
Poonam singh
Kanha tu hi ho hamare palanhare
August 19, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
कान्हा तू ही हो हमारे पालनहारे….
तू ही तो हमारे सहारे,
तुम आ जाओ फिर एक बार ओ मुरली वाले,
तेरी मुरली की धुन सुने हम भी ओ बंसी वाले ,
कान्हा तू ही हो हमारे पालनहारे……
मोर मुकुट बड़ा प्यारा लागे ओ यशोदा के दुलारे,
हम भी तो देखें ये नजारे,
कान्हा तू ही हो हमारे पालनहारे…….
माखन चोर तुझे नाम मिला ओ मुरली वाले,
फिर एक बार तू माखन चुराओ ओ बंसी वाले,
कान्हा तू ही हो हमारे पालनहारे……
गोवर्धन को एक उंगली पर उठाया ओ मुरली वाले,
तेरी लीला है न्यारी ओ बंसी वाले,
कान्हा तू ही हो हमारे पालनहारे…..
गायों को भी तूने चराया ओ मुरली वाले,
फिर आजा गोकुल में ओ यशोदा के दुलारे |
Mera Sauk nahi hai majduri
August 12, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
मेरा शौक नहीं है मजदूरी ,
बस हालात की है मजबूरी,
चाहे हो चिलचिलाती धूप ,
चाहे हो कड़ाके की ठंड ,
चाहे हो सावन की बरसात,
आप बैठे थे एसी कूलर में,
हम कर रहे थे मजदूरी ,
मेरा शौक नहीं है मजदूरी,
बस हालात की है मजबूरी,
रहने को अपना घर नहीं,
हम महल बना कर देते हैं,
बस इतनी सी इच्छा रखते हैं |
मेरे बच्चे ना रहे भूखे
उनके भी अरमान कुछ पूरे हो
तालीम पा सके आप की तरह
है फटे कपड़े तन पर मेरे
पर खुशियों की चाहत रखते हैं
मिले उचित मजदूरी हमें
बस इतनी सी चाहत रखते हैं
Lo a gaya garmi ka mausam
August 12, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
लो आ गया,
गर्मी का मौसम
दहकता सूरज,
चिलचिलाती धूप,
उमस दोपहर,
बहता लूं…..
बहता पसीना,
लगता गुस्से में लाल है सूरज,
मानो कह रहा हो सूरज,
बुराई अब कम करो तुम मानव,
सच्चाई को मत रोको तुम मानव,
सीखो कुछ इनु बेजुबानो से तुम,
लड़ाई ईर्ष्या द्वेष किस बात की मानव,
फिर तो सबको एक दिन जाना है,
मिलकर रहने में ही भलाई है मानव |
Rimjhim savan ki barsat
August 2, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
रिमझिम सावन की बरसात
उस पर आए तेरी याद……..
भीगी भीगी सावन की वो रात,
हौले हौलै बारिश की वो रात,
टिम टिम करते तारों की वो रात,
पल पल आए तेरी यादों की बारात,
जुगनू भी सम्मा जलाए उस रात,
चंदा भी राह दिखाए उस रात.
