कहानी

June 29, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

बनाकर बातों से बातें यहां बातें निकलती हैं,

बस यूँहीं जिंदगी के सफर की रातें निकलती हैं,

भरकर बैठे रहते हैं कुछ लोग अपने अंदर इतना,

के पूछो एक और बाहर भरमार कहानी निकलती हैं…
आगे है…..
राही (अंजाना)

बोतल

June 28, 2018 in शेर-ओ-शायरी

ढह गए कितने ही ईमान ऐ मकाँ एक बोतल की चाहत में,

मगर बोतल ने बिक कर भी अपना ज़मीर नहीं छोड़ा।।
राही (अंजाना)

मै जब से तेरी एक तस्वीर बनाने में वयस्त हूँ

June 28, 2018 in मुक्तक

मै जब से तेरी एक तस्वीर बनाने में वयस्त हूँ,
मैं तब से अपने ही ख्यालों में वयस्त हूँ,

रंग तो बहुत हैं ज़माने में मगर,
मैं इंद्रधनुष के रंग छुड़ाने में वयस्त हूँ,

चाँद है सितारे हैं आसमाँ रौशन है मगर फिर भी,
मैं अपने ही घर के जुगनू जलाने में व्यस्त हूँ।।
राही (अंजाना)

इंद्रधनुष

June 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मै जब से तेरी एक तस्वीर बनाने में वयस्त हूँ,
मैं तब से अपने ही ख्यालों में वयस्त हूँ,

रंग तो बहुत हैं ज़माने में मगर,
मैं इंद्रधनुष के रंग छुड़ाने में वयस्त हूँ,

चाँद है सितारे हैं आसमाँ रौशन है मगर फिर भी,
मैं अपने ही घर के जुगनू जलाने में व्यस्त हूँ।।
राही (अंजाना)

आवाज

June 24, 2018 in शेर-ओ-शायरी

बातों में से बात निकलती है,
चुप रहता हूँ आवाज़ निकलती है,
शब्दों का ही खेल है मानो,
जैसे समन्दर से सौगात निकलती है।

उम्मीदों की गठरी

June 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सड़कों पर खेल खुलेआम खेले जाते थे

June 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सड़कों पर खेल खुलेआम खेले जाते थे,
होकर मिट्टी के रंग हम घर चले जाते थे,

पिता की डाँट जब पड़ती थी अक्सर,
माँ के आँचल में चुपके से हम छिप जाते थे,

मुँह मोड़ लेते हैं जहाँ आज ज़रा सी बात पर,
वहीं दोस्त कभी पहले मिसाल बन जाते थे॥
राही (अंजाना)

तेरे घर की गलियों में हम अक्सर भटका करते थे,

June 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरे घर की गलियों में हम अक्सर भटका करते थे,

तेरी नज़रों से छिपकर हम तुझको घूरा करते थे,

साँझ सवेरे जब भी तू तितली बन मंडराती थी,

रात अँधेरे जुगनू बन हम तुझको ढूंढा करते थे,

एक तुम तकिये पर सर रख के चैन से सोया करती थी,

एक हम तुमसे मिलने को ख़्वाबों में जागा करते थे।।

राही (अंजाना)

प्यादा

June 24, 2018 in शेर-ओ-शायरी

मैं प्यादा हूँ मुझे प्यादा ही रहने दो,
यूँ हाथी और घोड़ों से न भिड़ाओ तुम,
मैं तो शतरंज का खिलाड़ी हूँ दोस्त,
मुझे सांप सीढ़ी में न उलझाओ तुम।।
राही (अंजाना)

मचलना छोड़ दिया

June 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब तुमने मिलना छोड़ दिया,
दिल ने धकड़ना छोड़ दिया,

राह फ़िज़ाओं ने बदली
पुष्पों ने खिलना छोड़ दिया,

बहक उठा मन का पंछी
कदमों ने लहकना छोड़ दिया,

जब से रुस्वा हुई मन्ज़िंल
“राही” ने मचलना छोड़ दिया।।

राही (अंजाना)

जुगनू

June 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरे घर की गलियों में हम अक्सर भटका करते थे,

