Chautha pahar

जीवन के दहलीज का यह चौथा पहर,
देखे हैं जिंदगी के कितने उथल-पुथल,
ना कोई उमंग है ना कोई तरंग है ,
ना अब जीने की कोई ख्वाइश है ,
बस जिंदा है तब तक जिए जा रहे हैं ,
जिंदगी गुजर गई सुख की तलाश में,
मिली ना खुशियां जीवन के इस पड़ाव में ,
अब तो बस उस ईश्वर से गुजारिश है ,
चंद लम्हे जो बचे हैं जिंदगी के ,
गुजरे खुशियों की आंचल में,
मिले सहारा जीवन के इस पड़ाव में……

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