कोयल भी गीत सुनाए उस रात,
मोर भी नाच दिखाए उस रात,
याद आए सावन के झूलों की वो रात,
याद आए तुमसे मुलाकात की वो रात |
Ai savan ki fuhar
August 2, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
आई सावन की फुहार ,
छाई रूत में खुमार,
घटाएं छाई है घनघोर,
रह-रहकर दामिनी दमके,
हवाएं मचा रही शोर,
बारिश की लगी है झडी,
जैसे झरनों की हो फुलझड़ी,
भीगा भीगा सा ये रुत है ,
भीगा भीगा सा यह मन है,
भीगा भीगा सा यह तन है,
मयूरा नाच रहे छमाछम,
कोयल भी लगा रही है तान |
Tu man ki ati bholi ma
April 25, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
तू मन की अति भोली मां,
दूजा नहीं तुझ सा प्यारा मां,
ऊपर वाले की सूरत में,
तू ही तू बस दिखती मां ,
मुझे जब नींद न आती ,
लोरी गा कर तू सुलाती मां,
मुझे जब भी भूख सताती,
झट से तू खाना दे देती,
मुझे जब कोई कष्ट होता ,
खुद बेचैन हो जाती मां ,
तू ही मंदिर तू ही मस्जिद,
तू ही है गुरुद्वारा मां ,
तेरे चरणों के सिवा
और कहीं न जाना मां ,
ऊपर वाले की सूरत में ,
तू ही तू बस दिखती मां|
Beba ankhe
April 22, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
उन बेवा आंखों का आलम मत पूछो,
सूख गए हैं आंसू उन बेवा आंखों की ,
बसे थे जिनमें हजारों सपने,
टूट गए है वे सारे सपने,
बह गए हैं वे झरने सारे,
चले गए हैं दिन बहार के ,
अब तो सावन भी लगे सुखा सा ,
होली दिवाली में अब वो बात कहां ,
जीवन भी लगे सुना सुना सा ,
अब पहले जैसी बात कहां ,
सजना सवरना भी लगे गुनाह सा ,
हर पल किसी को ढूंढती है वो आंखें ……
Teri yade
April 15, 2019 in शेर-ओ-शायरी
तेरी यादों की जागीर है जन्नत मेरी ,
हर पल हर छण तुम ही को देखती है आंखें मेरी ,
नजर तो आओ तुम ही को ढूंढती हैं आंखें मेरी ,
तेरे सिवा किसी को नहीं देखती हैं आंखें मेरी ,
अब चले भी आओ कि सूनी है आंखें मेरी ,
इन हवाओं से कह दो ना रास्ता रोके तेरी ,
यह दुनिया विरान है बस तुझ बिन मेरी…..
Tery yade
April 15, 2019 in शेर-ओ-शायरी
तेरी यादों की जागीर है जन्नत मेरी ,
हर पल हर छण तुम ही को देखती है आंखें मेरी ,
नजर तो आओ तुम ही को ढूंढती हैं आंखें मेरी ,
तेरे सिवा किसी को नहीं देखती हैं आंखें मेरी ,
अब चले भी आओ कि सूनी है आंखें मेरी ,
इन हवाओं से कह दो ना रास्ता रोके तेरी ,
यह दुनिया बिरान है बस तुझ बिन मेरी…..
Ati hai yad bachpan ki
April 13, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
आती है याद बचपन की…..
वो झूलों पर मस्त होकर झूलना,
पेडो की छांव में बेफिक्र होकर खेलना ,
आती है याद बचपन की…..
वो बारिश में मस्त होकर भीगना,
नदी पोखर में छपा छप करना,
आती है याद बचपन की…..
वो बालू मिट्टी से मस्त होकर खेलना,
फिर दोस्तों संग लुकाछिपी खेलना,
आती है याद बचपन की…..
वो मां की गोद में छुप जाना,
कंधों पर पिताजी के झुलना,
आती है याद बचपन की…..
वो दादी अम्मा से रोज कहानियां सुनना,
खुद रूठना और खुद मान जाना,
आती है याद बचपन कीा…..
वो स्कूल रोज ही दोस्तो संग जाना,
मास्टर जी से स्कूल में रोज ही पढ़ना|
Ati hai yad bachpan ki
April 13, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
आती है याद बचपन की…..
वो झूलों पर मस्त होकर झूलना,
पेडो की छांव में बेफिक्र होकर खेलना ,
आती है याद बचपन की…..
वो बारिश में मस्त होकर भीगना,
नदी पोखर में छपा छप करना,
आती है याद बचपन की…..
वो बालू मिट्टी से मस्त होकर खेलना,
फिर दोस्तों संग लुकाछिपी खेलना,
आती है याद बचपन की…..
वो मां की गोद में छुप जाना,
कंधों पर पिताजी के झुलना,
आती है याद बचपन की…..
वो दादी अम्मा से रोज कहानियां सुनना,
खुद रूठना और खुद मान जाना,
आती है याद बचपन कीा…..
वो स्कूल रोज ही दोस्तो संग जाना,
मास्टर जी से स्कूल में रोज ही पढ़ना|
Ati hai yad bachpan ki
April 13, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
आती है याद बचपन की…..
वो झूलों पर मस्त होकर झूलना,
पेडो की छांव में बेफिक्र होकर खेलना ,
आती है याद बचपन की…..
वो बारिश में मस्त होकर भीगना,
नदी पोखर में छपा छप करना,
आती है याद बचपन की…..
वो बालू मिट्टी से मस्त होकर खेलना,
फिर दोस्तों संग लुकाछिपी खेलना,
आती है याद बचपन की…..
