकि उसके साथ जीना फुलवारी लगता,
उसके साथ चले बिना मरना भी भारी लगता,
नींद आती मगर उसके बिना मै सो नही पाता,
मेरे आँख से कोई पुछ उसके याद मे अपना सारा अश्क निचोड़ डाला।
ए वक्त मुझे इतना मजबुर ना कर।।

ज्योति
मो न० 9123155481

किसी से गिला नही किसी से सिकवा नही।

June 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसी से गिला नही किसी से सिकवा नही,
एक दिन आएगा ,
एेसा की मै कही नजर नही आऊँगा—-
बहुत दु:ख दिया अपनो ने दिल के अन्दर कही समाजाऊँगा,
उस दिन से किसी से गिला नही सिकवा नही,
दो दिन याद करोगे अपना सब अगले दिन फिर किसी को याद नही आऊँगा,
मुझे मालुम था,
कि डाल पर खिलते फुल की तरह भी तोड़ लिया जाऊँगा।।

तेरे कदमो मे गिर जाता।

June 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तु कहती तो तेरे कदमो मे गिर जाता,
मै इतना मजबुर था
चाहता था, तुझे क्योकि मेरे दिल को तु मंजुर था।
प्यार के ब़दले तु करती प्यार ये शिर्फ तुम्हारा कहने का नाटक था।
कल प्यार का मौसम था, आज चाहत के मेले है।।
हम कल भी प्यार के मेले मे अकेले थे ,आज भी अकेले है।
आज तक समझ ही नही पाया तुमको,
सारे अरमान बेच डाले , फिर भी हार के आए,
उसे चाहिए था प्यार नही हमारी दौलत अच्छा हुआ टुट गया दिल अब किसी का इंतजार नही।
वो समझ पाती मेरे मजबुरी को वो उतना भी समझदार नही।

ज्योति कुमार
मो न० 9123155481

मेरी लाल– लाल आँख देखकर मत कहना ।

June 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरी लाल– लाल आँख देखकर मत कहना,
एे यार ,
तुम बहुत रोया है।
दरअसल दिल पर धुल जमीं थी—–
जिसे आँसु से धोया है।।
कहते है जमाने वाले इश्क मे दुनिया भर की खुशी मिलती,
पाने वाले पा़ये होगे—–
हमने तो शिर्फ खो़या है,रोया है,मेरी आँख देखकर मत कहना,यार तु बहुत रोया है।।
दुर हुआ जब उसने तन्हा–तन्हा फिरती हूँ
मेरे आँख पुछ कब तु सोया है,कब तु रोया है।
मैने तो इश्क मे शिर्फ खोया है,
दरअसल उसके नाम के धुल जमा था,
इसलिए आँसु से धोया है।।

ज्योति
मो न० 9123155481

केवल बेटी ही नही, वेटे भी घर छोड़ जाते।

June 2, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

केवल बेटी ही नही,
बेटे भी घर जाते।
दो जुम के रोटी के लिए अपना घर– परिवार छोड़ जाते।
जो आज तक पला बाप के हाथ के छाये मे,
आज वो दुसरे शहर मे भुखे पेट सो जाते,
जब पत्नी पुछती कब आओगे लौटकर अपने शहर मे,
तो कुछ बहाना बनाकर उसे समझा देते।
केवल बेटी ही नही बेटे भी घर छोड़ जाते।
जो दिन रात करते थे ,मनमानी आज वो आँसु पी कर सो जाते ।
दो जुम की रोटी के लिए अपनो का साथ छोड़ जाते,
केवल बेटी ही नही बेटे भी घर छोड़ जाते।
जो मेज पर खाना खाते ,महलो पर सोया करते,
आज वो जमीन पर ही सो जाते,
केवल बेटी ही नही—–
जो नखरा हजार करते खाने मे,
आज वो आधे पेट खा कर सो जाते।
जो कभी अपने रूम मे किसी को सोने नही देते—
आज वो दुसरे शहर मे एक ही रूम मे,एक ही बिस्तर पर दो चार सो जाते।
केवल बेटी ही नही बेटे भी घर छोड़ जाते,
दो जुम की रोटी के लिए अपना घर परिवार छोड़ जाते।

