क्यूँ
कुछ बच्चे औपचारिक शिक्षा के लिये अपने को अयोग्य पाते हैं किन्तु उनके अभिभावक इस सत्य को अस्वीकार करते हैं और अनावश्यक दबाव में बच्चे…
कुछ बच्चे औपचारिक शिक्षा के लिये अपने को अयोग्य पाते हैं किन्तु उनके अभिभावक इस सत्य को अस्वीकार करते हैं और अनावश्यक दबाव में बच्चे…
आज फिर तुम्हारे झगड़े ने देखो, कितने अरमान बहा दिए अभी उन होथो पर हर्ष था, इस धरा पर उनका निर्मल स्पर्श था| तेरी लड़ाई…
चाहतों की ख्वाहिश फिर से बहक रही है! तेरी बेरुखी से मगर उम्र थक रही है! मेरा सब्र बिखर रहा है बेकरारी से, तेरे लिए…
गजल पत्थर था मै , मोम बनाकर छोड़ दिया , बदन को मेरे यूँ फूलों सा मरोड़ दिया ! उठता , चलता और फिर गिरता…
खुद को,झूठ के एक लौह जाल में घेर लिया तुमने झूठ का ये लिहाफ़,क्यों ओढ़ लिया तुमने, ये भी झूठ और वो भी झूठ, हर…
savan kahi na khi kuch to kami hai Savan ka mosam mai bhi halki halki nami haiii Khi na khi is savan mai kuch tou kamii haii Hum ek dusre k bhi hoke bhi ek dusre mai nhi haiii Sayad yhi vo kamiii haii Dil mai bate Teri akho mai yade Teri phir bhi q na Jane nizdikiyo k beech y doriya c baniii haiii Savan mai deewana pan or us yr ka ye begana pan Savan mai khi na khi kuch tou kamiii hai Unki aahat humari rooh mai basi hai Meri saso KO unki saso SE iskadar mohobat hogyi Dil KO bhi pta na cha usse dhadak ne k liye kab unki jarurat siii hogyi Mere is savan mai kuch tou kami haii…
************माँ का दूध या सतनो का जोड़ा ,किस नजर से देखे दुनिया सारी ********************** हमेशा देखा है राह चलते लोग रिश्तेदार यहां तक की अपने…
मज़हब न जात पात का अब फ़ासला रहे। मैं रहूँ न रहूँ मगर ये काफ़िला रहे।। हिन्दू हो मुस्लिम हो सिख हो ईसाई। सबके बीच…
पलाश की खुशबू लिए होली के रंग, भिगो जाते हैं खुशियों की मस्ती में । गुलाल का गुबार भर देता है ऑंखों में अल्हड…
ज़िन्दगी गरम तवे सी हो रखी है। ऐसा-वैसा तवा नहीं। महीने भर खर्चों की आग में सुलगता तवा!! गरम तवे को राहत देने महीने भर…
(girlfriend ki kasam de ke doston se kaam karana) (mein hun india ka engg. dewana)x2 pocket money uda kar udhari mein khana khana (mein hun…
गर्मी के हालात में लाइट (बिजली) करे बहाने लाइट भी अब बहाने मारकर जाने लगी है गर्लफ़्रेंड की तरह तड़पाने लगी है करती है हर…
⚛⚛एक नाकाम कोशिश ⚛⚛ सही राह सबको बताकर तो देखो यतीमों को अपना बनाकर तो…
ये पानी नहर का गहरा कहाँ है समंदर की तरह ठहरा कहाँ है छिपा सकते नहीँ हरगिज़ खुदा से हमारा दूसरा चेहरा कहाँ है हमारी…
ये माटी के खातिर होगे, वीर नारायण बलिदानी जी। ये माटी के खातिर मिट गे , गुर बालक दास ज्ञानी जी॥ आज उही माटी ह…
khushi mile har pal tumhe, gam ka kabhi ehsaas na ho, dua lage e dost meri, tum zindagi mein kabhi udaas na ho….