वो मां की गोद में छुप जाना,
कंधों पर पिताजी के झुलना,
आती है याद बचपन की…..
वो दादी अम्मा से रोज कहानियां सुनना,
खुद रूठना और खुद मान जाना,
आती है याद बचपन कीा…..
वो स्कूल रोज ही दोस्तो संग जाना,
मास्टर जी से स्कूल में रोज ही पढ़ना|
Ek budhi lachar wah
April 11, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
एक बूढ़ी थी लाचार वह,
थी भुख से बेचैन वह ,
बैठी थी सड़क किनारे वह,
लिए हाथों में कटोरा वह,
इस आस में कि पसीजे,
दिल किसी का और
देदे कटोरे में दो चार रु वह,
पर अचंभा तो देखो ,
कि हो ना सका ऐसा ,
लोग आते रहे,
लोग जाते रहे,
पलट कर किसी ने
देखा भी नहीं उसे ,
अजीब विडंबना है ईश्वर तेरी,
कहीं दी इतनी गरीबी तूने
तो कहीं दी जरूरत से ज्यादा अमीरी…….
Chautha pahar
April 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
जीवन के दहलीज का यह चौथा पहर,
देखे हैं जिंदगी के कितने उथल-पुथल,
ना कोई उमंग है ना कोई तरंग है ,
ना अब जीने की कोई ख्वाइश है ,
बस जिंदा है तब तक जिए जा रहे हैं ,
जिंदगी गुजर गई सुख की तलाश में,
मिली ना खुशियां जीवन के इस पड़ाव में ,
अब तो बस उस ईश्वर से गुजारिश है ,
चंद लम्हे जो बचे हैं जिंदगी के ,
गुजरे खुशियों की आंचल में,
मिले सहारा जीवन के इस पड़ाव में……
Chautha pahar
April 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
जीवन के दहलीज का यह चौथा पहर,
देखे हैं जिंदगी के कितने उथल-पुथल,
ना कोई उमंग है ना कोई तरंग है ,
ना अब जीने की कोई ख्वाइश है ,
बस जिंदा है तब तक जिए जा रहे हैं ,
जिंदगी गुजर गई सुख की तलाश में,
मिली ना खुशियां जीवन के इस पड़ाव में ,
अब तो बस उस ईश्वर से गुजारिश है ,
चंद लम्हे जो बचे हैं जिंदगी के ,
गुजरे खुशियों की आंचल में,
मिले सहारा जीवन के इस पड़ाव में……
Chautha pahar
April 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
जीवन के दहलीज का यह चौथा पहर
जीवन के दहलीज का यह चौथा पहर,
देखे हैं जिंदगी के कितने उथल-पुथल,
ना कोई उमंग है ना कोई तरंग है ,
ना अब जीने की कोई ख्वाइश है ,
बस जिंदा है तब तक जिए जा रहे हैं ,
जिंदगी गुजर गई सुख की तलाश में,
मिली ना खुशियां जीवन के इस पड़ाव में ,
अब तो बस उस ईश्वर से गुजारिश है ,
चंद लम्हे जो बचे हैं जिंदगी के ,
गुजरे खुशियों की आंचल में,
मिले सहारा जीवन के इस पड़ाव में……
Abla ab samjho nahi tum
April 4, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
अबला अब समझो नहीं तुम,
हूं मैं एक चिंगारी..
लड़कों से अब कम नहीं मैं,
हूं मैं सब पर भारी..
सेना क्षेत्र हो या हो पायलट…
डॉक्टर वकील की तो पूछो मत तुम,
हर मैदान में मैंने है बाजी मारी…|
फिर भी कुछ कुछ जगहो पर होता है मेरा अपमान,
उन अपमानो को रोकने की,
अब आ गई है बारी |
लडाई झगडे से होगा नही ये काम पूरा…
बुद्धि और चतुराई कौशल से जितनी है बाजी,
दहेज उत्पीड़न बाल विवाह तलाक चीरहरण को..