ज्योति
मो न० 9123155481

मेरे दिल की किताब मे मत पुछ क्या लिखा है।

May 29, 2018 in Other

मेरे दिल की किताबों मे मत पुछ क्या लिखा है,
धड़कन के हर एक पन्ना मे तेरा नाम लिखा है।।
नई जिन्दगी मिला है,तेरे हर मिस्काँल से,
अब वही मिस्काँल मेरे जिन्दगी का सबुत बन गया, तेरे — मेरे नाम की।
तेरे बिना एक पल भी जीना मेरा मुश्कील है,
क्योकि बनकर तेरे नाम की लहूँ मेरे रग मे बह रहा है।।

(अब तु–ही बता क्या तेरा फैसला है। ।)

ज्योति
मो न० 9123155481

दिल तोड़के जालिम मत मुस्कुराया करो।

May 29, 2018 in Other

दिल तोड़कर जालिम मत मुस्काराया करो,
मेरे प्यार को इतना मत अजमाया करो।
तुमको ही देखने आता हूँ ,तेरे गलियों के पान दुकान पर,
मुझे देखकर खुद को छुपाया ना करो—
कैसे समझाँऊ प्यार, महोब्बत की बात होते अकेले मे—
सखियो के संग मिलने मत आया करो।
देखकर तुझे कोई फिदा ना हो जाय,
इतना सज-धज के काँलेज मत जाया करो!!
सीधा ही दिया करो मेरे सवालो का जबाब,
बातो मे फँसाकर मेरे मजबुरी का फायदा मत उठाया करो,
दिल तोड़कर जालिम मुस्कुराया मत करो–
मेरे प्यार को इतना मत अजमाया करो।

मैने -हर रोज जमाने को रंग बदलते देखा

May 28, 2018 in Other

मैने हर रोज जमाने को रंग बदलते देखा,
पैसे के लिए आदमी को बदलते देखा।
वो जो चलती थी, झनझनाहट की होती अवाज,
आज उनकी झनझनाहट की अवाज के लिए कान को तरसते देखा।
जिनकी परछाई को देखकर रूक जाते थे हम—
आज वो दुसरे के हाथ मे हाथ डालकर मै जाते देखा।।
जिनके अवाज मे अपना –पन था,
आज वही जुबाएँ ,वही अवाज मे, बिजली जैसे कड़कने की अवाज को देखा।
पहले हाथो की इशारो से रूक जाती थी वो–
आज चिल्लाने के बाद रूक ना पाई वो।
जिनके होठो पर खुशी रहती मेरे नाम की—
आज वही होठो पर चुप्पी का ताला देखा।

ज्योति
मो न० 9123155481

अरे, ओ जिन्दगी से निऱाश आदमी सुनो।

May 26, 2018 in Other

अरे ,ओ जिन्दगी से निऱाश आदमी सुनो—
सड़क पर भटकते हो क़्यो सुनो।
कुछ तो कर्म करो—–
अपने स्थिति को देखो कुछ तो शर्म करो।।
कब –तक कोसते रहोगे,अपने भाग्य को, अंधकार से निकलने का कुछ तो कर्म को करो ।
अपने आप को समझों कुछ तो प्रयत्न करो,
अपने आप को समझो,उठाओ कदम मत रूकना जब तक ना मिले सफलता।
देखना मिट्टी भी हो जाएगी सोना !!!

मेरा इस दुनिया मे कोई ना रहा !

