रोला छंद

कब से है बेकार, कोरोना पंगु बनाया कुछ करिए सरकार, बहुत है मन घबराया भगवन के भी द्वार, किसीने बंद कराया व्याकुल है संसार, घरो…

सोरठा छंद

अब जैसे असहाय, कभी नहीं पहले हुए कोई लेव बचाय, कोरोना यमराज से 2 उजड़ रहे परिवार, कहाँ गए भगवान् तुम रोता है संसार, वैग्यानिक…

तबाही

पागल हाथी की तरह कोरोना आया पूरे देश में तबाही मचाया मंदिर मस्जिद बंद है कहाँ जाए गिन नहीं सकते इतने चिता जलाया

कब तक

न जाने कब घर से बाहर निकल पाएंगे कब तक कोरोना योद्धा मारे जाएगे दिल की धड़कन बढ़ जाती है समाचार सुन आखिर कब तक…

कोरोना

शरीर है कैद मन भटक रहा है कोरोना मानवता को गटक रहा है अस्पतालों में मानव शिर पटक रहा है गलियों मे पुलिस वाले कहां…

कौन है

कहते तो बहुत है मगर सुनता कौन है सब नेता हैं गद्दार तो इन्हे चुनता कौन है दिखावा विलासिता के सामान लाए हो मेहनत है…

महत्व

हंसी का महत्व क्या जाने जो रोए नहीं है पाने का महत्व क्या जाने जो खोए नहीं है नीद भूख प्यास की कीमत उनसे पूछो…

प्रेम

नफरत नहीं उगेगी यहां प्रेम बोया जाता है संप्रदाय है नहीं जो भाई को लड़ाता है सज्जन का वेश लेकर रावण है फिर चला होगा…

भारत

जिसने सदा ही शांति का संदेश दिया है विश्व गुरु के पद पर आसीन किया है आए कई तूफान जिनका सामना किया भारत ने सुधा…

मानवता

मानव ही दानव बने, औ बनता भगवान् मानव तन अनमोल है, मानवता है प्राण मानवता है प्राण, धार्मिक झगड़े छोडो ईश्वर सागर मान, नदी अवतार…

बाधाएं

मत करो प्रार्थना बाधाओं को आने दो मुकाबला करो और जाने दो हिम्मत रखो तो बाधा॒एं झुक जाती है कह दो बाधाओं से रोयेंगे नहीं…

हार जाएंगे

अपनो से कैसी प्रतियोगिता हम हार जाएंगे आँगे बढ़ेगे अपने हम मल्हार गाएंगे तुम्हारी ऊंचाइयों की छाँव में रहकर हम जीने के लिए तुमसे उपहार…

कलम

मुह जो नहीं कह सकता वो कलम कहेगी जुल्म होगा तो चुप नहीं रहेगी कलम को मत मानो कमजोर हथियार अत्यचारियों के रक्त की धारा…

कविता

कविता विचारों को व्यक्त करने का बहाना है कविता सच्चाई को सुनना और सुनाना है कविता अक्सर बन जाती है अपने आप कविता संसार से…

आदमी

एक रोटी के लिए अक्सर कुत्ते लड़ जाते हैं आदमी वो है जो मिलबाँट कर खाते हैं आदमी वो है भूखे रहकर मां की तरह…

बेकारी

बेकारी उत्पन्न हो, जब जनसंख्या बुद्धि सीमित संसाधन नहीं, सबको सुख समृद्धि सबको सुख समृद्धि, स्ववलंबी बन जाओ कर दो लज्जा त्याग, नहीं बेकार कहाओ…

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