रोकने की अब आ गई है बारी|
Mere khyabo me tum roj chale ate ho
March 29, 2019 in ग़ज़ल
मेरे ख्वाबों में तुम रोज चले आते हो ,
ख्वाब टूटते ही तुम दूर चले जाते हो,
जिंदगी बेजान न हुई होती इतनी ,
छोड़कर अगर तुम न जाते मुझको,
तेरी तस्वीर इन आंखों में उतार बैठे हैं,
ऐसा लगता है तुम्हें मीत बना बैठे हैं ,
तेरे बिना जीना मुझे गवारा ही नहीं,
मैं तेरी हूं तेरी ही रहूंगी तूने यह जाना ही नहीं,
यह तन्हाई मुझे जीने भी देंगी नहीं,
चले आओ क्यों रूठे हो मेरे भोले सनम….
Mere khyabo me tum roj chale ate ho
March 29, 2019 in ग़ज़ल
मेरे ख्वाबों में तुम रोज चले आते हो ,
ख्वाब टूटते ही तुम दूर चले जाते हो,
जिंदगी बेजान न हुई होती इतनी ,
छोड़कर अगर तुम न जाते मुझको,
तेरी तस्वीर इन आंखों में उतार बैठे हैं,
ऐसा लगता है तुम्हें मीत बना बैठे हैं ,
तेरे बिना जीना मुझे गवारा ही नहीं,
मैं तेरी हूं तेरी ही रहूंगी तूने यह जाना ही नहीं,
यह तन्हाई मुझे जीने भी देंगी नहीं,
चले आओ क्यों रूठे हो मेरे भोले सनम….
O dunia ke rakhwale
March 27, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
ओ दुनिया के रखवाले
तूने क्या खूब ये दुनिया बनाई,
सूरज बनाया तूने चंदा बनाया,
तारे बनाए तूने सितारे बनाए,
अंबर ये नीले नीले तूने बनाया,
ओ दुनिया के रखवाले…..
नदियां बनाया तूने झील ये झरने बनाए,
पहाड़ ये ऊंचे ऊंचे खाई गहरे बनाए,
मिट्टी ये प्यारी प्यारी पठार पथरीले बनाया,
ओ दुनिया के रखवाले…..
हरियाली बनाई कहीं जमी बंजर बनाया,
जीवन ये सारे के सारे तूने बनाया ,
ठंडी हवा बनाई तूने फिर तूफा क्यो बनाया,
ओ दुनिया के रखवाले…..
सुख बनाया तो फिर दुख क्यों बनाया ,
मिलन बनाया तूने फिर जुदाई क्यों बनाई ,
जीना सिखाया तो फिर मरना क्यों बनाया |
O nil gagan ke saudagar
March 25, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
ओ नील गगन के सौदागर,,
हवा में उड़ना तेरी फितरत है,
मुझे भी अपनी पंख दे दे पंछी ,
मैं भी ऊरु उस नील गगन में,
उड़ कर उस नभ को छू लूं ,
क्या जानू वह कैसा है ?
तू ही बता दे पंछी ,
बादल सच में पास से कैसा है ?
ओ नील गगन के सौदागर ,
हवा में उड़ना तेरी फितरत है,
इच्छा होती सूरज देखूं चंदा देखू,
तारे और सितारे देखू,
मैं भी उरू उस नील गगन में ,
उडकर उस नभ को छू लूं ,
क्या जानू वह कैसा है?
तू ही बता दे पंछी ,
सारे नजारे सच में पास से कैसा है?
Haba jara thahar tu
March 22, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
ऐ हवा जरा ठहर तू,
मेरी एक बात तो सुन,
क्यों रूकती नहीं मेरे पास तुम,
करनी है तुमसे कुछ बात,
ऐ हवा जरा ठहर तू……
कहां से आई हो तुम ?
कहां तुझे जाना है ?
हौले हौले रेशम सी तेरी चाल,
ऐ हवा जरा ठहर तू ……
इठलाती हुई अल्लड वाला तुम ,
कोई गम नहीं क्या तेरे पास?
लहराती हुई चली कहा तुम?
ऐ हवा जरा ठहर तू …..