May 25, 2018 in Other

मेरा इस दुनिया मे कोई ना रहा ,
मै बेसहारा हो गया।
जो मुझे रास्ते दिखा रहे थे ,
वही पराया हो गया।।
कैसे चलुँ,—–कैसे चलूँ
मै तो बेसहारा हो गया,
ऐ जमाने ना हँसों मेरी गरीबी की रूख से तुझे ही तो चाहा तु ही पराया हो गया।।
ज़्योति
मो न० 9123155481

,

दर–दर ठोकर खाया हूँ।

May 24, 2018 in Other

दर–दर ठोकर खाया हूँ,
जीवन से भी मै हारा हूँ।
दे–दे सहारा —-
तेरे पास मै आया हूँ।।
नही मंजिल मिली नही किनारा,मुझे दे–दे सहारा, मेरा कोई नही ठिकाना है!
मै हूँ बेसहारा–
मुझे दे– दे सहारा
कुछ भी इंसान हूँ,
दुनिया ने शिर्फ दी रूसवाई है,
तेरे दर पर सुना होती सुनवाई है।
एहसान करो मुझ पर मै दर दर ठोकर खा़या हूँ,
तेरी ये मतलबी दुनिया मुझे हराया है,
दर–दर ठोकर दिलवाया है।

ज्योति
मो न० 9123155481

दर–दर ठोकर खाया हूँ।

May 24, 2018 in Other

दर–दर ठोकर खाया हूँ,
जीवन से भी मै हारा हूँ।
दे–दे सहारा —-
तेरे पास मै आया हूँ।।
नही मंजिल मिली नही किनारा,मुझे दे–दे सहारा, मेरा कोई नही ठिकाना है!
मै हूँ बेसहारा–
मुझे दे– दे सहारा
कुछ भी इंसान हूँ,
दुनिया ने शिर्फ दी रूसवाई है,
तेरे दर पर सुना होती सुनवाई है।
एहसान करो मुझ पर मै दर दर ठोकर खा़या हूँ,
तेरी ये मतलबी दुनिया मुझे हराया है,
दर–दर ठोकर दिलवाया है।

जबसे दारू बंद भेलैय विहार मे।

May 23, 2018 in Other

पटना, छपरा दरभंगा तक सुख गया दाऱू का प्याला,
हाजीपुर के पुल पर केले अब बेच रही मधुशाला।
महफिल भी रूठ ग़यी ,
और नाच खत्म नागिन वाला।
शांत– शांत अब लगे बराती—–
जैसे लग रहा मर गया पड़ोसी वाली।।
कैसे पिये दौ सौ का पव्वा मिलता चालीस वाला,
बेगुसराय मे बस पकड़ कर बाहर को जाता पीने वाला।
अब झारखंड ,युपी मे बुझती दिल की ज्वाला।

ज्योति
मो न० 9123155481

सुन ले पाकिस्तान।।

May 22, 2018 in Other

सुन ले पाकिस्तान,
कश्मीर का ख्याल भी दिल मे मत लना।
वरना जो भी दिये है,वो भी छीन लेगे पाकिस्तान।।
अबकी बार कोई गलती मत करना कश्मीर पर
वरना छीन लेगे——
१ अलतीत फोर्ट
२ सादिक गढ़ पैलेस
३ रोहतास फोर्टे
४ नुर महल
५ राँयल फोर्ट
६ मुजफराबाद फोर्ट
७ रानी कोर्ट किला
८ वाला हिंसार फोर्ट
ठान लिया है,हम सब हिन्दुस्तानी अब मिटा देगे तेरी पहचान।
सुन ले बेटा पाकिस्तान।।
तुम एक बार भी मेरे काश्मीर (जन्नत) पर दिया ना ध्यान तो छिन लूँगा तुम्हारा सारा जन्नत का स्थान।
सुन ले बेटा पाकिस्तान ।।

कैद

May 22, 2018 in Other

परिन्दे कैद से छुटा नही,
दुश्मन जाल विछाना शुरू किया।

ज्योति

कैद

May 22, 2018 in Other

परिन्दे कैद से छुटा नही,
दुश्मन जाल विछाना शुरू किया।

ज्योति

बदनाम हो गये शिर्फ ।

May 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

बदनाम हो गये शिर्फ!!