तेरी नज़रों से छिपकर हम तुझको घूरा करते थे,

साँझ सवेरे जब भी तू तितली बन मंडराती थी,

रात अँधेरे जुगनू बन हम तुझको ढूंढा करते थे,

एक तुम तकिये पर सर रख के चैन से सोया करती थी,

एक हम तुमसे मिलने को ख़्वाबों में जागा करते थे।।

राही (अंजाना)

कमाल

June 22, 2018 in शेर-ओ-शायरी

लड़ते लड़ते ज़माने की रीतिरिवाजों से थक गया हूँ,
मगर कमाल ये ही की मैं अब भी किताब पढ़ता हूँ।।
राही (अंजाना)

बादल

June 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सोंचता हूँ अपनी एक नई दुनियाँ बना लूँ,
जिसमे अपनी ही मनचाही तस्वीरें लगा लूँ,
खुशियों के बिस्तर बिछा लूँ और दुखों को अपने घर का रस्ता भुला दूँ,
सूरज चँदा को अपनी छत पर लटकाकर,
जब चाहे बादलों से कहूँ और वर्षा करा लूँ,
इंद्रधनुष को बोल के सारे रंग निकलवाकर,
अपने दिल ओ दिवार पर सारे रंग करा लूँ,
चिड़ियों को कहूँ के वो हर दिन गाना सुनाएँ,
और अपनी आँखों पर रातों की चादर उढ़ा लूँ।।
राही (अंजाना)

तस्वीर

June 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

न दिन खरीद पाओगे न रात बेच पाओगे,

इन हाथों में न तुम अपने हालात बेच पाओगे,

खरीदने की चाहत जो तुम दिल में सजाये हो,

इन आँखों से तुम न ये ख्वाब बेच पाओगे,

खरीद लो सरे बाजार तुम मेरी यादें मगर,

मेरे दिल में बसी तुम न ये तस्वीर बेच पाओगे।।
राही (अंजाना)

आग

June 22, 2018 in शेर-ओ-शायरी

अपनी मोहब्बत की इन्तहा तुम्हें क्या बताऊँ,
गर हवा भी तुम्हें छूकर गुजरे तो शोले भड़कते हैं।।
राही (अनजाना)

आँखों की पहुंच से बाहर देखना होगा

June 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आँखों की पहुंच से बाहर देखना होगा,
एक बार तो समन्दर पार देखना होगा,
मेरे आईने में वो मुझे नज़र नहीं आती,
उसके आईने में मुझे यार देखना होगा,
राही (अंजाना)

दोस्ती

June 21, 2018 in शेर-ओ-शायरी

छोटी सी ख़ता पे दोस्ती तोड़ दे,
रिश्तों के समन्दर का जो मुँख मोड़ दे,
उम्मीदों पर टिकी हुई दुनियाँ छोड़ दे,
वो सम्बन्ध ही क्या जो बन्धन छोड़ दे।।
RAAHI

कवि

June 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कल्पनाओं की कलम से जो चित्र बनाये वो कवि,
खामोश आवाजों को सुन कर जो अल्फ़ाज़ बनाये वो कवि,
समन्दर को बाहों में समेट कर जो दिखाए वो कवि,
कलम को शमशीर से भी तेज चलाये वो कवि,
हर मौसम के मन-भाव जो पढ़ जाए वो कवि,
जो किसी भेद भाव में न उलझ पाये वो कवि,
फांसलो को एक पल में जो मिटाये वो कवि,
धरती को चाँद पर जो ले जाए वो कवि,

सरहद

June 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सरहद के आर पार देखती हैं नज़रें उसकी,

ज़िगर के आर पार देखती हैं नज़रें उसकी,

खामोश दिखती हैं मगर बहुत बोलती हैं नज़रें उसकी,

दिल में मोहब्बत का रंग घोलती हैं नज़रें उसकी।।
राही (अंजाना)

बाट

June 21, 2018 in शेर-ओ-शायरी

वो न दिन देखती है न रात देखती है,
वो बस एक मुझसे मिलने की बाट देखती है।।
राही (अंजाना)

कसमे

June 21, 2018 in शेर-ओ-शायरी

सौ लाख झूठी कसमें खाकर भी वो मुझसे प्यार को कुबुलने को तैयार नही हुआ।।
राही (अंजाना)