रुक जा तू अब बस मेरे पास,
तू है मेरी सहेली सुन,
गर रुकी नहीं तो,
मैं भी चल दूंगी अब तेरे साथ |
Teri yado ke sahare
March 18, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
कब तक जिए हम तेरी यादों के सहारे
तेरे बिना नींद भी आती नहीं यादों के सहारे
तेरे बिना जीना नहीं ये माना था मैंने
पर तेरे बिना पड़ेगा जीना ये न जाना था मैंने,
तेरे ख्वाबों को सजा कर एक-एक पल संजोए थे मैंने ,
पर सब बिखर कर रह गए वह सपने हमारे ,
अब पड़ेगा जीना तुझ बिन हमारी निशानी के लिए ,
देना पड़ेगा हम दोनों का प्यार उन्हें जीने के लिए,
तिल तिल जोड़कर जिंदगी भर लगाया आपने ,
खुशियों की तमन्ना जीवन भर जो संयोया आपने,
पूरा हो ना सका वह ख्वाब ये जाना हमने,
वह सारे ख्वाब करेंगे पूरा करेगे ये लाल हमारे ,
मिलेगी खुशियां ये देखकर जन्नत से तुम्हें |
पुलवामा शहीदो की पत्नियो की व्यथा
Teri yado ke sahare
March 18, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
कब तक जिए हम तेरी यादों के सहार
तेरे बिना नींद भी आती नहीं यादों के सहारे
तेरे बिना जीना नहीं ये माना था मैंने
पर तेरे बिना पड़ेगा जीना ये न जाना था मैंने,
तेरे ख्वाबों को सजा कर एक-एक पल संजोए थे मैंने ,
पर सब बिखर कर रह गए वह सपने हमारे ,
अब पड़ेगा जीना तुझ बिन हमारी निशानी के लिए ,
देना पड़ेगा हम दोनों का प्यार उन्हें जीने के लिए,
तिल तिल जोड़कर जिंदगी भर लगाया आपने ,
खुशियों की तमन्ना जीवन भर जो संयोया आपने,
पूरा हो ना सका वह ख्वाब ये जाना हमने,
वह सारे ख्वाब करेंगे पूरा करेगे ये लाल हमारे ,
मिलेगी खुशियां ये देखकर जन्नत से तुम्हें |
पुलवामा शहीदो की पत्नियो की व्यथा
teri yado ke sahare
March 18, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
कब तक जिए हम तेरी यादों के सहारे,
तेरे बिना नींद भी आती नहीं यादों के सहारे,
तेरे बिना जीना नहीं ये माना था मैंने,
पर तेरे बिना पड़ेगा जीना ये न जाना था मैंने,
तेरे ख्वाबों को सजा कर एक-एक पल संजोए थे मैंने ,
पर सब बिखर कर रह गए वह सपने हमारे ,
अब पड़ेगा जीना तुझ बिन हमारी निशानी के लिए ,
देना पड़ेगा हम दोनों का प्यार उन्हें जीने के लिए,
तिल तिल जोड़कर जिंदगी भर लगाया आपने ,
खुशियों की तमन्ना जीवन भर जो संजोया आपने,
पूरा हो ना सका वह ख्वाब ये जाना हमने,
वह सारे ख्वाब करेंगे पूरा ये लाल हमारे ,
मिलेगी खुशियां ये देखकर जन्नत से तुम्हें |
फुलवामा शहीदो की पत्नियो की व्यथा
Pulbama
March 18, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
छोड़कर मुझे तुम इतनी जल्दी क्यों चले गए ,
अभी तो सुख के पल आए ही थे अभी ही चले गए ,
जाने किसकी बुरी नजर लगी सब सपने अधूरे कर चले गए,
जी रही हूं तुझ बिन अधूरी अधूरे सपने लिए ,
जी रही हूं तेरी यादों के सहारे तेरे अधूरे ख्वाबों के लिए,
जी रही हूं तेरी निशानी के सहारे बस सिर्फ उनके लिए ,
हसरत थी साथ जीने साथ मरने की पर हो ना सका ये,
तू ही बता कैसे जियूं मैं तुझ बिन अपनों के लिए,
तेरी कही हर बात याद आती है जीने के लिए,
तेरे सब सपने पूरा करेंगे हम यह वादा है तुमसे ,
तेरी यादों को ना भुला पाएंगे हम यह वादा है तुमसे ,
हमारे लाल को भरपूर प्यार देंगे यह वादा है तुमसे |
फुलवामा शहीदो की पत्नियो की भावनाए
Adamya sahas ki pahchan
March 16, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
अदम्य साहस की पहचान,
भारत के ये वीर जवान ,
मातृभूमि की रक्षा के लिए,
जान हथेली पर रखकर,
ये कर देते जीवन कुर्बान,
ये है अभिनंदन जैसे वीर जवान ,
हमारे पूज्य है ये वीर जवान,
पर है कुछ लोग यहां के ,
जो दाव लगा देते हैं वतन का सम्मान ,
जो दे रहे हैं जाने अनजाने साथ पाक का,
यह वक्त नहीं है राजनीति का ,
यह वक्त नहीं है सबूत मांगने का,
यह वक्त है हौसला बढ़ाने का ,
जरा होश में आओ वतन के लोगों,
छोड़कर सब अपना स्वार्थ ,
अब मत करो वीरों का अपमान,
वतन मे रहकर करते हो वतन का ही अपमान |
Adamya sahas ki pahchan, Bharat ke ye vir jawan.