आज की नारी पड़ गयी भारी।

May 21, 2018 in Other

आज की नारी पड़ गयी भारी,
कोई ना पार पाए ऐसी करती होशियारी।
जीवन इसका WhatsApp पर व्यस्त रहता ,
चल जाए भाड़ मे दुनिया सारी।
आज की नारी–
फैशन की बात इससे ना पुछो वरना दिख वा देगी दुनिया सारी–
और बेचवा देगी जमीन सारी आज की नारी।
साँस — ससुर की सेवा की ना छेड़ो वरना किचन मे टुट जाएगी
बर्तन सारी।
भुल कर भी इसके मायके वाले के कुछ ना कहना वरना घर मे हो जाएगी महाभारत भाड़ी।
आज की नारी पड़ गयी भारी।।

ज्योति
मो न० 9123155481

दुश्मनी ले रहे हो बिना काम के।

May 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

दुश्मनी ले, रहे हो बिना काम के!!
ना तुम कुछ ले जा पाओगे,
ना हम कुछ ले जा पायेगे।।
केवल दो गज के कपड़े मेरे भी साथ जाएंगे,
आपके साथ भी जाएंगे।
दुनियादारी मुझे मालुम नही कुछ गलती कर बैठा हुँगा।
कर दे मुझे माँफ इस बात से–
बिजली भी गिरती ऊँची पेड़ पर गिरती।।
परवाह करता हूँ ,बहुत आपकी प्यार से हाथ, बढ़ा दे।
वरना तेरे जनाजों मे हम कम पड़ जायेंगे,
तुम कम पड़ जाओगे।
फिर से भाई का नाता बनाऊगा,
आँगन का दिवार फिर से हटाऊँगा
माँ के चेहरे पर खुशी फिर से लाऊँगा।।

ज्योति
Mob9123155481

यहीं पर सब कुछ छोड़कर जाना है।

May 21, 2018 in Other

छोड़कर सब कुछ यहीं पर एक दिन जाना है,
लगा एक अजीब सा सदमा।
आज तक जो किया कुछ ना हो सका अपना।।
अगर यही हकीकत है,तो क्यो खुनी रात खेलते है,हम।
तो क्यो खेत की आड़ी के लिए लर जाते है,हम—
तो क्यो आँगन मे दिवार पर जाते है-क्यो।।
जो भाई साथ मे खाना खाते क्यो पराये बन जाते है,
माँ अजनबी बन जाती है,
पत्नी आँख के तारे बन जाती है -क्यो।।।

आखरी उम्मीद थी वो भी टुट गई।

May 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आखरी उम्मीद थी वो भी टुट गई।

तुझे से ही उम्मीद थी —-
और तु ही हमको छोड़ गयी।
एक आखरी उम्मीद थी वो भी टुट गई।
मंजिल पर पहुँचना दुर की बात थी।
पहले ही मोड़ पर वो हमको छोड़ गयी।
प्यार मे मजबुरियाँ किसको ना होता ।
ये मजबुरिया के नाम पर तु मुझे छोड़ गई।।
हम तो नाहक मे अपनी किस्मत अजमाते रहे,
तु तो मेरे अपने खास के साथ ऩाता जोड़ गयी।।
दुर जा रहा हूँ तेरे सहर से मै क्योकि ये हवा भी हमसे नाता तोड़ गयी।
क्या नही कुछ मेरे पास तु तो हिसाब रखी केवल मेरे औकादो का।।

ज्योति

तुमने उकटी है मेरी औकाद

May 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुमने उकटी है मेरी औकाद

तुमने उकटी है मेरी औकाद तेरा भी कोई उकटे गा।
अब मेरी बद्दुआएँ पीछे करेगी,
हालत को कुछ एेसे बन जायेगे।
अपनी बाल तु ऩोचेगी अपना सर खुद फोड़गी।।
किस औकाद की बात करती हो तुम वहाँ जाने के बाद खाली हाथ जाएगी—-
कुछ भी साथ ना जाएगा।
ये मतलबी दुनिया केवल तेरे जनाजे के पीछे जाएगा।

