मोहब्बत की भाषा
मोहब्बत की भाषा सच बड़ी अनोखी होती है
मोहब्बत की भाषा सच बड़ी अनोखी होती है
माँ की चिट्टियां आती रहीं मैं अपनी दुनिया में गहरे डूबता ही रहा
और अपनी तन्हा रूह को चंद सांसे उधार देता हूं !
पर शायद कुछ भूल हो गई कुछ समय का रथ आगे निकल गया इस जन्म के लिए एक जन्म बीत गया !
बस यूं ही मुझे सपने देखने की आदत है एक सच्चा सपना गलती से देख लिया था कोई नहीं है जी, कोई नहीं है …
भले ही वो ख्यालों में हो या फिर अनजान ख्वाबो में या यूँ ही कभी बातें करते हुए या फिर अपने अपने अक्स को एक…
ओ; तट पर बैठे, तटस्थ लोगों ! सुनो, मेरे सन्मुख ; लक्ष्य है —- राह नहीं है मैं; धारा पर धारा—प्रवाह मुझे विराम की चाह…
जुङे हुये दो बेरंग लब हैं, इनमें क्यों रंग भरना चाहते हो!! हर अंग मेरा बेज़ुबान है, तुम कैसे उन्हें बुलवाना चाहते हो!! सूखी हुई…
अगर मैं तुम्हारे आँखों के ठहरे हुये पानी से मेरा नाम पूंछू तो तुम नाराज तो नहीं होगे न ?
मैं सोचती हूँ अगर सियासतदानों ने ऐसे फैसले न किये होते तो आज हम ईद-दिवाली सरहदें तोड़कर मानते… !
‘मोती’ रोवत थान पर, माई गयी आकाश ! किसकी माई कब गयी, वह तो तेरे पास !! अलख जगा आकाश में, सुना जो भागत…
‘मुफ्त फूलों के साथ बिकती है, खुश्बूओं में वजन नहीं होता।’ ………………..सतीश कसेरा
‘यहां नहीं तो कहीं ओर जल रहा होगा, किसी सूरज के मुकद्दर में, कोई शाम नहीं…।’ ……………..सतीश कसेरा
क्या तुम्हे याद है कब हम-तुम मिले थे, काॅलेज के गलियारों में यूँ ही बतियाते चले थे, हल्की सी मूँछों वाले,कमसिन से तुम, जवानी की…
पल-पल, छिन्न-भिन्न टूट रहा भ्रम , अपनी छाया ढूँढ़ रहा मन, अब तक निज पद- चापो में, तेरी छाया देख रही थी, स्व अरमानों…
पल-पल, छिन्न-भिन्न टूट रहा भ्रम , अपनी छाया ढूँढ़ रहा मन, अब तक निज पद- चापो में, तेरी छाया देख रही थी, स्व अरमानों की…
न कोई खुदा है मेरा , न कोई पैगम्बर है बस दिल एक मंदिर है मेरा, तेरी मूरत उसके अंदर है ।
कहो कोई तो कि आज फिर से शाम हो जायें, मजबूर हूँ बन्द आँखों से कुछ भी दिखायी नहीं देता, मैं सन्नाटे में क्यों कर…
कुछ कह गए तेरे कानों के झुमके कुछ बातें कर गए तेरे कंगन, कलाई ज़ुल्फ़ें कर गयी इशारा हवा के झोंके में और तुम कहती…
****सोचना भी मत में कमजोर नहीं **** मुझे अपना पसंद का चिकन ब्रियनि खाने की तरह सोच कर खाने की सोचना मत भी मत मेरे करीब…
तम्हारे हाथों की मेहंदी से मेरा नाम मिट गया वह तुम्हारी मोहब्बत है लेकिन मैं अपनी नज़्मों से तुम्हें जाने न दूंगा ये मेरी मोहब्बत…
मुझे याद नहीं कि किसी और ने मुझे मेरी माँ जैसा खाना खिलाया हो …
आज सिर्फ माँ की याद रह गयी है, उसके हाथ नहीं । न जाने, मैं किसकी तलाश में इस शहर आया था… ।
मिले वो ज़ख्म के सारे अजीब लगते हैं पराये अपने हमारे अजीब लगते हैं जो तुम थि साथ अँधेरे से दिल बहेलता था जो तुम…
आज इस पल में सदियों का दर्द ठहर आया था जैसे उस पल में दो जुदा जिंदगियों की मौत हुई थी
उसने कहा कि नाम में क्या रखा है मैं जिस्म हूँ ।
अक्सर सोचता हूँ रिश्ते क्यों जम जाते हैं बर्फ की तरह |