March 15, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
अदम्य साहस की पहचान,
भारत के ये वीर जवान ,
मातृभूमि की रक्षा के लिए,
जान हथेली पर रखकर,
ये कर देते जीवन कुर्बान,
ये है अभिनंदन जैसे वीर जवान ,
हमारे पूज्य है ये वीर जवान,
पर है कुछ लोग यहां के ,
जो दाव लगा देते हैं वतन का सम्मान ,
जो दे रहे हैं जाने अनजाने साथ पाक का,
यह वक्त नहीं है राजनीति का ,
यह वक्त नहीं है सबूत मांगने का,
यह वक्त है हौसला बढ़ाने का ,
जरा होश में आओ वतन के लोगों,
छोड़कर सब अपना स्वार्थ ,
अब मत करो वीरों का अपमान,
वतन मे रहकर करते हो वतन का ही अपमान |
Aj desh me mar raha kisan hai
March 15, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
आजादी के इतने साल बाद भी ,
आज देश में मर रहा किसान हैं ,
आखिर क्यों हो रहा ऐसा हाल है ?
बीच में विचौला ही मालामाल है ,
अन्न जिसका खाकर हम जिंदा हैं ,
आज वही क्यों इतना परेशान हैं ,
ली जो कर्ज उसने अच्छी उपज के लिए ,
फिर भी सूखे से हैरान और परेशान हैं,
आजादी के इतने साल बाद भी,
आज देश में मर रहा किसान हैं ,
आज बच्चे उनके भुख से बेचैन है ,
खुद को बेवश पाकर दे रहे वे अपनी जान है ,
आज जाग रहा बेचारा किसान हैं,
और सो रही उनकी सरकार है,
सिमटी हुई पन्नों पर योजनाएं हैं,
आखिर क्यों हो रहा ऐसा हाल है ?
Aj desh me mar raha kisan hai
March 15, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
आजादी के इतने साल बाद भी ,
आज देश में मर रहा किसान हैं ,
आखिर क्यों हो रहा ऐसा हाल है ?
बीच में विचौला ही मालामाल है ,
अन्न जिसका खाकर हम जिंदा हैं ,
आज वही क्यों इतना परेशान हैं ,
ली जो कर्ज उसने अच्छी उपज के लिए ,
फिर भी सूखे से हैरान और परेशान हैं,
आजादी के इतने साल बाद भी,
आज देश में मर रहा किसान हैं ,
आज बच्चे उनके भुख से बेचैन है ,
खुद को बेवश पाकर दे रहे वे अपनी जान है ,
आज जाग रहा बेचारा किसान हैं,
और सो रही उनकी सरकार है,
सिमटी हुई पन्नों पर योजनाएं हैं,
आखिर क्यों हो रहा है ऐसा हाल है ?
Adamya sahas ki pahchan, Bharat ke ye vir jawan.
March 14, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
अदम्य साहस की पहचान,
भारत के ये वीर जवान ,
मातृभूमि की रक्षा के लिए,
जान हथेली पर रखकर,
ये कर देते जीवन कुर्बान,
ये है अभिनंदन जैसे वीर जवान ,
हमारे पूज्य है ये वीर जवान,
पर है कुछ लोग यहां के ,
जो दाव लगा देते हैं वतन का सम्मान ,
जो दे रहे हैं जाने अनजाने साथ पाक का,
यह वक्त नहीं है राजनीति का ,
यह वक्त नहीं है सबूत मांगने का,
यह वक्त है हौसला बढ़ाने का ,
जरा होश में आओ वतन के लोगों,
छोड़कर सब अपना स्वार्थ ,
अब मत करो वीरों का अपमान,
वतन मे रहकर करते हो वतन का ही अपमान |
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