ज्योति

जब–जब देखा ।

May 20, 2018 in Other

मैने उसको,
जब-जब देखा ।
सजते देखा,
धजते देखा,
संभलते देखा !!
मैने उसको,
गलियो मे सदियो से किसी का इंतजार करते देखा।
मैने उसको जब– जब देखा हाथो मे पत्थर देखा।।
ये जमीन तुने छीन लिया मेरे जमीं को बस चिल्लाते देखा।।
जब– जब देखा

ज्योति
मो-न०9123155481

हुअा वहुत अत्याचार

May 19, 2018 in Other

हुआ बहुत अत्याचार —–
अब हर घर से भगत सिह , सुखदेव निकलना चाहिए।
रोज जो चेहरे बदलते है,लिबाजो कि तरह अब उसको फाँसी पर चढ़ाना चाहिए।।
भगत, सुखदेव तुझ पर बहुत हुए अत्याचार,
अब उस गद्देदार को खुले आसमान मे सिर–धर से अलग कर देना चाहिए,
मेरे मालिक,मेरे देश पर बहुत हो रहे अत्याचार।
अब हर घर से भगत,सुखदेव निकलाना चाहिए।।

ज्योति
मो न०9123155481

कुछ टाइम निकालकर याद कर लेना मुझे भी।

May 19, 2018 in Other

कुछ टाइम निकालकर याद कर लेना मुझे भी।
पिछले कल तक साथ रहा तेरा हमारा।
आज के ही दिन डोली सजी थी, और माँग मे सितारा।
चाँद की रोशनी सभी को रास आते है, पर दिये की रोशनी पर हक हमारा ।।
मुबारक हो चाँद की रोशनी तुझे भी।
हो सके तो याद कर लेना उस रात मुझे भी।।
भले दुध के ग्लास मे हक नही हमारा,
पर दिया गया तुम्हारा तोफा दिये की ऱोशनी पर हक हमारा तुम्हारा।
समाने खड़ी है तुम्हारे मंजिल की गाड़ी ,
क्यो मुझको इशारो से बुलाती है।
कटी–फटी पतंग की तरफ मत देखो जो खुद के तुफान को संभाल ना सका,वो विश्वास की तुफान को क्या सभालेगा।
मेरे जीवन मे फिर सुबह होने जा रही है,
मेरे चिरागो को चिड़ते हुए दो दिन से तुम्हारी गाड़ी जा रही है।

एक उम्मीद फिर से छुट गई।

May 15, 2018 in Other

एक उम्मीद फिर हाथ से छुट गयी,
देखते ही देखते एक और रिस्ता टुट गई।
इस तरह तोड़ा है—
मतलबी दुनिया मेरा दिल ।
अब जिन्दगी भी हमसे ऱूठ गयी।।

माँ

May 13, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

माँ

माँ! तुम बहुत याद आती है,
जब मै अकेले मे होता ,
आपका चेहरा नजर आता आँसु को रोक ना पाता ।।
मेरी अब ख्वाहिश है एे खुदा,
मै फिर से माँ के पास आ जाऊ, माँ के आँचल मे इस तरह लिपट जाऊ।
कि मै फिर से न्नहा हो जाऊ।
माँ !!
तेरी ही खुशी के खातिर–
अब मै चल रहा हूँ सही रास्तो पर तेरे भी कुछ सपने होगे
खंडर जैसे मंजिल को सजाने की।।

ज्योति
mob no 9123155481

मेरे बातो पर उनको विश्वास नही होता।

May 13, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे बातो पर उनको विश्वास नही होता,
चाहे कुछ भी हम कर ले मेरे बातो पर उनको विश्वास नही होता।।
एक पागल मै हूँ उन्हे हर पल याद करते हूँ
पर वो कहती है,कि तेरे जैसे आदमी से बात करने का टाइम मेरे पास नही होता।।