मन

June 21, 2018 in शेर-ओ-शायरी

कोई पानी पीकर अपने तन को जेसे तैसे भर लेता है,
और मन को देखो खुद ब खुद ही ये अपने घर को भर लेता है।।

औजार

June 21, 2018 in शेर-ओ-शायरी

कलम की स्याही से शब्दों के औजार बनाकर,
कल्पनाओं के चित्रों को मैने सरेआम ठोक दिया।।
राही (अंजाना)

हल

June 21, 2018 in शेर-ओ-शायरी

मैं ही हल हूँ उस उलझे सवाल का,
जिसे किसीने अब तक पूछा नहीं।।
राही (अंजाना)

नज़र

June 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी

एक नज़र उसे देखने के बाद उस रोज़ से,
मेरी आँखों को और कोई चेहरा नहीं दिखता।।
राही (अंजाना)

मोहब्बत

June 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी

रूठी हुई मोहब्बत को मनाते मनाते,
हम उन्हीं के चेहरे के दीवाने हो गए।।
राही

मोहब्बत

June 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी

Harshit Shukla
रूठी हुई मोहब्बत को मनाते मनाते,
हम उन्हीं के चेहरे के दीवाने हो गए।।
राही

कमजोरी

June 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी

लोग जबसे खामोशी को मेरी कमजोरी समझने लगे,
राही उसी दिन से बहुत ज्यादा बोलने लगा ।।
राही (अंजाना)

दुनिया

June 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी

जब दुनियाँ की भीड़ में मुझे कोई सुनने वाला न था,
उसने मेरे दिल पर हाथ रखा और सब समझ गई।।
राही (अंजाना)

शोर

June 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी

शोर तो बहुत था मेरे चारों तरफ सफर में,
मगर मुझे सिर्फ उसकी खामोशी सुनाई दी।।
राही (अंजाना)

रौशनी

June 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी

हम दिए जलाते हैं रौशनी ही करेंगे,
अब कागज़ हो या यादें दिल में राख ही बनेंगे।।
राही (अंजाना)

नुमाइश

June 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी

नुमाइश मेरी बरबादी का लगाकर,
वो मुस्कराहट सरे बाजार बेचता है।।
राही (अंजाना)

समन्दर

June 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी

जब किसी ने न देखा पलटकर मुझको,
तब आइना भी मुझे देखकर मेरे साथ रोया,
जब सूख गया मेरे दिल का हर एक कोना,
तब समन्दर भी मेरे बिस्तर पर साथ सोया।
राही (अंजाना)

किताब

June 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी

बस चन्द पन्ने पलते और किताब छूट गई,
मोहब्बत के विषय पर हमारी पकड़ बहुत थी।।
राही (अंजाना)

लोग

June 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी

बहुत कुछ कहते हैं मगर सामने नहीं आते,
कुछ लोग अपनी हरकतों से कभी बाज नहीं आते।।
राही (अंजाना)

प्रश्न

June 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी

जो प्रश्न उसने कभी पूछा ही नहीं,
उसके जवाब में रात दिन उलझा हूँ।।
राही (अंजाना)

तितली

June 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी

जहाँ भी रहे नज़र आती है,
वो हवाओं सी मुझे सुहाती है,
हाथ आये न आये वो मेरे,
वो तितली अपनी ओर बुलाती है।।
राही (अंजाना)

बन्द आंखे

June 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी

बन्द आँखों में भी नज़र आने लगा है,
एक चेहरा मुझे इस तरह सताने लगा है।।
राही (अंजाना)

सावन

June 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हर्षित मन फुलवारी में सुंदर फूल अनोखा देखा,
मैने जंगल में हिरण एक अद्भुत रंग सलोना देखा,
जब भी सोया स्वप्नों में मैंने ख़्वाब सुनहरा देखा,
सावन के व्यक्तित्व को मैने सबके मनको मोहता देखा।।
Raahi

वक्त

June 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

वक्त कैसा भी हो हाथ से छूट ही जाता है,
रिश्तों के समन्दर में यहाँ
हर कोई डूब ही जाता है,
चोंच में दाने खिलाता है जो पंछी,
एक दिन तनहा छोड़ ही जाता है।।
राही अंजाना