बढती हुई कट्टर हिंदुओं की अराजकता पर कुछ लाइनें अब बाहर निकलने से भी मैं डरता हूं अपनी गोल टोपी पहनने से डरता हूं…
काली घटायें हैं बादल में , धीमी हवायें हैं सागर में , भीनी सुगन्ध है माटी की , करती आकर्षित घाटी को, तुम कहाँ छुपे…
जब तेरे ख्याल से मुलाकात हो जाती है! तूझे याद करते करते रात हो जाती है! रूकता नहीं है सिलसिला इरादों का मेरे, जब ख्वाबों…
जख्म जिन्दा है तेरा याद भी आ जाती है! खामोश लम्हों में चाहत तेरी रुलाती है! मैं जी रहा हूँ तन्हा गम-ए-हालात से मगर, चुभन…
क्या मै तुमसे करती हूँ प्यार, हाँ प्यार है, या है इनकार, बङी ही उलझन में पङ गयी हूँ , क्यों तय कर नही पा…
प्रीति जलती है आग की तरह ! और बजती है राग की तरह !! प्रेम की फ़स्ल आज के इंसा ! काट देते हैं साग…
जिंदगी खेलती है खेल हर लम्हा मेरे साथ नहीं जानती गुजर गया बचपन इक अरसा पहले खेल के शोकीन इस दिल को घेर रखा है…
यह कविता एक ऐसे आवास के विषय में है जो सिर्फ कवि या लेखकों के मन में निर्मित है। कवियों के उस आवास को मैंने…
कतरा कतरा रिसते रहे हम उनके इश्क़ में अपने ही अंदाज में हम उम्मीद है की नजर न होगी कोई शख्सियत तेरे इतिहास में हमे मगर एक आरज़ू है मगर दिल में एक नजर भर देख लीजिएगा लिपटे स्याह सफ़ेद लिबास में हमें ।। #suthars’
गिरते गिरते ही सम्भलते हैं सब फ़िर कहीँ आगे निकलते हैं सब ऐसे क़ाबिल तो नहीँ बनता कोई पहले जलते हैं पिघलते हैं सब कौन…
क्या यही सरजमीं थी मेरे वास्ते ये कैसी कमी थी मेरे वास्ते खुद को देखू तो स्वर्ग का अहसास हैं मेरे दामन में आतंक का…
~सूखी स्याही~ केवल शब्दों का झुण्ड है, मेरी कविताऐं लोगों के लिए, सचिन* पर जब हम बैठते है पढ़ने को ,…
ऐ दिल आ गुफ्तगू करते है कुछ चल बता तू यूं उदास क्यूं है जिन रिश्तों की कोई तवज्जो न थी तुझे “सुथार” आज…
उन दलितों और शोषितों के लिए, क्या किया केंद्र की, वर्तमान सरकार ने? आज भी गुजरता हूँ, जब उन दलित बस्तियों से कचरों की ढेर…
मैं यह शिद्दत से महसूस करता हूँ लिख – लिख कर मैं कागज नहीं अन्तर की रिक्तता को भरता हूँ रिक्त स्थान कुछ ऐसे हैं……
कबतलक तेरा इंतजार करें? दर्द की नुमाइश हर बार करें! उलझी हैं मंजिलें हालात से, कबतलक तुमको हम प्यार करें? Composed मिथिलेश राय ‘…
कभी भी इतनी दूर ना मुझसे जाना, कि मुश्किल हो जाये पास आना, बहुत लम्बी होती है एक दिन की दूरी भी जब बैठी रहूँ…
निकले हैं हम जो प्रगति पथ पर जड़ों को अपनी भूल गये मलमल के बिस्तरों में धँस के धरा की शीतलता भूल गये छूकर चलते…
आज मुझे आलिंगन देकर मुक्त करो हर भार से… प्रियतम मेरा हाथ पकड़ कर ले चल इस मझधार से… नयन मौन हैं किन्तु प्रणय की…
किसी के वास्ते हम भी कमाल कर लेते हैं! अपने हर सकून का बुरा हाल कर लेते हैं! खोखले रिवाजों में हम जीते हैं जिन्दगी,…
गम-ए-तकदीर के भी कैसे नजारे हैं! खौफ़ की राह पर ख्वाब सब हमारे हैं! मंजिलों को खोजती है ज़िन्दगी कोई, किसी की ख्वाहिशें ही टूटते…
जो हो गयी है बंजर जमीन, जमाने कि दिल की तू कुछ अश्क बहाकर इसे नम कर दे|| हो गया हो अगर सूना तेरे मन…
जंग आजकल उलझा हुआ हूँ जरा कल और आज की अजीब सी उलझन में मेरे अंतर्कलह का दन्दव है ले रहा रूप एक जंग का…
तेरे मेरे दरमियाँ जो फ़ासला है कम कर दे। मेरी आँखों के आँसुओं को तू शबनम कर दे। तूने वादा किया था मुझसे साथ देने…
इश्क़ यदि है हक़ीकत तो मैं सारी उम्र जागूँगा। मगर यदि इश्क़ सपना है तो मुझको सोया रहने दो। ज़माना इश्क़ को आशिक़ को अक्सर…
ये दिल दिमाग़ मेरा, है साफ़ आईने सा। सचमुच में तुम हो जैसे, इसमें वही दिखेगा॥ फितरत में भी हमारी, शीशे सी ख़ासियत है।…
जहाँ से मेरी यादें भी न तेरे पास जा पाएँ, बता ऐसे ठिकाने का हक़ीकत में पता क्या है। तुम्हारी दी सजा कोई भी सर…
सच स्वयंसिद्ध होता है, हाँ तुम झूँठ स्वयं रच सकते हो। सच का छिपना नामुमकिन, बस कुछ दिन इससे बच सकते हो॥ झूँठ की दुनिया…
ख़ुदा बनके अब तक जो मिलते रहें हैं, अब उन ख़ुदाओं से मन भर गया है। दुश्मनों ने न बरती कोताही ज़रा सी, हमेशा मुझे…
अहसास प्यार का माँ के, माँ की यादें, माँ का साथ। गज़ब सुकूँ मिलता है, जब माँ सर पर फेरे हाथ॥ माँ के हाँथ की…
जीवन के सफर में अकेला हर शख्स यहाँ, हर छोटे बङे रस्ते पर अकेले ही चला जा रहा, अक्स बहुत हैं बिखरे इधर, पर अपना…
मुहब्बत में ग़ुलाबों की, ज़ख्म काँटों से खाए हैं। जहाँ तुमसे मिले थे हम, वो बस्ती छोड़ आए हैं।। जो सच्चे रिश्ते होते हैं,…
मैं जी रहा हूँ तेरी कहानी बनकर! दीवानगी की तेरी रवानी बनकर! नाखुदा सी बन गयी हैं चाहतें मेरी, जख्में-जिगर में तेरी निशानी बनकर! Composed By #महादेव
बेसबब प्रश्न हैं शब्द सब मौन हैं पूछते हैं कि हम आपके कौन हैं मैं युधिष्ठिर सा सच झूठ भी बोल दूँ वो कहां शष्त्र…
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