ज्योति
मो न०9123155481

“माँ”

May 12, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

“माँ”

कितनी बार धुप मे खुन को जलाई तुने “माँ” मेरी लिए चंद रोटियाँ लाने मे।
कितनी बार तुने खुशी बेच ली “माँ” तुने मुझे सुलाने मे।।
कितनी बार दुसरे से लड़ गई
” माँ ” मुझे बस के सीट पर बैठाने मे,
कितनी बार अपनी सोना– चाँदी बेची “माँ” मुझे रोजगार दिलाने मे।
कभी खुशी कभी आँसु बेची माँ मुझे घर से बाहर भेजने मे।
तब पर भी ये मतलबी दुनिया तुझे क्यो छोड़ देते है, “माँ “बुढ़े हालतो मे।।
तब पर बद्दुआ नही शब्जी बेच कर देती माँ ।।

माँ तेरे हाथो कि कमाल अब भी याद है जिस दिन आपका हाथ सिर पर जाता कब्बडी मे दुसरे को पटक कर आती मै।।
माँ जैसा दुनिया मे कोई दर नही।।

ज्योति
मो न०9123155481

दोस्ती मे कीमत को ढॅुढते देखा

May 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

रेत की जरूरत रेगिस्तान को होती !
सितारो की जरूरत आसमान को होती!!!
आप हमे भुल जा कोई गम नही ,
मै लोहा हूँ मुझे सोना की जरूरत नही होती।
मुझे तो मालुम था जब तक खुशबु रहे तब तक मक्खी भी ना साथ छोड़ेगी।
सफर दोस्ती का कभी खत्म ना होगा।
दोस्त मेरा प्यार कभी खत्म ना होगा।।
लेकिन जहाँ मिले सोना(औकाद) वाला साथी तो छोड़ देना (लोहा) औकाद वाला दोस्त का साथी।
क्योकि लोहा तो हर मोड़ पर मिल जाएगा,
लेकिन सोना तो केवल मंजिल मे ही मिल पायेगा।।

ज्योति

दोस्ती मे कीमत को ढॅुढते देखा

May 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

रेत की जरूरत रेगिस्तान को होती !
सितारो की जरूरत आसमान को होती!!!
आप हमे भुल जा कोई गम नही ,
मै लोहा हूँ मुझे सोना की जरूरत नही होती।
मुझे तो मालुम था जब तक खुशबु रहे तब तक मक्खी भी ना साथ छोड़ेगी।
सफर दोस्ती का कभी खत्म ना होगा।
दोस्त मेरा प्यार कभी खत्म ना होगा।।
लेकिन जहाँ मिले सोना(औकाद) वाला साथी तो छोड़ देना (लोहा) औकाद वाला दोस्त का साथी।
क्योकि लोहा तो हर मोड़ पर मिल जाएगा,
लेकिन सोना तो केवल मंजिल मे ही मिल पायेगा।।

उसके नजर मे आँसु का कोई मोल नही।

May 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

उसके नजर मे आँसु का कोई मोल नही।

ए आँख! तु ऐसे ना आँसु ना वहा
ना कर किसी से गिला सिकवा।
यही था जीवन रास्ते राही की,
जिसको तु ने अपना समझा–
वो आसमान थी ,तु जमींन था ,फिर अब तुमको क्यो गम लगता ।
वो तो अपना कश्ती चलाती रही —-
मैने तो एहसास कर ही लिया।
कुछ यूँ हुआ मेरे साथ ना जबाब तु माँगी ना मौका दी सफाई का।
क्या नही कुछ मेरे पास तु तो हिसाब रखी मेरी औकादो का ।।
दुर जा रहा हूँ तेरे जहान से भी तेरा जहान तड़प जाएगा मेरा चीख से भी।।
दुर जा रहा हूँ—–

ज्योति

May 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जिन्दगी तेरी नराजगी से क्या होगा ।
ये मुस्कुराहट जिन्दगी का karzadar है।

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