भीड़

June 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जमाने में लोगों की जब से भीड़ जमने लगी,

लोगों के बीच अपनेपन की कमी खलने लगी,

बन तो गए हर दो कदम पर मकाँ चार दीवारों के,

मगर जहाँ देखूं मुझे घरों की कमी खलने लगी।।
राही (अंजान)

चरित्र

June 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो देखते ही नहीं आईना पलटकर यारों,

गर आईने में चित्र की जगह चरित्र उनके दिखाई देते,

और होता ही नहीं जो सामना शमशीर ऐ नज़र से उनकी,

तो जिंदगी के सफ़र में ‘राही’ हम बेमाने दिखाई देते।।
राही (अंजाना)

चरित्र

June 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो देखते ही नहीं आईना पलटकर यारों,

गर आईने में चित्र की जगह चरित्र उनके दिखाई देते,

और होता ही नहीं जो सामना शमशीर ऐ नज़र से उनकी,

तो जिंदगी के सफ़र में ‘राही’ हम बेमाने दिखाई देते।।
राही (अंजाना)

चरित्र

June 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो देखते ही नहीं आईना पलटकर यारों,

गर आईने में चित्र की जगह चरित्र उनके दिखाई देते,

और होता ही नहीं जो सामना शमशीर ऐ नज़र से उनकी,

तो जिंदगी के सफ़र में ‘राही’ हम बेमाने दिखाई देते।।
राही (अंजाना)

दुआएं

June 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुछ इस कदर के दुआएं बेअसर हो गई,

के सारे मर्ज़ों की दवाएं मेरे ही सर हो गई,

इलाज मिला मगर कहीं कुछ कसर हो गई,

जिंदगी इससे पहले ही मोहब्बत की नज़र हो गई।।

राही (अंजाना)

आईना

June 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आइना देखने से ज्यादा दिखाने में लगा है,

यहाँ हर कोई अपना चेहरा छिपाने में लगा है,

खुद गुनाहों के समन्दर में डूबा हो मगर,

हर कोई एक दूसरे पे ऊँगली उठाने में लगा है,

झुका ही नहीं जो सर किसी भी दर पर कभी,

आज वही हाथ जोड़ कर सबको मनाने में लगा है।।

राही (अंजाना)

हवाओं का रुख

June 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हवाओं के रुख से आहट पहचान ले कोई,

ऊँगली जो उठे तो मुट्ठी बाँध ले कोई,

कोई करे अनदेखी और बिन कहे सब जान ले कोई,

साफ़ नज़र आता है क्यों न इसे मोहब्बत मान ले कोई।।

राही (अंजाना)

पकड़ कर ऊँगली जो समन्दर पार कराता है

June 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

पकड़ कर ऊँगली जो समन्दर पार कराता है,

बहके गर जो कश्ती तो साहिल यार दिलाता है,

भुलाकर शरारत जो मुझे अपने सर पर उठाता है,

मैं जो रूठूँ तो मुझे वो हर बार मनाता है,

ख़ुशियों की बारिश हो या गमों की धूप,

बस एक वही मेरे सर पर छाया बनाता है,

यूँ तो रिश्ते बहुत हैं जो साथ रहते हैं मेरे,

मगर बस पापा रूपी पर्वत ही मेरा हौंसला बंधाता है।।

राही (अंजाना)

बेगुनाह को किस गुनाह की सज़ा सुनाई गई

June 20, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

बेगुनाह को किस गुनाह की सज़ा सुनाई गई,

सारी कायनात में क्यों ये खबर फैलाई गई,

जुर्म किया ही नहीं जिस मालिक ने उसको,

क्यों भरी अदालत में गीता की कसम खिलाई गई।।
राही (अंजाना)

स्वप्न तेरे साथ ज़िन्दगी का देखकर

June 20, 2018 in शेर-ओ-शायरी

स्वप्न तेरे साथ ज़िन्दगी का देखकर,
सदियाँ बीत गई ‘राही’ की सोते सोते।।
राही (अंजाना)

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