अब थक गया हूँ मैं मुझे अपने पास बुला ले
हर शक्स अपने आप में बिमार जैसा है! दिल में है दर्द आँखों में खुमार जैसा है! जल रहा है दामन हरतरफ उम्मीदों का, जिन्द़गी…
करुणा की बारिश हुई, लथपथ हुआ शरीर ! देहियां में दीपक जला, लउका परम शरीर !! एक रूप सब में बसा, एक ही बना…
“हक मेरी माँ को होता” मेरी तकदीर में जख्म कोई न होता, अगर तकदीर बनाने का हक मेरी माँ को होता, मेरी तस्वीर…
#_मेरा_वाड्रफनगर_शहर_अब_बदल_चला_है _______**********************__________ कुछ अजीब सा माहौल हो चला है, मेरा “वाड्रफनगर” अब बदल चला है…. ढूंढता हूँ उन परिंदों को,जो बैठते थे कभी घरों के…
छीनकर खिलौनो को बाँट दिये गम। बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम।। अच्छी तरह से अभी पढ़ना न आया कपड़ों को अपने बदलना न…
गुजर गये बहुत दिन मुस्कुराये हुए अब खुदा ने भी सोचा कि कुछ खुशियां इकट्टी की जायें और दुनिया में बांट दी जायें 🙂 🙂
***कल *** एक कल बीत गया,और बीतता ही है कोई नहीं रोक सकता उसे एक कल जो आने वाला हे आएगा ही वो भी आज…
लिखते लिखते आज कलम रूक गयी इक ख्याल अटक सा गया था दिल की दरारों में कहीं|
जंगल नाचत मोर है, अंगना नाचत भोर ! मैं नाचत-नाचत थका, तब तनि हुआ अंजोर !! मनुआ माया में फंसा, भूला अपनी राह !…
साथ चलते हैं। चल साथ चलते हैं। मंज़िल की छोड़ ना!! इस बार हम राह चुनते हैं। गुज़रते जायेंगे लम्हें हर लम्हों को कहीं…
पृथ्वी और आकाश में एक पुरुष का वास ! कण-कण जिससे व्याप्त है, जीवन, मृत्यु, प्रकाश !! पूरब कोई पश्चिम कहे, पृथ्वी और आकाश…
लफ़्जों को तो हम ढूढ कर ले आये हम अब पराये जज्बातों को कैसे बुलाये हम
तेरे लिए खुद़ को हम खोते चले गये! जिन्दगी को अश्क से भिगोते चले गये! धड़कनों में घुल गयी हैं यादें इसतरह, मयकशी में दर्द़…
Aaj kehta woh naujawan, Anek hai sapne khone ko, Yeh desh kabhi na badlega, Humko toh bus tum sone do ! Jo soye hum…
Har sher mein alfaaz to hote hain…. par alfaaz shayari nahi, Pyaar to sab karte hain suhaani…. par har pyaar junooniyat nahi.
अंधियारे को उघाङती हुई, रोशनी सी बिखेरती हुई, वो छुपी सी इक काया, मुस्कुराती हुई ,तुम ही हो ना? शांत सी हवा में मानों,पायल की…
हुयी है अभी शाम मगर रात हो जाने दो! तपते हुए इरादों को दर्द में खो जाने दो! जब जागते हैं ख्वाब भी तड़पाते हुए…
जुस्तजू जिसकी थी वो मिला ही नहीं अब ख़ुदा से भी कोई गिला ही नहीं दर्द के नूर से रूह रौशन रहे इसलिए ज़ख्म दिल…
“कोई ओर नहीं कोई छोर नहीं” मैं चाँद नहीं वो प्रचलित तारा ध्रुव भी नहीं मेरे दिखने का कोई दिन नहीं पूर्णिमा नहीं अमावस्या भी…
सो जाते हैं हम अधूरेपन की थपकी उधेड़बुन वाली लोरी कल परसों की सिसकी और किसी दी हुई हिचकी लिए सो जाते हैं हम…
कुछ बच्चे औपचारिक शिक्षा के लिये अपने को अयोग्य पाते हैं किन्तु उनके अभिभावक इस सत्य को अस्वीकार करते हैं और अनावश्यक दबाव में बच्चे…
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